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Story Transcript

द हॉन्टे ड HOROR STORY

युवराज िसंह पटे ल

Copyright © Yuvraj Singh Patel All Rights Reserved. This book has been published with all efforts taken to make the material error-free after the consent of the author. However, the author and the publisher do not assume and hereby disclaim any liability to any party for any loss, damage, or disruption caused by errors or omissions, whether such errors or omissions result from negligence, accident, or any other cause. While every effort has been made to avoid any mistake or omission, this publication is being sold on the condition and understanding that neither the author nor the publishers or printers would be liable in any manner to any person by reason of any mistake or omission in this publication or for any action taken or omitted to be taken or advice rendered or accepted on the basis of this work. For any defect in printing or binding the publishers will be liable only to replace the defective copy by another copy of this work then available.

यह िकताब मु झे जन्म दे ने वाली माँ और सद सदैै व मे ररीी रक्षा करन करनेे वाली माँ को समिप समिपर्र्त है

yuvraj singh patel

कर्म-सच ू ी पर्स्तावना

vii

1. है वािनयत - ममता हुस्ने मिल्लका

1

2. है वािनयत - खौफनाक सह ु ागरात

7

3. है वािनयत - नज़रबंद

12

4. है वािनयत -मिु क्त

16

5. है वािनयत -एक और मौका

20

6. है वािनयत-वेदना

25

7. है वािनयत - दिरंदगी

29

8. है वािनयत - है वान का अंत

34

9. एक अतप्ृ त आत्मा (पिरचय)

39

10. एक अतप्ृ त साया (खौफ की रात)

47

11. एक अतप्ृ त साया (रहस्य की खोज)

54

12. एक अतप्ृ त साया - अंितम भाग

63

13. जंगल एक रहस्यमयी कथा

75

14. जंगल एक रहस्य (वो कौन थी)

78

15. जंगल एक रहस्य - काव्या का सच

83

16. जंगल एक रहस्य (भयानक रूह से सामना)

87

17. जंगल एक रहस्य (माया का सच)

92

18. जंगल एक रहस्य (आत्मा का आवाहन)

97

19. जंगल एक रहस्य (जंगल का राज़)

103

20. जंगल एक रहस्य (शैतान का खात्मा)

109

पाठको से वातार्लाप

117

•v•

पर्स्तावना लेख खक क की कलम से द हॉन्टे ड यह िकताब भत ू - पर्ेत की अनोखी, अनकही कहानी है िजसका वास्तिवक जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं है । यह कहािनया काल्पिनक है िकन्तु यह कहानीया

लोगो के द्वारा कही गयी आत्मकथाएं है िजनका कोई ठोस साक्ष ना होने के कारणवस ् अिवशवासनीय पर्तीित होता है । कृपा यह िकताब छोटे उमर् के बच्चे ना पढ़े , इस िकताब में बहुत भयानक दृश्य िलखे गएँ है , यह िकताब तीन भयनाक कहािनयो का संगर्ह है िजनकी कई पर्ितयाँ हाथो - हाथ िबक चक ु ी है ।

यिद इस िकताब की िकसी भी कहानी या उसके अंश से िकसी व्यिक्त या

समद ु ाय की धािमर्क तथा सामािजक भावना को ठे स पहँुचती है तो मैं क्षमा पर्ािथ हँू, मेरा उद्दे श्य मातर् अपने पाठको का मनोरं जन करना है ।

• vii •

1 है वािनयत - ममता हुस्ने मिल्लका नहीं माँ मै अभी शादी नहीं करना चाहती, मैं अभी पढ़ना चाहती हंू , मझ ु े आई ए एस अफसर बनना है , मैंने सारी िजंदगी एक ही खाब दे खा है मां! प्लीज मेरे इस सपने को मत तोड़ो । ममता ने परू ी िदल से आंखों में आसंू बहाते हुए आपने माँ से िमन्नते कर रही थी, की उसकी मा अनप ु मा उसके पापा जगदीश मेहता से बात करें िक वो अभी शादी नहीं करना चाहती, वो आगे पढ़ना चाहती है ।

अनप ु मा उसकी आंखों में आंसू दे खकर खद ु रो पड़ी और ममता को गले लगा िलया और कहा - तू घबरा मत बेटी मै हंू ना मै बात करूंगी तम् ु हारे पापा से। ये

कहते हुए अनप ु मा जगदीश जी के कमरे की तरफ चल दी। ममता एक बहुत ही गोरी लंबी खब ू सरू त सी लड़की थी जो िकसी भी साधू के भी मन में वासना जगा दे पर हमेशा पढ़ाई में ही लगी रहती थी क्यंिू क बचपन से ही उसने एक ही ख्वाब

आंखों में सजाया था िक उसे आई ए एस अफसर बनना है , इसिलए ना तो वो टीवी

िफल्में दे खती थी और ना ही इंटरनट मोबाइल उपयोग करती थी। अनप ु मा के जाते ही मन ही मन खश ु होकर जीत का जशन मानने लगी थी क्यंिू क उसे पक्का यकीन था िक उसके पापा उसकी मा की बात मान जाएंगे।

जगदीश जी का कमरा, एकदम साफ सथ ु रा और हर एक चीज यथा स्थान पर रखी

हुई जगदीश जी बहुत ही अनश ु ासन में रहने वाले व्यिक्त थे। अनप ु मा कमरे में पहंु च कर दरवाजा खटखटाया जगदीश जी पेपर पढ़ रहे थे िबना दरवाजे की तरफ दे खे जवाब िदया अंदर आ जाओ अनप ु मा ।

•1•

द हॉन्टे ड

अनप ु मा धीरे से जगदीश के पास गई और ममता की िदल की बात कहते हुए शादी रोकने को कहा।

जगदीश जी अचानक आग बबल ू ा हो उठे , िचल्लाते हुए कहा - क्या बकवास कर रही हो अनप मा! त म् हारा िदमाग तो खराब नहीं हो गया है , इतना अच्छा बड़ा ु ु पिरवार चार - चार कपड़े की फैक्टर्ी और दस पेटर्ोल पंप का मािलक उपर से एक लौटा कहां िमलेगा? इतना िरश्ता हाथ से िनकल गया तो सारी िजंदगी पछताएंगे । तम ु दोनों मेरी बात गांठ बांध लो इस बार ये शादी हो के रहे गी, तम् ु हारी बेटी को जो बनना है वहीं जा के बने।

अनप ु मा सहमी सी वापस गई और ममता को गले लगा के समझाया - बेटा हमरी

दो गलती है पहली की हम लड़िकयां है और दस ू री की हम भारत में जन्म िलया

है यहां हम ओरतें आपनी िजंदगी के फैसले खद ु नहीं ले सकते बेटा ये परु ु ष पर्धान समाज हमे इसकी इजाजत नहीं दे ता तम ु वनराज से शादी कर लो और कोई रास्ता नहीं है ।

वनराज एक बहुत ही गोरा िचट्ठा सा हैंडसम लड़का था घर चार मंिजल का उसमे

िसफर् वो और उसकी बढ ू ी मां रहती थी बाप जब िजंदा था तब अच्छा खासा िबजनेस जमा चक ु ा था उसके िनधर्न के बाद वनराज ही सबका अकेला मािलक था, जगदीश को वनराज शादी डॉट कॉम मै िमला था, इतना अच्छा लड़का जगदीश जी खोना चाहते थे।

ममता का कमरा बहुत की खब ू सरू ती से सजा हुआ ममता िबस्तर पर पेट के बल लेटी हुई तिकए से अपना मंह ु छीपा कर रो रही थी, की तभी कमरे का दरवाजा खल ु ा और ममता ने चोक के दे खा । सामने किवता खड़ी थी।

किवता ममता की पड़ोसी थी, और उससे उमर् में थोड़ी बड़ी थी पर उसकी सबसे

अच्छी सहे ली थी, किवता की शादी हो चक ु ी थी और वो भी बहुत खस ू रू त और कमाल लगती थी, किवता ममता के पास आई और धीरे से सहलाते हुए पछ ू ा - क्या हुआ? िकयंु रो रही हो?

ममता उससे िलपट के रोने लगी िफर बताया की उसकी मज़ीर् के बेगैर कैसे उसके मम्मी पापा उसकी शादी करवा रहे हैं। किवता ने उसकी बात ध्यान से सन ु ी िफर

•2•

यव ु राज िसंह पटे ल

उसे समझाया - हम लड़िकयां है हमे अपने मन की करनी की आजादी नहीं होती

पर हमे बाहर जा के पैसे कमाने की भी जरूरत नहीं होती, हमे बस अपने पित और घर, बच्चो का ख्याल रखना होता है और कुछ नहीं। मझ ु े ही दे ख लो तम् ु हारे जीजाजी िकतनी सख ु में रखते हैं मझ ु े बड़े प्यार से।

तम् ु हारे पापा ठीक कह रहें हैं तम ु वनराज से शादी कर लो िजंदगी सवार जियगी

तम् ु हारी रहा सवाल तम् ु हारे सपने का तो िपयार से मना लेना वो भी परू ा हो जाएगा।

किवता की बात सन ु के ममता को थोड़ी राहत िमली, उस लगा सबकुछ ठीक होगा, उसने भी कह िदया शायद तम ु ठीक कह रही हो मझ ु े ये शादी कर लेनी चािहए।

उसके बाद घर में शादी की धम ू धाम से तैयारी होने लगी, बहुत से मेहमान आए

हुए थे, सभी रस्में धम ू धाम से संपन्न हुई और वो िदन भी आ ही गया जब वनराज शा बारात लेकर ममता के घर आने वाले थे।

उसी िदन दोपहर को किवता ममता के कमरे में गई ममता कुछ परे शान सी और डरी हुई सी लग रही थी, किवता ने बड़े पीयार से पछ ू ा - अब क्या हो गया? ममता ने िहचकते हुए कहा - कुछ नहीं।

किवता ने िफर जोर िदया - क्या हुआ? मझ ु े भी नहीं बताओगी?

ममता ने धीरे से सहमी और कपकपाती आवाज में कहा मेरी शादी है िफर आजरात

सह ु ागरात होगी, मझ ु े इसी बात का डर लग रहा है । सेक्स कैसे होता है मझ ु े कुछ नहीं पता, मेरा क्या होगा? सन ु ा है पहली बार बहुत दख ु ता है ? किवता उसकी बात सन ु के जोर - जोर से िबस्तर पर लेट के हसने लगी, िफर अपनी हं सी रोकते हुए कहा - अरे पगली! ये ददर् तो बहुत मीठा होता है , इस ददर् को सहने के िलए लोग िकतना इंतजार करते हैं।

सह ु ागरात में तम् ु हारे पित तम् ु हारे पास आयेंगे और बड़े प्यार से तम् ु हारा घंघ ू ट उठा के तम् ु हारे चेहरे का दीदार करें गे, िफर तम ु से इतना प्यार करें गे िजतना तम् ु हे सारी िजंदगी िकसी ने नहीं िकया। िफर धीरे से सेक्स करें गे।

ममता ने झीजकते हुए कहा - पर सेक्स में मझ ु े क्या करना होगा, कैसे करते हैं?

किवता ने हं सते हुए अपने मोबाइल में एक वीिडयो चलाया और ममता को दे िदया।

मोबाइल में अश्लील वीिडयो चल रही थी, ममता ये सब दे खकर सहम सी गई। किवता ने उसे संभाला और िफर धीरे धीरे ममता भी मदहोश होने लगी, किवता धीरे धीरे ममता के कपड़े उतारने लगी और पता नहीं िकयों ममता ने इसका िवरोध

•3•

द हॉन्टे ड

नहीं िकया।

किवता ने उसे अपने सामने परू ा नंगा कर िदया िफर कहा - खब ू सरू त िजस्म

की मिल्लका हो तम ु तो, िफर कहा - मैंने तम् ु हारे कपड़े इसिलए उतारे हैं तािक तम् ु ममे सेक्स करने की, िकसी और के सामने नंगा होने की िहम्मत हो, किवता ने

गले लगते हुए और िकस करते हुए कहा - पर डािलर्ंग िकसी भी मदर् को लड़िकयों

की पर्ाइवेट पाटर् में बाल िबल्कुल पसंद नहीं है इससे उन्हें प्यार करने की इच्छा नहीं होती अगर तम ु कहो तो इसे हटा दं ?ू ममता ने धीरे से बस हां मै सर िहला िदया।

िफर किवता बाहर गई और एक सेिवंग िकट लेकर आ गई, िफर ममता को

बाथरूम में ले जाकर ढे र सारा साबन ु लगा के परू े बाल पर्ाइवेट पाटर् से िनकाल िदए, अब ममता और भी ज्यदा खब ू सरू त िदख रही थी।

इस्तरह से अब ममता तैयार थी, किवता ने उसे सेक्स के िलए तैयार कर िदया था।

किवता ने उसे छे ड़ते हुए कहा - अब हमारी ममता तैयार है सह ु ागरात के िलए और और िकस कर िदया।

ममता का घर, सभी तरफ शादी की खिु शयां फैली हुई थी, घर का कोना कोना

शादी की रौनक िबखेर रहा था। ममता का कमरा भी आज कुछ अलग ही चमक धमक िलए महक रहा था, ममता बाथरूम से नहा कर बस िनकली ही थी, की उसकी नजर कमरे में लगे आयेने पर पड़ी।

उसने अपने आप को पहली बार एक अलग ही नजर से दे खा, उसने एक िपंक

कलर की टावेल सीने से लेकर जांघ तक लपेटी हुई थी, पानी में भीगी हुई मदोहश

कर दे ने वाली िजस्म की खस ू बू िकसी को भी मंतर् मग्ु ध करने के िलए काफी था। िफर उसने अपना टावेल िनकला और आयने के सामने िबल्कुल नग्न खड़ी होकर

खद ु को वासना भारी नजर से िनहार रही थी, तभी दरवाजे पर किवता ने नोक िकया - ममता और िकतनी दे र, मेकअप वाली आ चक ु ी है जल्दी करो।

ममता ने हड़बड़ाहट में टावेल उठाके पहनते हुए कहा - बस पांच िमनट, िफर

जल्दी से अपने िजस्म पर खास खस ु बू वाला तेल लगाके लाल दल् ु हन का जोड़ा

िनकाल कर पहन िलया, िफर आयने में खद ु को दे ख के कह उठी - इससे अच्छी और खब ू सरत तो मैं कभी आपने िजंदगी में नहीं लगी। िफर का के दरवाजा खोला, किवता वहीं खड़ी थी। ममता को दे खकर उसके मंह ु से िनकाल पड़ा - वाव तम ु क्या लग रही हो आज, जैसे जन्नत की पारी आसमान से जमीन पर उतर आई हो। ममता ने मस् ु कुराते हुए कहा - आप भी ना!

िफर मेकअप आिटर् स्ट मेघा भी पहंु च गई और जल्दी से उसे डर्ेिसंग टे बल में बैठने •4•

यव ु राज िसंह पटे ल

को कहा कर आपना समान िनकालने लगी। करीब आधे घण्टे के अंदर ही उसने

अपना काम खत्म कर िदया अब तो ममता िकसी बॉलीवड ु अिभनेतर्ी से कम नहीं लग रही थीं, किवता भी उसे दे खकर कह उठी - हाय! मैं मर जावा ।

थोड़ी दे र में ममता की मम्मी अनप ु मा भी आ गई और अपने बेटी को दल् ु हन

के जोड़े में दे खकर उसे गले से लगा िलया, िफर अपने उं गली में अपने आंखों का काजल लगा के ममता के गले में लगाया और बड़े प्यार से उसकी माथे को चम ू कर कहा - नजर ना लग जाएं मेरी बच्ची को।

तभी जगदीश जी िचलाए - अनप ु मा बारात आ चक ु ीं हैं जल्दी नीचे आओ। अनप ु मा भागते हुए गई और थोड़ी दे र में बरती के स्वागत के िलए दरवाजे पर खड़ी हो गई।

एक सफेद रं ग की ढाई करोड़ की मसार्िरज बेंज एस क्लास जो िक आज िकसी भव्य

फूल रथ की तरह सजी हुई थी, उसमे वनराज और उसकी मा उतरे , वनराज ने बहुत ही महं गी शेरवानी पहनी हुई थी और एक रत्न जिरत तलवार हाथो में िलए िकसी िरयासत के महाराज की तरह आभा िबखेर रहा था।

अनप ु मा और जगदीश अपने दल् ु ी से फूले नहीं समा रहे थे, िफर ू हे को दे खकर खश जगदीश जी ने इंकावन हजार रूपए गुठा हुआ मला अपने जमाई के गले में डाला और अनप ु मा ने बहुत भव्य तरीके से उसकी आरती उतरी जैसे कोई अपने आराध्य दे व की उतार रहा हो।

उसके बाद सभी अंदर चले गए और बहुत जल्दी साथ फरों की तैयारी होने लगी, थोड़ी दे र में ममता भी नीचे आ गई, उससे दे खकर वनराज की आंखे चोिधया गई

और उसकी मा राजलक्ष्मी ने तो सीधे उसे अपने सीने से लगा िलया िफर एक दो हजार का नोट लेकर नजर उतार कर फेंक िदया और कहा - कहीं नजर ना लग जाएं मेरी चांद सी बहुरानी को।

वो सभ ु मंगल घड़ी आ ही गई िजसका सभी को बेताबी से इंतजार था, वनराज

और ममता स्टे ज में हवनकंुड के सामने बैठ गए और पंिडत जी ने मंतर् उत्तचरण पर्ारं भ कर िदया िफर दोनों उठकर साथ फेरे लेने लगे, अिग्न को साक्षी मानकर

सातों जन्म जीने मारने की कसमें खाई और अंत में दोनों ने घर के सभी बड़े बज ु ग ु ोर् का आशीवार्द िलया।

अब िवदाई की बड़ी थी, अनप ु मा और जगदीश का िदल पसीज आया था, आपनी एक लौटी संतान को हमेशा हमेशा के िलए घर से िवदा करने का दख ु दोनों

•5•

द हॉन्टे ड

में साफ िदख रहा था, दोनों पित पत्नी आपस में गले लग के दहारे मार मार कर रो रहे थे।

बाकी के िरश्तेदार उन्हें संभालने की कोिशश कर रहे थे, थोड़ा संभालने के बाद

जगदीश जी ने अपने जमाई के पैर पकड़ िलए वनराज ने उन्हें उठाया िफर बड़ी

भीगी आंखों से जगदीश ने िवनती की - बेटा मै आपनी इकलौती बेटी िजसके िलए

मैं सरी िजंदगी िजया उसे तम् ु हे हमेशा के िलए सौंप रहा हंू , बेटा मेरी बेटी भोली और नादान है उससे कुछ गलती हो जाएं तो प्यार से समझना, उसे कभी दख ु ना पहंु चना। ये बोल कर िफर रो पड़े। वनराज ने उन्हें वादा िकया की वो हमेशा ममता का ख्याल रखेगा िफर जगदीश

और अनप ु मा ने अपनी बेटी को आखरी बार जी भर के गले लगाया और कार का दरवाज़ा खोल कर बैठा िदया, ममता का भी रो रो कर बरु ा हाल हो चक ु ा था। िफर वनराज और सभी भी अपने अपने गािड़यों में बैठ गए और कुछ ही पल में सभी गािडयां वहां से ओझल हो गई, जगदीश धम से जमीन पर िगर पड़े, अपनी

इकलौती बेटी को खोने का ग़म उन्हें अंदर से तोड़ चक ु ा था उनमें खड़ा रहने की भी ताकत नहीं बची थी, बाकी िरश्तेदारों ने उन्हें उठाया और अंदर ले गए।

•6•

2 है वािनयत - खौफनाक सह ु ागरात आग आगेक ेकीकहानी ीकहानीममता ममताकी कीज जब ानी ुबानी वनराज का घर, चार मंिजल का भव्य मकान चारों तरफ जगमगाती रोशनी और

शादी की रौनक फैली हुई है । वनराज की मम्मी राजलक्ष्मी अपने बहू मतलब की मेरी गर्ह पर्वेश की तैयारी करने में व्यस्त थी. उन्होंने पहले एक कलश में चावल भरके रखा और मझ ु े बाए पैर से ठोकर मार के अंदर आने को कहा मैंने वैसे ही िकया। िफर मेरे सामने कुमकुम का घोल एक बड़ी थाल में लाया गया, मैंने उसमे

अपने पैर डाले और अंदर अपने कदम बढ़ाने लगी, मैं अपने पीछे गहरे लाल रं ग के पद िचन्ह छोड़ रही थी, इस तरह से परू ी रीित िरवाज के साथ मेरा गर्ह पर्वेश हुआ

िफर सभी मिहलाएं मझ ु े ऊपर वनराज के कमरे में ले गईं और शरारत से मस् ु कुराते हुए दरवाज़ा बाहर से बंद कर िदया। मैं जैसे ही कमरे में पहंु ची मझ ु े बड़ी राहत महसस ू हुई, मेरी मा ने कहा था - बेटा ससरु ाल में अपना सर नीचे ही रखना, इसिलए जबसे मैं उस घर में अई थी अपना सर नीचे की हुई थी िजससे मेरी गदर् न अकड़ गई थी।

मैंने ने एक नजर कमरे में डाला - वह एक बहुत ही भव्य और आलीशान कमरा था, उस कमरे की एक एक चीज बेहद बेिस्कमती मालम ू होता था, और आज तो परू ा

कमरा िकसी नई नवेली दल् ु हन की तरह सजा हुआ मंतर् मग्ु ध कर रहा था, मैं ये सब दे ख के मन ही मन इतराती हुई कह उठी - वाव मै इस आलीशान महल जैसे कमरे

•7•

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