maE taumhe / jaanataa hU~ /
अमित प्रेि “ए के आर”
द पुस्तकालय
द पुस्तकालय नियर इनं ियि बैंक, परु ािी जेल रोि बंगला बाजार, लखिऊ - 226002 ईमेल:
[email protected] द पस्ु तकालय द्वारा 2022 में पहली बार प्रकानित
मैं तुम्हें जानता हूँ © अनमत प्रेम “ए के आर” 2022 सर्ाानिकार सरु नित प्रथम संस्करण 2022 ISBN: 978-93-91900-16-8 सपं ादि - अनमत प्रेम “ए के आर” पस्ु तक स्र्रूपण एर्ं आर्रण पृष्ठ - िभु म् नसंह प्रकािक एर्ं कॉपीराइट-िारक की पर्ू ा अिमु नत के नबिा, इस प्रकािि का कोई भी अंि नकसी पिु प्राानि प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल, फोटोकॉपी, ररकॉनििंग या नकसी भी अन्य माध्यम से पिु ः प्रस्तुत प्रेनित या संग्रहीत िहीं नकया जा सकता है। यद्यनप इस पस्ु तक को यथासंभर् िद्ध ु और त्रनु टरनहत प्रस्तुत करिे का प्रयास नकया गया है, तथानप इसमें कोई कमी अथर्ा त्रनु ट मािर्ीय भल ू से रह गयी हो तो उससे होिे र्ाली िनत के नलए प्रकािक, मद्रु क एर्ं नर्क्रेता का कोई उत्तरदानयत्र् िहीं होगा। इस पस्ु तक के प्रकािि के पर्ू ा लेखक/संपादक द्वारा यह सुनिनित नकया गया है नक उन्होंिे पस्ु तक की नर्िय-र्स्तु में नकसी भी प्रकार की चोरी िहीं की है। प्रकािक द्वारा भी यथासम्भर् हर प्रयास नकये गए है नक इस पस्ु तक में नर्िय-र्स्तु से संबंनित नकसी भी प्रकार की चोरी िा हुई हो। यनद इस पस्ु तक में नर्िय-र्स्तु से सबं ंनित नकसी भी प्रकार की चोरी का पता चलता है या नकसी निकायत या आपनत्त के मामले में, ऐसे नकसी भी दार्े के नलए िा तो प्रकािक और िा ही मद्रु क एर्ं नर्क्रेता को नजम्मेदार ठहराया जािा चानहए। ऐसी नकसी भी नस्थत में, लेखक/सपं ादक जो पस्ु तक की नर्िय-र्स्तु के अनिकार रखते हैं, उन्हें नजम्मेदार ठहराया जाएगा।
म ाँ को समर्पित
अनुक्रमणिका मैं तुम्हें जानता हूँ आभार
xi xiii
कर्ित एाँ“मााँ”
1
“महाि परुु ि”
2
“पापा”
3
“मझु े चानहए”
4
“अच्छा लगता है”
5
“उसे ढूाँढता ह”ाँ
7
“फुसात से”
8
“अब र्ैसे मोहब्बत िही होती”
9
“क्ट्या होगा”
10
“सबके नलए सब एक जैसा िहीं होता”
12
“तमु बात क्ट्याँू िहीं करते”
13
“मैं तुम्हारे साथ मस्ु कुरािा चाहता हाँ”
14
“मैं कै से नलखता हाँ”
16
“आ जािा”
17
“सालभर”
19
“मेरे जहेि में उतर गया था”
21
“आया था”
22
“अच्छा िही होता”
23
“बहि, दीदी मेरी”
24
“क्ट्या अब भी र्ैसा करते हो”
26
“निकाल नदया दफा करके ”
27
“मेरा जी करता है”
28
“मझु े मचलिे दे”
29
“रात तनकए नभगोकर नबताएं हैं”
30
“तन्हा चला जाऊाँगा मैं”
31
“क्ट्या क्ट्या नकया है मैंिे”
32
“क्ट्या मतलब”
33
“ऐसा कर पाओगे ि”
34
“तुम आये ही िहीं”
35
“सब कुछ बदल जाता है"
36
“रखेगा”
37
“बुरी बात है”
38
“उलझि में ि िाल मझु े”
39
“मचलते हैं”
40
“भल ू जािा मझु े”
41
“रोज िई िरू ु आत करते हैं”
42
“मझु े भल ु ािे लगी है”
43
“कोनिि ि करिा”
45
“समय तो लगेगा”
46
“िहीं हुई”
47
“बहुत कुछ हुआ ह”ाँ
48
“तेरे िाम”
50
“बैठे हैं”
51
“मैं अच्छा इसं ाि िहीं ह”ाँ
52
“ले गए”
53
“बैठी है”
54
“मोहब्बत मेरा काम”
55
“अब”
56
“भल ू जाते हैं”
57
“तुम”
58
“आिा”
59
“सदा का मौसम”
60
“कै से बचोगी”
61
“तुम भाग -1”
62
“तुम भाग- 2”
63
“तुम भाग -3”
65
“मेरा पहला आखरी प्यार”
66
“मझु े क्ट्या पता था”
68
“अब दोबारा िहीं होगा”
69
“नदल घबराता है”
71
“तुम्हारा भी िाम है”
73
“समझौता कर लेते हैं”
74
“तुम िहीं हो नफर भी यहीं हो”
75
“नदल और नदमाग” (पहला पहल)ु
77
“नदल और नदमाग” (दसू रा पहल)ु
79
“मझु सा नसफा मैं हाँ”
81
“देखा है मैंिे”
82
“बताओ बिोगे मेरे”
83
“जाता है”
84
“सब एक जैसा िहीं होता”
85
“जन्मनदि मिािे के बाद”
86
“कुछ तो नमले, कोई तो नमले”
88
“दीर्ािा क्ट्या होता है”
89
“प्रेम”
90
“जो भी है ठीक है”
92
“कुछ कर ि पाया”
93
“नलख दाँ?ू ”
94
“बेकार हाँ मैं”
95
“तुमिे ये अच्छा िहीं नकया”
96
“ठहर जाएगा”
98
“र्ो इतिा हड़बड़ाई क्ट्याँू थी”
99
“कनर्ताओ ं में जीर्ि है”
100
“ये कोई बात थोड़ी है”
103
“नकताबें कहती हैं बातें”
104
“िहीं जाते”
106
“अब भी”
107
“समझाता हाँ ि”
109
“िर है”
110
“र्ो मजदरू हो गया”
111
“मेरी प्रेम कहािी िहीं आती”
112
“करिा पड़ता है”
113
“कमाल के जैसे”
114
“नदल करता है”
115
“अभी बाकी है”
117
“र्ो कहााँ जाता है”
118
“क्ट्या क्ट्या कर रहें हैं”
119
“अब थोड़ा नबगड़ चक ु ा हाँ मैं”
120
“मझु े दे दो”
121
“मोहब्बत”
122
“तुम्हारी बारात के बाद”
124
लेखक संदेश
125
मैं तुम्हें जानता हूँ ‘मैं तुम्हें जानता ह’ूँ यह एक कनर्ता संग्रह है। नजसमें 100 कनर्ताएाँ सनम्मनलत हैं। इसके कनर् अनमत प्रेम ‘ए के आर’ अथाात मेरा कहिा है नक मैं आपको जािता ह।ाँ मेरी इस नकताब के अिसु ार, मैं आपको बहुत अच्छे से जािता ह।ाँ यह नकताब मेरे और आप जैसे लोगो से जड़ु कर बिी है। इसमें नलखी 100 कनर्तओ ं में से नकसी ि नकसी कनर्ता में आप खदु को जरुर पहचाि जाओगे या एक से ज्यादा कनर्ताएाँ आपको लगेंगी नक ये तो आपके जीर्ि में हुआ है, यह तो आपके नलए है, नजसे मैंिे नलखा है। तब आपको लगेगा नक मैं आपको कै से जािता ह,ाँ मैंिे आपके जीर्ि की ये बात कै से नलख दी। इस नकताब को पढ़कर आप मझु े भी जाि जाओगे, तब आप कहोगे नक ‘मैं तुम्हें जानता हूँ’। पनढ़ए और औरों को भी पढ़ाइये।
प्रेम पर प्रेम बिाये रखें। ! राधे राधे !
-अर्मत प्रेम “ए के आर”
आभार सर्ाप्रथम मैं अपिी मााँ, पापा और मेरे पररर्ार जिों का हृदय से आभार व्यक्त करता हाँ , जो मेरी बकबक के साथ मेरी कनर्ताएाँ और िायररयों का बोझ सहते हैं। घर में र्ैसे सभी को मतलब तो समझ िहीं आता पर मैं सिु ाता सबको ह।ाँ र्ो चाहे मेरा 12 साल का छोटा भाई नप्रसं हो या 10 साल की मेरी छोटी बहि आरती हो या चाहे नफर र्ो भाभी हों। इसके बाद मैं उिका आभारी हाँ जो मेरा उत्साह र्िाि करते रहते हैं मेरे नमत्र बल्ल,ू भोले, नितेि, पास,ू श्रीयांि, बैला, पीयिू , दीपक, पक ं ज र् अन्य मेरे सभी सहपाठी नमत्र नजन्हें मेरी रचिाएाँ पढ़िा पसदं है। जो हमेिा मेरी रचिाओ ं पर अपिी समीिा देते हैं। मैं नलखिा बचपि से जािता था मि में कुछ ि कुछ आता रहता था पर र्ो अटपटा सा बेतक ु ा। पर एक नदि जब श्रीयाि ं ु िे मझु े लेखि प्लेटफॉमा के बारे में बताया तब से मेरे नलखिी में तक ु आिे लगे और मैं नलखता गया। यह मेरी ख़दु की तीसरी नकताब है। मेरे एक और परम् नमत्र हैं नजिसे मेरी मल ु ाकात लेखि प्रनतयोनगता ग्रपु में हुई थी नजिसे मैं ि नमलकर भी घल ु नमल गया हाँ मेरे र्ीरे र्रदाि नजदं ल "सगु त" मैं इिका आभार नजतिा करूाँ उतिा कम है। ये एक बेहद बेहतरीि लेखक हैं। इिकी र्जह से ही मैं गज़ल नलखिा नसख रहा हाँ और इन्होंिे हमेिा मेरा हाथ पकड़ा हुआ है, हमेिा मझु े मागादिाि देते रहते हैं। और मैं अपिे सभी लेखक नमत्रों और लेखि ग्रपू का आभारी हाँ जहााँ से कुछ ि कुछ िया सीखता रहता ह।ाँ
-अर्मत प्रेम “ए के आर”
“माूँ” कड़कती िपू में ठंिी छांर् है मााँ भख ू े का गरम निर्ाला है मााँ सारी दनु िया ज़हर की प्याली एक अमृत का प्याला है मााँ मााँ ममता का रूप है मााँ ठंिी में प्यारी िपू हैं मााँ मााँ दगु ाा है मााँ काली है मााँ होली है मााँ दीर्ाली है मााँ देर्ी का स्र्रूप है मााँ मााँ प्रेम है मााँ िमा है मााँ की सेर्ा इस दनु िया का सबसे बड़ा कमा है मााँ िारी है िारायणी है मााँ मााँ जगत की कायाकारणी है मााँ