9789390468140 Flipbook PDF


95 downloads 117 Views 15MB Size

Recommend Stories


Porque. PDF Created with deskpdf PDF Writer - Trial ::
Porque tu hogar empieza desde adentro. www.avilainteriores.com PDF Created with deskPDF PDF Writer - Trial :: http://www.docudesk.com Avila Interi

EMPRESAS HEADHUNTERS CHILE PDF
Get Instant Access to eBook Empresas Headhunters Chile PDF at Our Huge Library EMPRESAS HEADHUNTERS CHILE PDF ==> Download: EMPRESAS HEADHUNTERS CHIL

Story Transcript

100 कविताएँ 100 अनुभि

(भाग १)

i

Copyright © 2020 by Ashutosh mishra All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its copyright holder indicated above.

ISBN: 978-93-90468-14-0 Publishing Year 2020

Published and Printed by: Sankalp Publication Head Office: Ring Road 2 Gaurav Path, Bilaspur, Chhattisgarh – 495001 Phones: +91 9111395888 +91 9111396888 Email: [email protected] Website: www.sankalppublication.com ii

100 कविताएँ 100 अनुभि ज्ञानिर्धक अनुभि ों का कविता रूपी सों ग्रह

आशुत ष विश्रा

iii

iv

vuqØef.kdk Ø1

2

3

4

5

fo’k; lwfp Family Friendly खुशबू ख्वाब बनकर आती है मााँ एक राज़ खखलौना The Epics वीर शशवाजी उशमि ला की व्यथा The Mirror of Society Modern इं सान ही माना होता नजरें झुकाए रहते हैं हमको फकि नहीं पड़ता धं धा हम शमशिल क्लास वाले हैं कोरोना लड़का होकर रोता है नंगे पैर अभी आज़ाद कहााँ हुए हैं हम Women Empowerment औरत ही क्ों बनाई एक लड़की Affection and Love मैं और तु म शमलकर बातें और तु म v

Ik`’B 1 1 1 3 3 5 5 7 10 10 11 12 14 16 17 18 19 20 21 23 23 24 26 26 26

6

प्यार याद आता है एक कशवता कम है हमारी शज़ंदगानी एक शदन Life सजा कर रखना होता है ढूंढने शनकले हैं शज़ंदगी की साइं स सुनो, एक राय दू ाँ खुली आाँ खों के सपने मु झसे दू र जाते हुए मे रा काम नहीं सवेरा वो कदम अकेले चल पड़े कुछ खोया था, कुछ पाया है कागज़ की कश्ती शज़ंदगी की कमी हम क्ा शलखें अजीब हाँ मैं स्कूल की वो क्लास गौरै या रानी इस कैद में क्ा करें नाइं साफी ये क्ा कर बैठे मौसम ते रे शमजाज़ कहानी अशभमान समय ज्ञान vi

27 29 29 31 33 33 34 34 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 56 57

झगड़े साल 2020

58 59

vii

हर माँ को समर्पित मैं ने शलखा साया आं चल का, मु झे आसमााँ शलखना नही पड़ा, मैं ने शलखी उसकी गोद, मु झे पनाह शलखना नही पड़ा, मै ने शलखे उसके कदम, मु झे जहााँ शलखना नही पड़ा, मैं ने शलखी बेशुमार मोहब्बत, मु झे मााँ शलखना नही पड़ा।

viii

मेरी कलम से अनुभव, हमारी शजंदगी के सबसे महत्वपूर्ि अंग, जो हमें जीना शसखाते हैं । अनुभव जीवन काल में लगातार आते रहते हैं और एक शनशित समय में ही हमको काफी कुछ शसखा जाते हैं । अनुभव अच्छे हों या बुरे मगर एक सीख ले कर ही आते हैं । उस सीख को ही शदल और शदमाग में रखकर हम अपने जीवन में आगे बढ़ने तथा जीवन व्यतीत करने के शलए तै यार होते हैं । कभी हमें शकसी अनुभव का इं तज़ार रहता है तो कभी कुछ अनुभव अंजाने में ही आकर चले जाते हैं । कुछ अनुभव हमें खुशशयों से नचाने की ताकत रखते हैं तो कुछ आं सुओं से शभगाने की और कुछ तो है रत में ही िाल दे ते हैं । समय अनुभवों से अजीब सा नाता रखता है । हमें हर अनुभव में समय एक सा प्रतीत नहीं होता। खुशी का अनुभव करो तो समय ते ज़ लगता है , दु ख का करो तो धीमा। मनोरं जन का करो तो घंटे भी पलों के बराबर लगते हैं और इं तज़ार करो तो हर पल एक साल के बराबर। कुछ अनुभव आकर अपनी गाढ़ी छाप छोड़ जाते हैं और कुछ आकर गुज़र जाते हैं तो पता भी नहीं चलता। मे रा यह शलखना तथा आप का यह पढ़ना भी एक नया अनुभव है । इन सारे अनुभवों को यशद जोड़कर एक समू ह बनाया जाए तो इसे ही हम शज़ंदगी कहते हैं । मे री शज़ंदगी में भी अनुभवों का आना-जाना लगा रहता है , कुछ छोटे , कुछ बड़े , कुछ अच्छे और कुछ बुरे। सामान्यतः हमें हर अनुभव याद तो नही रहता ले शकन ix

कुछ अनुभव हमारी अंतरात्मा में वास कर ले ते हैं और कुछ सोचने पर मजबूर कर दे ते हैं । इन्ीं अनुभवों को मैंने अपने ले खन के शौक से जोड़ा। जब भी मे रे जीवन में मु झे कोई शवशेष अनुभव प्राप्त होता है , तो उसे याद रखने के शलऐ मैं उसे एक कशवता का रूप दे दे ता हाँ और साथ ही उस अनुभव से मैं ने क्ा सीखा है , उसको भी अपने शवचारों के रूप में ह्रदय में रख ले ता हाँ । जब मैं ने अपने 100 अनुभव और कशवताओं को खत्म शकया, तब मु झे उसे एक शकताब का रूप दे ने का ख्याल आया। यह शकताब मे रे अनुभवों का एक कशवता रूपी संग्रह है जहााँ मैं ने अपने अनुभवों का कशवताओं के रूप में वर्िन शकया है और आपके समक्ष प्रत्ये क अनुभव से शमली सीख को अपने शवचारों को अपने ह्रदय से शनकालकर ले खनी के रूप में प्रस्तु त करने की कोशशश की है । अपने इन शवशे ष अनुभवों में मैं ने लगभग उन सभी शवषयों को एकशित करने की कोशशश की है , शजनके बारे में जानना और उनके प्रशत जागरूक होना आवश्यक है । इन 100 अनुभवों से शमली शशक्षा को मैं ने अपने जीवन में उतारा है और मैं आशा करता हाँ यशद अााप भी इस शकताब में वशर्ित अनुभवों में से कुछ अनुभवों को अपने जीवन में महसूस करते हैं , तो अाापको इस शकताब के द्वारा उस अनुभव से कुछ सीखने को आवश्य शमले गा। 100 कशवताएाँ तथा उसके साथ जुड़े मे रे अनुभवों को शकसी एक पुस्तक में रखना थोड़ा कशठन था, क्ोंशक मे रे अनुभव से मैं ने दे खा है शक मोटी-मोटी पुस्तकें पाठकों को शवचशलत कर दे ती हैं । इसशलए पाठकों की सुशवधा के शलए मैं ने अपनी शकताब को दो भाग में प्रकाशशत करने का x

शवचार शकया। प्रत्ये क भाग में 50 कशवताएाँ एवं उससे जुड़े अनुभव शाशमल हैं । इस तरह हर उम्र के पाठक को शकताब को आराम से पढ़ने और उसको खत्म करने में परे शानी नही होगी। यह मे री पुस्तक का पहला भाग है शजसमें 50 कशवताएाँ व अनुभव शाशमल हैं । इसी प्रकार अगले भाग (भाग-२) में भी आपको अगली 50 कशवताएाँ एवं अनुभव शमल जायेंगे। एक साईंस का स्टू िें ट होने के कारर् मु झे साशहत्य का बहुत गहरा ज्ञान नही है , साशहत्य से शसफि प्रेम है । इस कारर् आपको मे री इस शकताब में शजतनी भी कशवताएाँ हैं , वे एकदम सरल भाषा में शमलें गी और उनमें भाषा, व्याकरर्, वति नी और मािाओं की िु शटयााँ शमल सकती हैं । आपको अलग-अलग भाषाएाँ एक ही वाक् में भी शमल सकती हैं । मैं ने कहीं शुद्ध शहं दी का उपयोग शकया है , कहीं उदुि का और कहीं अंग्रेज़ी का भी। यशद आपको साशहत्य का अच्छा-खासा ज्ञान है तथा आपको मेरी पुस्तक में अशुखद्धयााँ शमलती हैं , तो मैं पहले ही आपसे क्षमा मााँ गता हाँ । साथ ही साथ इस शकताब को शलखते वक्त मे रे मन में शकसी धर् म, समाज, जाशत, भाषा, समु दाय, शलं ग, मनुष्य आशद के शलए अपमान या उन्ें ठे स पहुाँ चाने की भावना नही थी। यह शकताब मे रे शलये एक स्वप्न के समान है क्ोंशक इसमें मे री पूाँजी के रूप में मे री कशवतायें और मे रे शवचार उपखथथत है । इन्ीं शवचारों को अपना शसद्धान्त बनाकर उनपर चलता हाँ और उन शवचारों को सभी तक पहुाँ चाने का प्रयत्न करता हाँ । मे री इस शकताब के द्वारा उन शवचारों को मैं ने आपके ह्रदय तक पहुाँ चाने का भी प्रयास शकया है xi

और मैं आशा करता हाँ शक मे रे ये शवचार आपको सकारात्मक, आशावादी और पररश्रमी बनाने में सहायक होंगे और आप भी अपने जीवन के अनुभवों से कुछ सीखने का प्रयास करते रहें गे।

xii

आभार जब इस पुस्तक को लिखने का ख्याि आया, तब तक मे री स्मृलत में मे रे अनुभव, मे री डायरी में मे री कलवतायें और मे रे ह्रदय में मे रे लवचार उपस्थित िे । उन अनुभवोों, कलवताओों और लवचारोों को इकठ्ठा कर इस लकताब का रूप दे ने में मे रे दोस्त और मे रे पररवारजनोों की बहुत अहम भू लमका है । योर कोट नाम का एक मोबाइि एप्लीकेशन है, उससे भी मु झे नए लवचार और कलवताएँ लिखने में सहायता लमिी, मैं उस एप्लीकेशन के रलचयताओों को भी तहे लदि से शुलिया करना चाहँ गा। मैं ने कभी सोचा नही िा लक अपनी कलवताओों और अपने लवचारोों को आप तक पहुँ चा सकता हँ । यह मे रा एक सपना ही िा और मे रे लियजनोों का मे रे िलत लवश्वास और समपपण का ही यह नतीजा है लक मैं इस लकताब को लिख पाया। एक और महत्वपूणप चीज़ का मैं सबसे ज़्यादा आभारी हँ , मे रे अनुभवोों का और उनसे जुडे िोगोों औेर वस्तु ओों का। इन्ीों अनुभवोों ने मु झे मे री कलवतायें लिखने में सहायता की और मे री लवचारशस्ि को आह्वान लदया। अोंत में मैं लिर से उन सभी जनोों का आभारी हँ लजन्ोोंने मे रे इस पुस्तक को आप सभी तक पहुँ चाने में मे री सहायता की। - आशुतोष ममश्रा

xiii

xiv

100 कविताएँ 100 अनुभि

Family Friendly खुशबू यह छोटी-सी कविता मैं ने तब विखी थी जब एक विन बस यूँ ही अपनी माूँ की गोि में वसर रखकर िे ट गया और उनके पल्ल से अपना चे हरा ढं क विया। उस समय, उस पि, एक खुशब आयी, जो मु झे खींचकर सीधा मे रे बचपन में िे गयी। अंग्रेजी में इसे नोसतािवगा (नॉस्टे ल्जिया)कहते है । उस पि को, उस खुशब को महसस कर यह कविता उभर आयी।

िो खुशब आज भी याि है, वजससे अिग नशा हो जाता था, उस खुशब की आड़ में, ते री गोि में ही सो जाता था, रखकर सर ते री गोि में, जब िं बी साूँ से भरता था, उस पि को अपनी मु ट्ठी में, थाम िे ने को जी करता था, उस खुशब का एहसास, मे रे विि को गुिगुिाता है , खीचकर मु झे सीधा, बचपन में िे जाता है , पर आज भी मैं चाहे, वकतना भी बड़ा हो जाऊंगा, पर माूँ ते रे पल्ल की महक, कभी भुिा नही पाऊंगा। "माूँ के पल्ल से बूँधे रहना" यह िो िाक्य है , वजसका उपयोग तब वकया जाता है , जब कोई बच्चा, ज़्यािातर िड़के, अपनी माूँ के प्रेम से कुछ इस किर बूँधे रहते है वक माूँ से वबना पूँछे कोई काम नही करते और हमे शा अपने आसपास अपनी माूँ को ही चाहते है । समाज में इस चीज का मजाक भी बनाया जाता है । पर मैं मानता हूँ वक अपनी माूँ के विऐ संस्कार, उनसे वमिे प्रेम और उनकी ममता का समानान करना ही पल्ल से बूँधे रहना है , तो बेशक मैं माूँ के पल्ल से बूँधा हूँ ।

ख्वाब बनकर आती है मााँ िसरे शहर में रहकर कॉिे ज पढ़ने के कारण मैं अपने घर से िर रहता हूँ । पहिी बार कोई जब घर से वनकिता है , अपने सपनों की राह पर, तब जावहर सी बात है उसे अपनी माूँ की याि जरूर आती है । विन में तो काम और पढ़ाई के कारण मन बहि जाता -*-है िे वकन रात को सनापन महसस होने िगता है , माूँ की कमी खिने िगती है । आूँ खों से वनकिते आूँ स सां त्वना िे ते हैं और पि भर में चिे जाते हैं । पर जब तन्हाई के बीच नींि िग जाती है , तब माूँ अपनी ममता का आूँ चि विए, सपनों में आूँ स पोछने आ जाती है । वजस रात मु झे अपनी माूँ का ख्वाब आया था, जागते ही यह कविता उभर आई।

1

Get in touch

Social

© Copyright 2013 - 2024 MYDOKUMENT.COM - All rights reserved.