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अयोध्या: संघषर् और इितहास
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Website: www.instapublish.in © Copyright, 2020, Anil Rana Pratihar All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its writer. First Edition, 2020 ISBN: 978-81-949359-1-9 The opinions/ contents expressed in this book are solely of the author and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Insta Publishing. Published by: Insta Publishing
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अयोध्या: संघषर् और इितहास
अिनल राणा �ितहार
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समपर्ण
मेरी माता
�ीमती शकुं तला देवी को सम�पर्त
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अनु�मिणका �.
िवषय
पृ� v
समपर्ण
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मन क� बात �स्तावना
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�ीराम और रा�
1
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भारत और इस्लाम
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�हंद ू मानस तथा उसका मनोिवज्ञान
36
मयार्दा पु�षोतम �ीराम के इितहास के
42
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�ोत
4
अयोध्या से संबंिधत इितहास के �ोत
66
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अयोध्या िववाद के िविभ� चरण
88
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अयोध्या आंदोलन का �संहनाद
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सुलह समझ�ते से समाधान क� तलाश
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अयोध्या िववाद का न्याियक समाधान
146
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फै सले का महमव
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10 अयोध्या के महानायक
162
11 �ीराम मं�दर का िशलान्यास
190
12
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िनष्कषर्
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मन क� बात ”अयोध्या: संघषर् और इितहास” शीषर्क पुस्तक को �स्तुत करने का यह एक छोटा सा �यास है। यह कोई मौिलक शोध कायर् या अनुसंधान नह� है। इसम� पांचजन्य पि�का के िविभ� अंक व समाचार प�� म� �कािशत साम�ी लेकर यह पुस्तक िलखी गई है। अपनी अज्ञानता के कारण ब�त अिधक पुस्तक� से सहायता नह� ली है �कं तु िजतनी भी साम�ी �स्तुत क� है वह तथ्य के आधार पर है, मेरे िवषय के िलए उपयु� है। म� िवशेष �प से “पांचजन्य” पि�का के लेखन िवभाग का �दल से आभारी �ं। राम मं�दर पुन�नर्मार्ण के भूिम पूजन समारोह के अवसर पर देश िजस तरह राममय �आ वह राम क� मिहमा का �ताप है। राम इस देश के रोम रोम म� बसे ह�। राम मं�दर हमारी सांस्कृ ितक और आध्याित्मक चेतना का उदय है। यह रा� के उत्थान का �ेरणा स्थल है। राम मं�दर का िनमार्ण रा� के िनमार्ण का माध्यम है। यह भारत क� संस्कृ ित और उसक� शि� को दुिनया को प�रिचत कराने का काम करे गा और रा� को उत्कषर् के िशखर पर ले जाएगा तथा कश्मीर से कन्याकु मारी तक एकता के सू� म� िपरोने का काम करे गा। यह रामराज्य लाने म� सहायक होगा, जहां हर �कसी क� सुरक्षा व न्याय का �बंध होगा तथा राजा जनता का स�ा �ितिनिध होगा। �ी राम मं�दर करोड़� लोग� क� सामूिहक संकल्प शि� का �तीक होगा तथा आने वाली पी�ढ़य� को आस्था ��ा व संकल्प क� �ेरणा देता viii
रहेगा। राम मं�दर िनमार्ण रा� को जोड़ने का उप�म है। यह भूतकाल से वतर्मान को, नर को नारायण से और सबको संस्कार से जोड़ने वाला होगा और भारत क� पताका को युगो युगो तक लहराता रहेगा। राम मं�दर भारतीय संस्कृ ित क� समृ� िवरासत का घोतक होगा तथा अनंत काल तक पूरी मानवता को �ेरणा देता रहेगा। इस पुस्तक को िलखने म� य�द कु छ भूल चूक �ई है तो क्षमा चाहता �ं। मेरे छोटे से �यास को �ोत्सािहत कर� , साथ ही मेरी �ु�टय� और किमय� से अवगत कराएं। एक बार �फर म� उन सभी पुस्तक व पि�काओ के लेखक� का धन्यवाद करता �ं िजनक� सहायता से मेरा �यास संप� �आ। म� पुस्तक का लेखक ने होकर के वल तथ्य� का संकलनकतार् �ं। इस पुस्तक के लेखन कायर् मे मेरे पु� सूरज �ताप का िवशेष सहयोग रहा ह�। पुस्तक िलखने के प�ात म�ने िनष्कषर् भी �स्तुत �कया है और मेरे िवचार से आप सहमत भी ह�गे और स्वयं भी मनन कर� गे �क यह िनष्कषर् कहां तक सत्य के नजदीक है और आप भी कहां तक इससे सहमत है। आपके मतो क� आलोचना और समालोचना क� �तीक्षा म� ... अिनल राणा �ितहार ( अराईपुरा ) सहसिचव , सक्षम ह�रयाणा
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�स्तावना 1947 म� देश को स्वतं�ता िमली,�कं तु देश को अपने पैर� पर खड़ा करने क� चुनौती सामने आई। ले�कन 1980 के बाद मीनाक्षीपुरम का सामूिहक मतांतरण, कश्मीर घाटी म� �हंद� ु के िवस्थापन और शाहबानो मामले के बाद मुिस्लम समाज क� �ित��या से पूरे देश म� �हंद ू अिस्मता के रक्षण क� लहर उठी, िजसम� �हंद ू समाज क� वतर्मान िस्थित मे सुधार �आ। हालां�क अभी ब�त सुधार होना बाक� है। इस सदी म� भी दुिनया को देने लायक �हंद ू दशर्न म� ब�त कु छ है। अमे�रक� सीनेट म� �हंद ू �ाथर्ना �ई। आधुिनक समय म� �हंद ू दशर्न, योग, �हंद ू संस्कृ ित और अध्यात्म का िववेचन करने वाले लोग� क� लोकि�यता बढ़ रही है। अपने पारं प�रक उत्सव म� सहभागी होने का संकोच दूर हो रहा है। ले�कन �हंद� ु क� घटती जनसंख्या, समाज म� मतभेद यह दोन� बात आज भी उतने ही गंभीर है। वतर्मान राजनीितक �वस्था अल्पसंख्यक को संग�ठत करने और �हंद� ु म� फू ट डालने वाली है। पूरे िव� म� मुिस्लम समाज के साथ अन्य मत पंथ का सह अिस्तत्व क�ठन होता जा रहा है। अब जब �धानमं�ी नर� � मोदी ने भ� राम मं�दर का शुभारं भ कर �दया है तो यह िस� हो गया है �क �ी राम जन्मभूिम मुि� हेतु शताब्दी तक चला संघषर् न तो भूिम के टु कड़े के स्वािमत्व के िलए था और ना ही इस्लाम के िखलाफ यु� का िहस्सा था। सच यह है �क बाबरी ढांचा मिस्जद ना होकर x
का�फर कु � क� गाथा से �े�रत लुटेरे बाबर क� भारत क� सांस्कृ ितक पहचान और अिस्मता को समा� करने का उप�म था। भारत म� पूजा प�ित के �� पर शा�ाथर् क� परं परा है। सैकड़� वषर् पूवर् कै थोिलक चचर् �ारा �तािड़त सी�रया के स्थानीय ईसाइय� को भारत के तत्कालीन �हंद ू राजा� ने के रल म� शरण दी और आज उन्ह� सी�रयाई ईसाई कहा जाता है। आठव� शताब्दी म� इस्लामी शासक� क� मजहबी यातनाओ से �स्त होकर जब पारसी ईरान से भारत म� सुरक्षा क� खोज म� आए, तब तत्कालीन गुजरात के �हंद ू राजा ने उन्ह� पनाह दी। इस तरह पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन काल म� अरब के बाहर िव� क� पहली मिस्जद चेरमन जुमा वषर् 629 मे �हंद ू राजा भास्कर रिव वमार् ने बनवाई थी। �ी राम जन्मभूिम िववाद मं�दर मिस्जद का ना होकर सांस्कृ ितक मूल्य� और ध्वस्त �तीक� क� पुनस्थार्पना का संघषर् है। �ी राम उन मूल्य� का �ितिनिधत्व करते ह� जो भारत म� �े� है और शेष िव� के िलए शुभ । आधुिनक भारत के इितहास म� अगस्त महीने का िवशेष महत्व है। स्वतं�ता सं�ाम का स्वाद 15 अगस्त 1947 को चखा और सांस्कृ ितक सं�ाम का स्वाद 5 अगस्त 2020 को िमला, जब अयोध्या म� राम मं�दर का िनमार्ण कायर् शु� �आ। भारतीय स्वतं�ता के वल ि��टश सा�ाज्य का अंत ही नह� था बिल्क 1000 वषर् के अंधेरे युग क� समाि� थी, जो 1001 मे महमूद गजनवी के हमले से शु� �आ था। यह वह युग था, जब भारत के अंद�नी कमजो�रय� का फायदा उठाया गया और बाहर से िवदेशी xi
हमलावर िनरं तर भारत क� ओर �ख करते रहे। इसके साथ ही �ापारी लोग भी भारत आने लगे। हमारी सामािजक, सांस्कृ ितक और आ�थर्क शि� को चकनाचूर कर �दया गया तथा भारत को जमकर लूटा गया। हमलावर बेखौफ़ होकर भारत को लूटते रहे और हम आपस म� एकता क� कमी म� लुटते ही रहे। असंख्य हमलावर� ने हमारे देश को एक नरम ल�य समझा, हालां�क उनके
आचरण का �ितरोध
पृथ्वीराज चौहान, महाराणा सांगा, महाराणा �ताप, वीर छ�साल, जयमल �संह राठौर, दुगार्दास राठौर, छ�पित िशवाजी, गु� गो�वंद �संह, बंदा बैरागी और रानी ल�मीबाई इत्या�द ने �कया। हालां�क यहां मीर जाफर जैसे लोग भी थे, िजनके कारण सोने क� िचिड़या कहां जाने वाला भारत गरीबी तथा िपछड़ेपन के समु� म� िसमट कर रह गया। इस लंबे अंधेरे म� भारत ने अपने अंद�नी शि� को खो �दया था। भारत मे मं�दर सांस्कृ ितक एकता का महत्वपूणर् �ोत थे, िजसे िवदेशी हमलावर बार-बार तोड़ते रहे। भारत म� मं�दर सदैव सदभाव और सामंजस्य बनाने क� कड़ी रहे। यह भी स्मरण रहे �क यहां मिस्जद� और िगरजाघर� बनाने का कभी िवरोध नह� �आ। स�दय� क� �तीक्षा, आ�ासन और संघषर् के बाद अयोध्या म� राम जन्मभूिम मं�दर बनने का मागर् बना। इसके िलए �हंद� ु ने जो धैयर् �दखाया िव� इितहास म� अभूतपूवर् है। यह मं�दर िनमार्ण करोड़� लोग� क� आकांक्षा के अनु�प है क्य��क ऐितहािसक, सांस्कृ ितक और पुराताित्वक �माण इस बात को िस� कर रहे थे �क राम मं�दर के स्थान पर मिस्जद का िनमार्ण �कया गया था। इसके दस्तावेजी �माण उपलब्ध है। xii
�हंद ू समाज िपछले लगभग 500 साल से राम जन्म भूिम स्थल के िलए लगातार संघषर् कर रहा था। िववा�दत ढांचे के ध्वस्त होने बाद ऐसे सा�य सामने आए िजन्ह�ने राम जन्मभूिम स्थल क� वैधता क� पुि� क�। ले�कन संक�णर् राजनीितक कारण� से इसक� अनदेखी क� गई। अयोध्या क� पहचान राम क� नगरी के �प म� है। राम के वल �हंद ू समाज के आराध्या ही नह� है, रा�ीय सांस्कृ ितक चेतना के �ेरणा पु�ष भी है। राम के िबना भारतीय मानस क� कल्पना नही क� जा सकती। �ी राम मयार्दा पु�षो�म, पिव�ता, दयालुता, परा�म और वचन के प�े सद्गुण� से ओत�ोत है। �ी राम के जीवन म� कतर्� पालन, धमर् पालन तथा त्याग का ही दशर्न है। वाल्मी�क ने संपूणर् �ी राम कहानी क� रचना िजस महाका� के �प म� क�, उसे हम रामायण के नाम से जानते ह�। संत तुलसीदास ने रामायण को जन जन तक प�ंचाने के िलए महा�ंथ �ी रामच�रतमानस क� रचना लोक भाषा म� क�। भारतीय संस्कृ ित के उ�म िशखर है रामायण और राम । राजमुकुट क� बना ग�द, खेलन लगे िखलाड़ी । एक और राम एक और भरत, दोन� ने ठोकर मारी ।। मुिस्लम� के िलए अयोध्या का कोई मह�व न ही धा�मर्क और न ही ऐितहािसक। �फर भी �हंद� ु को लंबा संघषर् करना पड़ा। इस संघषर् के पीछे एक गहरी सभ्यतागत चेतना है। यह अनोखी बात है �क पूरे उ�र भारत म� राम मं�दर� का लगभग अभाव है जब�क रामायण, राम, रामकथा से जुड़े स्थल क� पूजा �ापक �प से होती है। तब क्या उ�र भारत म� राम मं�दर नह� बने थे? य�द बने थे, xiii
उनका क्या �आ था? स्प� है िवदेशीय� के आ�मण म� उन सभी को सचेत �प से िमटाया गया। क्य��क राम के वल ई�र अवतार ही नह� थे बिल्क मयार्दा पु�षो�म शासक थे। िजनका राम राज्य आदशर् �प म� जन गण के मन म� स्थािपत था। राम मं�दर को िमटाना एक रणनीितक उ�ेश्य रखता था। यही मनोवृित आज भी देखी जा सकती है। भारत म� आ�दकाल से ही मं�दर महत्वपूणर् रहे ह�। हालां�क वै�दक पूजा प�ित म� मं�दर या मू�तर् क� �मुखता नह� थी। िविभ� देवता�, िपतर, �ह नक्ष� और �ाम देवता� इत्या�द क� पूजा अचर्ना का चलन हमेशा रहा। यही चलन कालांतर म� भ� मं�दर� के िनमार्ण म� प�रव�तर्त हो गया तथा भि� काल म� मं�दर� क� मह�ा और भूिमका अपने आधुिनक �प म� िवकिसत �ई। मं�दर सामािजक जीवन क� गितिविधय� का क� � बन गए। साथ मे �िस� तीथर् स्थल� के मं�दर न के वल आध्याित्मक अिपतु आ�थर्क, सामािजक और अध्ययन कला के क� � भी बन गए। मं�दर� के साथ हजार� लोग� का रोजगार जुड़ा होता था एवं स्थानीय अथर्�वस्था को मिन्दर से ही गित िमलती थी। मं�दर �ापा�रय� को िनिध उपलब्ध कराते थे। जैसे गुजरात का हरिसि� माता का मं�दर नािवक� के संरक्षक क� भूिमका मे रहता था। मं�दर अिभयांि�क�, मू�तर्कला व समाज क� साधन संप�ता के �तीक होते थे। नृत्यशाला और नृत्य कला यहां पोिषत होती रही। भारतीय शा�ीय संगीत के िवकास म� मं�दर� क� भूिमका रही। मं�दर सामुदाियक गितिविधय� के माध्यम से सामािजक चेतना उत्प� करते थे, यह शायद xiv
मं�दर� का ही महत्व था �क िवदेशी आ�मणकारी उन्ह� ही िनशाना बनाते थे। मं�दर� का िवध्वंस धा�मर्क उत्पीड़न से अिधक सामािजक मनोबल तोड़ने वाला होता था। इसी मकसद से भारत म� हजार� मं�दर� को ध्वस्त �कया गया, राम मं�दर भी उनम� से एक था। उ�र भारत म� शायद ही कोई मं�दर होगा जो 200 वष� से पुराना हो, क्य��क वह मुिस्लम आ�मणका�रय� �ारा ध्वस्त कर �दए गए। इनम� से अिधकांश का पुन�नर्मार्ण मराठा सा�ाज्य के िशखर काल म� �आ। समाज का मनोबल बढे इसिलए मं�दर� का पुन�नर्मार्ण ब�त ज�री है। अयोध्या म� एक भ� राम मं�दर का िनमार्ण रा�ीय आकांक्षा के अनु�प होगा और यह मं�दर एक साझा सांस्कृ ितक धरोहर बनेगा, जो उन मूल्य� और मयार्दा� का �ितिनिधत्व करे गा, िजन का उल्लेख राम राज्य म� �कया गया है। रा�ीय एकता और समरसता ही राम काज है। राम मं�दर िनमार्ण के साथ साथ रा� िनमार्ण का कायर् सव�� �ाथिमकता है। सबका कल्याण रामराज्य क� संकल्पना है। अयोध्या क� भूिम पर राम मं�दर िनमार्ण क� तैया�रय� के बीच रा�ीय स्वयंसेवक संघ के सर कायर्वाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा �क “मं�दर िनमार्ण आंदोलन का आरं भ है अंत नह�। यह भारत म� नए युग क� शु�आत है। यह महज मं�दर नह� है, यह रा�ीय अिश्मता सैकड़� साल� क� गुलामी क� मानिसकता क� बेिड़यो को तोड़ते �ए करोड़� �हंद� ु म� ऊजार् भरे गा और आदश� क� �ेरणा देने वाला क� � बनेगा। यहां से पूरा िव� एक नई बात को देखेगा। हम �हंद ू िव� बंधुत्व मे मानव कल्याण क� बात करने वाले लोग ह� पर यह दुबर्ल नह� बिल्क शि�शाली व दाियत्व का िनवर्हन करने xv