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तुम खुद को पहचानो तुम कौन हो ? सफलता तेरे मुठी मे ब व ाथ जीवन जीवन का
दयान
है ।। णम समय है ।।
सदार
ु गीता गरु सफलता तेरी मुट्ठी में
~I~
© Copyright, 2021, Dayanand Sidar All rights reserved. No part of this publication may be reproduced or transmitted in any form or by any means, electronic or mechanical, including photocopy recording, or any information storage or retrieval system, without permission in writing from the publisher. The opinions/ contents expressed in this book are solely of the author and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Publications Name. No responsibility or liability is assumed by the publisher for any injury damage or financial loss sustained to persons or property form the use of the information, personal or otherwise, either directly or indirectly. While every effort has been made to ensure reliability and accuracy of the information within, all liability, negligence or otherwise, form any use, misuses or abuse of the operation of any methods, strategies, instructions or ideas contained in the material herein is the sole responsibility of the reader. Any copyrights not held by publisher are owned by their respective authors. All information is generalized, presented informational purposes only and presented “as is” without warranty or guarantee of any kind. All trademarks and brands referred to in this book are for illustrative purposes only, are the property of their respective owners and not affiliated with this publication in any way. Any trademarks are being used without permission and the publication of the trademark is not authorized by associated with or sponsored by the trade mark owner. ISBN: 978-93-90835-24-9 Price: 229.00 Publishing Year 2021
Published and Printed by: Rudra Publications Office Address: Kapil Nagar, New Sarkanda, Bilaspur, Chhattisgarh – 495001 Phones: +91 9522285558 +91 9522263336 Email:
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~ II ~
ु गीता गरु सफलता तेरी मुट्ठी में
Dayanand Sidar
~ III ~
पुस्तक साराांश यह गुरु गीता है। न कवि का कविता न लेखक का साहहत्य है।। यह जीिन का सार है। यही गुरु गीता का सार है।। यह श्री क ृ ष्ण का गीता सार नहीीं। न कोई धर्म र्जहब का बात नहीीं ।। यह गुरु का शिक्षा है।। यह र्ाता विता का आिीष िचन है। यह गुरु गीता सार है।। यह जीिन िथ है। यह जीिन दिमण है ।। र्ै कौन हु इसे िहचान कराता है। यह गरु गीता सार है।। यह जजतना जसखाता है। यह सफलता का र्न्त्र है।। यह भारत र्ाता का िुकार है। यही गुरु गीता का सार है।। आि सबोीं का उज्जज्जिल भविष्य की कार्ना क े साथ िुभ आशििामद क े साथ सादर नर्स्कार
~1~
अनुक्रर् 1
खुद को िहचानो
6
2
कौन कहता है तुर् कर्जोर हो
8
3
है तेे र हाथोीं र्ेीं तुम्हारा भाग्य
10
4
सर्य की र्हत्ता
11
5
र्ाता-विता का अिने िुर क े प्रवत आिा
12
6
सुनहरा सु-अिसर
15
7
जीिन का स्िजणमर् अिस्था
18
8
सफलता एिीं भाग्य बदल देने िाली अनर्ोल िाक्य
20
9
आईना झूठ नहीीं बोलता है
24
10
हर् ऋणी है
26
11
क ु छ भी नार्ुर्वकन नहीीं
27
12
ख्िाब को हकीकत र्ेीं क ै से बदलेीं
29
13
तुर् रुको नहीीं
31
14
जजन्त्दगी का र्कसद
32
15
जीिन की र्हत्ता
33
16
उिहार र्ेीं वर्ला है यह जजन्त्दगी
35
17
जैसा कर्म करेगा िैसा फल िायेगा
37
18
जब जागो तब सबेरा
39
19
चररर अर्ूल्य आभुषण है
40
20 र्ानि जीिन की साथमकता एिीं उद्देश्य
44
21
र्ानिता नजररया
46
22
र्ानि तन अनर्ोल रतन है
47
23
हर्ेीं वकस र्ागम िर चलना चाहहए
48
24
कर्म का फल क ै से वर्लता है
50
25
क ु न्त्दन
51
~2~
26
सर्य अर्ूल्य है
53
27
सर्य की र्हत्ता
54
28
र्ेहनत रींग लाता है
56
29
जीिन तेरा है तुझको ही बनाना है
57
30 र्ेहनत की र्हत्ता
59
31
र्न क े हारे हार है र्न क े जीते जीत
60
32
दयानन्त्द गुरूजी आशिमिाद िचन
63
33
स्िार्ी वििेकानन्त्द
65
34
सफल जीिन क े 10 सूर
65
35
जीिन को बदल देने िाली प्रेरणादायक िायरी
68
(सीं कशलत अीं ि) 36
वनरािा दुःख का कारण जीिन र्ेीं दुःख क्योीं आता है
73
और खुिी क ै से िायेीं 37
इसशलए सािधान-
77
38
तुम्हारे अन्त्दर भी खुदा है
78
39
खुबसुरत क्या है
79
40 िरिाह नहीीं
81
41
जजन्त्दगी एक स्िगम है
84
42
आत्र् साक्षात्कार
86
43
ईश्वर दिमन
88
44 है यह िसुन्त्धरा है िािन धरा
90
45
र्ातृभूवर् की िहचान
92
46
देि क े गद्दार देिद्रोही आतीं की नक्सशलयोीं को सीं देि
93
नक्सली आतीं की र्ाता क े कोख को कलीं क न करो 47
हर् सब हहन्त्दस्तानी है
96
48
तुर् भी हो वकसी र्ाता विता क े सिूत
98
49
क्या इसी कर्म क े शलए र्ाता ने तुम्हेीं दध विलायी है
102
~3~
50
धर्म क्या है
105
51
अनेकता र्ेीं एकता
107
52
देि भक्त जसिाहहयोीं क े शलए कविता
109
53
गणतीं र हदिस िािन ििम हर्ारा
111
54
भारत भूवर् की र्हता
114
55
न भूले हर् र्ाता विता का उिकार
116
56
छ.ग. िीं दना गीत
119
57
चला िढ़ेला जाबो ना
121
58
चला िढ़ेला जाबो सरकारी स्क ू ल र्ाीं
122
59
बच्चे र्ाता विता का सबसे अर्ुल्य िरदान होते है
126
~4~
~5~
खुद को पहचानो तुम कौन हो खुद को पहचानों । तुम मनु के वंशज हो खुद को जानों ।। बहती है तुझमें भी वही देवत्व महापुरूषों के खुन । तुम वही हो खुद को पहचानों ।। तुम कौन हो खुद को पहचानों । तुम्हारे रगों पर है दौड़ती, वीर महाराणा प्रताप की खुन है । तुम्हारे हृदय पर है बसते राम कृष्ण भगवान है ।। तुम हो इस जगत में ईश्वर के उत्तराधिकारी । वरदान हो ईश्वर का जानों ।। तुम कौन हो खुद को पहचानों । तुम मनु के वंशज हो खुद को जानों ।। कायर बन कर हहम्मत न हारो । असंभव कुछ भी नही बस साहस करो ।। है छु पी प्रततभा तुझमें । है जगाना बस साहस तुझमें ।। साथ है ईश्वर तुम्हारे हृदय में । जो चाहे पा सकते हो जगत मे ।। मुट्ठी में बंद है ककस्मत तेरा । सदकमो से बन सकता है देवत्व तेरा ।। तुम मनु के वंशज हो खुद को जानो ।
~6~
तुम कौन हो खुद को पहचानों ।। स्वगग िरा पर ला सकते हो है सामथ्र्य तुझमें । दुतनया बदल सकते हो है ताकत तुझमें ।। करना है बस पुरूषाथग समय पर तुझको । खुद को बदल कर सारे जहां को है सामथ्र्य तुझमें ।। तुम मनु के वंशज हो खुद को जानो । तुम कौन हो खुद को पहचानों ।
~7~
कौन कहता है तुम कमजोर हो कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।। सफलता बनी है तुम्हारे ललए ही । तुम्हारे मन में दृढ़ तवश्वास हो ।। कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।। पररश्रम कर के देखो सफलता तुम्हारी राह देख रही है। शारदे मईया ज्ञान देने कब से इंतजार कर रही है।। देखो सफलता तुम्हारे इंतजार में खड़ी है। कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।। सफल वे नही होते जो मेहनत से जी चुराते है। कमजोर वे होते है लजसके इरादे कमजोर होते है।। बस इरादे बुलंद करके देखो। मन में दृढ़ तवश्वास जगाओ।। मेहनत की राह पर सफल देखो। सफलता की मंजील सामने इंतजार में खड़ी है। बस अपने को तैयार करके देखो।। कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।। है बहता तुम्हारे रगों पर वही खुन है। कणग अजजनग एकलव्य के रगों पर बहता जो खुन है।।
~8~
लसने में है िड़कता वही िड़कन है तुम्हारा। जो वीर लशवा सांगा राणा के लसने पर िड़कता है।। है हृदय तुम्हारा गांिी बुद्ध गौतम नानक जैन । कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।। इततहास साक्षी है लजसने भी बना है आज महान्। अपनो कमो से बनाया है अपना पहचान ।। लजसने भी संघषग को गले लगाया। कंटक पथ में भी अपना पग को आगे बढ़ाया।। लजसने माता -कपता का आज्ञा का पालन ककया । गुरू आज्ञा पालन सेवा कणग एकलव्य जैसा ककया ।। लजसने अपना लक्ष्य अजजन ग सा रखा । उसनें ही पाया सफलता है।। जीवन पथ पर लक्ष्य की राह पर चल कर देखो। मेहनत की राह पकड़ देखो।। अपने को तैयार करके देखो। देखो सफलता तेरे इंतजार में खड़ी है।। कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।। सफलता बनी है तेरे ललए । बस मेहनत की राह पर चल कर देखो।। कौन कहता है तुम कमजोर हो । कौन कहता है तुम सफल हो नही सकते।।
~9~
है तेरे हाथों में तुम्हारा भाग्य है तेरे हाथों में तुम्हारा भाग्य अपना। है तेरे हाथों में ककस्मत अपना।। है तेरे हाथों में भतवष्य अपना। है तेरे हाथों में कल अपना।। तुम खुद हो भाग्य तविाता अपना। तुम खद हो भाग्य तनमाता अपना।। तेरे हाथों में है जींदगी अपना । तेरे हाथों में है सपना अपना।। तेरे हाथों में बनना तबगड़ना भतवष्य अपना । तवद्याथी जीवन है स्वणीम सुअवसर अपना।। है सुअवसर यही जीवन को गढ़ना अपना । तेरे हाथों में तेरे भाग्य है।। अभी मौज मस्ती करोगे तो कल पछताओगे । जैसा कमग करोगे वैसा फल पाओगे।। मेहनत से जी चुराओगे तो कभी सफल नही हो पाओेगे। है तेरे हाथों में तुम्हारा भाग्य अपना। है तेरे हाथों में ककस्मत अपना।। समय करता नही ककसी का इंतजार है। आज ककये कमो का फल, कल करता तेरा इंतजार है।।
~ 10 ~
समय की महत्ता समय करता नही ककसी का इंतजार है। आज ककये कमो का फल, कल करता इंतजार है।। तनत्य ककये कमों का फल देनेवस । समय करता इंतजार है।। कहीं आज का ककये कमग फल । कल बन न जाये सजा।। क्योंकक समय करता फल देने को इंतजार है। समय करता नही ककसी का इंतजार है। आज ककये कमो का फल, कल करता इंतजार है।। आज ककये कमो से ही कल का भाग्य उदय होता है । हर पल क्या कर रहा है ।। समय यह सब देख रहा है। आज ककये कमो का फल कल देने का द्व, इंतजार कर रहा है।। समय करता नही ककसी का इंतजार है। आज ककये कमो का फल, कल करता इंतजार है।। माता कपता का हमारे प्रतत आशा तुम ही हो मेरे भावी भाग्य तविाता सहारा ।
~ 11 ~
माता-कपता का अपने पुत्र के प्रतत आशा तुम हो मेरे खुशी की पजणग आशा पजरा ।। तुम्हारे गभग से ही जग में आने की खुशी से । मैने अपने सपनों के सुनहरे सपने सजाये ।। मन में उमंग खुशी के सुनहरे ताने बाने जग में सजये । उम्मीदों के पुल जीवन बांिे ।। आंखों में खुशी सजोये रात भर टकटकी बांिे ।। जब भी जग में आया । तब मन मयजर होकर खुशीयों से भर आया ।। तुझे जब गोदी में ललया तो लगा साक्षात् । मेरी गोदी में राम कृष्ण गोदी में आया ।। तुम्हारी सकुशलता स्वास्थ्य दीघग आयु की कामना । हर पल दुआ ईश्वर से करता भी समागता ।। तु खुश रहे स्वस्थ रहे यह सोंचकर । जीवन का हर सुख न्यौछावर ककया ।। उं गली पकड़ कर कदम कदम पर । सहारा देकर चलना लसखाया ।। उम्मीदों के पुल बांिे हर पल । छाया बन कर मुसीबतों िुप से बचाया ।। प्यार स्नेह भरा अमृत का लसंचन ककया । स्वयं न खाकर पहला तनवाला तुम्हे खखलाया ।। है तुमसे आशा तवश्वास हर पल । आने वाला कल तुमसे ही होगा उज्जवल ।।
~ 12 ~
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