गीतांजलि श्ी अपने बहुचलच्गत उपनयास ‘रेत समालध’ के लिए 2022 के ‘अनतरराष्टीय बुकर पुरसकार’ से सम्मालनत िेिक गीतांजलि श्ी के पाँच उपनयास–‘माई’, ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘लतरोलहत’, ‘िािी जगह’, ‘रेत-समालध’; पाँच कहानी-संग्रह–‘अनुगूँज’, ‘वैरागय’, ‘माच्ग, माँ और साकुरा’, ‘यहाँ हाथी रहते थे’, ‘प्रलतलनलध कहालनयाँ ’ और एक शोध-ग्रनथ ‘लबटवीन टू व्रस्ग : ऐन इंटेिेक्चुअि बायोग्राफ़ी ऑफ़ प्रेमचनद’ छप चुके हैं। इनकी रचनाओं के अनुवाद कई भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में हुए हैं। सालहतयेतर िेिन ये लहनदी और अंग्रज़ े ी दोनों भाषाओं में करती हैं। लथयेटर के लिए भी लििती हैं। इनहें ‘वनमािी राष्टीय पुरसकार’, ‘ककृषण बिदेव वैद पुरसकार’, ‘कथा यू.के. सम्मान’, ‘लहनदी अकादमी सालहतयकार सम्मान’ और ‘लद्जदेव सम्मान’ से सम्मालनत लकया जा चुका है। ये रेलज़डेंसी और फ़ेिोलशप के लिए सकॉटिैंड, लसवटज़रिैंड, जम्गनी, आइसिैंड, फ्ांस, कोररया, जापान इतयालद देशों में गई हैं। इनके उपनयास ‘रेत समालध’ को 2021 के Emile Guimet Prize की शाॅट्ड लिसट में भी शालमि लकया गया था। समप्क्क :
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पहिा सलजलद संसकरण राजकमि प्रकाशन प्राइवेट लिलमटेड द्ारा 2001 में प्रकालशत राजकमि पेपरबैकस में पहला संस्करण : 2007 पहली आवृत्ति : 2022 © गीतांजलि श्ी
2022
राज्कमल पेपरबैकस : उतककृष्ट सालहत् के जनसुिभ संसकरण
राजकमि प्रकाशन प्रा.लि. 1-बी, नेताजी सुभाष माग्ग, दरर्ागंज नई लदल्ी-110 002 द्ारा प्रकालशत शाखाएँ : अशोक राजपथ, साइंस कॉिेज के सामने, पटना-800 006 पहिी मंलजि, दरबारी लबललडंग, महातमा गांिी माग्ग, प्र्ागराज-211 001 36-ए, शेकसलप्र सरणी, कोिकाता-700 017 वेबसाइट : www.rajkamalprakashan.com ई-मेि :
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TIROHIT (Novel) by Geetanjali Shree ISBN : 978-81-267-1362-2
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