मैंन दनखा है...
राम किंिर किंह
© लेखिाधीन पिाकि
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MAINE DEKHA HAI… By : Ram Kinkar Singh
िमक्पि किनहहने अ्ने गुरह िे राह किखायी 1. िमपमिा - क्िामह सव. गंगा किंह 2. कालीनिा - क्िा सव. रामिी किंह 3. िौमयिा
- माँ सव. िोना
सवानुुभकि िे िो कबि ु झे क्ष मे ्े भल कुछ पि लनकािकि परा्लनक िालयत् के उिझे-्ि अपनल आतं रिक अनभु लू त को गहनति कावयातमक िचनाधलम्ता ्मपपृ ए्ं ्ंतपप अलभवयलृ पिान किने की अदुत कमता ्ािे पलतभा ्मपद लमत शलयतु िाम लकंकि ल्ंह जल कोलटर: बधाई के पात हैं अपने चतलु ि्क ्ाता्ि् के पतयक अ्िोकन पि आधारित इनका कल्ता ु लिनलय िचना हैं इ् ्ंगह ‘मैने िेखा है…’ एक उचच्तिलय ए्ं अनर ं प त लकया ्ािगलभ्त कावय की पलतलनलध कल्ताओ ं ने मझु े तालत्क रप ्े झक ु िहल है - ‘्मबबध’, ‘कब लटक ्का है’ ‘अदुत उति पिेर’ है, लजनमे ्े पमख ‘लहिं ल : एक अलभिाषा’ं इ् कावय ्ंगह मे इन पलतलनलध कल्ताओ ं की ्होििाये भल अनलु ित है जो मान्लय मनोभा्ष, ्ं्गे ष, गितफहलमयष, उदेगष आलि को रपालयत कि िहल हैं भा् ए्ं भाषा का उतम ्ंगम इ् कावय ्ंगह मे हैं िचनाकाि ्े्ालन्पत परा्लनक अलधकािल भाई िाम लकंकि ल्ंह जल को कोलटर: बधाई िेते हुए ्ाध्ु ाि िेता हूँ लक अपनल ्््स ए्ं ्ास्क िचनायाता - चिै ्ले त, चिै ्ले त के रप मे जािल िखें इलतरभु मं ुविीय पो. हररिे क किहं ्भवप िुल्कि िय पिाक कवशकववालय कबहार किनांि : २३/०९/२०२० (मो. 6202213898)
बहुरंगी िकविाओ ं िे रंगह िे ििा है ं ार राम किंिर िा िावय िि प्ू ् ्रिष अलधकािल औि कल् िाम लकंकि ल्ंह की पकारनाधलन कावय कप लत ‘मैने िेखा है…’ की कुछ कल्ताएँ पढ़ने का ्ौभागय पाप हुआं ु ता ्े बहुत पभाल्त हुआं पढ़कि ल्चािष की गहनता औि भाषा की रद प्ु तक की कल्ताओ ं मे कावय प्ाह औि रबि-ल्बया् बोधगमय है लज््े ्हज हल पढ़ने ्ािे के हिय मे उति जातल हैं ्ंकिन की अलधकांर कल्ताएं अनभु ्जबय ए्ं भा्ना पधान है जो अपने रलष्क ‘मैने िेखा है’ को ्हज चरितास् कितल है औि पाठक को आपबलतल का आभा् होने िगता हैं िामलकंकि की कल्ताओ ं मे ल्ल्धता है औि बहुिंगापन हैं िाम औि कप ष् जै्ल धालम्क कल्ताएं भल है औि पकप लत की ्ंिु िता बखानतल या ्लख िेतल कल्ताएं भल हैं उबहषने जै्ा िेखा या मह््ू लकया, ्ै्ा लिख लियां कल्ताओ ं के ्ास उनका ्ािगल औि ्ििता ्े िबिे ज वयलृत् भल पभाल्त किता हैं ु होगलं मेिल अनंत प्ु तक रलघ हल पकालरत होकि पाठकष के ्ममख रभु कामनाएँ है औि यह ल्शा् भल लक, लहबिल जगत इ् कप लत को अ्शय प्ंि किे गां डॉ. िनु ील िोगी (्द शी एवं यक ुारिी िे िममाकनि िकव/िाकहतयिार)
ििं ेक ु , उदोग, कल्ता को अपने ्ंकिन मे प्ततु किने ्ािे वयलृत् अपि आयृ ु हुए हैं उन की कल्ताओ ं उप, के पि ्े लन्पत हो कि ्ालहतय के पलत उबमख मे अनेकानेक ल्षयष को ्लममलित लकया गया हैं पलत लिन होने ्ािे अनभु ्ष के अलतरिृ ल्लभबन अ््िष पि होने ्ािे प्् के ल्षय पि भल बड़ल लरषता के ्ास वयृ लकया गया हैं कल्ता लिखने की उन की रलच ्े्ाकाि मे हल जागपत हो गयल सलं इ् ्ंकिन मे उन की िेखन की पलतभा ्े उन के ्ालहलतयक जल्न का ्पष परिचय लमिता हैं ्ंकिन को पकालरत किने ्े प्ू ् उबहषने जो ल्षय चनु े उन मे अ्तािष औि उन की पेि्ाओ ं को भल ्ामने िखा हैं िाम औि कप ष् जै्े अ्तािष को भल कल्ता का ल्षय बनाया हैं शल िाम लकंकि जल को उन की कल्ताओ ं के लिए अलभवयृ भाषा का भल उलिेख किना उलचत पाया गयां लहिं ल भाषा की उन की योगयता मे अनपु म उिाहि् प्ततु लकये जा ्कते हैं ्ंकिन के लिए अपनल ्ममलत िेते ्मय पर्ं नलय भाषा रैिल का भल उपयोग अचछा िगता हैं ्े लिखते िहे औि ्ालहतय मे ल्लरष ्सान पाप किे , यह कामना बि्तल हैं धबय्ािं िृषर कमत िकव, गाकियाबाि
अ्नी िलम िे... कल्ता को लिखते िहना मेिल ््ाभाल्क रलच िहल हैं बचपन ्े हल ं ष को याि ्ालहतय औि ल्रेषकि कावय प्ु तकष को पढ़ने औि उनके अर किने की प्पलत ््भा् मे सलं इनको गाते गनु गनु ाते हुए चिने पि िा्ते की ििू ल का आभा् तक नही होता सां यह भा्, प्पलत औि रलच कब कल्ता िेखन का आधाि बन गई, पता हल नही चिां इनको पकालरत भल किना है-यह भा् औि धाि्ा कभल गमभलिता भल िे िेगल, ऐ्ा तो मैने कभल ्ोचा भल नही सां पि लनयलत तो लनयलत है उ्ने ऐ्ा चक चिाया लक मेिल कल्ता की यह पंलृ ‘हर िरह अकिंचन है मनुषय, िमय िाल िे बंधन मे’ मझु पि हल चरितास् होने िगल औि कावय-धािा ््तत हल बह लनकिल! इ् कावय धािा का पान किने ्ािे, जल्न के हि उताि चढ़ा् औि मोड़ पि मेिा माग्िर्न किने ्ािे पेिक वयलृत्ष के पोत्ाहन औि अपनापन िखने ्ािे लमत परि्ाि के ्ि्यष के लनिबति आगहष ने मझु े ल््र कि लिया लक मै अपनल इन ््तत ्फूत् कल्ताओ ं को प्ु तक का रप िे कि पकालरत करँ! इ् भा् की परि्लत मे जबमल मेिल यह प्ु तक ‘मैने िेखा है…’ औि इ्मे ्मालहत मेिल कल्ताये आप ्बके ल्चाि औि मन को छूने का एक िघु पि महत्प्ू ् पया् है! इ् प्ु तक मे ्ंकलित कल्ताओ ं मे जल्न का वय्हाि, जल्न का उदेशय, ्मय-्मय पि अनभु ् लकए जा िहे मान् मन की िरा का िर्न आपको होगां उ्के ्ास हल, ल्लभबन पेिक घटनाओ,ं ्सानष औि वयलृत्ष ने भल कल्ता का ््रप िे लिया है औि अपने महत् को िरा्या हैं कल्ताओ ं की पकप लत ्ा््कालिक है, मझु े पिू ा ल्शा् है लक ये आपके भल मन को छूने ् आिं ोलित किने मे ्फि होगल!
मेिा ल्शा् हल मेिल पँजू ल है औि यह प्ु तक के रप मे कल्ताओ ं मे लनबद हैं यह प्ु तक पाठकष को ्मलप्त किते हुए मझु े हष् हो िहा हैं ्ंगह का उपयोग ्ा््जलनक होने की आ्शयकता िहतल हैं अतत अपनल कल्ता ्ंगह ‘मैने िेखा है’ प्ु तक को ्ा््जलनक किते हुए प्ू ् ्ंतोष हो िहा हैं इन कल्ताओ ं पि आपकी अनभु लू त औि ्ैचारिक अलभवयलृ मेिल पतलका का ल्षय िहेगल तालक भल्षय मे आप ्ब की पेि्ा औि अलभवयलृयष ्े मेिल कल्ता औि भल अलधक पभा्ोतपािक बनते हुए, चितल िहे औि आप मेिे उतपेिक बनते िहें धबय्ाि औि आभािं 29 अकटभबर, 2029 नोएडा ।
राम किंिर किहं अ्र आयुक उवोग उ.प. (अ.पा.)
विषय सूची ्मबबध...................................................................................13 महत्.................................................................................... 15 अममा.................................................................................... 16 बेटल...................................................................................... 17 ग्ु ्ता.................................................................................. 18 अपनल पहचान.......................................................................... 19 मैने िेखा है..............................................................................20 गोपाििा् नलिज - शदांजलि........................................................... 21 पतझड़................................................................................... 22 कोिोना-आपिा........................................................................... 24 जल्न प्ाह............................................................................ 26 नई ्लख................................................................................ 28 ्षा् ि्................................................................................. 30 ्मय औि गाड़ल....................................................................... 32 कत्वय....................................................................................34 जल्न याता है अगम.................................................................. 36 जल्न-मम्................................................................................ 37 ्ा्न बिि िहा है.................................................................... 38 कब लटक ्का है..................................................................... 41 लपता का भा्.......................................................................... 43 िाधा नगि लनकोबाि ्मदु तट........................................................ 45
ू मंत................................................................................... 46 मि हे िाम तमु हािा अलभनंिन.............................................................. 47 कोिोना ्मय-वय्हाि.................................................................. 51 अपना पयािा गाँ्...................................................................... 52 शलकप ष् की बाट....................................................................... 54 ्लपल मे जयष ितन...................................................................... 56 ु ापन....................................................................... 57 बातष मे खि मनमलत................................................................................... 58 ग्ु ष की महता......................................................................... 59 रभु चे छा.................................................................................. 61 ु ्तय............................................................................... 62 मृ ्ंकोच - भा्.......................................................................... 63 रभु कामना............................................................................... 65 वयलृत्................................................................................. 66 हम पतलक बन गए.................................................................... 67 अटि लबहािल ्ाजपेयल - एक ्मि्................................................68 िलप प््................................................................................. 69 जल्न्ासल/हम्फि..................................................................... 70 कारल की िे् िलपा्िल.............................................................. 71 िषु वयलृ............................................................................... 72 छोटल ्ल लबलटया....................................................................... 73 ्ोचा नही सा.......................................................................... 74 भा् - कुभा्.......................................................................... 75 तो लि्ािल मन ्के .................................................................. 76 अभयस्ना.................................................................................77 ्ां्ारिक जल्न........................................................................ 78
लपता..................................................................................... 79 उतकष् का ्ति......................................................................... 81 अदुत उति पिेर...................................................................... 82 लररु िलिा............................................................................. 83 हास मिता हल िहा.................................................................... 84 जबम-लिन ल्चाि........................................................................ 85 ्ं्मि्.................................................................................. 87 मै कयष कमल को भा् ि.ँू ............................................................88 ्हज भा्.............................................................................. 91 उममलि ब्े अगिे लिन मे............................................................ 93 माँ........................................................................................ 94 अपनत्.................................................................................. 95 ु मपतय...................................................................................... 97 रिशता..................................................................................... 99 एकाकी ्ोच : गितफहमल..........................................................100 मै लक्का िोष करँ................................................................. 102 लमिन.................................................................................. 103 िाकडाउन ्े उतपबन हािात........................................................ 104 बंलिरे...................................................................................105 पाकप लतक ्ंिु िता...................................................................... 107 कबहैया................................................................................. 108 मलि का पतसि हल बनना चालहए.................................................. 110 लहिं ल-अलभिाषा........................................................................ 111
सम्बन ्मबबध, धिु ल है जल्न का, इ्को, मजबतू बनाना हैं हि भाँतल, मिममत कि इ्का, गाँठष, तक कभल ना िाना हैंं जल्न का ्मबबध ्ां् ्े है, मन का ्मबबध आतमा ्े, तन का ्मबबध है पोष् ्े, हि तिह धयान िख जाना हैंं माँ का ्मबबध लपता ्े है ए्ं अपने ्ंतानष ्ें ्मबबध पि्पि बढ़ता है, परि्ाि, कुटुंब, ्माजो ्ेंं पहचान बढ़े ्मबबधष ्े, मान् ्ामालजक होता हैं आगे बढ़कि ्मबबध यहल, कुि, िेर, िाषट, जग ढोता हैंं ्मबबध, मिि का ्चू क है अतं िा्षटलय ल्तानष में अलधक ्पष जो लिखता है, ्ैयलृक पलतमानष मेंं
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मैने िेखा है...
पतयेक भिो्ा इ््े है, गलतरलि िहे जल्न इ््ें लजतना कय इ्का होता है, हो किांत, मलिन, तन-मन उतनेंं ्मबबध, पा् है, जल्न का िका इ्की, हि तिह किे ं िख, बलु द जान का अ्िंबन, ि्-मय जल्न लन््हन किे ंं
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मैने िेखा है...
महति लनरा घनल ्हचिल बने, जयोत्ना लनखि अलत जातल हैं आतप गम् बि्ाए जो तर-छाँ् ठंड िे जातल हैंं ऋतु मे बढ़तल ्ि् लजतनल जि-कूप ऊषम होता उतनां जो ््ेि, बेहाि किे तन को, ल्शांत किे ्मलि िो-गनु ांं पकप लत पढ़ाए, पाठ पबि, यह ल्द किे , ्बका महत्ं बढ़ता उपयोग तभल तत् का, यलि िहे ्ास उ्का ऋ्त्ंं अपनाकि ्ोच उपयोग भिा, कि, ्हज ल्षम को भल ्मत्ं अपनत् भिा ्ौहाद् लिखा, पि को भल लिखिा िे घनत्ंं
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मैने िेखा है...