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Story Transcript
“क्या तुम जयानते हो, इसके लिए तुम्े लनिंलित लकयया जया सकतया है ?” “अि शीघ्र अपनी जयाँच रिपोर्ट वयापस िे िो, अन्यथया मैं तुम्े लकसी घलरयया लवभयाग में सथयानयांतरित कि दू ं गया।” “तुम वयास्तव में सोचते हो की, तुम मेिे लसस्टम के सयाथ खििवयाड़ किोगे औि मैं युही दे ितया िहँ गया।” यह सयािी धमलकयया अलभमन्यु के लिए थी। एक छोरे शहि लभियाई कया नौजवयान, िोगो की सेवया के उद्े श्य से भयाितीय प्रशयासलनक सेवया में सखमिलित हुआ। उसकी ययात्या, जो की एक प्रलशक्ु के रूप में, प्रशयासन की ियारिलकयया सीिने से प्रयािं भ हुई थी, जल्द ही उसे भयाितीय शयासन तंत् की अत्यलधक दीघ्टसथयायी द्े ष एवं भ्रष्याचयाि से रूिरू किया लदयया थया। उसने अनुभव लकयया की कैसे ियाि फीतयाशयाही ने सयािे दे श को जकड़या हुआ हैं , कैसे संपूर्ट प्रशयासलनक तंत् कयाम नहीं किने की लियया तत्पि है औि अगि कभी कोई लजमिेदयािी िेतया भी है तो भी िेमन औि भयािी मयात्या में भ्रष्याचयाि से लिप्त। इस धयािरया को िदिने के उद्े श्य को िेकि, अलभमन्यु ने अपने कयाय्टप्ररयािी से, कई प्रभयावशयािी व्यखतियों को लवचलित कि लदयया थया जो उसके लिए पिे शयानी कया सिि िन चुके थे। क्या वो इस प्रलतकूि खसथती से लनकि पयायेगया यया उसकया कयाय्टकयाि भी अन्य इमयानदयाि अलधकयारियो की तिह एक सथयान्तिर की श्रंििया िन कि िह जयायेगया ? लवजय लनझयावन, छत्ीसगढ़ के लभियाई शहि के मूि लनवयासी, पेशे से एक व्यवसयायी है , लजनकया लवलभन्न उद्यागो के कयाय्टपयािन कया ३५ सयािो से भी अलधक अनुभव है । उनकया कयाय्टकयाि १८ वष्ट की प्रयािलभक अवसथया में ही शुरू हो गयया थया, जि उनोंनने अपनी पढयाई िीच में ही छोड़कि, अपने िीमयाि लपतया की औधोलगक लनमया्टर के व्यवसयाय को संभयािने िगे थे। इस कयाय्ट में अलभययांलत्की एवं तकनीकी प्रलकयया की अच्ी समझ की आवश्यकतया पड़ती है , लजसके लिए एक पेशेवि समूह को पयारिशलमक में ििने की आवश्यकतया थी िेलकन उस समय की सयाधयािर लवत्ीय अवसथया इस व्यय के अनुकूि नहीं थी। लवजय ने अतः इन सयािी लजमिेदयारियों को अपने कंधो पे िेकि एक-एक कयाय्ट को ियािीकी से समझया। लिनया लकसी अलभययाख्रि की पेशेवि योग्यतया के, मयात् अपने जूनून, समप्टर एवं ियािीक़ नजिो से उनोंनने तकलनकी प्रलक्टयया में महयाित हयालसि की एवं अपने पयारिवयारिक व्यवसयाय को िेहति ढं ग से आगे िढयायया। व्यवसयाय के दौियान सिकयािी लवभयागों से कई प्रिेिन औपचयारिकतयाओ कया कयाय्ट भी उनोंनने ििूिी लनभयायया। इसी दौियान इनकया नौकिशयाहों से संपक्ट हुआ औि प्रशयासलनक कयाय्टप्ररयािी की ियािीकी को सीिने/ समझने कया अवसि लमिया। कुछ समय ियाद उनोंनने अपने व्यवसयाय कया लवस्तयाि अलवभयालजत मध्यप्रदे श में लफि नवगलित छत्ीसगढ़ ियाज्य में, लवशेषकि लभियाई स्टीि पयांर में लकयया। ियाज्य प्रशयासन के नौकिशयाहों से लनकर सम्बन्ध, उनकी कयाय्टप्ररयािी एवं उनके कयाय्ट के प्रलत िवैये की समझ, इस लकतयाि की नींनव िनी। लवजय अपनी पूर्टतयावयादी एवं कम्टलनष्ठ व्यहवयाि से अपनी ियाशी लचन ( ZODIAC SIGN ) VIRGO को उलचत लसद्ध किते है । लवगत वषषो में उनोंनने अपने आप को तकनीकी एवं गैि तकनीकी लवषयों में पयािं गत कि लियया है औि अपने ज्यान कया प्रयोग लदल्ी खसथत अपने पियामश्ट संसथया में कि िहे है । मैं यहयाँ प्रमयालरत कितया हँ की प्रस्तुत हस्तलिलप एवं समलथ्टत दस्तयावेज अंलतम है एवं अन्य कोई भी लवषय िदिया नहीं जयायेगया।