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Story Transcript

पलायन • पीड़ा • प्रेरणा

(कोरोना काल की पचास सच्ी घटनाएं)

• पीड़ा • प्रेरणा पलायन (कोरोना काल की पचास सच्ची घटनाएं)

मयंक पाण्डेय

प्रलेक प्रकाशन प्राइवेट लललमटडे् *in association with JVP Publication Pvt. Ltd.

इस पुस्तक के सरावाधिकार सुरधषि्त हैं, प्काशक और लरेखक की धलधख्त अनुमध्त के धिना पुस्तक के धकसी भी अंश की, ई-िुक, फोटोकापी, ररकॉध्डिंग सधह्त इलरेक्ट्ॉधनक, मशीनी, धकसी भी माधयम सरे और ज्ान के संग्रहण एरं पुन:प्योग की प्णाली द्ारा धकसी भी रूप में, पुनरुतपाधि्त अथरा संचारर्त-प्सारर्त नहीं धकया जा सक्ता।

ISBN

: 978-93-90410-87-3

पहला परेपरिैक संसकरण : धिसंिर 2020 िूसरा परेपरिैक संसकरण : जनररी 2021 ्तीसरा परेपरिैक संसकरण : फरररी 2021 चौथा परेपरिैक संसकरण : जनररी 2022 प्काशक

प्लरेक प्काशन प्ाइररेट धलधमटे्ड PRALEK PRAKASHAN Pvt. Ltd.

702, जरे/50, एररेनयू-जरे, गलोिल धसटी, धररार (ररेसट), ठाणरे, महाराष्ट्र-401303 िूरभाष : 7021263557 WhatsApp : 9833402902

Email : [email protected] Website : www.pralekprakashan.com

पलायन • पीड़ा • प्रेरणा : मयंक पाण्डेय

Palayan Peera Prerana : Stories of Mayank Pandey

आररण : जरेरीपी पब्लकेशन प्ा.धल.

पुस्तक सज्ा : जरेरीपी पब्लकेशन प्ा.धल.

कॉपीराइट : मयंक पाण्डेय

135 करोड़ देशवालसयों को समलपपित।

[पतनी ्डाॅ. शुभ्ा और िरेटी अमरेया का धरशरेष आभार! यरे रचना उनहीं सरे चुराए समय की ििौल्त आपको समधपवा्त कर रहा हूं।]

आतमकथय यरे कहानी है ‘अनकहे भार्त’ की जो हमारे सामनरे होकर भी हमें सपष्ट नहीं धिख्ती। 2020 की शुरुआ्त में रैबविक स्तर पर कोरोना महामारी का आगमन हुआ और माचवा आ्तरे-आ्तरे इसनरे भार्त में अपनी भयारह्ता धिखानी शुरू कर िी। अप्ैल के महीनरे में टीरी, समाचार-पत्र और सोशल मीध्डया पर लॉक्डाउन के धनयम, सोशल ध्डसटेंधसंग, मासक के प्योग और पलायन की खिरों की ही चचावा रही। धसर पर गठरी धलयरे पतनी और िच्ों के साथ सड़कों पर हजारों धकलोमीटर चल रहे मजिूरों की खिरों और ्तसरीरों नरे पूरे िरेश को झकझोर धिया। महानगरों में आजीधरका चला रहा श्रधमक रगवा एक िड़ी ्तािाि में यूपी, धिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, राजसथान, छत्ीसगढ़ इतयाधि राजयों में बसथ्त अपनरे गांर जानरे को पैिल ही धनकल पड़ा था। भूखरे-पयासरे-नंगरे पांर चल्तरे उनके संघषवा के हम सि साषिी हो रहे थरे। हमनरे धरभाजन का धरसथापन ्तो नहीं िरेखा है पर यरे दृशय कुछ रैसरे ही प््ती्त हो रहे थरे। इध्तहास गराह है धक धरसथापन और पलायन नरे हमरेशा एक नए रगवा को जनम धिया है। चलायमान संघषवा नरे समूह में चल रहे लोगों के वयबतितर और वयरहार िोनों में सकारातमक ििलार धकए हैं। सड़कों पर संघषवार्त परररार, रगवा या वयबति इस िौरान धजंिगी के यथाथवा, पररश्रम के महत्र और ररश्तों की महत्ा को िखूिी समझ लरे्ता है। यरे उसके वयबतितर में ऐसरे ििलार ला्तरे हैं धजसके िूरगामी पररणाम हो्तरे हैं। 1947 के धरभाजन में भार्त आयरे धरसथाधप्त रगवा नरे िीरे-िीरे सरयं को सथाधप्त धकया और कुछ ही रषषों में िरेश के धरकास में अग्रणी भूधमका धनभाई। धरसथापन सरे धरकास की अप्ध्तम गाथा धलखनरे में इजरायल का उिाहरण हमारे सामनरे है। यरे पूरा िरेश ही धरसथापन का पररणाम है। हालांधक भार्त में कोरोना काल में हो रहा पलायन षिधणक आतमककय / 7

था परन्तु पलायनजधन्त पीड़ा मजिूरों के जरेहन में हमरेशा रहेगी और इसके िूरगामी पररणाम हमें आनरे रालरे रषषों में धिखेंगरे। कोरोना काल में घोधष्त लॉक्डाउन में मुखय्तः िो रगषों नरे संघषवा धकया और इसकी पीड़ा सहन की। एक ्तो रो थरे जो सड़कों पर चलायमान थरे अपनरे घरों की ओर और िूसरे रो थरे जो अपनरे घरों में रहकर पररबसथध्तजनय पीड़ा झरेल रहे थरे। इन िोनों नरे लॉक्डाउन के समय जो सहा रो भयारह है और धजस धजजीधरषा सरे पररबसथध्तयों का सामना धकया रो अपररमरेय है। इन संघषषों को िरेख्तरे रति अक्सर मैं द्रधर्त हो उठ्ता पर लोगों का जुझारूपन िहु्त कुछ सीखनरे की प्रेरणा भी िरे्ता। इन सिके िीच धिमाग में आ्ता धक सलाम है भार्त िरेश के इस जजिरे को जो लोगों को धरषम पररबसथध्तयों में भी जूझनरे की ्ताक्त िरे्ता है। रो कह्तरे हैं न धक िुख के धिना हम सुख की कलपना नहीं कर सक्तरे और न ही धरनाश के धिना सृजन। रो अंिरेरे का अनुभर ही हो्ता है जो हमें उजालरे के िारे में चरे्तन कर्ता है। लॉक्डाउन के िौरान सामनरे आ्ती हर ममवासपशशी कहानी के पीछे एक ऐसी अनूठी िास्तान है जो िहु्त कुछ सोचनरे को धररश कर्ती है। इन सच्ी घटनाओं में हमनरे ‘पीड़ा के इूंद्रिनुष’ िरेखरे हैं। इन धरधभन्न घटनाओं में ििवा की पररणध्त ्तो थी ही पर साथ-ही-साथ उममीि की धकरण भी थी। इस काल में कहीं मजिूरों का परररार के प्ध्त समपवाण धिख्ता, ्तो कहीं एक मां का संघषवा। कहीं एक िरेटी का धप्ता के प्ध्त पयार धिख्ता ्तो कहीं ररश्तों को धरस्त कर्ता षिधणक सराथवा। कहीं सधियों सरे आ रही कोई सामाधजक समसया अपनरे भयारह रूप में धिख्ती ्तो कहीं िरेश की साझी ्ताक्त उसको मुंह्तोड़ जराि िरे्ती धिख्ती। इस काल नरे हम सभी को प्भाधर्त धकया। हम सिनरे इस समय िहु्त कुछ सहा है, जीरन में कई ्तरह के ििलार धकए हैं। इस महामारी नरे हमारे िच्ों सरे उनका िचपन छीना, मधहलाओं सरे उनके हाट-िाजार, ्तो रृद्धजनों सरे उनका घूमना-टहलना। सभी की धजंिगी में इसनरे ऐसरे वयापक ििलार धकए जो सधियों ्तक याि धकया जायरेगा। इस धक्ताि के माधयम सरे हरेक की धजंिगी को प्भाधर्त कर्ती उस ‘पीड़ा के इूंद्रिनुष’ को आपके सामनरे लानरे का एक प्यास कर रहा हूं। प्तयषिरूप सरे न सही पर परोषि रूप सरे आप कई कहाधनयों के धकरिारों सरे खुि को इ्डेंधटफ़ाई कर पाएंगरे ऐसा मरेरा धरविास है। 8 / पलायन • पीड़ा • प्रेरणा

अक्सर सुन्ता हूं धक हमारे िरेश में 33 करोड़ िरेरी-िरेर्ता धनरास कर्तरे हैं। इस िारे में मुझरे जयािा जानकारी ्तो नहीं है लरेधकन लॉक्डाउन के िौरान मैंनरे 1-2 करोड़ ऐसरे लोगों को जरूर महसूस धकया धजनमें िरेरतर के गुण धरद्यमान हैं। यरे रो लोग हैं जो इस महामारी के समय सामनरे आयरे और लोगों की मिि की। यरे मिि शुरू में ्तो पलायन कर रहे मजिूरों ्तक ही सीधम्त रही पर िाि में इसका सररूप वयापक हो गया। लोगों नरे ्तन-मन-िन सरे जरूर्तमंिों की सहाय्ता की। इनके वयबतितर प्तयषि रूप सरे मानर्ता और परोषि रूप सरे िुद्ध, किीर, नानक, ्तुलसी द्ारा प्ध्तपाधि्त पुरुषाथवा है। भार्त िरेश ऐसरे ही नहीं इ्तनी धरधरि्ताएं और धरधभन्न्ताएं संजोयरे हुए भी स्तत् रूप सरे आगरे िढ़ रहा है। यरे इस िरेश की संसककृध्त है जो सधियों सरे धरधभन्न िमषों को खुि में समाधह्त धकयरे हुए सभी को साथ लरेकर आगरे िढ़ रही है। यरे प्यास उस ‘अनकहे भार्त’ के िारे में ि्तानरे का है धजस पर हमें गरवा है, जो हमारा अधभमान है। चधलए, धफर धमल्तरे हैं... नरमिर, 2020 सूर्त

–मयंक पाण्डेय

आतमककय / 9

क्रम आत्मकथ्य

7 पीड़ा करे इंद्रधनुष

आंसू िनरे आइ्डेंधटटी का्ड्ड असप्तालों सरे शर उिार नहीं धमल्तरे ररश्तों की अनूठी टैक्सी यात्रा साधजि धमयां नरे धकया कनयािान कांिरे पर पुत्र की लाश धलयरे आज का ‘हररश्चनद्र’ गुल्क : सपनों का मू्तवा रूप रामू का पुषपक धरमान एक्ता ट्सट का ‘मानर यज्’ िुलहन िारा्त लरेकर आयी िूलहे के घर धिवयांग िच्रे के धलए चोरी प्भु श्रीराम के ररिान सरे अधभधसंधच्त समुिाय रिशी के साथ पहना हौसलों का अदृशय करच िरेटों नरे ठुकराया, समाज नरे अपनाया गहनरे िरेचकर खरीिीं सा्त मोटर साइधकलें धखलाधड़यों के साथ कोरोना का खरेल िो आंखों सरे चल्तरे छह पैर कोरोना के िहानरे अंिधरविास पर एक िा्त साधड़यों का घरेरा िना ऑपरेशन धथएटर मानर और पशुओं में सहजीधर्ता धप्ता के धलए मां िनी 13 रषशीय िरेटी लाइट-कैमरा-एक्शन के िाि आंसू और भुखमरी ्तीनों लोकों के प््तीक ररक्शरे के ्तीन पधहयरे गोि में धशशु और धच्ता पर पध्त का पु्तला

15 19 24 28 32 36 41 45 50 54 58 65 70 76 80 84 88 93 96 99 103 108 111

शौचालय में क्ारूंटीन ईंट-गारा ढो्ता एक धशषिक िो िमवा, िो शरीर मगर एक जान पसीनरे की िूंिों सरे जनमरे ध्त्तली के रूंगीन पंख कफन हटा कर मां को जगा्ता धशशु पांच सिसयीय परररार िना एक शरीर अनकहे सममान की रषिा मां जगिंिा-मिर मररयम के रूप में एक मां िो अनाथ िनरे लॉक्डाउन के नाथ हम िौड़ पड़े पांर में छालों के िारजूि इसकी गधलयों में फररश्तों के प्तरे धमल्तरे हैं चारपाई की पालकी और िोस्ती के कांिरे पानी पूरी में भरा श्रद्धांजधल का रूंग मिसवा ्डे : टोकरी में मां मां रैषणो िरेरी श्राइन िो्ड्ड का इफ्तार आयोजन जय-जरान, जय-धकसान, जय-धरज्ान, जय-अनुसंिान धसर पर रैिवय और कांिरे पर धिवयांग धरवि का पहला और आधखरी वयापार ननहे सरे हाथ-पांरों में रज्र की ्ताक्त धरवि की सिसरे लंिी अरधि की शािी भार्त का अद्ु्त ‘रोटी यज्’ ईमानिार चोर और नरेकधिल माधलक सिसरे लंिरे पलायन का रल्ड्ड धरकॉ्ड्ड

116 120 125 129 133 138 142 147 151 156 160 165 169 175 179 184 189 193 200 204 210 217 222

प्रेरणा पिदे के पीछे जगमगा्तरे प्शासधनक धस्तारे संघषवा और मानर्ता का सरधणवाम पन्ना कोरोना के ऊसर में िािल-सा रजूि सुिह की चाय सरे लरेकर रा्त के भोजन के नमक ्तक

229 238 264 282

पीड़ा करे इंद्रधनुष

आंसू बने आइ्ेंलटटची का््ड परेशरे सरे राजधमसत्री अशोक िाहेरा (36 रषवा उम्र) चरेन्नई में एक कंसट्क्शन कंपनी में काम कर्ता है। अशोक की धनजी धजंिगी का एक अहम पहलू यरे था धक उसनरे घररालों की मजशी के धररुद्ध नधम्ता सरे कई साल पहलरे प्रेम धरराह धकया था। शुरू-शुरू में परररार रालरे काफी समय ्तक इस धरराह सरे नाराज रहे धफर िीरे-िीरे सिनरे इस ररश्तरे को सहषवा सरीकार कर धलया। उड़ीसा के गंजाम धजलरे का रहनरे राला अशोक माचवा के पहलरे सप्ाह में पतनी नधम्ता को साथ लरेकर चरेन्नई गया। उसनरे अपनरे 10 रषशीय पुत्र सं्तोष और 7 रषशीय पुत्री धप्यंका को गंजाम में िािा-िािी के पास छोड़ रखा था। अशोक और नधम्ता नरे यरे ्तय धकया था धक कुछ समय िाि िच्ों को चरेन्नई लरे जाएंगरे। माचवा में काम कर्तरे हुए अभी 10-15 धिन ही िी्तरे थरे धक कोरोना नरे िस्तक िरे िी और 25 माचवा, 2020 सरे िरेशवयापी लॉक्डाउन की घोषणा हो गयी। अशोक और नधम्ता नरे हौसला न हार्तरे हुए बसथध्त सामानय होनरे का इूं्तजार धकया लरेधकन 14 अप्ैल को जि िूसरे चरण का लॉक्डाउन 3 मई ्तक के धलए घोधष्त हुआ ्ति यह िंपधत् अपनरे िच्ों की सुरषिा को लरेकर धचंध्त्त हो गया। इस लॉक्डाउन में िूढ़े िािा-िािी िोनों िच्ों की िरेखभाल कैसरे कर पाएंगरे! यरे सोचकर नधम्ता परेशान हो गयी। उसनरे उड़ीसा जानरे की धजि की और रोनरे लगी। नधम्ता के आंसुओं नरे अशोक को झकझोर कर रख धिया, िोनों का धरराह अं्तरजा्तीय था और इस प्कार के प्रेम धरराह में अगर पध्त-पतनी एक िूसरे की भारनाओं का खयाल नहीं रख्तरे हैं ्तो िाहर के धकसी भी वयबति का समथवान धमलना िहु्त मुबशकल हो्ता है। अशोक को लगा धक नधम्ता नरे ्तो उससरे धरराह करनरे की खाध्तर सिसरे लड़ाई की, अपनरे मां-िाप सरे िैर धलया। अि नधम्ता को अशोक के साथ भी िु:ख धमलरे ्तो धिक्कार है ऐसी धजंिगी पर। अशोक नरे यरे ्तय धकया धक रह अि चरेन्नई में नहीं रुकेगा और पतनी नधम्ता के साथ िच्ों के पास गंजाम जायरेगा। चरेन्नई सरे गंजाम ्तक का सफर 1100 धक.मी. है, इ्तना लंिा सफर कैसरे पूरा होगा–यरे सोचकर िोनों के हाथ-पैर फूल गयरे क्योंधक उस समय ट्ेन,िस जयािा चलन आंसू िनरे आइ्डेंधटटी का्ड्ड / 15

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