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Story Transcript

भारत के उभरते विचार

Dr. Tinku Dhanraj Khatri Assistant Professor Department of Sociology

This book is dedicated to

"my respected mother, father's, family members" and all my respected Teachers.

मातृ दे िो भि, वितृ दे िो भि ।

आचार्य दे िो भि, अवतवि दे िो भि ॥

Treat thy mother as a God; as a God treat thou thy father; as a God shalt thou treat thy teacher; thy guests as Gods shalt thou treat.

INDEX

1. हम स्किल्स में पीछे क्यों, विदे शयों में 90 फीसदी तक स्किल्ड िककर 2. जैसे-जैसे आबादी बढी है , उसकी िृस्कि दर घटी है 3. दु विया में लयकतोंत्र के राज की डगमगा रही है िाि 4. वशक्षण और प्रवशक्षण पर खर्क तेजी से बढािा हयगा 5. वजतिी अटकलें लगाई जाती हैं उिमें से वकतिी सही 6. आज भी हमारे वलए विदे शी मान्यता इतिी जरूरी क्यों? 7. कहीों मोंदी के दौर में तय िहीों जा रहा है बाजार? 8. दे श के अोंदरूिी मसलयों पर विदे शी प्रवतवियाएों क्यों? 9. मयबाइल का ठीक से इस्तेमाल करिा भी एजुकेशि का वहस्सा 10. पािी के मामले में प्रकृवत का वमस्ड कॉल सुििा हयगा 11.अमीर-गरीब के बीर् फोंसा मध्यिगक मुस्किल दौर में 12.विकवसत दे शयों में फैलिे पर ही बीमाररययों की र्र्ाक क्यों? 13.रूस के बाद अब र्ीि पर भी हमारी कूटिीवत सटीक 14.गरीब आवदिासी पररिार से अब राष्ट्रपवत पद की ओर 15.अविपथ के बजाय पेंशिपथ र्ाहिे िाले कर िाले कर रहे हैं विरयध 16. आवदिावसययों के साथ ही मवहला ियटबैंक भी साधा 17. वहों दू धमक की विविधता ही उसकी सबसे बडी ताकत

18. अथकव्यिस्था के वलए र्ुिौवतययों से भरा हुआ है िेट-जीरय का लक्ष्य 19. बेरयजगार हयिे से बेहतर है अवििीर हयिा 20. िककफयसक में स्किययों की सोंख्या बढाए वबिा सच्चा विकास िहीों 21. क्ा पढिा हमारी आदत में है या अकादवमक जरूरत भर है ? 22.उभरते हुए बाजारयों का प्रदशकि विकवसत दे शयों से बे हतर 23. िए ले खक अब वकताब छापिे िाले के मयहताज िहीों हैं 24. स्किययों के वलए गभकपात का अवधकार मायिे रखता है 25. इवतहास के पन्यों कय पलटिा और समझिा भी जरूरी है भी 26. दू सरा मौका िहीों दें गे वसोंगल यूज प्लास्किक के दु ष्पररणाम 27. 10 साल में 665 बार इों टरिेट बोंदी, आवथकक हावि के साथ छवि प्रभावित

1. हम स्किल्स में िीछे क्ोों, विदे शोों में 90 फीसदी तक स्किल्ड िकयर

20िीों सदी की दक्षता तकिीक पर आधाररत थी पर 21िीों सदी की अथकव्यिस्था दक्षता कौशल यािी कॉम्पीटें स स्किल पर आधाररत है । वजसके पास अवधक कुशलता हयगी िह आगे विकल जाएगा। विकवसत दे शयों के मु काबले विकासशील दे शयों में कुशल कायकबल का प्रवतशत काफी कम है । विकवसत दे शयों में कुल कुशल कायकबल 60 से 90% है , जबवक भारत में 20-24 िर्क की उम्र के वसफक 5% लयग ही ऐसे हैं , वजिमें औपर्ाररक व्यािसावयक कौशल दे खिे कय वमलता है । इसमें कयई शक िहीों वक युिा िगक वकसी भी दे श का भविष्य हयता है । भारत अन्य दे शयों कय पछाड सकता है क्योंवक दे श की 65% आबादी 35 साल से िीर्े की है । 50% आबादी 25 आयु िगक से िीर्े की है । िास्तविकता यह है वक भारतीय विवभन् मल्टीिेशिल कारपयरे शि की तरफ रुख कर रहे हैं , जय यह दशाक ता है वक दे श में ज्ञाि तथा टै लेंट का कयई अकाल िहीों है । हालाों वक समय की पुकार यु िाओों में कौशल बढािे की है तावक तकिीक िाली 21िीों शताब्दी की रयजगार की जरूरतयों कय पूरा वकया जा सके। हमिे समझिे में बहुत दे र कर दी वक अकादवमक वशक्षा की तरह अपिी िई पीढी कय बाजार की माों ग के मु तावबक उच्च गुणित्ता िाली स्किल एजुकेशि दे िा भी जरूरी है । एवशया की आवथकक महाशस्कि दवक्षण कयररया िे डे िलपमेंट के मामले में र्मत्कार कर वदया है । साल 1950 तक विकास के स्तर और विकास दर दयियों ही मामलयों में दवक्षण कयररया हमारे मुकाबले कहीों िहीों था, लेवकि आज उसकी वगिती भारत के एक पायदाि आगे िाले दे शयों में हयती है और विकास के कुछ पैमािे पर िह जमकिी कय पीछे छयड र्ु का है , तय इसमें बडी भूवमका कौशल से जुडी वशक्षा की है ।

हमारे दे श में प्रवतभाएों हैं परों तु गरीब हयिे के कारण िे महों गी टर े विोंग िहीों ले पाते। ऐसे में कौशल विकास करके उन्हें दक्ष बिा सकते हैं । अगर युिा विवभन् प्रकार के कौशलयों से युि हय जाते हैं तय िे िए कारयबार शुरू करें गे वजससे भारत एक महाशस्कि बिकर उभरे गा। इसके साथ ही िौजिाि अपिे पैरयों पर खडे हयोंगे। अपिा रयजगार स्थावपत करें गे और दू सरे लयगयों कय रयजगार दे कर समाज का विकास करें गे । कौशल विकास करिे से भारत की गरीबी दू र करिे में भी सहायता वमलेगी। दे श में कौशल विकास ययजिा के शुरू हयिे के बाद भारत के युिाओों कय विदे शयों में िहीों जािा हयगा। आज की प्रवतस्पधी दु विया में विकास रणिीवत िह रणिीवत है वजसमें उद्ययग अपिे क्षेत्र की श्रम शस्कि के कौशल में सुधार करते हैं , व्यिसाय की लागत कम करते हैं और इस प्रकार अपिे उत्पादयों कय विश्व अथक व्यिस्था में प्रवतस्पधी बिाकर मुिाफा कमाते हैं । मशीिीकरण के इस दौर में करयडयों हाथयों कय तभी काम वदया जा सकता है , जब उि हाथयों में हुिर हय। तभी िे उत्पादकता बढा सकते हैं । हुिर के विकास से दे श के विकास कय मजबूती वमलेगी, अगर हमें भारत कय विकास की राह पर आगे ले जािा है , तय हुिरमोंद भारत हमारा पहला वमशि हयिा र्ावहए। भारत में बडी सों ख्या में युिा शस्कि है , अगर इसके कौशल विकास पर ध्याि वदया जाए, तय हमारा दे श विवित रूप से विकास के मामले में सफलता के झोंडे गाड सकता है । र्ीि, जमकिी या दवक्षण कयररया की तरह हम भी आवथकक महाशस्कि बि सकते हैं ।

2.

जैसे-जैसे आबादी बढी है , उसकी िृस्कि दर घटी है

वपछले कुछ वदियों से यूएि की िल्डक पॉपुलेशि प्रॉस्पेक्ट्स 2022 ररपयटक र्र्ाक ओों में है । आकर्कण का मुख्य केंद्र यह पू िाक िुमाि है वक 2023 में , भारत की आबादी र्ीि से आगे विकल जाएगी। यह ररपयटक दय िर्क के अोंतराल से प्रकावशत हुई है और इसमें अिे क अन्य महत्वपूणक वबोंदुओों कय प्रकाश में लाया गया है । ििम्बर 2022 में दु विया की आबादी 8 अरब कय पार कर 2030 तक साढे आठ अरब तक पहुों र् सकती है । 2050 में. इसके 9.7 अरब और 2100 में 10.4 अरब के पार र्ले जािे का अिुमाि है । 2022 से 2050 के बीर् िैवश्वक आबादी की प्रयजेक्टेड बढयतरी में आधे से भी ज्यादा ययगदाि मात्र आठ दे शयों का रहिे का अिुमाि है । ये दे श हैं - कॉन्गय, वमस्र, इवथययवपया, भारत, िाइजीररया, पावकस्ताि, वफलीपीोंस और तोंजाविया दु विया के अलग-अलग क्षेत्रयों में आबादी की बढयतरी का अिुपात अलग-अलग रहे गा। 2022 से 2050 के दौराि सब-सहारि अफ्रीका का क्षेत्र आबादी में बडा ययगदाि दे िे िाला है । 25 से 64 िर्क की आयु कय कामकाजी उम्र मािा जाता है । अलग-अलग दे शयों में कामकाजी आबादी की सोंख्या बढ या घट रही है । लेवकि डे मयग्रावफक वडविडें ड का लाभ लेिे के अिसर अभी बिे हुए हैं ।

यहााँ यह याद रखिा जरूरी है वक जैसे -जैसे पृ थ्वी की कुल आबादी बढी है , िृस्कि की दर धीमी हयती गई है । 1962 से 1965 के बीर् दु विया की आबादी सबसे तेज गवत से बढ रही थी। तब आबादी की िृस्कि दर 2.1 प्रवतशत प्रवतिर्क थी। तब से अब तक आबादी की िृस्कि दर धीमी हयती र्ली गई है , क्योंवक इस दौराि मिुष्य की प्रजिि क्षमता घटी है । 2020 में जिसोंख्या िृस्कि दर एक प्रवतशत से भी िीर्े र्ली गई थी और इस सदी के अोंत तक उसके कम ही रहिे का अिुमाि है ।

राष्ट्रीय पररिार स्वास्थ्य सिे क्षण-5 की मािें तय अब भारत की कुल प्रजिि दर भी 2.0. हय गई है , जय पूिक के आों कडयों से कम है । आिे िाले 30 सालयों में 61 से ज्यादा दे शयों की आबादी में एक प्रवतशत या उससे अवधक की वगरािट आएगी। एलि मि बार-बार यह कहते हैं वक पृ थ्वी पर घटती आबादी के कारण उलटे जिसोंख्या-सोंकट की स्कस्थवत विवमकत हय सकती है । भले ही उिका यह कथि समय सें पहले का हय, लेवकि इसे पूरी तरह से खाररज भी िहीों वकया जा सकता है ।

मृत्युदर और प्रजिि दर के अलािा और एक फैक्टर है , जय आबादी की सों ख्या कय प्रभावित करता है । िह है - अों तरराष्ट्रीय प्रिास। आिे िाले कुछ दशकयों में उच्च आय िगक िाले दे शयों में प्रिास ही जिसोंख्या िृस्कि का बडा कारक हयगा, क्योंवक िहाों पर मृत्युदर जन्मदर से अवधक हय र्ुकी हयगी। दू सरी तरफ विम्न आय और विम्न-मध्य आय िगक िाले दे शयों में जन्मदर मृत्युदर से अवधक बिी रहे गी। कयविड महामारी के बाद 2019 से 2021 के बीर् जीिि प्रत्याशा में 1.7 िर्क की कमी का अिुमाि लगाया गया है । लेवकि िैवश्वक रूप से िर्क 2050 तक जीिि प्रत्याशा बढकर 77.2 िर्क तक पहुों र् सकती है ।

2018 में पहली बार ऐसा हुआ था, जब 65 या उससे अवधक उम्र िाले व्यस्किययों की सोंख्या 5 िर्क से कम आयु िाले बच्चयों से अवधक हय गई थी। आज िैवश्वक आबादी में 65 या उससे अवधक उम्र िाले व्यस्किययों की सोंख्या 10 प्रवतशत है , जय 2050 में 16 प्रवतशत हय सकती है । इिमें भी मवहलाओों की सोंख्या अवधक हयगी, क्योंवक पूरी दु विया में मवहलाओों की जीिि-प्रत्याशा पु रुर्यों से अवधक है । इसी पररप्रेक्ष्य में यूएि के द्वारा 2021 से 2030 तक हे ल्दी एवजोंग दशक मिाया जा रहा है । इसका प्रययजि है उम्र के प्रवत हमारी सयर्, अिुभूवत और उस पर हमारी

प्रवतवियाओों में बदलाि लािा, बुजुगयों की क्षमताओों कय बढािा और उन्हें एकीकृत स्वास्थ्य से िाएों प्रदाि करते हुए हे ल्थ सम्बों धी मािकयों कय बढािा दे िा। कुछ दे शयों कय ऐसी िीवतययों पर ध्याि दे िा हयगा, वजिसे िे डे मयग्रावफक वडविडें ड के बढतें या घटते दौर का लाभ उठा सकें, िहीों दू सरयों कय ियि आबादी का ध्याि रखिे के वलए िीवतगत तैयाररयाों करिा हयोंगी।

3. दु विर्ा में लोकतों त्र के राज की डगमगा रही है िाि

दु विया के कई दे शयों में लयकतोंत्र तय है लेवकि उसकी स्कस्थवत डािाों डयल हय रही है । वद्वतीय महायुि के बाद कई दे शयों िे लयकताों वत्रक व्यिस्था कय अपिा वलया था, क्योंवक िे दे ख र्ु के थे वक वहटलर, मुसयवलिी, स्तावलि और तयजय का राज वकतिा विरों कुश और वििाशकारी वसि हुआ था। वजि एवशयाई अफ्रीकी दे शयों में अभी भी लयकताों वत्रक व्यिस्था वजोंदा है , उिमें भारत अग्रणी है । भारत जिसोंख्या के वहसाब से दु विया का सबसे बडा लयकतोंत्र है । र्ीि भारत से भी बडा लयकतोंत्र बि सकता था लेवकि माओत्से तुोंग और र्ाऊ एि लाई तािाशाही में स्तावलि से भी आगे विकल गए थे। भारत गिक कर सकता है वक आपातकाल कय छयडकर शेर् समय िह कमयबेश लयकताों वत्रक ही रहा है । भारत में ि तय कभी फौजी तख्तापलट की िौबत आई, ि ही सत्तारूढ िे ताओों कय दे श छयडकर भागिा पडा। वफर भी भारत का लयकतोंत्र पूणकरूपेण स्वस्थ िहीों है । कई बाधाएों सामिे आती है । जावतिाद, पररिारिाद, एकिेताशाही, भ्रष्ट्ार्ार, दल-बदल, दलयों में आों तररक लयकतोंत्र का अभाि आवद हमारे लयकतोंत्र कय कमजयर करते हैं । ले वकि पडयसी दे शयों पर िज़र डालें तय हमें आियक हयगा वक जय दे श सवदययों तक भारत का वहस्सा रहे हैं और भारतीय सोंिृवत में ही पले -बढे हैं , उिमें लयकतोंत्र या तय वििः शेर् हय गया है या लकिाग्रस्त हय र्ुका है । श्रीलोंका कय ही ले लें । िहाों पावकस्ताि, बाों ग्लादे श, म्ाों मार की तरह फौजी शासि िहीों आया लेवकि आज जैसी अराजकता िहाों हय रही है , िैसी दवक्षण एवशया के वकसी दे श में पहले िहीों हुई। राष्ट्रपवत गयटिाया कय दे श छयडकर भागिा पडा और प्रधािमोंत्री रविल वििमवसोंघे पता िहीों कहाों दु बके हुए हैं । उिके घर कय जिता िे आग के हिाले कर वदया और राष्ट्रपवत भिि में लयग घुस गए। अब सत्ता कौि सोंभालेगा, कैसे सोंभालेगा, कुछ िहीों कहा जा सकता।

पावकस्ताि का लयकतोंत्र तय शुरू से ही डगमगाया हुआ है । दय-तीि बार िहाों बाकायदा फौजी तख्तापलट हय गया और शेर् समय जय भी तथाकवथत लयकताों वत्रक सरकारें बिीों, िे हमेशा फौज के अोंगूठे के िीर्े दबी रहीों। मािा जाता है वक इमराि खाि का आिा और जािा फौज के कारण ही हुआ है । जय िागररक सरकारें िहाों बिीों, िे ज्यादातर पररिारिाद से ग्रस्त रही। जय सरकार अभी र्ल रही है , िह दलबदल के दम पर है । एक-दू सरे के जािी दु श्मि एक हय िाि में सिार हैं । इससे यह भी वसि हयता है वक सत्ता ही जात है और वसिाों त िीवत आदशक आवद माया है । सत्ता के मायािी खेल कय करयडयों मतदाता हाथ पर हाथ धरे तकते रहते हैं । िे कुछ िहीों कर सकते। लयकतोंत्र के इस शीर्ाक सि कय रयकिे का कयई उपाय जिता के पास िहीों है । दलबदल विरयधी कािूि लगभग हर दे श में वकसी ि वकसी रूप में बिा हुआ है , लेवकि सत्ताकामी िेताओों िे अपिे वलए तरह-तरह की सुरोंगें विकाल रखी हैं । विटे ि, इजरायल और िेपाल में भी सत्ता पररितकि हुआ है या उसका खेल र्ल रहा है । इजरायल और िेपाल में गठबों धि ढीले पड गए और कुवसकयाों स्कखसक गई, लेवकि विटे ि में क्ा हुआ? विवटश लयकतोंत्र आधुविक दु विया का सबसे पुरािा और सबसे स्वस्थ लयकतोंत्र है । िहाों ि तय दलबदल हुआ, ि फौजी तख्तापलट, ि ही महारािी िे प्रधािमोंत्री कय अपदस्थ वकया। बयररस जॉिसि कय स्वयों ही इस्तीफे की घयर्णा करिी पडी। भ्रष्ट्ार्ार, झूठ कय दयहराते रहिे की आदत, साों सदयों की उपे क्षा और वबगडती अथक व्यिस्था "उन्हें ले बै ठी। उिकी पाटी में बगाित हय गई। यवद िे इस्तीफा िहीों दे ते तय विवटश सोंसद उन्हें बाहर वकया दे ती। यवद विटे ि की पावटक ययों में आों तररक लयकतोंत्र िहीों हयता तय भारत में इों वदरा गाों धी और श्रीलोंका में राजपक्षे की तरह जॉिसि भी कुसी से वर्पके रहते। वजि राष्ट्रयों में फौजी तािाशाही या पररिारिाद िहीों है , िे भी अपिे लयकतोंत्र कय सुरवक्षत रख सकें, यह अब कवठि हयता जा रहा है । उि राष्ट्रयों की राजिीवतक पावटक ययों िे लगभग प्राइिेट कोंपविययों का रूप धारण कर वलया है । हमारे पडयसी

दे शयों में तय विशेर् रूप से यह प्रिृवत्त जयरयों पर है । इि राज्ययों की सत्तारूढ और विपक्षी पावटक ययों में ि तय वकसी मुद्दे पर खुलकर बहस या आलयर्िा हयती है और ि ही उिकी सरकार के मोंवत्रमोंडल में वकसी मुद्दे पर कयई गों भीर विर्ार विमशक हयता है । इि सरकारयों कय पता ही िहीों र्लता वक उिकी अोंधाधुोंध िीवतययों के विरुि अोंदर ही अों दर एक ज्वालामु खी भडक रहा है । पडयसी दे शयों की दु दकशा सभी राष्ट्रयों कय सतकक रहिे का सों देश दे रही है ।

4. वशक्षण और प्रवशक्षण िर खचय तेजी से बढािा होगा

उत्तर भारत के एक राज्य में जब एक एसडीओ विरीक्षण के दौराि एक िूल पहुों र्े तय वशक्षक पयाक िरण विर्य पढा रहे थे । अवधकारी िे उिसे पू छा वक जलिायु और मौसम में क्ा अों तर है ? वशक्षक िहीों बता पाए। तब तक हे डमािर आ गए। अवधकारी िे उिसे पूछा वक आप क्ा पढाते हैं ? हे डमािर िे जिाब वदया- अोंग्रेजी और सोंिृत। अवधकारी िे पू छा, 'मैं विद्यालय जाता हों ' कय दयियों भार्ाओों में टर ाों सलेट कीवजए ? हे डमािर का भी हाल िही था जय टीर्र का । स्वयोंसेिी सोंस्था 'प्रथम' की ररपयटक के अिुसार भारत में पाों र्िी कक्षा के आधे से ज्यादा विद्याथी दू सरी कक्षा का गवणत िहीों जािते या सामान्य वहों दी शब्द िहीों वलख पाते। एक ऐसे दौर में , जब जीिियापि के वलए िैवश्वक स्तर पर एक हयड लगी हय, जय ज्ञाि से िोंवर्त है । उसका भविष्य अोंधकारमय रहे गा। क्ा यह जरूरी िहीों वक दे श की जीडीपी का एक बडा भाग वशक्षण और प्रवशक्षण पर खर्क वकया जाए? प्रश्न पाों र् वटर वलयि डॉलर की इकयिॉमी का िहीों है । प्रश्न यह है वक इस बढती जीडीपी से विम्न िगक कय वकतिा ऊपर लाया जा सकता है । अगर िह िीर्े पडा रहा तय जीडीपी का कयई मतलब िहीों हयगा, क्योंवक उसका लाभ कुछ हाथयों में वसमट जाएगा और कुछ वदि बाद उद्ययगयों और सेिा क्षेत्र के वलए वशवक्षत और टर ें ड युिा वमलिा बोंद हय जाएों गे। उज्ज्वल भारत के वलए वशक्षक का ज्ञाि पहली शतक है ।

5. वजतिी अटकलें लगाई जाती हैं उिमें से वकतिी सही

हाल ही में हमिे तेल की कीमतयों पर दय शीर्क िैवश्वक बैंकयों की तरफ से दय पूरी तरह से वभन् ििव्य सुिे। जेपी मयगकि र्े स िे कहा वक 2023. में तेल की कीमतें 380 डॉलर प्रवत बैरल तक पहुों र् तरफ वसटीग्रुप िे पूिाक िुमाि लगाया वक 2022 के अों त तक तेल की कीमतें 65 डॉलर प्रवत बैरल तक वगर जाएों गी और 2023 के अोंत तक िे 45 डालर भागर सकती हैं । यह मौजूदा कीमतयों से आधे से भी कम है ! ऐसे में पाठकगण स्वाभाविक रूप से यह विष्कर्क विकाल बैठेंगे वक एक्सपटक लयगयों कय ज्यादा कुछ पता िहीों हयता है । लेवकि पूिाक िुमाि तात्कावलक उपययग और टीिी र्र्ाक ओों के वलए हयते हैं , सटीक आकलियों के वलए िहीों। हमारे पास ऊजाक बाजार में ऐसा कयई फाइिेंवशयल जीवियस िहीों है , जय बतला सके वक ये िह सही ि हय। दयियों बैंक गलत िहीों हय सकते। लेवकि इि पोंस्किययों की लेस्कखका बहुत सुविवित तरीके से यह पूिाक िुमाि लगा सकती है वक दयियों ही गलत सावबत हयोंगे और तेल की कीमतें उपरयि दयियों अवतययों के बीर् बिी रहें गी। अगर आप उलझि में पड गए हैं वक वकस पर भरयसा करें - दय अों तरराष्ट्रीय बैं कयों पर या इस साधारण स्तम्भकार पर, तय जरा ठहररए। आिे िाले कुछ सप्ताहयों में हम सभी अपिे -अपिे पूिाक िुमाियों कय सों शयवधत करिे जा रहे हैं । वपछले महीिे ही वसटीग्रुप िे अिुमाि लगाया था वक इस साल की तीसरी वतहाई में तेल की कीमतें 99 डॉलर और र्ौथी वतहाई में 85 डॉलर तक पहुों र् जाएों गी, जय उसके हाल ही में जुलाई के पूिाक िुमाि से कहीों अवधक है । भविष्यिावणययों की दु विया में आपका स्वागत है । ये और बात है वक भविष्यििा अपिी विरों तरता के वलए िहीों पहर्ािे जाते। इसके बािजूद यह मुिाफे का

व्यिसाय है । आज हर तरह के पूिाक िुमाियों की माों ग है , लेवकि गलत पू िाक िुमाियों का खावमयाजा वकसी भविष्यििा कय िहीों भुगतिा पडता। "विश्लेर्कगण कह सकते हैं वक तेल की कीमतयों के बारे में हमें जय भाों वत-भाों वत के पूिाक िुमाि वदखलाई दे ते हैं , िे ऊजाक बाजार की पलुइवडटी की ओर ही सों केत करते हैं । साथ ही िे 2022 और 2023 की विश्व अथक व्यिस्था की अवियवमत प्रकृवत के बारे में भी बताते हैं । उिकी बात में दम है । बहुत सम्भि है वक आज दु विया एक मोंदी की कगार पर हय। पविम की पाबोंवदययों पर पुवति कैसे प्रवतविया दें गे, यह भी कयई विवित रूप से िहीों कह सकता। ऐसे में पूिाक िुमाि लगािा दू भर है । इसके बािजूद विश्लेर्कयों का तय काम ही है पूिाक िुमाि लगािा, वफर भले ही आों कडे भी उिकी मदद ि करें । िे इतिा भर कह दें गे वक र्ूोंवक पूिाक िुमाियों की माों ग है , इसवलए िे उिकी आपूवतक करते हैं । मजे की बात यह है वक लयग आिे िाले कल के बारे में जाििा र्ाहते हैं , वफर भले ही उन्हें जय बतलाया जाए,िह सही ि हय। िर्क 1999 में इकयिॉवमि पवत्रका िे एक किर ियरी छापी थी, वजसमें अिुमाि लगाया गया था वक विकट भविष्य में तेल की कीमतें 5 डॉलर प्रवत बैरल हयोंगी। ऐसा कभी िहीों हुआ। लेवकि इस गलत पूिाक िुमाि के बािजूद पवत्रका की प्रवतयाों तेजी से वबकती रहीों और उसकी प्रवतष्ठा कय कयई ठे स िहीों पहुों र्ी। इतिा ही िहीों, पवत्रका िे अटकलें लगािे से भी तौबा िहीों की। हर बडे वित्तीय सोंस्थाि में उच्च प्रवशवक्षत लयग हयते हैं , जय िैवश्वक अथक व्यिस्था के बारे में अिुमाि लगाते हैं । उिकी अटकलें मीवडया में बहुत हलर्ल मर्ाती हैं , कयई भी उि पर सिाल िहीों उठाता हम हमेशा आिे िाले पू िाक िुमाियों की तलाश में रहते हैं , लेवकि कभी यह िहीों पूछते वक अतीत की अटकलयों का क्ा हुआ? यही हाल र्ुिािी पू िाक िुमाियों का भी है । हाल के सालयों में अिेक र्ुिािी फयरकास्किोंग एजें वसययों के दािे गलत सावबत हुए हैं , इसके बािजूद िे विरों तर मु िाफा कमा रही है ।

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