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Story Transcript

हद ों के पार भी एक दु निया है

अंकुश तिवारी

ISBN: 978-81-938020-9-0

पब्लितशंग एक्सपर्ट हनुमान नगर रोड, अबोहर पंजाब - 152116 ई-मेल : [email protected] द्वारा प्रकातशि “हदों के पार भी एक दु तनया है”

प्रथम सोंस्करण

: 2018

नितीय सोंस्करण : 2022 © अंकुश तिवारी

सवाटतिकार सुरतिि इस पुस्तक को पूरी िरह या आं तशक िौर पर लेखक की तलब्लखि अनुमति के तबना तकसी भी इलेक्ट्रातनक, यांतिक, फोर्ोकॉपी, ररकातडिं ग अथवा ज्ञानसंग्रहण एवं पुनप्रटयोग की तकसी भी प्रणाली द्वारा तकसी भी रूप में न कहीं पुनरुत्पातदि तकया जाए न प्रेतिि या प्रस्तुि तकया जाए ।

Hadon Ke Paar Bhi Ek Duniya Hain By Ankush Tiwari [2]

समतपटि मेरी प्यारी मााँ और आदरणीय बाबूजी को।

[3]

मेरी बात मैं अपनी दू सरी पुस्तक उन सभी को समतपटि करिा हाँ तजनके प्रेम और तवश्वास ने हर क़दम पर मेरा साथ दे कर मेरा मनोबल एवम् उत्साह बढाया है। मैं उनका भी शुक्र-गुजार हाँ तजन्ोंने मेरा साथ छोड़ तदया मुझे ये एहसास तदलाने के तलए तक जरूरि पड़ने पर मैं ख़ुद के तलए िलवार और कवच दोनों ही बन सकिा हाँ, अपना वजूद बचाने, साँभालने , और बढाने के तलए। गतदट श-ए-दौरााँ में भी तजन लोगों ने मेरा हाथ और साथ नहीं छोड़ा उनमें से सवटप्रथम मेरी मााँ श्रीमिी सरोज तिवारी और मेरे तपिा श्री वीरें द्र जगदम्बा प्रसाद तिवारी को मेरा सादर नमन, साथ ही साथ मेरे सभी तमिों को िहे तदल से िन्यवाद तजन्ोंने इस सफ़र के हर मोड़ पर मुझे कभी हार न मानने के तलए प्रेररि तकया। आज की दु तनया में जहााँ हर िरफ़ अंिकार राज करने पर िुला हुआ है, सन्नार्े ने कोलाहल के सीने में ख़ंजर उिारा हुआ है वहााँ मैंने कोतशश की है एक दु तनया बनाने की जहााँ भौतिक सुतविाएाँ भले ही अपेिाकृि हों पर सुकून, सच्चाई और सदभाव का संगम हवा के कण कण में तबखरा हुआ है। जहााँ की तमट्टी में ख़ुशबू है कला और उम्मीद की, छल कपर् से दू र बहुि दू र एक शांि और शीिल रे तगस्तान में। आशा करिा हाँ आप सबका ढे र सारा आशीवाटद एवम् प्यार मुझे और मेरी तकिाब को तमलेगा। मैं ईश्वर का सदै व ऋणी रहाँगा तजसने मुझे ऐसे लोगों से नवाजा तजन्ोंने तकसी न तकसी िरीक़े से मेरी ख़्वातहशों को तसफ़ट ख़्वाब नहीं रहने तदया बब्लि हक़ीक़ि में िब्दील करने में हर संभव मदद की। - अोंकुश नतवारी [4]

भूनमका अंकुश तिवारी आज के उभरिे हुए कतवयों में से एक हैं। सातहत्य में रूतच की वजह से मैंने बीिे कुछ तदनों में इनकी काफ़ी रचनाएाँ पढीं तजन्ोंने मुझे अंदर िक स्पशट तकया। तकसी भी कतविा के दो पि होिे हैं, भाव पि और कला पि, एक कतविा का शरीर है िो दू सरा उसकी आत्मा। आज के समय में बहुि कम कतव इन दोनों पिों को लेकर चलिे नजर आ रहे हैं। इनकी कतविाओं में इन दोनों पिों का अद् भुि संगम है। “हदों के पार भी एक दु तनया है”, इनकी दू सरी पुस्तक है तकंिु पढकर ऐसा लगा जैसे अंकुश कई तकिाबें तलख चुके हैं। इनके व्यब्लित्व की पररपक्विा इनकी रचनाओं में साफ़ झलकिी है। अंकुश का मानना है तक कतव को केवल मनोरं जन के तलए नहीं तलखना चातहए बब्लि कतविाओं का एक सामातजक ध्येय भी होना चातहए, कतव की एक तजम्मेदारी होिी है। अंकुश के शब्दों में, "कतविाएाँ क्रांति और सकारात्मक बदलाव का माध्यम होिी हैं माि मनोरं जन का सािन नहीं होिीं।" जब मैंने इनकी कतविा “हदों के पार भी एक दु तनया है” पढी िो मुझे लगा तक ये एक तनहायिी आशावादी कतव हैं। तनम्न पंब्लियों में उनके सकारात्मक तवचार स्पष्ट झलकिे हैंजहााँ जमीन की गहराई आसमान की ऊाँचाई से तजयादा मायने रखिी है जहााँ बाररश की बूाँदें हर तकसी के आाँ गन में बराबर तगरिी हैं जहााँ िमट के नाम पर इं सातनयि पर हमला नहीं होिा

[5]

जहााँ ब्लियों की पूजा तसफ़ट तकिाबी जुमला1 नहीं होिा। परं िु अंकुश की तकसी तकसी कतविा में गहन तनराशावाद की झलक भी तमलिी है"िुआाँ सातजश में लगा हुआ है तक कैसे एक ही बार में सब का दम घोंर् तदया जाए, तजिनी दू र िक नजरें पहुाँच सकिी हैं वहााँ िक तसफ़ट और तसफ़ट शमशान तदखाई दे िा है।" कहीं कहीं उनकी कतविाओं में समाज की ब्लथथति दे खकर गहन तचंिा िो कहीं स्वयं के जीवन की तविमिाओं से जूझिे रहने की तनराशा है। "बे-वजह दीवारों से लड़िा रहा बस यही तसलतसला चलिा रहा प्यास को और प्यासा करिा रहा बस यही तसलतसला चलिा रहा।

इस प्रकार तवरोिाभास, तवतवििा और भावों का उथल-पुथल अंकुश की कतविाओं में सवटि दशटनीय है। इनका मानना है तक आज के समय की एक बड़ी समस्या है मानविा का अिोपिन और चारों िरफ़ छाई सांप्रदातयकिा।

1

कहावि/ कथन

[6]

ये समाज से गुहार करिे हैं तक"इं सातनयि का सूरज कभी ढलने न दीतजएगा बस मजहब को नफ़रिों में बदलने न दीतजएगा ख़ाक-ए-विन को यूाँ ही शतमिंदगी की आग में जो जााँ भी चली जाए मगर जलने न दीतजएगा।"

मैं आशा करिी हाँ तक अंकुश की तद्विीय पुस्तक “हदों के पार भी एक दु तनया है” पाठकों को पसंद आएगी और वह समाज को पररविटन की ओर प्रेररि करे गी। शुभकामनाओं के साथ। रश्मि नमश्रा, एच.ओ.डी. नहन्दी नवभाग, बी जी एस इन्टिेशिल स्कूल, बैंगल र।

[7]

कनवता-शायरी क्रम अनुवाक्य संग्रह ................................................. 12 हद ों के पार भी एक दु निया है................................... 13 बाकी सब ठीक है .................................................. 17 चुम्बि .................................................................. 23 बुरे वक़्त का वक़्त ................................................. 25 परवरनदगार ......................................................... 27 गुफ़्तुगू ................................................................. 28 यादें ..................................................................... 31 कड़ी निोंदा............................................................ 33 न ोंदगी कहते हैं ..................................................... 36 कलेजा ................................................................. 37 तकल्लुफ़ ............................................................. 38 तलाश ................................................................. 41 व ज अक्सर ........................................................ 43 बेचैिी .................................................................. 46 बरसात की एक रात .............................................. 48 नमट्टी .................................................................... 50 औरत-एक युग है ................................................... 51 [8]

मेरा आफ़्ताब ........................................................ 55 शायद .................................................................. 57 ददद की बारात ....................................................... 59 मैं ........................................................................ 66 अिकहे अल्फ़ा

.................................................. 68

मुसानफ़र-खािा .................................................... 70

........................................................................ 73 सक ु ू न-ए-सख़ ु न ................................................... 73 ऐ खुदा ................................................................. 74 अोंदा -ए-तगाफ़ुल ................................................. 76 िकाब ................................................................. 77 खुदा खैर करे ........................................................ 78 काबू कैसे करें ....................................................... 81 तसव्वुर ................................................................ 82 मााँ ....................................................................... 83 हौसला................................................................. 84 गलतफ़हमी .......................................................... 86 खयाल ................................................................. 87 नदलरुबा .............................................................. 88 गम-ए-र

-मराद .................................................... 90 [9]

नसलनसला ............................................................ 92 िूर-ए-चि-ए-सहर ................................................ 94 मातम-ए-र

-ओ-शब ............................................ 95

बकद-ए-आह .......................................................... 96 कयामत की रात.................................................... 97 एक अजिबी हसीिा.............................................. 98 जुदाई .................................................................. 99 शब-ए-गम .......................................................... 100 वक़्त .................................................................. 101 सर-ए-रहगु र .................................................... 103 इश्मिजा ............................................................. 105 मोंन ल ............................................................... 106 सब्र की इम्तहााँ .................................................... 107 सवाल-ए-ि क-ए- बााँ .......................................... 108 ीस्त................................................................. 109 उज़्र-ए-नसतम ...................................................... 110 चार ल ग ............................................................ 111 रौशिी का मदीिा ............................................... 112 सूरत-ए-श ख ...................................................... 113 अ ाब-ए-नहज्र ..................................................... 114 [10]

आदमी............................................................... 115 गम-ख़्वार ........................................................... 117 अ द-ए-हाल ........................................................ 118 बेदारी ................................................................ 121

...................................................................... 122 तकक श-ए-हर्फक ..................................................... 122 ...................................................................... 154 मिसरा-ए-इंततख़ाब............................................. 154

[11]

अनव ु ाक्य संग्रह

[12]

हद ों के पार भी एक दु निया है हदों के पार भी एक दु तनया है बस वहीं अपना घर बसाना है तजसे सद् भाव की ख़ुशबू से और चााँद की रौशनी से सजाना है जहााँ जमीन की गहराई आसमान की ऊाँचाई से तजयादा मायने रखिी है जहााँ बाररश की बूाँदें हर तकसी के आाँ गन में बराबर तगरिी हैं जहााँ िमट के नाम पर इं सातनयि पर हमला नहीं होिा जहााँ ब्लियों की पूजा तसफ़ट तकिाबी जुमला1 नहीं होिा। जहााँ कतविाएाँ क्रांति और सकारात्मक बदलाव का माध्यम होिी हैं माि मनोरं जन का सािन नहीं होिीं, और लाचार सरहदें अकेले में

1

कहावि/ कथन

[13]

ख़ून के आाँ सू नहीं रोिीं कोई दु ल्हन प्रिातड़ि नहीं होिी, यिीम बच्चे भूखे नहीं सोिे ग़रीब लोग सड़क तकनारे गंदगी में नहीं रहिे जुमट पैदा होने से पहले ख़ुद को हजार बार कोसिा है, तशकारी तशकार करने से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचिा है। जहााँ पत्थर के घर नहीं होिे सीमेंर् के बने शहर नहीं होिे सुब्ह उम्मीद से भरी होिी है दोपहर सुकून दे िी है शाम मरहम लगािी है राि तहफ़ाजि करिी है आईना र्ू र् कर भी सच बोलिा है, अकेली और बेबस लड़की को दे ख कर तकसी भी बे-ग़ैरि1 का ईमान नहीं डोलिा है 1

तनलटज्ज

[14]

वहााँ की िूप में भी छाया होिी है, हवा में घुली ईश्वर की काया होिी है। तजस भी कण को वो हवा छू कर गुजरिी है, वो मंतदर, मब्लिद, गुरुद्वारा हो जािा है जरूरि पड़ने पर इं सान ही इं सान के तलए मसीहा बन जािा है। जहााँ ख़ून बहाया जािा है िो तसफ़ट दू सरों की जान बचाने के तलए पराए लोगों से अपनों वाला ररश्ता तनभाने के तलए तकसानों के सर पर कोई बोझ और हाथों में छाले नहीं होिे दू सरों के बिटन से छीनने वालों के हाथों में तनवाले नहीं होिे, मक़्तल1 में फूल ब्लखलिे हैं, लबों से तसफ़ट दु आएाँ तनकलिी हैं

1

कसाईख़ाना

[15]

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