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Story Transcript

मेरे जीवन और मेर� पत्नी क� प्रेम कहानी

कन्है या कुमार

वादा

वादा

मेरे जीवन और मेरी पत्नी की प्रेम कहानी

कन्है या कुमार

Notion Press Old No. 38, New No. 6 McNichols Road, Chetpet Chennai - 600 031 First Published by Notion Press 2017 Copyright © Kanhaiya Kumar 2017 All Rights Reserved. ISBN 978-1-947283-13-8 This book has been published with all reasonable efforts taken to make the material error-free after the consent of the author. No part of this book shall be used, reproduced in any manner whatsoever without written permission from the author, except in the case of brief quotations embodied in critical articles and reviews. The Author of this book is solely responsible and liable for its content including but not limited to the views, representations, descriptions, statements, information, opinions and references [“Content”]. The Content of this book shall not constitute or be construed or deemed to reflect the opinion or expression of the Publisher or Editor. Neither the Publisher nor Editor endorse or approve the Content of this book or guarantee the reliability, accuracy or completeness of the Content published herein and do not make any representations or warranties of any kind, express or implied, including but not limited to the implied warranties of merchantability, fitness for a particular purpose. The Publisher and Editor shall not be liable whatsoever for any errors, omissions, whether such errors or omissions result from negligence, accident, or any other cause or claims for loss or damages of any kind, including without limitation, indirect or consequential loss or damage arising out of use, inability to use, or about the reliability, accuracy or sufficiency of the information contained in this book.

अनुक्रम प्रस्तावना������������������������������������������������������������� vii

अधिनियम-1 रामपुर (जिला-पटना)���������������������������������� 1 अधिनियम-2 बख्तियारपुर (जिला-पटना)��������������������������� 53 अधिनियम-3 पटना शहर������������������������������������������� 89 अधिनियम-4 पटना (यनू िवर्सिटी)��������������������������������� 105 अधिनियम-5 (रामपुर गाँव)��������������������������������������� 257 अधिनियम-6 पटना����������������������������������������������� 265

पे ज v

प्रस्तावना सुबह के लगभग आठ बज रहे थे कामिनी एम्बुलेंस में स्ट्रक्चर पर लेटी

शायद अंतिम साँसे गीन रही थी, कामिनी के बगल में टे बल पर बैठी नर्स पानी चढ़ा रही थी, थोड़ी दे र बाद एम्बुलेंस फूलवारी शरीफ स्थित सिटी

हॉस्पिटल पहुंचा, तीन चार लोग तरु ं त वहां पर आ पहुचें, फिर दो डॉक्टर कामिनी के पास दौरते हुए आये और एम्बुलेंस में चढ़ कर कामिनी का कलाई को पकड़ के कुछ जांच करने लगे, आस पास कुछ लोगो का भीर

इकठ्ठा हो गया था, फिर कामिनी को एम्बुलेंस से उतार कर दोनों डॉक्टर सभी को हटिये बगल हो जाईये करके आईसीयू में ले जाने लगे, उसको

अन्दर रूम में डॉक्टर कुछ इंजेक्शन लगा रहे थे, एक नर्स आक्सीजन लगा रही थी, कुछ दे र तक डॉक्टर कामिनी के पास खड़ा होकर कुछ जाँच कर

रहे थे, में सब नज़ारा बाहर के दरबाजे से दे खे जा रहा था, फिर थोड़ा दे र

बाद डॉक्टर बाहर आये और बिना मझ ु से कोई बात किये मझ ु से मह ु ं फेर

के अपने केविन में चले गए. में डॉक्टर के पीछे गया और दरवाजा बजाते हुए अन्दर आने का अनुमति मांगा, अन्दर आ जाओ डॉक्टर बोले केविन में बड़ा सा सफ़ेद रं ग और शीशा लगा हुआ काउं टर लगा हुआ था, दिवार

पे शरीर के हिस्सों के चित्र पर अंग अंग के नाम लिखे हुए थे एक लम्बा बड़ा कुर्सी जिसपे डॉक्टर बैठे हुए थे. काउं टर के आगे के तरफ दो कुर्सियाँ

लगा हुआ था, बैठ जाओ डॉक्टर मुझे दे खते हुए बैठने को कहा केविन अन्दर से बंद था. में तुम्हारे बारे में सब कुछ जनता हूँ राहुल मुझ से कुछ

छिपा नहीं है. कामिनी तम ु से बेपनाह मोहब्बत करती है , लेकिन आज वो

ज़िन्दगी और मौत से लड़ रही है.डॉक्टर ने गुस्सा होते हुए कहा डॉक्टर का बात सून कर में थोड़ा डर गया कामिनी मुझसे बेपनाह प्यार करती है ,

में जानता हूँ, लेकिन में प्यार नाम से नफरत करता हूँ नहीं करना चाहता में प्यार व्यार, मैंने कहा लेकिन क्यों? तम ु तो कामिनी से प्यार करते थे

न? डॉक्टर आश्चर्य करते हुए पूछे नहीं में कभी किसी लड़की से प्यार नहीं पे ज vii

प्रस्ता

किया मेरा हमेशा से मकसद रहा है की में हमेशा दस ु रो के लिए कुछ न कुछ करू और मैंने उसका आगाज भी कर दिया है , बस आज आपको मेरे

लिए कुछ करना है कामिनी को ज़िन्दगी दीजिये में नहीं चाहता कोई मेरे

वजह से अपना जान दे मैंने डॉक्टर के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा क्यों तुम प्यार को प्यार नहीं समझते हो, कोई एक गलती का इतना बड़ा सजा दे ता

है क्या कोई किसी को? कोई लड़की तुम्हारे प्यार में पर के ज़िन्दगी और

मौत के बिच लड़ रही है , तम ु एक बार उसका हाथ पकड़ के अपना प्यार

दे दो अभी के अभी तुम्हारे लिए उठ के खड़ी हो सकती है वो, डॉक्टर मुझे चेहरा बड़ा कर समझाते हुए बोले।

नहीं डॉक्टर साहब वो में नहीं कर सकता. में नज़रे निचे कर के बोला

क्यों आखिर बात क्या है राहुल? कॉलेज के दिन से में तुम दोनों को दे ख रहा हूँ कामिनी और तुम एकदस ू रे से बेपनाह प्यार करते आये हो, आज

लगभग चार साल हो गए है , फिर अचानक ऐसा क्या हो गया जो तुम उस

बेचारी का जान लेना चाहते हो, हर लड़की के माँ बाप का भी तो इच्छा

होता है अपनी बेटी की शादी करने का, आज वो तुम्हारे प्यार में आज

किस हद तक आ गयी है तुमको पता भी है ? इतने पत्थर दिल कैसे हो

सकते हो तुम? डॉक्टर साहब मुझसे नज़रे मिला के आँखे बड़ी करके पूछे। में इस दे श में कुछ कर दिखाना चाहता हूँ मेरा तम्मना है हम सब पढ़े सब बढे , सरकार भी इसके लिए प्रचार करती है , मेरा अभी अगला

विचार उसपे चल रहा है , मुझे वो करने दीजिये में डॉक्टर साहब के बातो

को नज़रं दाज़ करते हुए कहा ये क्या बोल रहे हो तम ु राहुल, मानता हूँ में तुम किसी का भलाई करना चाहते हो बात क्या है ? सब कोई कुछ न कुछ कर रहे दे श तरक्की करने के लिए, लेकिन लोग प्यार भी करते है.

इन सबको निभाते हुए तुम कुछ करोगे तो तुम्हारे कामयाबी में किसी का नाम जड़ े ा. डॉक्टर ने मझ ु ग ु े सलाह दे ते हुए कहा।

सर आप कुछ भी कह लीजिये में अब इसके साथ प्यार नहीं कर

पाऊंगा क्योंकी, मेरे पास दिल नहीं रहा, में इस दिल को अब मार चूका हूँ. मेरे पास लेने दे ने के लिए कुछ नहीं है किसी को भी में इस दिल में जगह नहीं दे सकता हूँ. मैंने साफ़ साफ़ मुकरते हुए कहा।

पे ज viii

प्रस्ता

क्यों राहुल इतने निर्दयी क्यों हो तुम? एक पल में तुम्हारे ज़िन्दगी में ऐसा क्या हो गया जो इतना मतलबी बन गए हो तुम? कोई छोटी

सी गलती का कोई किसी को इतना बड़ा सजा दे ता है क्या? डॉक्टर परू ा

क्रोधित होके चिल्लाते हुए पूछे।

में वही पर मुहं पे हाथ रख कर थोड़ी दे र के लिए एकदम शांत बैठ

गया, अब मेरे आँखों में आसू आने लग गया।

डॉक्टर साहब कुर्सी पर से खड़े होकर मेरे पास आये और मेरे पीठ

पर हाथ रख कर एक हमदर्द दोस्त के तरह मेरे सर पर हाथ फेरने लगे,

क्या बात है राहुल? ऐसा क्या हुआ है जो तम ु अपने दिल में दबा के रखे हो, मुझसे अपना दर्द बांटो में भी तुम्हारे एक दोस्त जैसा हूँ. डॉक्टर मेरे सर को अपने सिने से लगते हुए बोले। में थोडा दे र तक डॉक्टर के सिने से लग कर रोता रहा, फिर में उनसे

अलग होकर सोचा डॉक्टर को अपना पूरा बात बताना चाहिए, मुझे डॉक्टर

के आँख में एक सच्चाई भी झलक रहा था में फिर से रोने लग गया

डॉक्टर मुझे मेज़ पर रखा हुआ पानी उठा कर मुझे पिलाने लगे शांत हो जाओ बच्चे, जो भी बात है खल ु कर मझ ु े बताओ, डॉक्टर मेरे पीठ पर

हाथ सहलाते हुए बोले मुझे लगा डॉक्टर को अपना बात बता दे ना सही होगा, इससे शायद डॉक्टर कामिनी को बचा ले डॉक्टर तो भगवान ् का

दस ू रा रूप होते है न, अब हम दोनों हम दोनों एकदस ू रे के सामना सामनी चेहरा कर के कुर्सी पर बैठ गए।

पे ज ix

अधिनियम-1

रामपुर (जिला-पटना)

1 मुझे अच्छे से वो दिन याद है जब में 10 साल का था उस वक़्त में अपने

माँ पिताजी के साथ बिहार में रहता था मेरी माँ मेरे पिताजी से बहोत प्यार करती थी दोनों एकदस ू रे से बहोत प्यार करते थे।

मेरा गाँव बिहार के (पटना जिला) के रामपुर गाँव जहाँ खेती के

अलावा कुछ भी नहीं होता था उसगाँव में एक कच्ची सड़क तीस, चालीस

कच्ची घर मिट्टी से लिपटा हुआ छत खपरे का उसमे से एकमात्र घर मेरा छत का था जिसमे 2 कमरा और कमरे के आगे बड़ा सा आँगन जिसमे

एक चापाकल लगा हुआ था और मेरे घर से कुछ दरू आगे एक छोटा केंद्रीय विद्यालय था जहाँ सिर्फ सात कक्षा तक की पढाई होती थी. में

उसी विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढता था, और मुझे पढाई में मन भी बहुत लगता था।

बारह सौ एकड़ में चारो तरफ गेहूं की फसल लगी हुई तेज हवा के झोको से लह लहाती सुखी हुई गेहूं की कटाई का समय आ चूका था

कुछ ही दिन बाद होली आने वाला था.तो मेरे पिताजी ने विचार किया

की क्यों न होली में होलिका दहन में अनाज की पूजा कर के फसल की कटाई की जाए।

मेरे पिताजी नाम- (बलदे व सिंह) उर्फ़ प्रेम काका सफ़ेद धोती और

सफ़ेद गंजी में नौजवान हट्टा कट्टा उम्र 35 छरहरा बदन लम्बाई 5फीट8

इंच रं ग गेहुँआ छोटी छोटी मंछ ू हसमख ु सा चेहरा था वो बहोत मेहनती थे गाँव के लोग उनको प्यार से प्रेम काका बुलाते थे, गाँव के लोगो के बिच में उनका बहुत सम्मान था।

पे ज 3

वादा

मेरी माँ नाम-(गीता दे वी) उम्र 30 के लगभग गोल मटोल गोरी

चिट्टी होंठ के दाहिने तरफ एक छोटा सा काला तील था उस वजह उनकी

खब ू सरू ती और जयादा निखरती थी, लेकिन मेरी माँ गाँव के लोगो से जल्दी

बात चित नहीं किया करती थी उनके ध्यान हमेशा पिताजी पर रहता था की कभी मेरे पति को मेरे वजह से कोई तकलीफ ना हो।

अगले दिन सब ु ह का मौसम का था हवाओ के साथ हलकी ठण्ड. मैंने

दे खा पिताजी प्रातः स्नान करके हाथ जोड़ के सूर्य नमस्कार करके मेरे पिताजी सादी सफ़ेद कुर्ता पयजामा पहन कर बाहर की चौखट पर लगे कुर्सी पर बैठ गए।

माँ सर पर आँचल रखते हुए एक कप गर्म चाय पिताजी को लाकर दी वो चाय को प्याला में डाल कर गहरी फूंक मारते हुए चाय को हलकी ठं डी करते हुए पि गए माँ वही पिताजी के सामने खड़ी थी पिताजी ने खाली कप माँ को पकड़ाते हुए धन्यवाद कहा!

और उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई (राहुल…) मे दौरता हुआ- बुल्लू रं ग की आधी पें ट और हरे रं ग का टी.शर्ट पहना हुआ पिताजी के सामने आ खड़ा हुआ।

मेरा साँस थोड़ा तेज चल रहा था, बोलिए पिताजी में सहमते हुए पूछा चलो मेरे साथ चलो पिताजी ने कहा दिवार से लग कर खड़ा हरे रं ग का

नया एटलस साइकिल को घर से बहार निकाल कर एक छोटे से कपड़े

साइकिल को पोछते हुए, उन्होंने मुझे पीछे के सीट पर बैठने को कहा में चुप चाप पीछे वाला सीट पर बैठ गया, फिर वो कुछ दरू तक बाएँ पाँव

से पैडल मारते हुए दाहिने पाँव को आगे तरफ से उठा कर सीट पर बैठे गए, घंटी बजाते हुए गेहूँ के कटाई के लिए गाँव के सभी बड़े बज ु र् ु गो के घर के द्वार पर रूक रूक कर हो चाचा भैया आवाज़ लगाते हुए बैठक में शामिल होने का इशारा करते हुए बड़े पीपल के पेड़ के पास आने को

कहा सारा गाँव घुमने के बाद वापस हमलोग घर आ गए. गाँव वाले घंटी और हो भैया चाचा का आवाज़ सन ु ते ही समझ जाते थे की बलदे व बैठक के लिए बुला रहा है ।

थोड़ी दे र बाद में और मेरे पिताजी एक साथ घर से थोडा दरू आगे

किशोर चाचा का घर गए उनके घर के सामने एक बड़ा पीपल का पेड़ था पे ज 4

कन्है या कुमार

उस पेड़ के निचे एक सीमें ट से बना हुआ चबूतरा और बगल में कुआँ था गाँव के कुछ लोग पानी उसी कुआँ से भरा करते थे, पेड़ के निचे छाया के साथ पत्तो की सरसराहट के हलकी हवाएं चल रही थी गाँव के कुछ

बड़े बुजुर्ग लोग धोती कुर्ता पैर में काले रं ग के चमड़े का जूता पहने 1, 2 गोद में बच्चे ली हुई लाल साड़ी पहने माथे पर आँचल लिए मांग में लाल सिन्दूर साधारण चप्पल पहने विवाहित स्त्रियाँ सभी उस पेड़ के निचे कटाई से सम्बंधित लोग वहाँ एकजट ू हो गए।

अपनी अपनी राय पेश की जाए, मेरे पिताजी के मित्र ने सभी लोगो

के तरफ इशारा करते हुए कहा!

परं परा के मुताबिक उस गाँव मे सभी लोग अपना राय विचार अपना

हाथ उठा के दे ते थे।

गेहूँ की कटाई का वक़्त आ गया है कुछ मजदरु मेरे साथ चलेंगे कल

से में उत्तर दिशा की तरफ से सुरुआत करूँ गा. पिताजी ने हाथ उठाते हुए कहा!

में परू ब दिशा की और से सरु ु आत करें गे, पिताजी के पास में बैठे

एक मजदरु ने कहा!

ये सून कर किशोर चाचा जो उम्र में मेरे पिताजी से कुछ साल के बड़े

थे दिखने में रं ग सावला पका हुआ बाल, रूक जाओ रूक जाओ किशोर चाचा हाथ उठा के बोले।

पूरब दिशा के तरफ से में कटाई करूँ गा क्योकि उस दिशा से सूरज

उगता है और मझ ु े उगते हुए सरू ज का गेहूं काटते वक़्त उनका दर्शन करना है और उगती हुए सूरज के रौशनी से शरीर को तंदरु ु स्ती मिलता है हम अब थोड़े उम्रदराज़ हो गए है , उस किरण के शक्ति से मुझे कटाई में दिक्कत नहीं होगा, किशोर चाचा ने कहा!

ये बात सून कर पिताजी ने मुस्कु राते हुए कहा अरे भैया जी जैसे आपकी इच्छा हमे इस विचार पर कोई संदेह नहीं है हम सब गाँव वाले एक है जिसको जहाँ से सुरुआत करनी है करे ।

आपको एक बात बता दं ू बारह सौ एकड़ ज़मीं की फसल का जो पैसा

सरकार के तरफ से आता था वो सब पैसे गाँव वाले अपने अपने हिस्से

पे ज 5

माना क� प्यार करना गलत नह�ं है ले�कन प्यार करने का सह� उम्र और सह� सीमा है इस प्यार म� कई तरह का �रश्ता होता है , हम एक प्यार को पाने के �लए दस ू रा और अपना सबसे खास �रश्ता को छोड़ कर गलत राह पकड़ लेते है ले�कन कई �रश्ते म� कई तरह का इफ्तेफाक होता है जहाँ से हम गलत करना शरू ु करते है वहां से अच्छाई अपना रास्ता बनाना शरू ु कर दे ता है और वो अच्छाई �कसी न �कसी रूप म� हमारे पास चले ह� आता है सह� समय और नज�रया होता है दे खने वालो का िजसको �दख जाए दे र सबेर अपने सह� रास्तो पर चल ह� पड़ते है , और वो इंसान को अपने गलती को सध ु ार के एक नया िज़न्दगी और नया पहचान बना कर जीवन म� एक कामयाब इंसान बन सकता है | जब वो 10 साल का था, तब से होटल म� रह रहा है , वो बचपन से ह� बहुत मेहनती है , अब वो एक होटल का मा�लक बन गया है , उस जगह पर वो बहुत तरह के लोगो से �मला बहुत तरह के लोग को अपने होटल म� आते दे खा, उन सब से बात-�चत करके उसका कुछ �दमाग खुला �ान बढ़ा क� कैसे लोग बनते �बगड़ते है , इस मुद्दे को लेकर अब वो अपना पहचान लोगो म� बनाना चाहता है , ता�क वो लोगो को उससे कुछ �सखने को �मले और समाज म� सह� वातावरण बनाये रखे, इसको नया रूप दे ने के �लए उसने लेखक बनने का मन बना �लया | Price 290

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