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Story Transcript

ज़िन्दगी का सफ़र

लेखक अभिनव चतुवेदी

RV Publication House Copyright, 2022, Abhinav Chaturvedi

ज़िन्दगी का सफ़र ( ISBN – 9798886069464 )

All Right reserved. No part of this book can be reproduced , stored or transmitted in any form without prior permission of the writer . Book Editing & Cover Design By: Rahul Patidar Instagram @m.rahulpatidar Catch us on different platforms: Email: [email protected] Instagram @r.v.publication

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Founder of RV PUBLICATION

ये रोहित शर्मा िै ये एक लेखक ,कलमकमर ,समहित्यकमर, कवव, किमनीकमर, और

R.V. Publication के संस्थमपक

िी िै और

ये आई.पी.एस की तैयमरी कर रिे िै । ये पंजमब के जजले अर्त ृ सर के ननवमसी िै इनको भलखने की प्रेरणम जीवन के जुड़े तथ्यों से भर्ली िै । इन्िोंने (50)

से ऊपर पस् ु तको र्ें

सिलेखको के रूप र्ें कमया ककयम िै और स्वयं की पस् ु तकों कम िी जल्द ननर्माण कर रिे िै इन्िोंने प्रकमशन केंद्र कम ननर्माण इसभलए ककयम क्योंकक लोगो की प्रनतिम को एक र्ौकम दे सकें जजस के द्वमरम उनको एक पिचमन प्रमप्त िो और िर अन्य छे त्रों र्ें उनकम सम्र्मन िो। प्रकमशक रोहित शर्मा

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इस पस् ु तक की सिी रचनमएँ ओर कृनतयमँ र्ल ू रूप से लेखक के द्वमरम उनकी सम्पण ू ा सिर्नत से ली गयी िै तथम लेखक के द्वमरम इसके समहिजत्यक और प्रमकृनतक िोने की पजु टि की गई िै ।। इन रचनमओं र्ें लेखक ने अपनी कल्पनम और समहिजत्यक ववचमरों

को रखम िै जजसकम ककसी िी जमनत सर्द ु मय तथम ककसी जीववत

यम र्त ं निीं िोनम चमहिए इसे र्ल ू रखने के भलए ृ व्यजक्त से संबध िर् सिी ने कड़ी र्ेिनत की िै अगर िर्मरे ज्ञमन से कुछ छूि

गयम िै तो इसके भलए प्रकमशक और संपमदक जजम्र्ेदमर निीं िोंगे | लेखक परू ी तरि जजम्र्ेदमर िोंगे ।

प्रकमशक रोहित शर्मा

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भसर झक ु मए खड़म िूँ आपके चरणों र्ें, आशीष िरे िमँथ र्ेरे सर पर फेर दो र्मँ। अंधेरों र्ें ज्ञमन की ज्योनत कुछ दे र दो र्मँ। शत-शत नर्न करतम िूँ आपको... जय िो शमरदे र्मँ-जय िो शमरदे र्मँ।। र्झ ु े "जिन्दगी कम सफ़र" भलखने की प्रेरणम जीवन के कई हिस्सों से एवं कई लोगों से भर्ली। र्ेरे र्मतम-वपतम के समथ र्ेरे पररवमर के बड़े सदस्य र्ेरे पज े ी" ू नीय बड़े वपतमजी "श्री जयप्रकमश चतव ु द जी द्वमरम र्ैने अपने जजन्दगी को गम्िीरतमपव ा भलयम, एवं जीने ू क के तौर-तरीके को वमस्तव रूप र्ें उनसे सीखम। समथ िी जीवन र्े सदम िर्मरे समथ रिने वमले दोस्तों और भशक्षकों को अपनी कलर् कम प्रेरणमस्त्रोत र्मनतम िूँ। जो की र्झ ु े सदम अपने पथ पर अग्रसर िोने की शि ु कमर्नमएं प्रदमन करते रिते िैं। दे श के जमनेर्मने कवव "डॉ. कुर्मर ववश्वमस" जी की कववतमएं र्झ ु े अनतवप्रय िैं एवं यव ु मओं के दृजटिकोण से उनकी कववतमओं से कमफी कुछ सीखने को भर्लतम िै ।

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र्ेरे भलखने के कई कमरणों र्ें "कववरमज-कुर्मर ववश्वमस" जी की कववतमएं र्झ ु े अत्यधधक रूप से प्रिमववत की िैं। "रमिुल पमिीदमर" उनके बमरे र्ें तो र्ैं क्यम बतमऊँ उनकम धन्यवमद करने के भलये तो र्ैं नन:शब्द िूँ । उन्िोंने िर्ें "हिंदी ऑनलमइन शमयरी" पररवमर से जोड़कर बिुत सम्र्मन व प्यमर हदयम िै गलनतयों से सीखकर आगे बढ़नम भसखमयम िै । उन्िोंने यि एक ऐसम र्ंच बनमयम िै िर वगा के लेखकों को आर्ंत्रत्रत

करके उनकी लेखन कलम को आगे बढ़मने के भलये प्रोत्समहित ककयम िै । िर लेखक को सर्मन आदर सत्कमर हदयम िै ।

"रोहित शर्मा सर" के बमरे र्ें तो क्यम भलखंू जजतनम भलखू उतनम कर् िै उन्िोंने र्झ ू े अपने समथ जोड़कर जो स्नेि और आदर सत्कमर हदयम िै वो र्ेरे भलए र्ेरी जजंदगी कम सबसे अर्ल् ू य समथ िै जजसे र्ैं जजंदगी र्ें किी िी निी खोनम

चमिुगम । र्झ ु े िर्ेशम प्रोत्समहित ककयम और नन:स्वमथा िमव से समथ हदयम । आज र्ेरम यिमँ तक पिुंचनम उनकी की बदौलत िै तो इनकम जजतनम धन्यवमद करू उतनम कर् िै ।

लेखक अभिनव चतुवेदी

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परिचय

इनकम नमर् अभिनव चतुवेदी िै ये छत्तीसगढ़ के सरगुजम

जजले के अजम्बकमपुर शिर के रिने वमले िै । इन्िोंने भलखने की शुरुआत 2017 से की िै । ये 20 से अधधक

संख्यम र्ें कववतमएं भलख चक ु े िैं। प्यमर र्ोिब्बत दे शिीत संबंधधत, दोस्ती ,सर्मज पर ये कई कववतमएं भलख चक ु े िैं ।

Insta @abhinav_writes_17 Email - [email protected]

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प्रस्तावना किते िैं की जिन्दगी के सफ़र र्ें उतमर-चढ़मव लगे रिते िैं। अनेक प्रकमर कक परे शमननयमँ आते रिती िैं, किी र्मनभसक तो किी शमरीररक तौर पर। ठीक इन्िी सब परे शमननयों को और सख ु ों को पिचमनने र्ें नवजवमन िल ू करते िैं। प्यमर र्ोिब्बत , िमर-जीत के समथ न जमने ककतने इजम्तिमन दे ते िैं। जिन्दगी के सफ़र र्ें लोगों कम समथ एवं ववश्वमस िी एक दररये की ककनमरे जैसम िोतम िै, यव ु मवस्थम र्ें पिचमननम और ववश्वमस करनम थोड़म कहठन िोतम िरूर िै र्गर जब खद ु के अंदर

सिी

से र्ैत्री िमव िो तब आगे बढ़ने र्ें िी उतनी परे शमननयमँ निी हदखतीं। िमरनम-जीतनम ,कफर स्वयं को अपने अिूि ववश्वमस को जगमते िुए खुद के पैर पर खड़े िोनम जिन्दगी के सफ़र को अधधक रोर्मंच से िरतम िै । सच किें तो, जिन्दगी िी एक भसक्के जैसी िोती िै , किी सख ु तो किी दुःु ख। िं सते-र्स् ु कुरमते अगर प्रेर् िमव सिी से रखते चलें तो सत्य िै की जिंदगी के सफर कम र्िम अधधक आएगम।

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अनक्र ु मणिका 1)-जीतने की जजद्द । 2)-र्ेरम प्यमर (जो बीतम िै न वो बमत गयम) 3)-जीवन र्े बढ़ते कदर्। 4)-अपने प्यमर को यमद ककयम। 5)-ककसी के गुलमर् रिोगे।

6)-तुर् डिे रिनम उन रमिों पर। 7)-िे ईश्वर!दे वो शजक्त। 8)-नतरं गम। 9)-प्यमरी लड़की। 10)-अब िर्मरी बमरी िै । 11)-र्ेरम िमरत (सोने की धचड़ड़यम)। 12)-संघषा। 13)-हदवमली | 14)-किसर्स। 15)-सवमल पूछेंगे। 16)-दोस्त।

17)-भशक्षक। 18)-सैननक। 19)-वक्त। 20)-जिन्दगी।

21)-लड़ककयमँ|

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1. जीतने की ज़िद्द वो िमर-िमर निी जजसर्े जीत परमस्त न िो, वो व्यजक्त इज्ितदमर निी जजसर्े र्मन-सम्र्मन न िो, िर घड़ी की सतमईं यमदें , बमतों तक र्े रोती िै, िमर के र्ैदमन र्ें खड़ी जिन्दगी जब तक सोती िै । वो नींद-नींद िी निी, जब तक जीत निी िो झोली र्ें – हदल र्े कमंिे चि ु ते िैं, लोगों के व्यंगमत्र्क की बोली से। जिद्द जीत की जज़्बमतों से जब िरूरी िो जमती िै , तब जिन्दगी ककस्र्त के समथ भर्लकर िर्को िमर-जीत के र्ैदमनों र्ें ले आती िै । ठीक ! िर चमि को रखते िुए र्ैदमनों र्ें आनम िै । िमर-जीत की सीढ़ी पर खुद को खड़े कर आजर्मनम िै, िमर गए, कोई बमत निी कदर् अड़े रिें गे, जीत गए तो िर तरफ से वमिवमिी आगे िर सीढ़ी को पमर करें गे। कोई िर्े क्यों तौले, ये िर्मरी जिन्दगी िै, िर् अपने तरीके से अपने सपने समकमर करें गे।

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2.मेिा प्याि (जो बीता है ना वो बात गया) जो बीतम िै नम वि बमत गयम , सर्झो तर् ु जो शरू ु ककए थे संग उसके शरू ु आत गयम, यमर वि प्यमरी, उसकी बमतें समरी ,ककतनी यमद हदलमती िैं , दरू िो गई कोई बमत निीं िै -र्ेरे हदल हदर्मग के बीच र्ें िर रोज वि सर्झौतम करवमती िै वि किती िै र्ैं पमगल िूं , खूब रोतम र्ैं आजकल िूं । अच्छी ननयत वमले लोग नीची सोच निीं रखते, िर प्यमर र्ें उसकी तरि अच्छे लोग निीं भर्लते। वि ख्वमब रिी िै , समथ रिी िै , सच्चे और िमवक ु र्न से कितम िूँ वो “लड़की” र्ेरी शमन रिी िै । वि प्यमर रिी िै र्ेरी -जो किती िै , कर् उम्र र्ें इश्क और लड़मओ, आगे कम उम्र तम् ु िमरम क्यम िोगम र्मं-बमप जो तर् ु पर ववश्वमस रखे िैं उन ववश्वमसों कम क्यम िोगम Page | 11

वि लड़की जो िरदर् अपनों के भलए तत्पर रिती िै , उस लड़की को आखखर कैसे गलत खुद सर्झुं ?.. और दस ू रों को सर्झने दँ ू र्ैं । बिुत कुछ सीखम िूं यमर तझ ु से र्ैं ― तू शमन बन, घर वमलों की जमन रिनम, समफ ननयत की िै यमर त,ू र्झ ु से किी र्त नमरमज रिनम। तू दरू रिकर िी पमस रिनम , र्झ ु से तेरी बमतें जीवन र्ें बंद नम िों, िे िगवमन ! उस लड़की के भलए र्ेरम प्यमर किी जीवन र्ें िी खत्र् नम िो। अपने-अपनो के संग अपने जीवन र्े उड़ती रिनम, िोंगी बमतें िले थोड़ी-थोड़ी, यमर कर्से-कर् बमतों से जड़ ु ी रिनम। केवल र्ेरम प्यमर निी त,ू र्ेरे जीवन कम एक अिर् िमग रिी िै । र्न से आंसू तक बिमयम िूँ, तू जब जब र्झ ु से गस् ु सम और नमरमज रिी िै । “ऐ पमगल ! आप सन ु ो थोड़म”

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आज नमदमनी र्ें कल की बदनमर्ी िोगी, ककतने क्यम सोचें गे यमर सर्मज र्ें कई किमनी िोंगी। “अच्छम सन ु ो ! आप सर्झो थोड़म” ऐसे कैसे कमर् चलेगम यमर ?.. ऐसे ददा र्ें रिकर और ककतनम रमत ढलेगम यमर ?.. दरू रिकर थोड़म और रिते िैं , प्यमर ककए थे इतने समल तक, उस प्यमर को ववदम करते िैं। दरू िो गई िै र्गर इतनम ख्यमल करती िै नम । (तझ ु पर दआ ु रिे, तू र्स्त रिे ,खुश रिे, आँख थी र्ेरी कल तू ,प्यमर की र्ेरी प्यमरी सी अब अश्क रिे ।) “ऐ पमगल”― कुछ समल की र्ैं आपकी खभु शयमँ रिी िूं, दनु नयम निी, यमद करो ! आपकी अगर र्ैं जमन रिी िूं तो घरवमलों की गड़ु ड़यम िी । वो लड़की र्ेरे जीवन र्े आने-जमने वमले खुभशयों की तरि निी रिी,

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वो लड़की र्ेरे जीवन र्ें बदलते र्ौसर् की तरि निी रिी। उसकी यमद र्ें रोतम िूँ, जब-जब र्ैं र्ेरम दोस्त ,उसी कम नमर् लेकर र्झ ु को चुप करमतम िै। उसके भलए ककतनम प्यमर िै र्ेरे अंदर, ये र्ेरम पमगलपन हदखमतम िै । (खुभशयमँ रिें गी, ररश्ते रिें गे, रुतबम रिे गम, शोिरत िी िरदर् रिे गम । वो र्ेरम िोकर िी र्ेरम निी िै ,इस बमत कम िर्ेशम गर् रिे गम।।)

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3.जीवन मे बढ़ते कदम कदर् िमर के डर से आगे िी निी जमते िैं, िमरे िुए लोग कुछ, जीत की अिभर्यत भसखमते िैं। वे िमरे िैं.... र्ैदमन छोड़कर िमगे तो निी, उनको इतनम अनि ु व न िोतम, अगर वे कदर् आगे बढ़मते िी निीं। िमर जमओ यम जीत जमओ, यम तर् ु बिमने वमले गीत गमओ। र्ेरी र्मनो, इससे अच्छम िमरकर िी कुछ भसख जमओ। एक कदर् आगे, एक कदर् पीछे रखनम िै, भसखमने वमलों को ऊपर रखो, तर् ु को एक कदर् नीचे रिनम िै । चलते रिनम िै , कफ़रते रिनम िै । किीं-किीं दौड़नम, किीं-किीं धगरनम िै । र्ेरे कववतम र्ें िी र्झ ु े यिी किनम िै जीतें गे तो शमबमशी, िमर िी गए तो भसखनम िै ।

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