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EMPRESAS HEADHUNTERS CHILE PDF
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Story Transcript

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www.whitefalconpublishing.com lokZf/kdkj lqjf{kr First Edition, 2017 Copyright © 2017 fuf/k tSu Cover design © 2017 by White Falcon Publishing Cover image © to unsplash.com bl iqLrd ds fdlh Hkh va”k dk iqu#Riknu ;k fdlh ç.kkyh ds lgkjs iqu%çkfIr dk ç;kl vFkok fdlh Hkh rduhdh rjhds & bysDVª‚fud] eSdsfudy] QksVksd‚ih] fjd‚fMaZx ;k osc ek/;e & ls ys[kd dh vuqefr ds fcuk forfjr ugha fd;k tk ldrk gSA iqLrd esa çdkf”kr fdlh Hkh lwpuk dh lR;rk ds çfr rFkk blls gksus okyh fdlh Hkh {kfr ds fy, çdk”kd] ys[kd vFkok eqæd ftEesnkj ugha gSA —i;k vius vewY; lq>ko bZesy ds ek/;e ls HkstsA /kU;oknA [email protected] ISBN - 978-1-947293-68-7

प्राक्कथन

मेरी पुस्तक “एक नयी सुबह”, दस लघु कहानियों का संग्रह है । सभी कहानियाँ हमारे -आपके जीवन की झलकियाँ हैं। हर कहानी का मुख्य पात्र एक सशक्त व्यक्तित्व वाला इंसान हैं। कई बार वह हालात से मजबूर हो कर कमजोर पड़ जाता है पर फिर साहस बटोर कर एक नयी शुरुआत करता है । इसी कारणवश पुस्तक का नाम “एक नयी सुबह” रखा गया है । सभी कहानियों में कुछ न कुछ समानता होते हुए भी हर कहानी अपने आप में अलग है । मेरी कहानियाँ किसी भी तथ्य एवं आंकड़े की सत्यता का दावा नहीं करतीं। रोचकता बनाये रखने के लिए कई स्थानों पर तथ्यों एवं आंकड़ों को नजरअंदाज करना पड़ा है । मैं अपनी इस पुस्तक के लिए अपने परिवार की आभारी हूँ। इन सबके सहयोग के बिना यह शब्द-पुष्प शायद बन नहीं पाते। मैं, श्री दिनेश पाठक जी (वरिष्ठ पत्रकार) की भी दिल से आभारी हूँ कि उन्होने वक्त निकाल कर मेरी पुस्तक को अपने बहमुल्य सुझाव दिये। कहानी संकलन का यह मेरा पहला प्रयास है । उम्मीद करती हूँ कि यह कहानियाँ आप सबको पसंद आएँगी।   v 

सूची

 1. मेरी पहचान������������������������������������������������� 1  2. वापसी��������������������������������������������������������� 7

 3. एलियन������������������������������������������������������ 15  4. जिद्द���������������������������������������������������������� 23  5. पछतावा����������������������������������������������������� 31  6. बलिदान����������������������������������������������������� 40  7. त्याग��������������������������������������������������������� 50  8. दो दिल������������������������������������������������������ 60  9. अंधा प्यार�������������������������������������������������� 71 10. अनजानी खोज�������������������������������������������� 86

  vii 

1

मेरी पहचान

जज साहब अपना फैसला सुनाने से पहले, आधा घंटे के लिए कोर्ट स्थगित करके चले गये। हम सब शांत बैठे उनके फैसले का इंतजार कर रहे थे। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गयीं थीं। मैं जानती थी कि फैसला मेरी इच्छानुसार ही आने वाला है , पर जब तक जज साहब से न सुन लेती, यह दिल इसी तरह बेचन ै रहने वाला था। राज जान चुके थे कि फैसला मेरे हक में आने वाला है । शायद उनमें फैसला सुनने की हिम्मत नहीं थी, इसलिए वह उठे और बाहर की ओर चल दिए। मैं उन्हें जाते हुए दे खती रही। मन बहुत बेचन ै हो उठा। मैंने एक गहरी साँस ली और आँखें बंद कर लीं और फिर शुरू हुआ यादों का सिलसिला। मैं एक शोख-चंचल, हमेशा खुश रहने वाली और सबको ख़ुशियाँ दे ने वाली, दब ु ली-पतली, साँवली-सलोनी, छोटे कद की लड़की थी। माँ-बाप ने प्यार के साथ-साथ हमेशा ज़िंदगी मे आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। साथ ही हमेशा यह याद दिलाया कि पति की चाहतें और ज़रूरतें हम से ऊपर हैं। उसकी इच्छा और आज्ञा के बिना हम कुछ नहीं कर सकते। अजीब है हमारा यह समाज, एक तरफ हम लड़कियों को   1 

एक नयी सुबह  |  निधि जैन

पंख दे ते हैं, उनमें उड़ान भरने की इच्छा पैदा करते है और फिर शादी करते समय अपनी इसी मैना को सोने के पिंजरे मे बन्द कर ताली उसके पति को सौंप दे ते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वैसे तो मैं एक साधारण सी लड़की थी पर कुछ तो ऐसा था मुझ में जो मुझे औरों से अलग करता था, जिसे कभी कोई समझ नहीं पाया। मैंने अपनी जिंदगी में उड़ान भरनी शुरू ही की थी कि माँ-बाप ने मेरी शादी कर दी। राज एक आदर्श व्यक्ति थे। कोई कमी नहीं थी पर शायद मैं ही उनके महान व्यक्तित्व के लायक नहीं थी। जो भी हमें दे खता, एक आदर्श जोड़ी कहता। हमारे बीच कोई समस्या भी नहीं थी पर शायद हम दोनों ज़िंदगी से अलग-अलग अपेक्षाएं रखते थे। मैं खुले आसमान में ऊँची उड़ान भरना चाहती थी पर उन्हें तो एक साधारण घरे लू पत्नी की जरूरत थी। जल्द ही मुझे समझ आ गया कि वह मेरा नौकरी करना पसंद नही करते। उनके दिल व उनकी ज़िंदगी में एक विशेष जगह बनाने के लिए मैंने खुशी-खुशी नौकरी छोड़ दी। मेरी ज़िंदगी ने एक नया मोड़ लिया। मैं माँ बनने वाली थी। इस अहसास ने ही मुझे आनंदित कर दिया। एक दिन मैं और राज डाक्टर को दिखा कर लौट रहे थे, डाक्टर ने सब सामान्य बताया। राज गाड़ी बहुत तेज़ चला रहे थे। जब भी वह खुश होते, गाड़ी ऐसे ही चलाते। अंदर से कोई एक अहसास था, जो मुझे डरा रहा था। मेरे बार-बार मना करने पर भी वह न माने। तभी अचानक बाईं तरफ से एक गाड़ी तेज गति आई और हमारी गाड़ी से टक्करा गई। ईश्वर की कृपा से किसी को भी ज्यादा चोट नहीं आई, फिर भी हमने डॉक्टर के पास जा कर जाँच करवाने का विचार किया। डॉक्टर ने बताया कि जोर का झटका लगने की वजह से गर्भपात हो गया है । यह भी कहा कि मैं अब कभी माँ नहीं बन सकँू गी।   2 

1  |  मेरी पहचान

इस घटना ने मुझे अन्दर तक तोड़ दिया। मैं गुमसुम व उदास रहने लगी। मेरी जिन्दगी में जो आशा की एक किरण चमकी थी, वह राज की लापरवाही से बुझ गयी। समय का पहिया अपनी गति से चलता रहा। राज दिनप्रति-दिन अपने काम में अधिक व्यस्त होते गये। इसी बीच उन्होने अपना कारोबार शुरू किया। कामयाबी उनके कदम चूमने लगी और मैं अपने आप को घर मे व्यस्त रखने की कोशिश करने लगी। घर में करने को ऐसा कुछ भी न था जो मुझे व्यस्त रखता। मैं तो कुछ ऐसा करना चाहती थी जो मुझे मेरी पहचान दे सके। मैंने कई बार राज से बच्चा गोद लेने व नौकरी करने की बात कही पर, हर बार वह यह कह कर टाल गये कि अभी नहीं, फिर कभी फुरसत से और वह फुरसत भरा समय कभी नहीं आया। एक दिन आफ़िस से आकर राज ने बताया कि अगले हफ्ते उन्हे दफ्तर के काम से एक साल के लिए असम जाना है । राज का मानना था कि यह काम उनके कारोबार को एक ऊँचे स्तर पर पहुँचा दे गा और फिर हम हमेशा हँसी-खुशी साथ-साथ रहें गे। मैंने उन से मुझे भी अपने साथ ले जाने को कहा। राज का कहना था कि वहाँ परिवार रखने की अनुमति नहीं है । मुझे याद है वह दिन, बहुत रोई थी मैं, पर राज अपनी बात पर अटल रहे और मुझे अकेला छोड़ कर चले गये। साइट पर सिगनल न होने की वजह से वह इतवार को शहर जा कर फोन करते। हफ्ते में एक बार, दो मिनट की बात और तीन-चार महीने में दो दिन की मुलाकात ने हमारे बीच दरू ियाँ बनानी शुरू कर दीं। साल बीता, राज लौट आए। उन्होंने अपना वादा पूरा किया। उनका कारोबार नित नई ऊँचाईयाँ छूने लगा। दे खते ही दे खते राज इतनी ऊँचाई पर पहुँच गये कि वहाँ से उन्हें न तो मैं दिखाई दे ती थी और न ही मेरा दःु ख, घुटन और अकेलापन   3 

एक नयी सुबह  |  निधि जैन

या फिर वह मुझे दे खना ही नहीं चाहते थे ताकि मैं उनकी तरक्की में रुकावट न बन जाऊँ। शोहरत, पैसा व औरत का नशा भी अजब है , जब चढ़ता है तो कुछ और नजर नहीं आता। यह कारोबार उन्हें शोहरत और पैसा दोनों दे रहा था, इसलिए शायद उन्हें अपनी पत्नी की भी जरूरत नहीं रही। वक्त बीतने लगा पर शायद मेरा वक्त कहीं रुक गया था। राज की विदे श यात्राओं की गिनती बढ़ने लगी। अब वे ज्यादातर समय विदे श में रहते। मेरे बार-बार कहने पर भी राज ने, मुझे न तो बच्चा गोद लेने और न ही नौकरी करने की इजाज़त दी। उनका मानना था कि सब कुछ तो है मेरे पास फिर इस सब की क्या जरूरत है । मेरे दःु ख और घुटन को कोई भी समझ नहीं पा रहा था। मैं राज को कैसे समझाऊँ कि मैं एक साधारण गहि ृ णी नही हूँ। मुझे भी एक पहचान की जरूरत है । बहुत सारे सपने थे मेरे, जिन्हें मैंने राज के लिए छोड़ दिया था। हमारी शादी की दसवीं सालगिरह आने वाली थी। मेरी तरह राज भी बहुत उत्साहित थे। उन्होंने कश्मीर की टिकटें करा ली थीं। सभी तैयारियाँ हो चुकी थीं। मुझे लगा कि यह यात्रा हमारे बीच बहुत कुछ बदल दे गी। हम फिर एक-दस ू रे के करीब आ जायेंगे। जाने के एक दिन पहले राज ने बताया कि उन्हें किसी जरूरी काम से 15 दिन के लिए अमेरिका जाना पड़ेगा। कश्मीर लौट कर चलेंगे। मेरा दिल रो पड़ा, पर मैं नहीं रोई। मैं शांत खड़ी रही, कुछ भी नहीं कहा, न लड़ाई-झगड़ा, न रोना-धोना। राज चले गये। दो दिन तक राज से कोई बात नहीं हुयी। सालगिरह वाले दिन मैं सो रही थी। तभी फोन पर घंटी बजी। राज का फोन था, जिसके नाम से ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी। जिनकी अनुपस्थिति में फोन को सीने से लगा कर रखती। आज उसका फोन लेने के लिए हाथ ही नहीं उठ रहा था। एक के बाद एक, इतनी कॉल तो उन्होंने   4 

1  |  मेरी पहचान

पिछले दस साल में मिला कर भी नहीं की थी। दस साल की मानसिक प्रताड़ना सहने के बाद मैं समझ गयी थी कि बस अब और नहीं... तभी जज साहब के आर्डर-आर्डर ने मुझे यादों से निकाल कर कोर्ट रूम में पहुँचा दिया। मैं जानती हूँ कि राज एक बहुत अच्छे इंसान हैं। जो कुछ भी उन्होंने किया वह उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था, वह न करते तो शायद मैं तो खुश हो जाती पर उन्हें उस सब से गुजरना पड़ता जिससे मैं गुज़री। मैं राज से बहुत प्यार करती हूँ, उनके बिना नहीं रह सकती और शायद वह भी। जज साहब ने अपना फैसला सुना दिया। जीत कर भी मैं सब हार गयी। बोझिल कदमों से मैं कोर्ट रूम से बाहर आयी। एक झलक राज को दे खना चाहती थी पर न जाने क्यों नज़रें उठ नहीं रही थी। शायद कहीं एक भय था कि राज को दे ख कर मैं अपने फैसले से पीछे न हट जाऊँ। हिम्मत करके तिरछी नजरो से चारों ओर दे खा, दरू बें च पर राज उदास बैठे थे। एक टीस सी उठी, ऐसा अन्त तो नहीं चाहा था मैंने। मैं तो केवल उनका साथ चाहती थी। हर इंसान की बर्दाश्त की एक सीमा होती है । राज का व्यस्त कार्यक्रम, लम्बी-लम्बी विदे श यात्रायें, मेरे जीवन मे बच्चे की कमी और कुछ भी सकारात्मक न कर पाने से मेरी वह सीमा कब पार हो गयी, मुझे पता ही न चला। इससे पहले कि मैं टूट कर बिखर जाती, मैंने राज से अलग होने का फैसला कर लिया। आज हमें अलग हुये दो साल से ज्यादा हो गये हैं। इस बीच मैंने एक छोटा सा अनाथ आश्रम खोला है । उन मासम ू बच्चों के साथ वक्त बिता कर मैं माँ न होने का अधूरापन दरू करती हूँ। राज का कारोबार बहुत अच्छा चल रहा है । शनिवार-इतवार की छुट्टी में वह मेरे आश्रम आ कर अपना   5 

एक नयी सुबह  |  निधि जैन

सहयोग दे ते हैं। हम अब ज्यादा खुश हैं क्योंकि अब एक दस ू रे से न कोई अपेक्षायें हैं और न ही कोई शिकायतें । जिस साथ को मैं दस साल तक ढूंढ़ती रही, वह आज इस रूप में मिला है । साथ ही मिली है मुझे मेरी पहचान।

  6 

2

वापसी

लगभग 25 साल बाद मैं भारत लौट रहा था। जाने कितनी बार माँ फोन पर घर आने को कहती, पर मैं हर बार कुछ न कुछ बहाना बना दे ता। उदास हो कर वह कहतीं “क्या मेरे जाने के बाद आएगा या तब भी नहीं आएगा।” किया भी अक्सर चलने की जिद्द करती, पर मैं कभी जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। मैं अपना पिछला सब कुछ भूल कर किया के साथ खुश था, पर फिर भी कहीं एक बोझ था जो मुझे भारत जाने से रोक लेता, और आज जा भी रहा हूँ तो माँ की अन्तिम क्रिया के लिए। मैं माँ का दोषी था, पर अब इस सब के लिए बहुत दे र हो चुकी थी... 25 साल पहले जब मैं भारत से अमेरिका पढ़ने आया तब कुछ समय के लिए माँ-पापा भी मेरे साथ आए। राज अंकल, पापा के बचपन के दोस्त थे। वह न्यूयार्क के सबसे अमीर लोगों में गिने जाते थे। आलीशान इलाके में शानदार कोठी, गाड़ियाँ और अमेरिका जैसी जगह पर कई नौकर भी थे। किया उनकी इकलौती बेटी थी। वह बहुत ही सुन्दर, सुशील व बुद्धिमान थी। भारतीय व पश्चिमी सभ्यता का एक पूर्ण समागम, कोई भी लड़का जो गुण अपनी पत्नी में चाहता है ,   7 

पुस्तक के बारे म� : “एक नयी सुबह”, दस लघु कहा�नय� का संग्रह है । सभी कहा�नयाँ हमारे -आपके जीवन क� झल�कयाँ ह�। हर कहानी का मुख्य पात्र एक सशक्त व्यिक्तत्व वाला इंसान ह�। कई बार वह हालात से मजबरू हो कर कमजोर पड़ जाता है पर �फर साहस बटोर कर एक नयी शुरुआत

करता है । इसी कारणवश पुस्तक का नाम “एक नयी सुबह” रखा गया

है । सभी कहा�नय� म� कुछ न कुछ समानता होते हुए भी हर कहानी अपने आप म� अलग है । मेर� कहा�नयाँ �कसी भी तथ्य एवं आंकड़े क� सत्यता का दावा नह�ं करतीं। रोचकता बनाये रखने के �लए कई स्थान� पर तथ्य� एवं आंकड़� को नजरअंदाज करना पड़ा है ।

लेखक के बारे म� : इस पस् ु तक क� ले�खका श्रीमती

�न�ध जैन ह�। उन्होने ग�णत म� एम.एस.सी करने के

बाद कंप्यूटर कोसर् �कया। दो साल कंप्यूटर प्रोग्रामर

क� तरह काम करने के बाद उन्होने अपने बच्चो क�

परव�रश व उन्ह� उपयक् ु त समय दे ने के �लए नौकर� छोड़ द� और एक गह ृ णी का जीवन व्यतीत करने

लगीं। जब उनके बच्चे बड़े होकर अपनी-अपनी उड़ान भरने के �लए उनका घ�सला छोड़ कर चले गये, तब उन्होने उन सभी ग�त�व�धयो म� अपने

को व्यस्त कर �लया, जो वह हमेशा से करना चाहती थीं, पर समय के अभाव के कारण न कर सक�ं। यह पुस्तक उसी प्रयास का प�रणाम है ।

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