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तेनाली रामा की कहािनयां

िववेक कुमार पांडे शंभन ु ाथ

Copyright © Mr Vivek Kumar Pandey Shambhunath All Rights Reserved. ISBN 979-888503925-3 This book has been published with all efforts taken to make the material error-free after the consent of the author. However, the author and the publisher do not assume and hereby disclaim any liability to any party for any loss, damage, or disruption caused by errors or omissions, whether such errors or omissions result from negligence, accident, or any other cause. While every effort has been made to avoid any mistake or omission, this publication is being sold on the condition and understanding that neither the author nor the publishers or printers would be liable in any manner to any person by reason of any mistake or omission in this publication or for any action taken or omitted to be taken or advice rendered or accepted on the basis of this work. For any defect in printing or binding the publishers will be liable only to replace the defective copy by another copy of this work then available.

भारत में ऐसे कई महान ज्ञानी हुए हैं, िजनकी बिु द्धमत्ता का लोहा हर िकसी ने माना है । उनके व्यिक्तत्व व चतरु ाई से जड़ ु े िकस्से हर िकसी को पर्भािवत व

रोमांिचत करते हैं। भारत के इितहास में ऐसे ही शख्स हुए हैं, िजनका नाम है तेनालीराम। तेनालीराम की बिु द्धमानी से भला कौन पिरिचत नहीं है ।

तेनालीराम की जीवनी िवजयनगर नगर से ही शरू ु होती है । जहां वह महाराज

कृष्णदे व राय के सबसे िपर्य मंतर्ी हुआ करते थे। वह उन्हें हर उलझन से िनकालने में मदद करते थे। तेनालीराम के िकस्से तब भी पर्िसद्ध थे और आज भी हैं।बच्चों के मानिसक िवकास के िलए तेनाली राम की कहािनयों को हमेशा

अच्छा जिरया माना गया है । राज्य पर िकसी तरह की आपित्त आने पर महाराज तेनाली राम से ही सलाह िलया करते थे। यही नहीं तेनाली राम से जड़ ु े ऐसे कई

चट ु ीले िकस्से हैं, जो न िसफर् हर िकसी को गुदगुदाते हैं, बिल्क हं सी-हं सी में एक सीख भी दे जाते हैं। कहािनयों के इस वगर् में आपको तेनाली राम से जड़ ु े कई मजेदार िकस्से पढ़ने को िमलेंगे, जो पर्माण हैं इस बात का िक चत ु राई और

बौिद्धक कौशल के जिरए िकसी भी समस्या का समाधान िनकाला जा सकता है । और इसे वापस से िववेक कुमार पाण्डेय जी ने इसका रचना िकया है .।

कर्म-सच ू ी भिू मका

vii

1. तेनाली रामा की कहािनयां: सन ु हरा पौधा

1

2. तेनाली रामा की कहानी: नली का कमाल

4

3. तेनाली रामा की कहािनयां: िशल्पी की अद्भत ु मांग

7

4. तेनाली रामा की कहािनयां: मनहूस कौन

10

5. तेनालीराम बना जटाधारी सन्यासी

13

6. तेनाली रामा की कहािनयां: अपराधी बकरी

15

7. तेनाली रामा की कहािनयां: िशकारी झािड़यां

17

8. तेनाली रामा की कहािनयां: उबासी की सजा

20

9. तेनाली रामा की कहािनयां: तेनालीराम का न्याय

22

10. तेनाली रामा की कहािनयां: होली उत्सव औaर महामख ू र् की उपािध

25

11. तेनाली रामा की कहािनयां: कौवों की िगनती

28

12. तेनाली रामा की कहािनयां: अपमान का बदला

30

13. तेनाली रामा की कहािनयां: बाढ़ और राहत बचाव कायर्

33

14. तेनाली रामा की कहािनयां: बेशकीमती फूलदान

36

15. तेनालीराम और झगड़ालू चमेली की कहानी

39

16. तेनालीराम की कहानी: दध ू न पीने वाली िबल्ली

42

17. तेनालीराम की कहानी: राजगुरु की चाल

44

18. तेनालीराम की कहानी: मनपसंद िमठाई

47

19. तेनालीराम और मटके की कहानी

49

20. तेनालीराम की कहानी: मौत की सजा

51

21. तेनालीराम की कहानी: िरश्वत का खेल

53

22. तेनालीराम की कहानी: बाबापरु की रामलीला

56

23. तेनालीराम की कहानी: पड़ोसी राजा

58

•v•

कर्म-सच ू ी 24. तेनालीराम की कहानी: हीरों का सच

61

25. तेनालीराम और नीलकेतु की कहानी

64

26. तेनालीराम की कहानी: रं ग-िबरं गे नाखन ू

66

27. तेनालीराम और लाल मोर की कहानी

68

28. तेनालीराम की कहानी: तेनाली रामा और अंगूठी चोर

70

29. तेनालीराम की कहानी: तेनाली राम और जादग ू र

72

30. तेनालीराम की कहानी: तेनालीराम और सोने के आम

74

• vi •

भिू मका Author biography MY NAME IS VIVEK KUMAR PANDEY . I WAS BORN IN 30 SEP 2002,I AM FROM SURAT GUJARAT INDIA.MY DREAM WAS TO BE GOOD WRITERS ,MY FAMILY SUPPORTED ME TO SUCCESSFUL AND I CAN DO IT MY SELF.How do I write? That is a question, I believe, that cannot be honestly answered by me."CELEBRATING YOUNGEST WRITER AWARD WINNER IN GUJARAT 1ST RANK" MR PANDEY JI . I may think I did a good job writing something when in reality it could be horrible. The reader is the one who decides the quality of my writing. I do not find writing to be natural to me and therefore find it to be a real challenge. My trick as a challenged writer is to do the best I can and know that I am happy with the final outcome. It may take a while to do my best and there may be quite a few problems I run into along the way. I am not a greedy person those who are thinking about me and my self I never tried it anyone people suffering from sadness ,I trying to get promoted people suffering from happiness and joy in your Life Time. Now in current situation in India and also world people are unemployed and have no many but our indian governor help to people to get free food from ration card , i also take part in leadership team ,i am Motivational speaker , Film script writer. There was my two dream firstly writer and secondly actor & also my own film is upcoming soon i done almost completely completed script for my film .I AM GOING TO SAY WORD OF HEART TOUCH OUT PLEASE READ IT" , firstly i thanks my father he supports me in this field they always getting inspired me by own his words and behavior ,they always said that he was a biggest person in the world in future and also they purchase fruit and chocolate for me in anytime & anyway , firstly my father buy him then call me Vivek you want a chocolate i will say yes papa but how many tell me ,papa: you tell me how much i buy him i told 1 or 2 chocolate but my father purchase whole the boxes of chocolate and they get

• vii •

भिू मका

suprised me. MY FATHER WAS BORN IN " 20 SEPTEMBER" 1971 IN INDIA. 1) MY FATHER FAVORITE CLOTHES IS KURTA PAIJMA AND ALSO STYLES SHOE 2) FAVORITE SINGER IS KISHORE DA 3) FAVORITE STATE GUJARAT AND KOLKATA , HIS VILLAGE IN BIHAR 4) FAVORITE COLOR BLACK AND WHITE THEY ALSO LOVE cricket like IPL and one day t-20 .they also like watching a News daily and heard the song daily ,they also interested in tik tok video but in current time tik tok is banned in india but also few videos are in you tube. In lockdown time my family and me very enjoy day daily. my father play daily ludo with his sister and son, daughter.they always loved tea and coffee anytime call me "। िववेक थोड़ा चाय बनाओना िववेक तम् ु हारे हाथ का चाय अच्छा लगता है ". I make it tea for my father but some reason after the April to june they are suffering from fever and cough , weakness on 6 June 2020 my father death. they not told me say bye bye his life. After death of 6 June on 10 june my mom and dad anniversary.but my father is Best in the world they can do anything for me please take care of father and respect it of your parents

• viii •

1 तेनाली रामा की कहािनयां: सन ु हरा पौधा तेनाली रामा की कहािनयां: सन ु हरा पौधा

तेनालीराम हर बार अपने िदमाग का इस्तेमाल करके ऐसा कुछ करते थे िक िवजय नगर के महाराज कृष्णदे व दं ग रह जाते थे। इस बार उन्होंने एक तरकीब से राजा को अपने फैसले पर दोबारा िवचार करने को मजबरू कर िदया।

हुआ यंू िक एक बार राजा कृष्णदे व िकसी काम के चलते कश्मीर चले गए। वहां उन्हें एक सन ु हरे रं ग का िखलने वाला फूल िदखा। वो फूल महाराज को इतना पसंद आया िक वो अपने राज्य िवजयनगर लौटते समय उसका एक पौधा अपने साथ लेकर आ गए।

महल पहंु चते ही उन्होंने माली को बल ु ाया। माली के आते ही महाराज ने उससे

कहा, “दे खो! इस पौधे को हमारे बगीचे में ऐसी जगह लगाना िक मैं इसे अपने

कमरे से रोज दे ख सकंू। इसमें सन ु हरे रं ग के फूल िखलेंगे, जो मझ ु े काफी पसंद हैं। इस पौधे का काफी ख्याल रखना। अगर इसे कुछ भी हुआ, तो तम् ु हें पर्ाण दं ड भी िमल सकता है । माली ने िसर िहलाते हुए राजा से पौधा िलया और उनके कमरे से िदखने वाली

जगह में उसे लगा िदया। िदन रात माली उस फूल का खब ू ख्याल रखता था। िदन जैसे ही बीतते गए उसमें सन ु हरे फूल िखलने लगे। रोज राजा उठते ही सबसे पहले उसे दे खते और िफर दरबार जाते थे। अगर िकसी िदन राजा को महल से बाहर

जाना पड़ता था, तो उस फूल को न दे ख पाने के कारण उनका मन दख ु ी हो जाता था।

•1•

तेनाली रामा की कहािनयां

एक िदन जब राजा सब ु ह उस फूल को दे खने के िलए अपनी िखड़की पर आए,

तो उन्हें वो फूल िदखा ही नहीं। तभी उन्होंने माली को बल ु वाया।

महाराज ने माली से पछ ू ा, “वो पौधा कहा गया। मझ ु े उसके फूल क्यों िदख नहीं

रहे हैं।”

जवाब में माली ने कहा, “साहब! उसे कल शाम को मेरी बकरी खा गई।”

इस बात को सन ु ते ही उनका गस् ु सा सातवें आसमान पर पहंु च गया। उन्होंने सीधे राजमाली को दो िदन बाद मौत की सजा सन ु ाने का आदे श दे िदया। तभी वहां सैिनक आए और उसे जेल में डाल िदया।

माली की पत्नी को जैसे ही इस बारे में पता चला, वो दरबार में राजा से फिरयाद

करने पहंु ची। गुस्से में महाराज ने उसकी एक बात न सन ु ी। रोते-रोते वो दरबार से जाने लगी। तभी एक व्यिक्त ने उसे तेनालीराम से िमलने की सलाह दी।

रोते हुए माली की पत्नी ने तेनालीराम को अपने पित को िमली मौत की सजा

और उस सन ु हरे फूल के बारे में बताया। उसकी सारी बात सन ु कर तेनालीराम ने उसे समझा-बझ ाकर घर भे ज िदया। ु

अगले िदन गुस्से में माली की पत्नी उस सन ु हरा फूल खाने वाली बकरी को चौराहे में ले जाकर डंडे से पीटने लगती है । ऐसा करते-करते बकरी अधमरी हो गई। िवजयनगर राज्य में पशओ ु ं के साथ इस तरह का व्यवहार करना मना था। इसे

कर्ूरता माना जाता था, इसिलए कुछ लोगों ने माली की पत्नी की इस हरकत की िशकायत नगर कोतवाल को कर दी। सारा मामला जानने के बाद नगर कोतवाल के िसपािहयों को पता चला िक यह

सब माली को िमले दं ड की वजह से वो गुस्से में कर रही है । यह जानते ही िसपाही इस मामले को दरबार में लेकर गए।

महाराज कृष्णराज ने पछ ू ा िक तम ु एक जानवर के साथ इतना बरु ा व्यवहार कैसे कर सकती हो?

“ऐसी बकरी िजसके कारण मेरा परू ा घर उजड़ने वाला है । मैं िवधवा होने वाली हंू और मेरे बच्चे अनाथ होने वाले हैं, उस बकरी के साथ कैसा व्यवहार करूं महाराज” माली की पत्नी ने जवाब िदया।

राजा कृष्णराज ने कहा, “तम् ु हारी बात का मतलब मैं समझ नहीं पाया। ये बेजब ु ान जानवर तम् ु हारा घर कैसे उजाड़ सकता है ?”

उसने बताया, “साहब! ये वही बकरी है िजसने आपके सन ु हरे पौधे को खा िलया

था। इसकी वजह से आपने मेरे पित को मौत की सजा सन ु ा दी है । गलती तो इस

बकरी की थी, लेिकन सजा मेरे पित को िमल रही है । सजा असल में इस बकरी को •2•

िववेक कुमार पांडे शंभन ु ाथ

िमलनी चािहए, इसिलए मैं इसे डंडे से पीट रही थी।”

अब महाराज को यह बात समझ आई िक गलती माली की नहीं, बिल्क बकरी

की थी। यह समझते ही उन्होंने माली की पत्नी से पछ ू ा िक तम् ु हारे पास इतनी

बिु द्ध कैसे आई िक इस तरह से मेरी गलती के बारे में समझा सको। उसने कहा

िक महाराज, मझ ु े रोने के अलावा कुछ भी नहीं सझ ू रहा था। यह सब मझ ु े पंिडत तेनालीराम जी ने समझाया है ।

एक बार िफर राजा कृष्णराय को तेनालीराम पर गवर् महसस ू हुआ और उन्होंने

कहा िक तेनालीराम तम ु ने मझ ु े एक बार िफर बड़ी गलती करने से रोक िदया। यह कहते ही महाराज ने माली का मत्ृ यु दं ड का फैसला वापस लेते हुए उसे जेल से िरहा

करने का आदे श िदया। साथ ही तेनालीराम को उनकी बिु द्ध के िलए पचास हजार स्वणर् मदर् ु ाएं उपहार के रूप में दीं। कहानी से सीख

समय से पहले कभी भी हार नहीं माननी चािहए। कोिशश करने से बड़ी-से-बड़ी

मस ु ीबत से िनपटा जा सकता है ।

•3•

2 तेनाली रामा की कहानी: नली का कमाल तेनाली रामा की कहानी: नली का कमाल

एक बार राजा कृष्णदे व राय अपने दरबािरयों के साथ चचार् कर रहे थे। चचार् करते-करते अचानक बात चतरु ाई पर होने लगी। महाराज कृष्णदे व राय के दरबार में राजगुरु से लेकर कई अन्य दरबारी तेनालीराम से जलते थे। ऐसे में , तेनालीराम को नीचा िदखाने के िलए एक मंतर्ी दरबार में बोल पड़ा िक, “महाराज! दरबार में

एक से बढ़कर एक बिु द्धमान और चतरु लोग मौजद ू हैं और अगर मौका िदया जाए, तो हम सभी अपनी चतरु ाई आपके सामने पेश कर सकते हैं, िकं त?ु ”

महाराज कृष्णदे व ने है रत में पड़ते हुए पछ ू ा, “िकन्तु क्या मंतर्ी जी?” इस पर सेनापित बोले, “महाराज! मैं आपको बताता हंू िक मंतर्ी जी के मन में क्या बात है । दरअसल, इस दरबार में तेनालीराम के अलावा िकसी को भी अपनी चतरु ाई सािबत

करने का मौका नहीं िदया जाता है । हर बार तेनालीराम ही चतरु ाई का शर्ेय ले जाते हैं, तो ऐसे में दरबार के बाकी लोग अपनी योग्यता कैसे िदखा सकते हैं?”

महाराज कृष्णदे व राय सेनापित की बात सन ु कर समझ गए िक दरबार के सभी लोग तेनाली के िवरोध में उतर आए हैं। इसके बाद महाराज कुछ दे र शांत रहे और मन ही मन िवचार करने लगे। तभी महाराज की नजर भगवान की मिू तर् के सामने जल रही धप ू बत्ती पर गई। धप ू बत्ती को दे खकर महाराज के मन में सभी दरबािरयों की परीक्षा लेने का िवचार आया।

उन्होंने तरु ं त कहा, “आप सभी दरबािरयों को अपनी चतरु ाई सािबत करने का

एक मौका जरूर िदया जाएगा। जब तक सभी दरबारी अपनी चतरु ाई सािबत नहीं •4•

िववेक कुमार पांडे शंभन ु ाथ

कर दे त,े तनाली बीच में नहीं आएगा।” यह सन ु कर दरबार में मौजद ू लोग खश ु हो गए। उन्होंने कहा, “ठीक है महाराज! आप बताएं िक हमें क्या करना होगा?” राजा

कृष्णदे व राय ने धप ू बत्ती की तरफ उं गली करते हुए कहा िक मेरे िलए दो हाथ धआ ु ं लेकर आओ। जो भी यह काम कर पाएगा, उसे तेनालीराम से अिधक बिु द्धमान समझा जाएगा।”

महाराज की बात सन ु कर सभी दरबारी सोच में पड़ गए और आपस में चचार् करने लगे िक यह कैसे संभव है , भला धए ु ं को नापा जा सकता है क्या? इसके बाद अपनी चतरु ाई सािबत करने के िलए सभी दरबािरयों ने अपना हाथ आजमाया, लेिकन कोई भी धआ ु ं नाप नहीं पाया। जैसे ही कोई धए ु ं को नापने की कोिशश करता, धआ ु ं उनके हाथों से िनकलकर उड़ जाता।

जब सभी दरबािरयों ने हार मान ली, तब उनमें से एक दरबारी बोला िक,

“महाराज! हमारे िहसाब से धए ु ं को नापा नहीं जा सकता है । हां, अगर तेनाली

ऐसा कर पाए, तो हम उसे अपने से भी अिधक बिु द्धमान मान लेंगे, लेिकन अगर वह ऐसा नहीं कर पाए, तो आपको उन्हें हमारे जैसा ही समझना होगा।” राजा मस् ु कुराते हुए बोले, ‘क्यों तेनालीराम! क्या तम ु तैयार हो?” इस पर तेनालीराम ने

िसर झुकाते हुए कहा, “महाराज! मैंने हमेशा आपके आदे श का पालन िकया है । इस बार भी जरूर करूंगा।” इसके बाद तेनालीराम ने एक सेवक को बल ु ाया और उसके कान में कुछ कहा।

उनकी बात सन ु कर सेवक तरु ं त दरबार से बाहर चला गया। दरबार में चारों ओर

चप्ु पी छा गई। सभी यह दे खने के िलए उतावले हुए जा रहे थे िक आिखर कैसे तेनालीराम राजा को दो हाथ धंआ ु दे ता है । तभी सबकी नजर सेवक पर पड़ी, जो शीशे की बनी दो हाथ लंबी नली लेकर दरबार में वापस आया था।

तेनालीराम ने उस शीशे की नली का मंह ु धप ू बत्ती से िनकलते धए ु ं पर लगा

िदया। थोड़ी ही दे र में शीशे की परू ी नली धए ु ं से भर गई और तेनाली ने जल्दी

से नली के मंह ु पर कपड़ा लगाकर उसे बंद कर िदया और उसे महाराज की तरफ

करते हुए कहा, “महाराज! यह लीिजए दो हाथ धआ ु ।ं ” यह दे ख महाराज के चेहरे पर मस् ु कान आ गई और उन्होंने तेनाली से नली लेकर दरबािरयों की ओर दे खा। सभी के िसर तेनालीराम की चतरु ाई दे खकर शमर् से नीचे झुके हुए थे। वहां कुछ दरबारी तेनालीराम के पक्ष में भी थे। उन सब की आंखों में तेनालीराम के िलए

सम्मान था। तेनालीराम की बिु द्धमानी और चतरु ाई दे खकर, राजा बोले, “अब तो आप लोग यह समझ गए होंगे िक तेनालीराम की बराबरी करना संभव नहीं है ।”

इसके जवाब में दरबारी कुछ भी बोल न सकें और उन लोगों ने चप ु चाप िसर झक ु ा •5•

तेनाली रामा की कहािनयां

िलया।

कहानी से सीख :

हमें दस ू रों की बिु द्धमता का सम्मान करना चािहए और िकसी की चतरु ाई से

जलन नहीं करनी चािहए।

•6•

3 तेनाली रामा की कहािनयां: िशल्पी की अद्भत ु मांग तेनाली रामा की कहािनयां: िशल्पी की अद्भत ु मांग

िवजयनगर के महाराज कृष्णदे व हर बार तेनालीराम की सझ ू बझ ू से दं ग रह जाते थे। इस बार भी तेनालीराम ने महाराज को है रान कर िदया। दरअसल, एक

बार महाराज कृष्णदे व पड़ोस के राज्य पर जीत हािसल करके िवजयनगर लौटे और उन्होंने उत्सव मनाने की घोषणा कर दी। परू े नगर को ऐसे सजाया गया जैसे कोई बड़ा त्योहार हो।

अपनी इस जीत को यादगार बनाने के िलए महाराज कृष्णदे व के मन में िवचार आया िक क्यों न नगर में िवजय स्तंभ बनवाया जाए। स्तंभ बनाने के िलए

महाराज ने राज्य के सबसे हुनरमंद िशल्पकार को तरु ं त बल ु वाया और उसे काम सौंप िदया। महाराज के आदे शानस ु ार िशल्पी भी अपने काम में जट ु गया और कई हफ्तों

तक िदन-रात एक करके उसने िवजय स्तंभ का काम परू ा िकया। जैसे ही िवजय

स्तंभ बनकर तैयार हुआ, तो महाराज समेत दरबारी व नगरवासी िशल्पकार की कला को दे खकर उसके कायल हो गए। िशल्पी की कारीगरी से पर्सन्न होकर महाराज ने उसे दरबार में बल ु ाया और

इनाम मांगने को कहा। उनकी बात सन ु कर िशल्पकार ने कहा, “हे महाराज,

आपको मेरा काम पसंद आया मेरे िलए यही सबसे बड़ा इनाम है । आप बस अपनी

•7•

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