मोर हमारा राष्ट्रीय पक्री है । यह बेहद सदंु र, आकर्षक और शानदार होता है । आसमान में कालरी-कालरी घटाएँ घघर आतरी हैं, तो यह पंख फै लाकर नाचने लगता है। इसके घसर पर कलगरी होतरी है, जो ताज जैसरी लगतरी है । अतः इसे पक्री-राज कहने में कोई घदककत नहीं है । 26 जनवररी 1963 को भारत सरकार ने इसको राष्ट्रीय पक्री घोघरत घकया था । यह हमाररी श्रद्ा और आसथा का भरी प्रतरीक है। इसके पंख शभु माने जाते हैं। धम्ष और संसककृ घत में भरी इसके पंखों की अच्री पैठ है । भगवान श्ररीककृ ष््ण तो मोर मक ु ु ट हरी धार्ण करते थे । आइए पढ़ें, ऐसे शानदार पक्री की सघचत्र रोचक कहानरी । इसके अतं में एक प्रशनोत्तररी भरी दरी गई है, ताघक इसे हल करके आप अपनरी पररीक्ा खदु ले सकें ।