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Story Transcript

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हवा का रुख "बोलती कविताओं के रंग, कोरोना -पुराण के संग" -----------------

राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता

राजमंगल प्रकाशन An Imprint of Rajmangal Publishers

ISBN : 978-9391428716 Published by:

Rajmangal Publishers Rajmangal Prakashan Building, 1st Street, Sangwan, Quarsi, Ramghat Road Aligarh-202001, (UP) INDIA Cont. No. +91- 7017993445 www.rajmangalpublishers.com [email protected] [email protected] ---------------------------------------------

प्रथम संस्करण : अप्रैल 2022 – पेपरबैक प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन राजमंगल प्रकाशन बबल्डिं ग, 1st स्ट्रीट, सांगवान, क्वासी, रामघाट रोड, अलीगढ़, उप्र. – 202001, भारत फ़ोन : +91 - 7017993445

--------------------------------------------First Published : April 2022 - Paperback eBook by : Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division) Copyright © राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता

This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, and incidents are either the products of the author’s imagination or used in a fictitious manner. Any resemblance to actual persons, living or dead, or actual events is purely coincidental. This book is sold subject to the condition that it shall not, by way of trade or otherwise, be lent, resold, hired out, or otherwise circulated without the publisher’s prior consent in any form of binding or cover other than that in which it is published and without a similar condition including this condition being imposed on the subsequent purchaser. Under no circumstances may any part of this book be photocopied for resale. The printer/publishers, distributer of this book are not in any way responsible for the view expressed by author in this book. All disputes are subject to arbitration, legal action if any are subject to the jurisdiction of courts of Aligarh, Uttar Pradesh, India

समर्पण

दिवंगत अपनी लक्ष्मीस्वरूपा धममपत्नी शकुन्तला को जजनके ललए मेरी कबवताएँ सिा खुशी का स्रोत रहीं तथा जजनसे मुझे काव्यलेखन हेतु सिैव प्रोत्साहन एवं सहयोग प्राप्त होता रहा। - राजेंद्र ।

आभार आभार अपने सभी कबव, लेखक, सादहत्यकार एवं अजधकारी बमत्रों का एवं बवशेष आभार बहन प्रो. रानू उननयाल (लखनऊ बवश्वबवद्यालय) का जजन्होंने अपने व्यस्त दिनचयाम से समय ननकालकर पुस्तक की भूबमका ललखी। आभार राजमंगल प्रकाशन, अलीगढ़ का भी जजन्होंने न्यूनतम समय में इस सुंिर पुस्तक का प्रकाशन नकया ।

- रचनाकार

भूममका कबव श्री राजेंद्र प्रसाि गुप्ता जी आज के कबव हैं। अपने नए संकलन में वे आज की बात करते हैं। हवा का रुख में रोजमराम के हालात हैं। जीवन की आपा धापी, िुख, बीमारी, सुख, चैन सभी कुछ तो इन कबवताओं में उतारा है। कोरोना काल से प्रभाबवत कौन नहीं हुआ और कबव हृिय तो जैसे संताप में डू ब गया। वक्त ने क्या कुछ नहीं दिखाया। गुप्ता जी प्राथमना करते हैं धरा हमारी बवषाणु मुक्त हो। एक ननममल हृिय अच्छे समय के ललए प्राथमना करता है और उम्मीि रखता है नक अवसाि कटेगा। नई सुबह होगी। कोरोना के पीछे और आगे के समय का अद्भुत जचत्रण करती हुई यह कबवताएँ हँसाती भी हैं और द्रबवत भी कर िेती हैं। जीवन के प्रबत उत्साह भी है और कहीं अं िर एक भय भी। मानव जीवन के सच को प्रगट करती हैं यह कबवताएँ । सहज सरल भाषा कबवताओं को पठनीय भी बनाती है और रोचक भी। स्वागत है इस नई नकताब का।

रानू उननयाल -एम दिल, जे एन यू तथा पीएच डी, हल बव.बव., इं ग्लैंड। -प्रोिेसर, अं ग्रेजी बवभाग, लखनऊ बवश्वबवद्यालय। -अं ग्रेजी में तीन कबवता संग्रह तथा दहन्दी काव्य संग्रह 'सईिा के घर' की लेखखका । - कई लेख िेश-बविेश में प्रकाजशत ।

अनुक्रमाणणका शीर्पक

र्ृष्ठ संख्या

भाग 1-बोलती कविताएँ 1.

माँ लक्ष्मी वर िे !

13

2.

चाँि

15

3.

बबजुररया सी है तेरी याि

17

4.

अिला-बिली

18

5.

बाल-वृद्ध

19

6.

चुनावी मेला

20

7.

जनतंत्र

21

8.

रावण-िहन

22

9.

िफ्तर जाना

23

10. होली, हो ली

24

11. मच्छर तुम क्यों आ जाते हो?

25

12. मच्छर आज नहीं आया

27

13. टोपी

28

14. पतलू-मोटू

30

15. क्षलणकाएं

31

16. खािी कंबल

32

17. लड़नकयाँ

33

18. िाल में िेशी घी

34

19. शौकीन

36

20. सिी आई

37

21. अधूरी नौकरी

39

22. प्रूि रीनडिं ग

40

23. नकरनकट

42

24. होरी आयो

43

25. कानािूंसी

44

26. बुढ़ापा भी है अपना-अपना

45

27. चुनाव

46

28. चाय पर चचाम

47

29. छड़ी की मार

48

30. पिाम

49

31. तेरा जाना

50

32. संिेशे

51

33. ईमानिार सरकार

52

34. ऑनलाइन (2)

53

35. धममयुद्ध!

55

36. मदहला दिवस

56

37. समाचार (2)

57

38. समाचार (3)

58

39. बछप कर अबकी होली आई

60

40. बड़बोले

61

41. जसयासत

62

42. आया है एक बाबा

64

43. बच्चा कब सुधरेगा !

66

44. बड़ा हाथी

67

45. चलजचत्रक

68

46. काव्य-पटल

70

47. भुलक्कड़ की आत्मकथा

72

48. कागा तूं मत बोल यहाँ

74

49. प्रकृबत

75

50. राजशाही के राजा-रानी

76

51. िोन की झंझट

77

52. तुम काहे को पबत बने थे ?

79

53. महंगाई

81

54. नया जमाना, नई बीमारी

82

55. बहू की मजबूरी

83

56. सोना-सोना (Gold & Sleep)

84

57. समथमन मूल्य

85

58. रेल यात्रा

87

59. प्रिूबषत राजनीबत

90

60. दप्रय नेता

91

61. समाचार

92

62. बततली (1)

94

63. िफ्तर जाने में लेट होता है

95

64. कबव-कबवता

97

65. अज्ञानी के लिड़े

98

66. करवा का चाँि

99

67. नकसान

100

68. अमीरी को हम क्यों जधक्कारें!

102

69. आबािी

104

70. िैशन की मार

105

71. कबव भी बबजचत्र जीव है भाई

107

72. सिी का मौसम

108

73. सिी का ये मौसम

109

74. क ख ग घ (िो) / गाँव की गपशप

110

75. क ख ग घ (तीन) / गाँव की गपशप

111

76. क ख ग घ (चार) / गाँव की गपशप

112

77. कहाँ चले तुम लोटा लेकर?

114

78. भोजन

116

79. िूं-िाँ (अलबविा रंप!)

118

80. कैप्चा 'कोड' (Captcha)

119

81. बेचारी खखड़नकयाँ

122

82. कबवता हँसी-हँसी में

123

83. गया ' प्रिूषण' तेल लेने

124

84. दपता और पुत्र

126

85. सरकारी जचिं ता

127

86. आम्र-बाग

128

87. जनता तो गांधी के बंिर

129

88. क्षलणकाएं (2)

130

89. मेरा पप्पू

132

90. कबववर की मजबूरी

134

91. नशा िोन का

135

92. िेसबुक

136

93. 'एप ' को हटाया

137

94. रैली

138

95. वाई-िाई

139

96. नये दभखारी

140

97. मेरो का बबगड़ो !

142

98. हवा का रुख

143

99. The Old Lady

144

भाग 2-कोरोना-र्ुराण 100. बवनाश का प्रयास (िेविूत का पृथ्वी-भ्रमण)

146

101. को-रोना, को-रोना

148

102. 'कोरोना' - िोहे

149

103. भावी जीवन

151

104. कोरोना

152

105. नकरौना

153

106. जाने कैसी हवा बह चली

154

107. घर में रदहए

155

108. नकरौना-यंत्र

157

109. नकरौना साबुन

158

110. घरबैठा (लाकडाउन)

160

111. पररवतमन

162

112. कहीं कोरोना तो नहीं!

163

113. नकरौना में कुछ बात भली

165

114. बवश्व-बवनाश की करुण कहानी

166

115. कष्ट-कोबवड की काव्य-कथा

168

116. कोरोना चुनाव

170

117. दपताजी क्यों बिनाम हुए ? 118. आओ राजनीबत करते हैं 119. धन्य कोरोना चीनपुत्र !

120. चीनी िैत्य पृथ्वी पर है!

171 172 173 174

121. िेखूँ तो कैसा कोबवड है!

175

122. कललयुगी िैत्य

176

123. धरा हमारी बवषाणु-मुक्त हो! 124. हर सपने की कथा यही थी 125. कोरोना अब भाग खड़ा था 126. छापेमारी 127. महामारी

128. चीनी िानव

177 178 181 182 183 184

129. कोरोना कुछ िूर खड़ा

185

130. नकरौना-गीत (भोजपुरी) #

186

131. पुनरागमन

132. 'कोबवड'-बमत्र 133. को-रोना

134. 'कोरोना ' के पीछे

188 189 190 193

135. 'करंटाइन' जचरकुट का

195

136. बीमारी चली जाएगी

198

137. लंबे @ घर बैठे के बाि

200

138. 'कोरोना 'को भगाइए

201

139. क्रूर नकरौना

202

140. कोरोना से िूरी 141. कपट-नकरौना

142. गधा तो मत कदहए 143. कुिरत (2)

144. घरबैठा में मेरे बाल 145. 'नकरौना' पुण्याक्षर

203 204 205 207 208 209

भाग 1-बोलती कविताएँ

हवा का रुख | 12

मााँ लक्ष्मी िर दे ! हे मााँ लक्ष्मी िर दे! धन-धान्य हो पूणण जगत में सबके घर भर दे! हे मााँ लक्ष्मी िर दे!! सिणप्रथम मााँ िहां चलें जो कोरोना की बाढ़ में डू बे बच्चों को उनके आश्रय दे, हे मााँ! दुख उनके हर ले, हे मााँ लक्ष्मी िर दे! हे मााँ फिर सुधध उनकी ले लो धजनके काम-धाम हैं छू टे फिर रोजी-रोटी उनकी हो खुशी जीिन में हो, हे मााँ लक्ष्मी िर दे! झोपड़ियों से मुस्कान हटी है महलों में अनवगन रुदन हुए अब पुनः हर्ण हो, अभय सिणत्र हो

हवा का रुख | 13

मााँ तूं थो़िा-सा हाँस दे! हे मााँ लक्ष्मी िर दे!! ~~

हवा का रुख | 14

चााँद मैं ढू ंढता रहा चााँद को दर-ब-दर चेहरा मगर िो वछपाए रहा घर में भी देखा, हर जगह, हर तरि फदनों तक मगर लापता िो रहा। मैं ढू ंढता रहा चााँद •••• बेििाई का शक तो पहले ही था लेडकन अब तो यक़ीं हो गया आगे मगर जो हुआ िो गज़ब एक फदन जब िो मेरे घर आ गया बेहद दमकता चेहरा ललए हर घर, हर गली, जब रोशन हुआ। मैं ढू ंढता रहा चााँद ••••• चााँद को थी मुझसे मोहब्बत कुछ ऐसी डक आया तो उजाला ललए साथ था अिसोस मुझे अब इस बात का था बेििाई का इल्जाम िाधजब न था। मैं ढू ंढता रहा चााँद •••••

हवा का रुख | 15

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