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CHARAIVETI MARCH2022-LOW

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विक्रम संवत 2078 ■ फाल्गुन/चैत्र मास (01) ■ 01 मार्च 2022 ■ मूल्य : 25 रु.

गहरे पानी पैठ

बजट 2022-23

▶ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सिख प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की।

▶ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुरु रविदास जयंती के शुभ अवसर पर श्री श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर के दर्शन किए।

▶ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अफगानिस्तान के सिख-हि ंद ू प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।

▶ केद्रींय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने विधानसभा चुनाव हेतु घर-घर जाकर जनसम्पर्क किया।

▶ भाजपा अध्यक्ष श्री जे.पी.नड्डा जी ने विधानसभा चुनावों के दौरान प्रचार व जन सभाऐ ं की।

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िव�म संवत 2078 ■ फा�ुन/चै� मास (01)

■ 01 माच� 2022 ■ मू� : 25 �.

बजट 2022-23

गहरे पानी पैठ

संपादकीय ▶ संजय गोविन्द खोचे

04

■ आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का बजट

05-08

बजट 2022-23 ▶ ज्ञानेन्द्रनाथ बरतरिया ■

बजट 2022-23 : गहरे पानी पैठ

05

■ बजट 2022-23 :

समेकित कल्याण के साथ बृहद आर्थिक स्तर वृद्धि पर जोर देन.े ..

09

आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था...

14

प्रधानमंत्री श्री मोदी की सर्कुलर इकोनामी और "वेस्ट टू वेल्थ '' ...

17

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को नये भारत के निर्माण का बजट प्रस्तुत... 18 भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने वाला बजट...

19

आत्मनिर्भर भारत का बजट : अमित शाह ...

21

■ स्टेचू ऑफ Equality : 

22

ध्येय बोध

ये जरूरी है कि हम हमारी राष्ट् रीय पहचान के बारे में सोचे जिसके बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।

22

रामानुजाचार्य ने दुनिया को समता का संदेश दिया - अमित शाह ...

27

■ उपलब्धियां :

30

■ मन की बात

31

■ मातृशक्ति : 

36

सचिव, मुद्रक, प्रकाशक एवं सम्पादक

37

कोषाध्यक्ष

मातृभाषा गर्व के साथ बोलना चाहिए... समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले... ■ बलिदान दिवस

:

जब दं गाई मुस्लिमों के हमले में शहीद हु ए विद्यार्थी... ■ शहादत दिवस : 

38

■ विचार प्रवाह :

40

■ पर्व-विशेष :

42

आत्मिक सुख की आवश्यकता समरसता का संदेश देता होली का पावन पर्व...

- पं. दीनदयाल उपाध्याय l

अध्यक्ष

अजय प्रताप सिंह l

उपाध्यक्ष

प्रशांत हर्णे l

संजय गोविंद खोचे* l

कैलाश सोनी

भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव तीनों महान क्रांतिकारी भारत माँ को समर्पित...

■ मुख्य व्रत-त्यौहार

1. महाशिवरात्रि व्रत 2. स्नानदान श्राद्ध अमावस्या 4. चन्द्रदर्शन, फुलरिया दोज 6. विनायकी चतुर्थी व्रत 14. आमलकी, रंगभरी एकादशी 15. गोविन्द द्वादशी, प्रदोष व्रत 17. व्रत पूर्णिमा, होलिका दहन 18. होली, धुरेड़ी, बसंतोत्सव, स्नानदान पूर्णिमा 20. भाई दोज, चित्रगुप्त पूजा 21. गणेश चतुर्थी व्रत 22. रंग पंचमी 23. एकनाथ छठ 24. भानु सप्तमी 25. शीतलाष्टमी (बसोरा) 28. पापमोचनी एकादशी 29. प्रदोष व्रत 30. शिव चतुर्दशी व्रत, वारूणी पर्व 31. श्राद्ध अमावस्या

■ मुख्य जयंती-दिवस

हमारे प्रेरणास्रोत

पं. दीनदयाल उपाध्याय

प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं...

18 हजार करोड़ रूपये बैंकों को वापस मिले...

27

वर्ष-54, अंक : 02, भोपाल, मार्च 2022

1. नटराज नटेश्वर महादेव जयंती, लोधेश्वर एवं एकलव्य दिवस, स्वा. दयानंद सरस्वती बोधोत्सव 4. स्वामी रामकृष्ण परमहंस जयंती 10. संत दादूदयाल जयंती 14. स्वामी भारती कृष्णतीर्थ एवं योगेश्वर दयाल जयंती 18. श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु जयंती 20. रानी अवंतीबाई लोधी बलि.दि. 21. विश्व वानिकी,ओशो संबोधि दि. 22. राष्ट् रीय नया वर्ष 1944 प्रारम्भ, राख पंचमपुर मेला 23. भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरू श. दि. 25. गणेश शंकर विद्यार्थी बलि. दिवस

l

प्रभारी वैचारिकी

डॉ. दीपक विजयवर्गीय l

सहायक सम्पादक

पं. सलिल मालवीय l

व्यवस्थापक

योगेन्द्रनाथ बरतरिया मोबा. नं. ०९४२५३०३८०१ l

पं. दीनदयाल विचार प्रकाशन म.प्र. के लिये मुद्रक एवं प्रकाशक संजय गोविंद खोचे द्वारा पं. दीनदयाल परिसर, ई-2, अरेरा कालोनी, भोपाल-462016 से प्रकाशित एवं एम. पी. प्रिंटर्स, बी-२२०, फेस-II, गौतमबुद्ध नगर, नोएडा - २०१ ३०५ से मुद्रित. l

संपादकीय पता

पं. दीनदयाल परिसर, ई-2, अरेरा कालोनी, भोपाल- 462016 e-mail:[email protected] web site:www.charaiveti.org

मूल्य- पच्चीस रुपये

*समाचार चयन के लिए पी.आर.बी.एक्ट के तहत जिम्मेदार

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आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का बजट

इस बार का बजट भारत की अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए नींव का पत्थर साबित होगा। आज विश्व जिस तरह की परिस्थितियों को देख रहा है, उससे एक बात निश्चित रूप से समझ में आती है कि किसी भी राष्ट्र को आत्मसम्मान के साथ और पूरी सुरक्षा और गरिमा के साथ रहने के लिए आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है। चरैवेति के पाठकों को वसंत के आगमन पर समरसता का संदेश देते हुए होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाऐं।

हो

ली का पर्व परस्पर मित्रता और सद्भाव का संदेश देता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि विश्व जिस युद्ध के मुहाने पर खड़ा है उसका शीघ्र अंत हो। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने विगत कई वर्षों में विदेश नीति में जिस तरह से भारत की छवि को उच्च स्तर तक पहुंचाया है उसी का परिणाम है कि हजारों हजार भारतीय नागरिक युद्ध क्षेत्र से सकुशल भारत वापस आ रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत का मान उच्चतम स्तर पर है। इस बार का बजट भारत की अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए नींव का पत्थर साबित होगा। आज विश्व जिस तरह की परिस्थितियों को देख रहा है, उससे एक बात निश्चित रूप से समझ में आती है कि किसी भी राष्ट्र को आत्मसम्मान के साथ और पूरी सुरक्षा और गरिमा के साथ रहने के लिए आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है। इस युद्ध ने हमें समझाया है कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आत्मनिर्भरता को लेकर इतने सजग और आग्रही क्यों हैं। ""वोकल फोर लोकल'' जरूरी क्यों है। इसी लिए यह समय भारत के लिए, हमारे लिए, हम सब के लिए, प्रत्येक नागरिक के लिए बिल्कुल नए सिरे से जैसा कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है तैयारी करने का है। इस समय हर भारत वासी को नए संकल्प बना कर उसे आत्मनिर्भरता की सिद्धि तक पहुँचाना है। यह समय की मांग है और बहुत आवश्यक है कि हमारा देश आत्मनिर्भर बने और उसी आत्मनिर्भर भारत की नींव पर आधुनिक और नए भारत का निर्माण हो, इस वर्ष का बजट इसी बात को ध्यान में रख कर बनाया गया है। जब से भारत के प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जिम्मेदारी संभाली है तब से जो निर्णय भारत सरकार ने लिए हैं, जो नीतियां बनाई हैं उसी के कारण आज भारत की अर्थव्यवस्था का लगातार विस्तार होता जा रहा है और भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार के प्रयासों से और इच्छा शक्ति से देश में लगभग नौ करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से लगभग पांच करोड़ से अधिक जल के कनेक्शन जल जीवन मिशन के अर्न्तगत पिछले दो साल में ही दिये गये हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस बार के बजट में यह प्रावधान है कि इस वर्ष करीब-करीब चार करोड़ ग्रामीण घरों को पानी का कनेक्शन दिया जावेगा। जिसके लिए भारत सरकार साठ हजार करोड़ रूपये से भी ज्यादा खर्च करने वाली है। इसी तरह बुंदेलखण्ड क्षेत्र में केन बेतवा को लिंक करने के लिए कई हजार करोड़ रूपयों का इंतजाम इस बजट में किया गया है। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड के क्षेत्र की तस्वीर ही बदल जावेगी। वहां के खेतों में पानी आने से हरियाली आएगी। उत्पादन बढ़ेगा, आर्थिक सम्पन्नता में

बुंदेलखण्ड आत्मनिर्भर होगा। यही तो नए भारत का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में लक्ष्य है। राष्ट्र और देश की रक्षा से जुड़े एक और बड़े अभियान पर्वतमाला परियोजना की भी घोषणा इस बजट में की गई है। इस पर्वतमाला परियोजना से हमारे पहाड़ी क्षेत्र खास तौर से हिमालय के क्षेत्रों में अत्याधुनिक संचार व्यवस्था और अत्याधुनिक आधारभूत संरचना को नया विस्तार मिलेगा। इसी तरह नेचुरल फार्मिंग कॉरीडोर पर काम चल रहा है। यह कॉरीडोर दो हजार पांच सौ किलोमीटर का होगा। हमारे किसान जो हमारे अन्नदाता हैं उनको ऊर्जा दाता बनाने का काम लगातार चल रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने बीते सालों में एमएसपी पर रिकार्ड खरीदी की है। इस बजट में स्टार्टअप के लिए टैक्स के फायदे को आगे बढ़ाया गया है। अब पोस्ट ऑफिस के खातों में भी बैंको की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और आन लाईन फंड ट्रांसफर की सुविधा मिलना शुरू हो जायेगी। सस्ता और तेज इंटरनेट विकास के लिए भारत को आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ाने के लिए संजीवनी का काम करेगा। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का इस ओर ध्यान रहता है। इसी लिए इस बजट में यह प्रावधान है कि बहुत ही जल्दी भारत के सारे गाँव तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पूरी होगी। 5 जी सर्विस की लाँचिग जल्दी से जल्दी होगी। जिसका फायदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपनों के अनुरूप भारत में ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मिलेगा। भारत मोबाईल गेमिंग को लेकर दुनिया के बड़े बाजारों में है। इसी कारण भारत को गेम डेवलपर और गेमिंग सर्विस हब बनाने पर विशेष जोर दिया गया है। डिजिटल करेंसी से डिजिटल इकॉनामी को बहुत बल मिलेगा। इस विषय पर इस बजट में विशेष ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपना पहला कार्यकाल 2014 में शुरू किया था। उस समय देश में मात्र 90000 किलोमीटर नेशनल हाईवेज थे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह 90000 किमी हाईवेज पिछले 70 सालों में बने थे। गर्व का विषय है कि नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले सात सालों में ही 50000 किमी नेशनल हाईवेज बन गये। अब पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के तहत देश में और नए हाईवेज बनाए जाऐंगे। इसी तरह 100 प्रधानमंत्री गतिशक्ति कारगो टर्मिनल विकसित किये जावेंगे। वास्तव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में दिया गया यह बजट भारत को आत्मनिर्भर बनाने में नींव का पत्थर साबित होगा। Á

(संजय गोविन्द खोचे) सम्पादक www.charaiveti.org

04 | मार्च 2022

बजट 2022-23

ज्ञानेन्द्रनाथ बरतरिया

जो

भी लोग बजट पर टिप्पणी करने वाले विशेषज्ञ माने जाते हैं, उनकी नजर में इस वर्ष का बजट ""नीरस'' किस्म का रहा है। कोई नारा नहीं, कोई नारेबाजी नहीं। ऐसे में सतही टिप्पणी क्या की जाए? उत्तर है- सतह से नीचे झांककर देखा जाए। गहरे पानी पैठ।

वास्तव में इस वर्ष के बजट में मूलभूत बातों पर जिस तरह ध्यान केंद्रित किया गया है, उससे यह समझना बहुत सरल हो जाता है कि सरकार अपने बड़े लक्ष्यों- खासतौर पर आत्मनिर्भर भारत और रोजगार व राष्ट्रीय आमदनी में वृद्धि को लेकर कितनी सचेत है। भारत के पिछले दो बजट कोविड से प्रभावित थे। लेकिन इस वित्त वर्ष में टीकाकरण कार्यक्रमों की भारी सफलता के बूते हम अपने सबसे कष्ट भरे काल को पीछे छोड़ आए हैं। अब भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी पूरी ताकत से निखर कर सामने आने के लिए तैयार है। पहली बात- उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनावों के ठीक पहले आए इस बार के बजट में चुनावी बजट होने का कोई संकेत तक नहीं था। यह अर्थव्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता का परिचायक है। इस बजट का प्रमुख पैमाना विकास है और इसके कई आधार हैं। पहला यह कि बजट के आंकड़े और अनुमान बहुत विश्वसनीय हैं और बहुत कठोर कसौटियों से गुजरे हैं। दूसरी बात- बजट पूंजीगत निवेश, डिजिटल विस्तार और मेक इन इंडिया (आत्मनिर्भर भारत) के आधारों पर टिका हुआ है। थोड़ा विस्तार से देखेंपूंजीगत निवेश- इस बार के बजट में पूंजीगत निवेश ने बहुत बड़ी छलांग लगाई है। पिछले वर्ष (2021-22) के 5.54 लाख करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष (2022-23) पूंजीगत निवेश 35 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। अगर इसमें राज्यों को उनके अपने स्वयं के पूंजीगत व्यय के लिए सहायता अनुदान के माध्यम से दी गई रकम को भी जोड़ दिया जाए, तो यह राशि अंतिम आंकड़ा 10.7 लाख करोड़ रुपये बताया जाता है। इतनी भारी भरकम राशि का काफी कुछ भी प्रयोग हो जाए, तो देश भर में नौकरियों, रोजगार और आय को कितना बढ़ावा मिलेगा, इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है।

बजट 2022-23

गहरे पानी पैठ

इस बजट का प्रमुख पैमाना विकास है और इसके कई आधार हैं। पहला यह कि बजट के आंकड़े और अनुमान बहुत विश्वसनीय हैं और बहुत कठोर कसौटियों से गुजरे हैं...

अब देखें, दूसरी बारीक बात- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए ऋण गारंटी का विस्तार किया गया है और सरकारी खरीद योजनाओं को सुव्यवस्थित कर दिया गया है। इसके साथ ही त्वरित भुगतान भी सुनिश्चित कर दिया गया है। इससे अनौपचारिक क्षेत्र में नौकरियों को नया जीवन भी मिलेगा और रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। दूसरा पहलू डिजिटल विस्तार- रिजर्व बैंक एक डिजिटल रुपया उत्पाद लॉन्च करेगा, जिसके लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। डिजिटल बैंकिंग को देश के हर कोने में,

दूरदराज कहे जाने वाले इलाकों में, ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है। 75 जिलों को डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ मिलने जा रही हैं। 2025 तक सभी गांवों को, यहां तक कि दूरदराज के गांवों को भी फाइबर ऑप्टिक केबल से जोड़ा जाएगा। डिजिटल भुगतान पर सब्सिडी के लिए वित्तीय सहायता 2022-23 में भी जारी रखी गई है। 5 जी की नीलामी वर्ष 2022 में होगी और इस वर्ष के दौरान 5 जी सेवाएं शुरू भी हो जाएंगी। मेक इन इंडिया- आत्मनिर्भर भारत इस बजट का भी एक प्रमुख लक्ष्य बना हुआ है। घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात

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मार्च 2022 |05

बजट 2022-23 बिलों में कटौती करने के लिए, केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में एक पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है। इस बजट में इस योजना को कैसे विस्तार दिया गया है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। 1. प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना को 5 जी से संबंधित डिजाइन और निर्माण तक बढ़ाया जा रहा है। 2. 2030 तक 280 गीगा वॉट स्थापित सौर क्षमता प्राप्त करने के लिए 19,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया जा रहा है। रक्षा क्षेत्र की पूंजीगत खरीद का स्वदेशी हिस्सा 2022-23 में 58 प्रतिशत से बढ़ाकर 68 प्रतिशत किया जा रहा है। 3. छतरियों जैसे उत्पादों के छोटे निर्माताओं की हित रक्षा के लिए कुछ सीमा शुल्कों में बदलाव किया गया है। सबसे अहम पक्ष है आंकड़ों की विश्वसनीयता : वित्त मंत्री ने पिछले वर्ष से यह प्रथा शुरु की है कि बैलेंस शीट पर से इतर रही उधारी और खर्चों को भी नियमित संख्या में जोड़कर अपने बजट को साफ-सुथरा और पारदर्शी बना दिया है। ऐसे में बजट में बताए गए आंकड़े अधिक यथार्थवादी और विश्वसनीय हो गए हैं। इसके पहलू देखिए: 2021-22 के लिए अनुमानित राजकोषीय घाटा 6.9 प्रतिशत (पिछले वर्ष के बजट भाषण में संकेतित 6.8 प्रतिशत के मुकाबले) है और 2022-23 में और कम होकर 6.4 प्रतिशत हो जाएगा। सरकार ने कर राजस्व में उछाल आने के बावजूद राजकोषीय सुधार को और तेज करने

एक्सप्रेसवे के लिए पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान वित्तीय वर्ष 2022-23 में लोगों और सामानों की तेज आवाजाही के लिए तैयार किया जाएगा, और राष्ट् रीय राजमार्ग नेटवर्क को भी 2022-23 में 25,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा। का जरा भी प्रलोभन नहीं किया है। राजकोषीय घाटा माने सरकार के राजस्व और व्यय के बीच का अंतर। बजट का यह अंदाज और उसके आंकड़े बताते हैं कि सरकार अपने राजकोष को सुदृढ़ बनाने की जिद नहीं कर रही है, बल्कि स्पष्ट रूप से आर्थिक सुधार और विकास को प्राथमिकता दे रही है। अगर सरकार राजकोषीय घाटे को कम बनाए रखने की कठोर जिद लेकर चलती, तो फिर न तो कमजोर वर्गों को अल्पकालिक राहत मिल पाती और उद्योगों को दीर्घकालिक प्रोत्साहन देने में भी बाधा पैदा होती। वित्त मंत्री ने 2022-23 में राज्यों को भी उनके जीएसडीपी के 4 प्रतिशत तक के राजकोषीय घाटे की अनुमति देने की बात कही है। माने विकास के लिए सरकार का खजाना खुला रहेगा। इस वर्ष का बजट इसलिए भी विश्वसनीय है क्योंकि विनिवेश से होने वाली अपेक्षित प्राप्तियां 65,000 करोड़ रुपये आंकी गई हैं, जो 202122 के 78,000 करोड़ रुपये के छोटे लक्ष्य से भी कम है। यह तब किया गया है, जब जीवन बीमा निगम में आईपीओ और भारत पेट्रोलियम में शेयरों की रणनीतिक बिक्री की प्रक्रिया चल रही है। इसका अर्थ यह है कि अगले वर्ष के लक्ष्य अत्यधिक संभलकर जताए गए हैं। जबकि राजस्व में होने वाली किसी भी वृद्धि से सरकार को विकास और पूंजीगत व्यय में और गति देने का अवसर मिलने जा रहा है। व्यष्टि में समेष्टि- इस बार के केंद्रीय बजट का उद्देश्य सर्व समावेशी सूक्ष्म आर्थिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करके व्यापक आर्थिक विकास को सक्षम बनाना है। देखिए कैसे: भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहनी है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होने का अनुमान है। उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई योजना) के तहत 14 विभिन्न उद्योगों में 60 लाख नए रोजगार सृजित होंगे। पीएलआई योजनाओं से उत्पादन में 30,00,000 करोड़ अतिरिक्त रुपये जुटाने की क्षमता है। स्थानीय व्यवसायों और आपूर्ति श्रृंखलाओं की सहायता के लिए रेलवे क्षेत्र में "एक स्टेशन-एक उत्पाद' की अवधारणा को शुरू किया गया है।

सरकार एक डिजिटल अर्थव्यवस्था, फिनटेक, प्रौद्योगिकी-सक्षम विकास, ऊर्जा के स्रोत में परिवर्तन (जैसे फॉसिल फ्यूल के स्थान पर सौर ऊर्जा) और जलवायु संरक्षण को बढ़ावा देना चाहती है। बजट की जो प्राथमिकताएं विकास को प्रोत्साहित करती हैं, उनकी एक संक्षिप्त सूची इस प्रकार है: पीएम गति शक्ति, समावेशी विकास, उत्पादकता वृद्धि और निवेश, नए अवसर, ऊर्जा के स्रोत में परिवर्तन, जलवायु संरक्षण और निवेश के लिए वित्त पोषण। हरित बुनियादी ढांचे के लिए धन जुटाने के लिए सरकार ग्रीन बांड जारी करेगी। इससे मिलने वाली रकम का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे कार्यक्रमों को धन देने के लिए किया जाएगा जो अर्थव्यवस्था की कार्बन निर्भरता को कम करते हैं। सरकार ने मिश्रित ईंधन को प्रोत्साहित करने के लिए गैर मिश्रित ईंधन पर अतिरिक्त अंतर उत्पाद शुल्क लगाया है। सरकार की योजना बहुत सरल, लेकिन चतुराई भरी है। कहानी निजी निवेश से शुरू होगी, फिर सार्वजनिक पूंजी निवेश की मदद से निजी निवेश में वृद्धि का एक चक्र चल पड़ेगा। अगला पहलू - केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, ""पीएम गति शक्ति आर्थिक विकास और सतत् विकास के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है।'' सरकार ने पीएम गति शक्ति के सात इंजन निर्धारित किए हैं : 1. सड़कें 2. रेलवे 3. हवाई अड्डे 4. बंदरगाह 5. माल परिवहन 6. जलमार्ग 7. यातायात आदि के प्रबंध, संचालन और क्रियान्वयन की अधोसंरचना www.charaiveti.org

06 | मार्च 2022

बजट 2022-23 निर्मला सीतारमण ने कहा- यह ""सभी सात इंजन अर्थव्यवस्था को एक साथ आगे बढ़ाएंगे।'' इन सात "इंजनों' से संबंधित सभी परियोजनाओं को गति शक्ति ढांचे के साथ जोड़ा जाएगा। वित्तमंत्री ने कहा, ""विश्व स्तरीय आधुनिक बुनियादी ढांचा और आवाजाही के विभिन्न तरीकों (लोगों और वस्तुओं - दोनों के लिए) और परियोजनाओं के स्थान के बीच यातायात तालमेल ही मास्टर प्लान की कसौटी होगी।'' गति शक्ति योजना में राज्य सरकारों द्वारा किए गए बुनियादी ढांचे के विकास को भी शामिल किया जाएगा। वित्त मंत्री सीतारमण ने यह भी कहा कि एक्सप्रेस वे के लिए पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान वित्तीय वर्ष 2022-23 में लोगों और सामानों की तेज आवाजाही के लिए तैयार किया जाएगा, और राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को भी 2022-23 में 25,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा। पीएम गति शक्ति के सात इंजनों पर एक दृष्टिसड़क परिवहन: 2022-23 में, राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का 25,000 किलोमीटर तक विस्तार किया जाएगा, जिसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स के लिए पार्क : 2022-23 में पीपीपी दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए चार स्थानों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों के कार्यान्वयन के लिए ठेके दिए जाएंगे। रेलवे: वन स्टेशन वन प्रोडक्ट कॉन्सेप्ट विकसित किया गया है, ताकि स्थानीय व्यवसायों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा दिया जा सके। 2022-23 में, 2000 किमी रेलवे नेटवर्क ""कवच'' के तहत लाया जाएगा। यह एक विश्व स्तरीय स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जो रेलवे की क्षमता को बढ़ाएगा। अगले तीन वर्षों में 400 नई वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जाएगा। अगले तीन वर्षों में, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स के लिए 100 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनल बनाए जाएंगे। पर्वतमाला: पर्वतमाला का राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर लागू किया जाएगा। 2022-23 में 60 किलोमीटर लंबी आठ रोपवे परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे। आवाजाही के इस ढांचे में विश्वस्तरीय एक अन्य बात यह है कि सभी मोड ऑपरेटरों के

बीच डेटा एक्सचेंज को यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा। माने किसको कहां जाना है, और कौन किस तरह से कहां पहुंचा है- हर चीज में तालमेल रहेगा। वास्तव में पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए एक राष्ट्रीय योजना है। यह योजना ने 13 अक्टूबर 2021 को शुरु की गई थी। सार्वजनिक बुनियादी ढांचे से संबंधित विभिन्न सरकारी विभागों के बीच समन्वय की जो भी समस्या थी, अब वह इस योजना के तहत एक सॉफ्टवेयर समाधान के माध्यम से हल की जा रही है। इसके तहत एक नया एकल पोर्टल स्थापित किया जाएगा, जिसमें भारतमाला, सागरमाला, अंर्तदेशीय जलमार्ग और उड़ान सहित सभी मौजूदा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की जानकारी शामिल होगी। देश भर में जो भी मौजूदा सुविधाएं हैं, जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्रों, कपड़ा समूहों, रक्षा गलियारों, इलेक्ट्रॉनिक पार्कों और कृषि क्षेत्रों की जानकारी, इस वेबसाइट पर वह भी शामिल रहेंगी। इन सभी परियोजनाओं को भू-मानचित्रित (जियो-मैपिंग) किया जाएगा और इनकी रीयल-टाइम ट्रैकिंग की जा सकेगी। इससे देश में नीति निर्माण में शामिल सभी निवेशकों और हितधारकों को भी विश्लेषणात्मक और निर्णय लेने में आसानी रहेगी। इसकी शुरुआत वाणिज्य मंत्रालय, बंदरगाह मंत्रालय, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और बिजली मंत्रालय जैसे 16 विभागों और मंत्रालयों को पोर्टल में एकीकृत करके की जाएगी। यह विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि किसी परियोजना के लिए अंतर-मंत्रालयी परमिट तेजी से दिए जाएं और हर संबंधित विभाग लूप में रहे। माने सरकारी कामकाज में देरी का सवाल ही समाप्त हो जाएगा। इन परियोजनाओं को एक मंच पर जोड़ने से परिवहन की लागत भी कम हो जाएगी और भारतीय निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा। वर्तमान में परिवहन की लागत देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 13 प्रतिशत है, जो विकसित देशों की तुलना में अधिक है। भारत को विकसित देश बनाने के लिए यह एक आवश्यक शर्त थी। यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है कि परिवहन ढांचा बनने से लोगों को क्या लाभ होगा। वास्तव में अगर किसी विकासशील देश को आगे बढ़ना हो, तो उसे सबसे पहले अपने बुनियादी ढांचे में मौजूदा कमियों को भरना होता है। इन रिक्त स्थानों की पूर्ति होने के साथ ही रोजगार पैदा करने की प्रक्रिया कई गुणा तेज हो जाती है। वर्तमान में

सरकार अब तक की सबसे तेज गति से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है। गति शक्ति योजना के मास्टर प्लान के अपने उद्घाटन भाषण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से योजना में शामिल होने का आग्रह किया था, ताकि राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आने वाली अधिक संपत्ति को पोर्टल से जोड़ा जा सके। 100 लाख करोड़ रुपये के मास्टर प्लान में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं, जैसे हवाई अड्डों की संख्या को दोगुना करना, 19,000 किलोमीटर गैस पाइप लाइनों का निर्माण, और औद्योगिक और रक्षा गलियारों और विनिर्माण समूहों का 2024-25 तक विकास करना। इतने भर से अनुमान लगाया जा सकता है कि बजट कितनी तेजी से आम लोगों की आमदनी और रोजगारों में वृद्धि करने जा रहा है। समावेशी विकास कृषि : 1 करोड़ 63 लाख किसानों को गेहूं और धान खरीद के लिए 2.37 लाख करोड़ रुपये का सीधा भुगतान। पूरे देश में रसायनों से मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। गंगा के किनारे 5 किमी चौड़े हिस्से में किसानों की जोत प्रारंभिक फोकस है। नाबार्ड कृषि और ग्रामीण उद्यम स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने के लिए मिश्रित पूंजी के साथ एक फंड की सुविधा प्रदान करेगा। "किसान ड्रोन' नामक ड्रोन का उपयोग फसलों का निरीक्षण करने, भूमि रिकॉर्ड को

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मार्च 2022 |07

बजट 2022-23 डिजिटाइज करने और कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव करने के लिए किया जाएगा। केन-बेतवा परियोजना- केन-बेतवा लिंक परियोजना के निर्माण के लिए 1400 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। केन-बेतवा लिंक परियोजना 9,08,000 हेक्टेयर किसानों की भूमि को सिंचाई प्रदान करेगी। एमएसएमई- उद्यम, ई-श्रम, एनसीएस और असीम के पोर्टल जुड़ेंगे। आपात कालीन वित्त पोषण से जुड़ी गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) ने 13 मिलियन एमएसएमई को अतिरिक्त ऋण प्रदान किया है। ईसीएलजीएस को मार्च 2023 तक बढ़ाया जाएगा। ईसीएलजीएस के गारंटी कवर में 50,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की जाएगी। जिससे कुल सुरक्षा 5 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी। ऋण गारंटी ट्रस्ट सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए रुपये की सुविधा प्रदान करेगा। सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए अतिरिक्त ऋण में 2 लाख करोड़ का प्रावधान। एमएसएमई प्रदर्शन बढ़ाने और त्वरित करने के कार्यक्रम (आरएएमपी) को 6,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ लागू किया जाएगा। कौशल विकास: स्किलिंग एंड लाइवलीहुड के लिए डिजिटल इकोसिस्टम (DESHStack e-portal) शुरू किया जाएगा ताकि नागरिकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से स्किल अप, रीस्किल या अपस्किल करने में सक्षम बनाया जा सके। स्टार्टअप्स को "ड्रोन शक्ति' और ड्रोन-एज-ए-सर्विस (DrAAS) की सुविधा के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। शिक्षा- PM eVIDYA के "वन क्लासवन टीवी चैनल' कार्यक्रम का विस्तार 200 चैनलों तक किया जाएगा। महत्वपूर्ण सोच

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जियोस्पेशियल सिस्टम और ड्रोन, सेमीकंडक्टर और इसका इकोसिस्टम, स्पेस इकोनॉमी, जीनोमिक्स एं ड फार्मास्युटिकल्स, ग्रीन एनर्जी, और क्लीन मोबिलिटी सिस्टम सभी को शोध एवं अनुसंधान के लिए सरकारी फंडिगं मिलेगी। कौशल और एक नकली सीखने के माहौल को बढ़ाने के लिए वर्चुअल लैब और स्किलिंग ई-लैब की स्थापना की जाएगी। डिजिटल शिक्षक वितरण के लिए उच्च गुणवत्ता वाला ई-कंटेंट तैयार करेंगे। विश्व स्तरीय सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए एक डिजिटल विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाएगा। स्वास्थ्य-उच्च गुणवत्ता वाले मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल के लिए "राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम' के साथ राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक खुला मंच शुरू किया जाएगा। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) नोडल केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जिसमें अंर्तराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानबैंगलोर (आईआईआईटीबी) तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। सक्षम आंगनवाड़ी : मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनवाड़ी, और पोषण 2.0 महिलाओं और बच्चों को एकीकृत लाभ प्रदान करेंगे। सक्षम आंगनवाड़ियों की संख्या बढ़ाकर 2,00,000 आंगनवाड़ी की जाएगी। हर घर, नल से जल : इस योजना को 2022-23 में 3 करोड़ 80 लाख घरों को कवर करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान। सबके लिए आवास : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022-23 तक 80 लाख आवासों को पूरा करने के लिए 48,000 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल : पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिए एक नई पहल - पीएम-डिवाइन शुरू की गई है। इस योजना के तहत 1,500 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन किया गया है, जो युवा महिलाओं के लिए आजीविका गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के काम आएगा। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम : कम आबादी वाले सीमावर्ती समुदायों, खराब कनेक्टिविटी और उत्तरी सीमा पर बुनियादी ढांचे को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के माध्यम से विकसित किया जा रहा है।

बैंकिंग : सभी 1,50,000 डाकघर केंद्रीय बैंकिंग प्रणाली से जुड़े होंगे। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां (डीबीयू) स्थापित की जाएंगी। शहरी नियोजन : भवन उपनियमों को अद्यतन किया जाएगा, साथ ही नगर नियोजन योजनाओं (टीपीएस) और ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) को भी अपडेट किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति जारी की जाएगी। निर्यात संर्वधन: विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम के स्थान पर एक नया कानून आएगा, जो राज्यों को "उद्यम और सेवा हब विकास' पर सहयोग करने का अवसर देगा। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता-घरेलू उद्योग को 2022-23 में पूंजी खरीद बजट का 68 प्रतिशत प्राप्त होगा, जो 2021-22 में 58 प्रतिशत था। रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट के 25 प्रतिशत को अलग रखने के साथ, उद्योग, उद्यमी और विश्वविद्यालय भाग लेंगे। नए अवसर : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जियोस्पेशियल सिस्टम और ड्रोन, सेमीकंडक्टर और इसका इकोसिस्टम, स्पेस इकोनॉमी, जीनोमिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स, ग्रीन एनर्जी, और क्लीन मोबिलिटी सिस्टम सभी को शोध एवं अनुसंधान के लिए सरकारी फंडिंग मिलेगी। ऊर्जा स्रोत परिवर्तन संक्रमण और जलवायु संरक्षण-2030 तक 280 गीगावॉट स्थापित सौर ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के विकास के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के लिए 19,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किए गए हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति के किसान जो कृषि वानिकी में संलग्न होना चाहते हैं उन्हें वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। निश्चित रूप से, बिना किसी नए नारे के इतना कुछ नया किया जाना, अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। Á (लेखक वरिष्ठ संपादक हैं) www.charaiveti.org

08 | मार्च 2022

बजट 2022-23

समेकित कल्याण के साथ बृहद आर्थिक स्तर वृद्धि पर जोर देने का प्रयास "प्रो पीपुल और प्रोग्रेसिव बजट "

केंद्रीय

बजट में सूक्ष्म आर्थिक स्तर पर सभी समेकित कल्याण पर ध्यान देने के साथ बृहद आर्थिक स्तर वृद्धि पर जोर देने का प्रयास किया गया है।

बजट की मुख्य बातें -

Á भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत अनुमानित है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। Á 14 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत 60 लाख नए रोजगार का सृजन होगा। Á पीएलआई योजना में 30 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है। Á अगले 25 साल भारत@100 के अमृत काल में प्रवेश करते हुए बजट में 4 प्राथमिकताओं में विकास पर जोर दिया गया है: ▶ पीएम गतिशक्ति ▶ समेकित विकास ▶ उत्पाद संवर्धन एवं निवेश, सनराइज अवसर, ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्य ▶ निवेश को वित्तीय मदद

पीएम गतिशक्ति:

पीएम गतिशक्ति को बढ़ावा देने वाले 7 कारक सड़क, रेल मार्ग, हवाई मार्ग, विमानपत्तन, माल परिवहन, जल मार्ग और लॉजिस्टिक अवसंरचना हैं।

पीएम गतिशक्ति राष्ट् रीय मास्टर प्लान

पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के दायरे में आर्थिक बदलाव के सभी 7 कारक, निर्बाध बहुपक्षीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक के दायरे में आ जाएंगे। राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन में इन 7 कारकों से जुड़ी परियोजनाओं को पीएम

2022-23 में देसी विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी और क्षमता वृद्धि कवच के तहत रेल मार्ग नेटवर्क में 2000 किलोमीटर जोड़ा जाएगा।

अगले 3 साल के दौरान 400 उत्कृष्ट वंदे भारत रेलगाड़ियों का निर्माण होगा। गतिशक्ति फ्रेमवर्क से जोड़ दिया जाएगा।

के जरिए संविदाएं प्रदान की जाएंगी।

राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 2022-23 में 25000 किलोमीटर का विस्तार दिया जाएगा।

स्थानीय व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ाने के लिए एक स्टेशन एक उत्पाद की संकल्पना। 2022-23 में देसी विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी और क्षमता वृद्धि कवच के तहत रेल मार्ग नेटवर्क में 2000 किलोमीटर जोड़ा जाएगा।

सड़क परिवहन

मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क

2022-23 में 4 स्थानों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाने के लिए पीपीपी प्रारूप

रेल मार्ग

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मार्च 2022 |09

बजट 2022-23 अगले 3 साल के दौरान 400 उत्कृष्ट वंदे भारत रेलगाड़ियों का निर्माण होगा। अगले 3 साल के दौरान मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक के लिए 100 पीएम गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे।

पर्वतमाला

राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम, पर्वतमाला को पीपीपी प्रारूप में लाया जाएगा। 2022-23 में 60 किलोमीटर लंबी 8 रोपवे परियोजनाओं के लिए संविदाएं प्रदान की जाएंगी।

समेकित विकास कृषि

गेहूं और धान की खरीद के लिए 1.63 करोड़ किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपए का सीधा भुगतान। देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। शुरू में गंगा नदी से सटे 5 किलोमीटर की चौड़ाई तक के गलियारे वाले किसानों की जमीनों पर ध्यान दिया जाएगा। नाबार्ड कृषि और ग्रामीण उद्यम से जुड़े स्टार्टअप्स को वित्तीय मदद के लिए मिश्रित पूंजी कोष की सुविधा देगा। फसलों के आकलन, भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, कीटनाशकों एवं पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए ""किसान ड्रोन।''

केन बेतवा परियोजना

केन-बेतवा लिंक परियोजना के क्रियान्वयन

के लिए 1400 करोड़ परिव्यय। केन-बेतवा लिंक परियोजना से किसानों की 9.08 लाख हेक्टेयर जमीनों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

एमएसएमई

उद्यम, ई-श्रम, एनसीएस और असीम पोर्टलों को आपस में जोड़ा जाएगा। 130 लाख एमएसएमई को इमरजेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत अतिरिक्त कर्ज दिया गया। ईसीएलजीएस को मार्च 2023 तक बढ़ाया जाएगा। ईसीएलजीएस के तहत गारंटी कवर को 50000 करोड़ रुपए बढ़ाकर कुल 5 लाख करोड़ कर दिया जाएगा। सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) के तहत 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा। रेजिंग एंड एसिलेरेटिंग एमएसएमई परफोर्मेंस (आरएएमपी) प्रोग्राम 6000 करोड़ रुपए के परिव्यय से शुरू किया जाएगा।

कौशल विकास

ऑनलाइन प्रशिक्षण के जरिए नागरिकों की कुशलता बढ़ाने के लिए डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एंड लिवलीहुड (डीईएसएचस्टैक ई-पोर्टल) लॉन्च किया जाएगा। "ड्रोन शक्ति' की सुविधा और सेवा के रूप में ड्रोन (डीआरएएएस) के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाएगा।

शिक्षा

पीएम ई-विद्या के एक कक्षा एक टीवी चैनल कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों पर दिखाया जाएगा। महत्वपूर्ण चिंतन कौशल और प्रभावी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल प्रयोगशाला और कौशल ई-प्रयोगशाला की स्थापना। डिजिटल शिक्षकों के माध्यम से पढ़ाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाली ई-कंटेंट विकसित किया जाएगा। व्यक्तिगत तौर पर पढ़ाई करने के लिए विश्व स्तरीय शिक्षा के लिए डिजिटल विश्व विद्यालय की स्थापना की जाएगी।

स्वास्थ्य

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिए खुला मंच शुरू किया जाएगा। गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और

देखरेख सेवाओं के लिए राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। 23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। इसका नोडल सेंटर निम्हांस (एनआईएमएचएएनएस) होगा और अंर्तराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलुरू (आईआईआईटीबी) इसे प्रौद्योगिकी सहायता देगा।

सक्षम आंगनबाड़ी

मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 के जरिए महिलाओं और बच्चों को एकीकृत लाभ प्रदान किए जाएंगे। दो लाख आंगनवाड़ियों को सक्षम आंगनवाड़ियों में उन्नयन।

हर घर, नल से जल

हर घर, नल से जल के तहत वर्ष 202223 में 3.8 करोड़ परिवारों को शामिल करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

सभी के लिए आवास

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2022-23 में 80 लाख घरों को पूरा करने के लिए 48 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल

पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे एवं सामाजिक विकास परियोजनाओं और वित्त पोषण के लिए नई योजना पीएम-डीईवीआईएनई शुरू की गई। इस योजना के तहत युवा और महिलाओं को आजीविका गतिविधियों में समर्थ बनाने के लिए 1500 करोड़ रुपये का शुरूआती आवंटन।

जीवंत ग्राम कार्यक्रम

उत्तर सीमा पर छिटपुट आबादी, सीमित सम्पर्क और बुनियादी ढांचे वाले सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए जीवंत ग्राम कार्यक्रम।

बैंकिंग

शत-प्रतिशत 1.5 लाख डाकघरों को मुख्य बैंकिंग प्रणाली में शामिल किया जाएगा। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक 75 जिलों में 75 डिजि‍टल बैंकिंग इकाइयां (डीबीयू) स्थापित करेंगे।

ई-पासपोर्ट

इम्बेडेड चिप और भावी प्रौद्योगिकी वाले ई-पासपोर्ट शुरू किए जाएंगे। www.charaiveti.org

10 | मार्च 2022

बजट 2022-23

शहरी नियोजन भवन उपनियमों शहरी नियोजन योजना, पारगमन उन्मुखी विकास का आधुनिकीकरण लागू किया गया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए बैट्री अदला-बदला नीति लाई जाएगी।

भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन

भूमि के रिकॉर्ड के आईटी आधारित प्रबंधन के लिए विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या।

त्वरित कॉरपोरेट बहिर्गमन

कंपनियों को तेजी से बंद करने के लिए सेन्टर फॉर प्रोसेसिंग एक्सिलरेटिड कॉरपोरेट एक्जिट (सी-पीएसी) स्थापित।

एवीजीसी संर्वधन कार्य बल

इस क्षेत्र की संभावना का पता लगाने के लिए एक एनीमेशन, विजुअल प्रभाव, गेमिंग और कॉमिक (एवीजीसी) संर्वधन कार्य बल की स्थापना।

दरू संचार क्षेत्र

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के एक हिस्से के रूप में 5जी के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम स्थापित करने के लिए डिजाइन जनहित विनिर्माण के लिए योजना।

निर्यात संर्वधन

उद्यम एवं सेवा केन्द्रों के विकास में भागीदारी बनने के लिए राज्यों को समर्थ बनाने हेतु विशेष आर्थिक जोन अधिनियम को एक नए विधान से प्रतिस्थापित किया जाएगा।

रक्षा में आत्मनिर्भरता

2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित पूंजीगत खरीदारी बजट का 68 प्रतिशत निर्धारित किया गया, जो 2021 में 58 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है। 25 प्रतिशत रक्षा अनुसंधान विकास बजट के साथ उद्योग स्टार्टअप्स और शिक्षा के लिए रक्षा अनुसंधान विकास खोला जाएगा। जांच और प्रमाणीकरण जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र नोडल अम्ब्रेला निकाय स्थापित किया जाएगा।

सनराइज अवसर

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, भू-स्थानिक प्रणालियों और ड्रोनों, सेमीकंडक्टर और इसके इको-सिस्टम अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जीनोमिक्स

और फार्मास्युटिकल्स हरित ऊर्जा और स्वच्छ गतिशीलता प्रणालियों जैसे सनराइज अवसरों में अनुसंधान और विकास के लिए सरकारी योगदान उपलब्ध कराया जाएगा।

ऊर्जा पारगमन और जलवायु कार्रवाई

वर्ष 2030 तक स्थापित सौर विद्युत का 280 गीगावॉट लक्ष्य हासिल करने के लिए उच्च दक्षता के सौर मॉड्यूल्स के निर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के लिए 19,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन। ताप‍विद्युत संयंत्रों में 5 से 7 प्रतिशत बायोमास पैलेट्स फॉयर किए जाएंगे। वार्षिक रूप से 38 एमएमटी कार्बन डाई ऑक्साइड की बचत। किसानों के लिए अतिरिक्त आय और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर। खेतों में पराली जलाने से रोकने में मदद मिलेगी। कोयला गैसीकरण करने तथा उद्योग के लिए कोयले को रसायनों में परिवर्तित करने के लिए चार पायलट परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी। कृषि वानिकी अपनाने वाले अनुसूचित जाति और जनजातियों से संबंधित किसानों को वित्तीय सहायता।

सार्वजनिक पूज ं ीगत निवेश

2022-23 में निजी निवेश और मांग को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक निवेश को जारी रखना। वर्ष 2022-23 में पूंजीगत व्यय के लिए परिव्यय 35.4 प्रतिशत तेजी से बढ़कर 7.50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो मौजूदा वर्ष में 5.54 लाख करोड़ रुपये था। वर्ष 2022-23 में परिव्यय सकल घरेलू उत्पाद का 2.9 प्रतिशत रहेगा। केन्द्र सरकार का प्रभावी पूंजीगत व्यय 2022-23 में 10.68 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो जीडीपी का लगभग 4.1 प्रतिशत है।

बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया जाएगा। उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी ने पिछले साल 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया और एक सबसे बड़े स्टार्टअप और विकास इको-सिस्टम में सुविधा प्रदान की। इस निवेश को बढ़ाने के लिए उपाय किये जा रहे हैं। सनराइज क्षेत्रों के लिए बलेंडिंड निधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। हरित बुनियादी ढांचे के लिए संसाधन जुटाने के लिए सॉवरिन ग्रीन बॉण्ड जारी किए जाएंगे।

डिजिटल रूपया

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल रूपए की शुरूआत 2022-23 में की जाएगी।

राज्यों को वृहद राजकोषीय स्पेस उपलब्ध कराना

पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना के लिए अधिक परिव्यय : यह परिव्यय बजट अनुमानों में 10 हजार करोड़ रुपये था, जो वर्तमान वर्ष के लिए संशोधित अनुमानों में 15 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया। अर्थव्यवस्था में समग्र प्रोत्साहन के लिए राज्यों को सहायता के लिए वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन, 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करना, जो सामान्य ऋण के अतिरिक्त है। 2022-23 में राज्यों को जीएसडीपी के 4 प्रतिशत का वित्तीय घाटे की अनुमति होगी, जिसका 0.5 प्रतिशत विद्युत क्षेत्र सुधारों में उपयोग किया जाएगा।

राजकोषीय प्रबंधन

बजट अनुमान 2021-22 : 34.83 लाख करोड़ रुपये

जीआईएफटी-आईएफएससी

जीआईएफटी शहर में विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अनुमति दी जाएगी। अंर्तराष्ट्रीय अधिकांश क्षेत्र के तहत विवादों के समय पर निपटान के लिए एक अंर्तराष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र की स्थापना की जाएगी।

संसाधनों को जुटाना

डेटा केन्द्रों और ऊर्जा भंडार प्रणालियों को

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मार्च 2022 |11

बजट 2022-23 संशोधित अनुमान 2021-22 : 37.70 लाख करोड़ रुपये वर्ष 2022-23 में कुल अनुमानित व्यय : 39.45 लाख करोड़ रुपये वर्ष 2022-23 में उधारी के अलावा कुल प्राप्तियां : 22.84 लाख करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.9 प्रतिशत (बजट अनुमानों में 6.8 प्रतिशत की तुलना में) वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत अनुमानित।

प्रत्यक्ष कर

स्थिर एवं संभावित कर व्यवस्था संबंधी नीति को आगे बढ़ाया जाएगा : विश्वसनीय कर व्यवस्था स्थापित करने का दृष्टिकोण। कर प्रणाली को सरल बनाना और मुकदमेबाजी को कम करना। नई "अद्यतनीकृत विवरणी' का चलन शुरू करना अतिरिक्त कर की अदायगी करके अद्यतन विवरणी दाखिल करने के लिए नया प्रावधान। करदाता को आय के आकलन में की गई गलतियों को सुधार कर अद्यतन विवरणी दाखिल करने का अवसर मिलेगा। अद्यतन विवरणी संबंधित आकलन वर्ष के अंत से दो वर्षों के भीतर दाखिल की जा सकती है।

सहकारी समितियां

सहकारी समितियों के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर भुगतान को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया गया। सहकारी समितियों और कंपनियों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।

उन सहकारी समितियों के लिए अधिभार की मौजूदा दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया गया, जिनकी कुल आमदनी एक करोड़ रुपये से अधिक और 10 करोड़ रुपये तक है।

दिव्यांगजनों को कर राहत

दिव्यांग आश्रितों को उनके माता-पिता/ अभिभावकों के जीवनकाल के दौरान यानी माता-पिता/ अभिभावकों के साठ वर्ष की आयु प्राप्त करने पर भी बीमा योजनाओं से वार्षिकी और एकमुश्त राशि की अदायगी की अनुमति।

राष्ट् रीय पेंशन योजना के योगदान में समानता

राज्य सरकार के कर्मचारियों के एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान पर कर कटौती की सीमा को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों को केन्द्रीय कर्मचारियों के समान सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहन

कर प्रोत्साहन उपलब्ध कराने के लिए पात्र स्टार्टअप के निगमन की अवधि को एक साल बढ़ाकर 31.03.2023 तक करने का प्रस्ताव। पहले निगमन की अवधि 31.03.2022 तक वैध।

रियायती कर व्यवस्था के अंर्तगत प्रोत्साहन

धारा 115बीएबी के तहत विनिर्माण एवं उत्पादन शुरू करने की अंतिम तिथि को एक साल के लिए यानी 31 मार्च, 2023 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया गया है।

वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के कराधान के लिए योजना

वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए विशेष कर प्रणाली लागू की गई। किसी भी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर कर की दर 30 प्रतिशत होगी। इस प्रकार की आय की गणना करते समय अधिग्रहण लागत को छोड़ कर किसी भी खर्च अथवा भत्ते के लिए कटौती नहीं होगी। वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से हुए नुकसान की भरपाई किसी अन्य आय से नहीं की जा सकती।

लेन-देन के विवरण के लिए वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर एक निश्चित मौद्रिक सीमा से ऊपर की रकम के लिए 1 प्रतिशत की दर से टीडीएस देय होगा। वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के उपहार पर भी प्राप्तकर्ता के यहाँ कर देय होगा।

मुकदमा प्रबंधन

यदि किसी मामले में कानून उसी तरह का हो जिससे संबंधित कोई मामला उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हो तो विभाग द्वारा अपील दायर करने की प्रक्रिया को अदालत द्वारा उस कानून के संबंध में फैसला दिये जाने तक टाल दिया जाए। करदाताओं और विभाग के बीच दोहरायी जाने वाली मुकदमेबाजी को कम करने में इससे काफी मदद मिलेगी।

आईएफएससी को कर प्रोत्साहन

निम्नलिखित को निर्धारित शर्तों के साथ कर से छूट प्रदान की गई : विदेशी डेरीवेटिव प्रपत्रों से किसी प्रवासी को कोई आमदनी। किसी विदेशी बैंकिंग इकाई द्वारा जारी काउंटर डेरीवेटिव्स से होने वाली आय। जहाज के पट्टे से मिली रायल्टी एवं ब्याज आय। आईएफएससी में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं से प्राप्त आय।

अधिभार का यौक्तिकीकरण

एओपी (अनुबंध के निष्पादन के लिए गठित कंसोर्टियम) पर अधिभार की उच्चतम सीमा 15 प्रतिशत निर्धारित की गई है। व्यक्तिगत कंपनियों और एओपी के बीच अधिभार में अंतर को कम किया गया है। किसी भी प्रकार की परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर अधिभार की अधिकतम सीमा 15 प्रतिशत होगी।

स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर

आय और मुनाफे पर किसी भी अधिभार अथवा उपकर को कारोबारी खर्च की श्रेणी में रखने की अनुमति नहीं होगी।

कर-वंचन की रोकथाम

तलाशी एवं सर्वेक्षण कार्रवाइयों के दौरान पता लगे और प्रकट आय के संबंध में किसी भी प्रकार की हानि के प्रति समंजन की अनुमति नहीं दी जाएगी। www.charaiveti.org

12 | मार्च 2022

बजट 2022-23

टीडीएस प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाना

कारोबार को बढ़ावा देने की रणनीति के तहत हित लाभ एजेंटों के हाथों में कर योग्य होते है, इसलिए लाभ एजेंटों तक अग्रसारित किया जाएगा। हित लाभ देने वाले व्यक्ति द्वारा कर कटौती के लिए उपबंध करने का प्रस्ताव होगा, बशर्ते वित्त वर्ष के दौरान ऐसे हित लाभों का कुल मूल्य 20,000 रुपये से अधिक न हो।

अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में असाधारण प्रगति

वैश्विक महामारी के बावजूद जीएसटी राजस्व में उछाल है। इस बढ़ोत्तरी के लिए करदाता सराहना के पात्र है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र

एसईजेड का सीमा शुल्क प्रशासन पूरी तरह आईटी से संचालित होगा और कस्टम्स नेशनल पोर्टल पर कार्य करेगा, जिसे 30 सितंबर, 2022 से क्रियान्वित किया जाएगा।

सीमा शुल्क सुधार एवं शुल्क दर में बदलाव

फेसलेस सीमा शुल्क पूरी तरह स्थापित कर दिया गया है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सीमा शुल्क संगठनों ने चपलता और संकल्प प्रदर्शित करते हुए सभी मुश्किलों के प्रति असाधारण फ्रंट लाइन कार्य किया है।

परियोजनागत आयात एवं पूज ं ीगत वस्तुएं

पूंजीगत वस्तुओं और परियोजनागत आयातों में रियायती दरों को क्रमिक रूप से हटाने और 7.5 प्रतिशत असाधारण शुल्क लगाने का प्रस्ताव। इससे घरेलू क्षेत्र और "मेक इन इंडिया' के विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन उन्नत मशीनरियों के लिए कतिपय छूट बनी रहेंगी, जिनका देश के भीतर विनिर्माण नहीं किया जाता है। विशेषीकृत कॉस्टिंग्स, बॉल स्क्रू और लीनियर मोशन गाइड पर कुछ छूट देने का चलन शुरू किया जा रहा है ताकि पूंजीगत वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जा सके।

सीमा शुल्क छूट एवं शुल्क सरलीकरण की समीक्षा

350 से अधिक प्रस्तावित छूट प्रविष्टियों को धीरे-धीरे हटाए जाने का प्रस्ताव है। इनमें कई कृषि उत्पाद, रसायन, वस्त्र, चिकित्सा उपकरण और दवाएं शामिल हैं जिनके लिए पर्याप्त घरेलू

क्षमता मौजूद है। विशेषकर रसायन, कपड़ा और धातु जैसे क्षेत्रों के लिए सीमा शुल्क दर एवं शुल्क दर संरचना सरल हो जाएंगी और विवाद कम हो जाएगा। जो वस्तुएं भारत में विनिर्मित की जाती है या की जा सकती है उनके लिए छूट हटाने से और अर्धनिर्मित उत्पादों के विनिर्माण में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल पर रियायती शुल्क लगाने से "मेक इन इंडिया' और "आत्मनिर्भर भारत' के हमारे लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

क्षेत्र विशेष प्रस्ताव इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र

देश में पहनने वाले उपकरणों, सुने जा सकने वाले उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स स्मार्ट मीटरों के निर्माण को सुविधाजनक बनाने हेतु श्रेणीबद्ध दरें तय करने के लिए सीमा शुल्क दरों में संशोधन किया जाएगा। देश में ज्यादा वृद्धि दर वाले इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का निर्माण करने के लिए मोबाइल फोन के चार्जर के ट्रांसफॉर्मर के कलपुर्जों और मोबाइल कैमरा मॉड्यूल के कैमरा लेंस और कुछ अन्य वस्तुओं पर शुल्क में छूट दी जाएगी।

र�न एवं आभूषण

रत्न व आभूषण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए तराशे एवं पॉलिश किए गए हीरों और रत्न पत्थरों पर सीमा शुल्क घटाकर 5 प्रतिशत किया जा रहा है, केवल तराशे गए हीरे पर कुछ भी सीमा शुल्क नहीं लगेगा। ई-कॉमर्स के जरिए आभूषण निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सरल नियामकीय रूपरेखा इस वर्ष जून तक लागू की जाएगी। कम मूल्य वाले इमिटेशन आभूषण का आयात हतोत्साहित करने के लिए इमिटेशन आभूषण के आयात पर प्रति किलो कम-से-कम 400 रुपये का सीमा शुल्क लगाया जाएगा।

से जुड़े कलपुर्जों पर दी जा रही शुल्क छूट को तर्कसंगत बनाया जा रहा है। पिछले साल स्टील स्क्रैप पर दी गई सीमा शुल्क छूट अब एक साल और दी जाएगी, ताकि एमएसएमई से जुड़े द्वितीयक इस्पात उत्पादकों को राहत मिल सके। स्टेनलेस स्टील एवं इस्पात के कोटेड चौरस उत्पादों, एलॉय स्टील एवं हाई-स्पीड स्टील की छड़ों पर कुछ एंटी-डंपिंग शुल्क एवं सीवीडी को वापस लिया जा रहा है, ताकि जन हित में इस धातु की मौजूदा ऊंची कीमतों से निपटा जा सके।

निर्यात

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ वस्तुओं जैसे कि फास्टनर्स, बटन, जि‍पर, लाइनिंग मैटेरियल, विशेष चमड़ा, फर्नीचर फिटिंग्स एवं पैकेजिंग बॉक्स पर छूट दी जा रही हैं। झींगा जलीय कृषि के लिए आवश्यक कुछ कच्चे माल पर शुल्क घटाया जा रहा है, ताकि इसके निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

ईंधन के मिश्रण को बढ़ावा देने के लिए शुल्क संबंधी उपाय

गैर-मिश्रित ईंधन पर 1 अक्टूबर, 2022 से प्रति लीटर 2 रुपये का अतिरिक्त विभेदक उत्पाद शुल्क लगेगा, ताकि ईंधन के मिश्रण को बढ़ावा दिया जा सके। Á

रसायन

कुछ महत्वपूर्ण रसायनों यथा मेथानॉल, एसि‍टिक एसिड और पेट्रोलियम शोधन से जुड़े हेवी फीड स्टॉक पर सीमा शुल्क घटाया जा रहा है, देश में पर्याप्त क्षमता वाले सोडियम साइ‍नाइड पर सीमा शुल्क बढ़ाया जा रहा हैइससे देश में मूल्यवर्धन करने में मदद मिलेगी।

एमएसएमई

छतरी पर सीमा शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जा रहा है। छतरी के कलपुर्जों पर दी जा रही शुल्क छूट को वापस लिया जा रहा है। भारत में निर्मित किए जाने वाले कृषि क्षेत्र

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मार्च 2022 |13

बजट 2022-23

आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था

अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का एक बड़ा अभियान निरंतर चल रहा है। हमारी सरकार ने बीते सालों में एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद की है। सिर्फ धान की ही बात करें तो इस सीजन में किसानों को एमएसपी के रूप में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक मिलने का अनुमान है।

वर्तमान

समय भारत के लिए नए सिरे से तैयारी का, नए संकल्पों की सिद्धि का समय है। बहुत जरूरी है कि भारत आत्मनिर्भर बने और उस आत्मनिर्भर भारत की नींव पर एक आधुनिक भारत का निर्माण हो। बीते सात वर्षों में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा जो निर्णय लिए गए, जो नीतियां बनीं, पहले की जिन नीतियों में सुधार हुआ, उस वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था का निरंतर विस्तार हो रहा है। केंद्र सरकार के प्रयासों से आज देश में लगभग 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से लगभग 5 करोड़

से अधिक पानी के कनेक्शन, जल जीवन मिशन के तहत पिछले 2 वर्ष में दिए गए हैं। इस बार के बजट में घोषणा की गई है कि इस साल करीब 4 करोड़ ग्रामीण घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन दिया जाएगा। इस पर 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। केन-बेतवा को लिंक करने के लिए जो हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, उससे यूपी और एमपी के बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर भी बदलने वाली है। अब बुंदेलखंड के खेतों में और हरियाली आएगी, घरों में पर्याप्त पीने का पानी आएगा, खेतों में पानी आएगा।

आकांक्षी जिला अभियान से इन जिलों में गरीब की शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली-पानी के लिए जो काम हुए, उसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र ने भी की है। सीमा पर मौजूद गांवों के विकास के लिए बजट में विशेष वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का ऐलान किया गया है। राष्ट्र रक्षा से जुड़े एक और बड़े अभियान "पर्वतमाला परियोजना' की बजट में घोषणा की गई है। ये हिमालय के क्षेत्रों में आधुनिक कनेक्टिविटी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने वाली है। अब हम नेचुरल फार्मिंग कॉरिडोर पर काम कर रहे हैं। ये कॉरिडोर 2500 किलोमीटर का होगा। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, www.charaiveti.org

14 | मार्च 2022

बजट 2022-23 बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मां गंगा के किनारे 5 किलोमीटर चौड़ा नेचुरल फार्मिंग का कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का एक बड़ा अभियान निरंतर चल रहा है। हमारी सरकार ने बीते सालों में एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद की है। सिर्फ धान की ही बात करें तो इस सीजन में किसानों को एमएसपी के रूप में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक मिलने का अनुमान है। भाजपा युवा आकांक्षाओं और युवा सपनों को समझती है। इस बजट में स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स बेनिफिट को आगे बढ़ाया गया है। अब पोस्ट ऑफिस के खातों में भी बैंकों की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और ऑनलाइन फंड ट्रांसफर की सुविधा मिल पाएगी।

डेढ़ करोड़ नौकरियां सुरक्षित हुई हैं और करीब 6 करोड़ लोगों की जीविका सुरक्षित हुई है।

आज सस्ता और तेज इंटरनेट भारत की पहचान बन चुका है। बहुत जल्द सभी गांव तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पूरी होगी। 5G सर्विस की लॉन्चिंग भारत में ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को एक अलग ही आयाम देने वाली है।

2014 में देश में 90 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज थे। ये 90 हजार किलोमीटर हाइवे पिछले 70 सालों में बने थे। हमने पिछले 7 सालों में ही 50 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज बनाए हैं। पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के तहत देश में नए हाइवे और बनाएँगे।

भारत मोबाइल गेमिंग को लेकर दुनिया के टॉप 5 मार्केट्स में से एक है। भारत को ग्लोबल गेम डेवलपर्स और गेमिंग सर्विस का हब बनाने के लिए इस बजट में एक टास्क फोर्स के गठन की बात कही गई है।

देश में चार जगहों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाए जाएंगे। मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक फेसिलिटीज के लिए 100 प्रधानमंत्री गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल्स विकसित किए जाएंगे।

डिजिटल करेंसी से, डिजिटल इकॉनॉमी को बहुत बल मिलेगा। इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम से MSME सेक्टर में लगभग

इन 7 सालों में हमने 25 हजार गैरजरूरी अनुपालनों को खत्म किया है। 15 सौ गैर-जरूरी और पुराने कानूनों को भी खत्म किया गया है। इसी भरोसे की बुनियाद पर सरकार "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0' अभियान भी शुरू करने जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने केंद्रीय बजट 2022-23 के परिप्रेक्ष्य में देश भर के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ आयोजित वर्चुअल संवाद कार्यक्रम ""आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था'' को संबोधित किया और इस बार के बजट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही, इस प्रो-पीपल और प्रोग्रेसिव बजट के विभिन्न आयामों से अवगत कराया। जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया

आज सस्ता और तेज इंटरनेट भारत की पहचान बन चुका है। बहुत जल्द सभी गांव तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पूरी होगी। 5G सर्विस की लॉन्च िंग भारत में ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डू इंग बिजनेस को एक अलग ही आयाम देने वाली है। बदल गई, वैसे ही कोरोना के बाद दुनिया में बहुत सारे बदलाव की संभावना है। इस समय 100 साल में आई सबसे बड़ी वैश्विक महामारी से देश लड़ रहा है। कोरोना का ये कालखंड पूरी दुनिया के लिए एक प्रकार से टर्निंग प्वाइंट है। आगे जो दुनिया हम देखने वाले हैं, वो वैसी नहीं होगी जैसी कोरोना काल से पहले थी। ये भारत के लिए नए सिरे से तैयारी का, नए अवसरों का, नए संकल्पों की सिद्धि का समय है। बहुत जरूरी है कि भारत आत्मनिर्भर बने और उस आत्मनिर्भर भारत की नींव पर एक आधुनिक भारत का निर्माण हो। बीते सात वर्षों में जो निर्णय लिए गए,

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मार्च 2022 |15

बजट 2022-23

जो नीतियां बनीं, पहले की जिन नीतियों में सुधार हुआ, उस वजह से आज भारत की अर्थव्यवस्था का निरंतर विस्तार हो रहा है। जब गरीब को मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं तो वो अपनी ऊर्जा, अपने विकास, देश के विकास में लगाता है। इस बजट का भी फोकस गरीब, मिडिल क्लास और युवाओं को बुनियादी सुविधाएं देने और आय के स्थाई समाधानों से जोड़ने पर है। सरकार के प्रयासों से आज देश में करीबकरीब 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से करीब-करीब 5 करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन, जल जीवन मिशन के तहत पिछले 2 वर्ष में दिए गए हैं। अब बजट में घोषणा की गई है कि इस

साल करीब 4 करोड़ ग्रामीण घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन दिया जाएगा। इस पर 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। विशेष रूप से केन-बेतवा को लिंक करने के लिए जो हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, उससे यूपी और एमपी के बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर भी बदलने वाली है। अब बुंदेलखंड के खेतों में और हरियाली आएगी, घरों में पर्याप्त पीने का पानी आएगा, खेतों में पानी आएगा। भारत जैसे देश में कोई क्षेत्र पिछड़ा रहे, ये ठीक नहीं था। इसलिए हमने आकांक्षी जिला अभियान शुरू किया था। इन जिलों में गरीब की शिक्षा के लिए, स्वास्थ्य के लिए, सड़कों के लिए, बिजली-पानी के लिए जो काम हुए, उसकी प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र ने भी की है। सीमा पर मौजूद गांवों के विकास के बारे में नए सिरे से सोचा गया है। ऐसे गावों में हर प्रकार की सुविधा हो, बिजली-पानी-सड़क का इंतजाम हो, इसके लिए बजट में विशेष वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का ऐलान किया गया है। राष्ट्र रक्षा से जुड़े एक और बड़े अभियान "पर्वतमाला परियोजना' की बजट में घोषणा की गई है। ये हिमालय के क्षेत्रों में आधुनिक कनेक्टिविटी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने वाली है। देश की कृषि को टेक्नॉलॉजी आधारित और कैमिकल फ्री बनाने के लिए बड़े कदम इस बजट में उठाए गए हैं। बीते बजट में हमने किसान रेल और किसान उड़ान की सुविधा सुनिश्चित की, अब किसान ड्रोन किसान का नया साथी बनने वाला है। अब हम नेचुरल फार्मिंग कॉरिडोर पर काम कर रहे हैं। ये कॉरिडोर 2500 किलोमीटर का होगा। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मां गंगा के किनारे 5 किलोमीटर चौड़ा

नेचुरल फार्मिंग का कॉरिडोर तैयार किया जाएगा।हर साल जो लाखों करोड़ रुपए हम खाद्य तेल खरीदने के लिए विदेश भेजते हैं, वह देश के किसानों को ही मिले, इसके लिए विशेष योजनाएं लागू की जा रही हैं। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का एक बड़ा अभियान निरंतर चल रहा है जिसके माध्यम से खेत में ही सोलर पैनल लगाने के लिए मदद दी जा रही है। एमएसपी को लेकर भी अनेक प्रकार की बातें फैलाई गई लेकिन हमारी सरकार ने बीते सालों में एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद की है। सिर्फ धान की ही बात करें तो इस सीजन में किसानों को एमएसपी के रूप में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक मिलने का अनुमान है। भाजपा युवा आकांक्षाओं और युवा सपनों को समझती है। ये इस बजट में भी स्पष्ट रूप से दिखता है। इस बजट में स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स बेनिफिट को आगे बढ़ाया गया है। अब पोस्ट ऑफिस के खातों में भी बैंकों की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और ऑनलाइन फंड ट्रांसफर की सुविधा मिल पाएगी। अभी देश में डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस हैं, जिसमें से अधिकतर गांवों में हैं। पोस्ट ऑफिस में जिनके सुकन्या समृद्धि अकाउंट और पीपीएफ अकाउंट हैं, उनको भी अब अपनी किश्त जमा करने पोस्ट ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है। अब वो सीधे अपने बैंक अकाउंट से ऑनलाइन ट्रांसफर कर पाएंगे। अब पोस्ट ऑफिस के खातों में भी बैंकों की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और ऑनलाइन फंड ट्रांसफर की सुविधा मिल पाएगी। आज सस्ता और तेज इंटरनेट भारत की पहचान बन चुका है। बहुत जल्द सभी गांव तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी पूरी होगी। 5G सर्विस की लॉन्चिंग भारत में ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को एक अलग ही आयाम देने वाली है। आज देश में एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक (AVGC) सेक्टर भी तेजी से विकास कर रहा है। भारत मोबाइल गेमिंग को लेकर दुनिया के टॉप 5 मार्केटस में से एक है। इस सेक्टर में ""क्रियेट इन इंडिया'' और ""ब्रांड इंडिया'' को सशक्त करने का भरपूर पोटेंशियल है। भारत को ग्लोबल गेम डेवलपर्स और गेमिंग सर्विस का हब बनाने के लिए इस बजट में एक टास्क फोर्स के गठन की बात कही गई है। अखबारों में डिजिटल करेंसी की भी काफी चर्चा है। इससे डिजिटल इकॉनॉमी को बहुत बल मिलेगा। ये डिजिटल रुपया अभी जो हमारी फिजिकल करेंसी है उसका ही डिजिटल स्वरूप होगा और इसे आरबीआई द्वारा प्रबंधित किया जाएगा। इसको फिजिकल www.charaiveti.org

16 | मार्च 2022

बजट 2022-23 करेंसी से एक्सचेंज किया जा सकेगा। कोरोना काल में हमने छोटे उद्यमियों को ध्यान में रखते हुए इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू की थी। एसबीआई के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि इस योजना से MSME सेक्टर में लगभग डेढ़ करोड़ नौकरियां सुरक्षित हुई हैं और करीब 6 करोड़ लोगों की जीविका सुरक्षित हुई है। इस बार बजट में एक बात जो सबसे खास, और सबसे अलग है तो वो है - पब्लिक इन्वेस्टमेंट। ये कितना बड़ा कदम है और इसका असर कितना बड़ा होगा, इस बात का अनुमान इससे लगा सकते हैं कि वर्ष 201314 में सार्वजनिक निवेश सिर्फ 1 लाख 87 हजार करोड़ था। इस बजट में ये 7 लाख 50 हजार करोड़ रुपए है। 2014 में देश में 90 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज थे। ये 90 हजार किलोमीटर हाइवे पिछले 70 सालों में बने थे। हमने पिछले 7 सालों में ही 50 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवेज बनाए हैं। पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के तहत देश में नए हाइवे और बनाएँगे। देश में चार जगहों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाए जाएंगे। मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक फेसिलिटीज के लिए 100 प्रधानमंत्री गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल्स विकसित किए जाएंगे। इससे उद्योगों, व्यापार के लिए किसी भी चीज के लाने ले जाने में लगने वाला समय कम होगा, भारत से निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। इन 7 सालों में हमने 25 हजार गैर-जरूरी अनुपालनों को खत्म किया है। 15 सौ गैर-जरूरी और पुराने कानूनों को भी खत्म किया गया है। इसी भरोसे की बुनियाद पर सरकार "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0'अभियान भी शुरू करने जा रही है। Á

प्रधानमंत्री श्री मोदी की सर्कु लर इकोनामी और "वेस्ट टू वेल्थ '' परिकल्पना को

मध्यप्रदेश ने दिया मूर्त रूप

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पूरे संसार के कल्याण की बात को पी-3 एप्रोच, मिशन लाइफ, वेस्ट-टू -वेल्थ और पंचामृत के माध्यम से सामने रखा है। इस पर्यावरण हितैषी मंत्र और संकल्प को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश ने अमल प्रारंभ किया है।

प्र

धानमंत्री श्री मोदी जी की प्रेरणा से इंदौर ने "वेस्ट-टू-वेल्थ' के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। गीले कचरे से सीएनजी बनाने वाले इस एशिया के सबसे बड़े गोबर-धन प्लांट का प्रधानमंत्री जी ने वर्चुअल लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्वच्छता और पर्यावरण से जुड़े विषयों पर पूरी दुनिया को दिशा दी है। प्रधानमंत्री जी के लिए विश्व के अन्य देशों के प्रमुख वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड जैसी प्रशंसनीय उक्ति का प्रयोग करते हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पूरे संसार के कल्याण की बात को पी-3 एप्रोच, मिशन लाइफ, वेस्ट-टू-वेल्थ और पंचामृत के माध्यम से सामने रखा है। प्रधानमंत्री जी के इस पर्यावरण हितैषी मंत्र और संकल्प को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश ने अमल प्रारंभ किया है। मध्यप्रदेश उनके इस मंत्र को धरती पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव भारत की प्रगति के लिए केवल अमृत महोत्सव नहीं बल्कि स्वर्ण काल है। मध्यप्रदेश स्वच्छता और पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर दिखाएगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पंचामृत का मंत्र दिया है। इस मंत्र के अनुरूप मध्यप्रदेश में सोलर एनर्जी और बायोमास के उपयोग को भी आंदोलन का स्वरूप दिया जा रहा है। यह प्लांट इंदौर के आसपास के ग्राम से पशुपालकों और किसानों से गोबर और अन्य कचरे को क्रय कर धन बनाने वाला संयंत्र होगा। अनेक परिवारों को इस प्लांट से स्थायी रोजगार मिल रहा है। कचरे के साथ गोबर का उपयोग बैक्टीरिया डेव्लप करने की प्रोसेसिंग में किया जाएगा। इंदौर में बाजार मूल्य से 5 रूपए प्रति किलो कम कीमत पर सिटी बसों के लिए सीएनजी की उपलब्धता होगी। प्लांट में शुरूआती दौर में 21 प्रतिशत और अगले तीन वर्ष में शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा का उपयोग होगा। इंदौर शहर को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा। साथ ही इस प्लांट से आगामी 20 वर्ष तक इंदौर नगर निगम को प्रति वर्ष 2 करोड़ 52 लाख प्रीमियम मिलता रहेगा। प्रधानमंत्री जी ने बिजली बचाने को बिजली बनाने के बराबर बताया है। इसलिए मध्यप्रदेश ऊर्जा साक्षरता अभियान चलाकर बिजली बचाने के काम में भी लगा हुआ है। स्वच्छता अभियान शहर और गाँव में भी चल ही रहा है, एक और अभियान अंकुर अभियान पर्यावरण को बचाने के लिए संचालित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी के संकल्पों को जमीन पर उतारने में मध्यप्रदेश कोई कसर नहीं छोड़ेगा। आत्म-निर्भर भारत के लिए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए संकल्पित है। Á

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मार्च 2022 |17

बजट 2022-23

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को नये भारत के निर्माण का बजट प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद

{ समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रस्तुत बजट से अधोसंरचना विकास को मिलेगी गति { राज्यों में निर्मित होंगे रोजगार के अवसर { मध्यप्रदेश के लिए बड़ी सौगात है केनबेतवा लिंक परियोजना की स्वीकृति { कृषि को हाइटेक बनाकर किसान को लाभ उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त करेगा यह बजट { बजट में नई शिक्षा नीति को लागू करने के पर्याप्त प्रावधान { स्वास्थ्य अधोसंरचना होगी बेहतर { देश की सुरक्षा के लिए हैं पर्याप्त प्रावधान { संपूर्ण समावेशी और हर भारतीय के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला है यह बजट



मृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रस्तुत किए गए इस बजट से अधो-संरचना विकास को गति मिलेगी। अधो-संरचना विकास के लिए बजट में 35 प्रतिशत राशि बढ़ाई गई है। इससे अधो-संरचना विकास के साथ रोजगार के अवसर सृजित होंगे। बजट में राज्यों को भी अधिक धनराशि प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। यह धनराशि राज्यों के अधोसंरचना विकास में लगेगी, जिससे राज्यों में भी रोजगार

किसानों की आय को दोगुना करने का बजट है। बजट में खेती को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए आवश्यक प्रावधान किए गए हैं। कृषि को हाइटेक बनाकर किसान को उसका लाभ उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। के अवसर निर्मित होंगे। मध्यप्रदेश को बजट में बड़ी सौगात मिली है। नदी जोड़ो परियोजना में केन-बेतवा लिंक परियोजना पर 44 हजार करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की जाएगी। इससे बुंदेलखण्ड को नया स्वरूप प्राप्त होगा। किसानों की आय को दोगुना करने का बजट है। बजट में खेती को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए आवश्यक प्रावधान किए गए हैं। कृषि को हाइटेक बनाकर किसान को उसका लाभ उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। प्राकृतिक खेती जन-सामान्य के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगी और इससे धरती का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। यह आम आदमी का बजट है, जिसमें गरीब, निम्न, और मध्यम वर्गीय परिवारों की जिन्दगी में खुशहाली लाने का प्रयास किया गया है। बजट में नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए पर्याप्त प्रावधान है। कोविड काल के बाद देश में स्वास्थ्य अधो-संरचना बेहतर बनाने के लिए भी आवश्यक व्यवस्था की गई है। वर्ष 2022-23 का केंद्रीय बजट महिला

सशक्तीकरण, युवाओं को रोजगार देने, गरीब एवं किसान के कल्याण और एक शक्तिशाली भारत के निर्माण का बजट है, जिसमें देश की सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त प्रावधान किया गया है। रक्षा बजट में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर जिस दिशा में देश को ले जाना चाहते हैं, उसके लिए बजट में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। अगर इस ऐतिहासिक बजट को एक वाक्य में कहना हो, तो ""संपूर्ण समावेशी, हर एक भारतीय के जीवन में सकारात्मक बदलाव का बजट।'' केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखण्ड के सूखा प्रभावित जिलों में पेयजल, सिंचाई, बिजली की सुविधाओं के साथ ही रोजगार, औद्योगीकरण एवं निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में प्रगतिशील भारत में सबकी उन्नति का अवसर उपलब्ध है। "वन स्टेशन-वन प्रोडक्ट' का अभूतपूर्व निर्णय, छोटे किसानों और उद्यमियों के जीवन में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाला सिद्ध होगा। Á www.charaiveti.org

18 | मार्च 2022

बजट 2022-23

भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने वाला बजट

ं परियोजना के बजट आवंटन के लिए प्रधानमंत्री जी का आभार केन-बेतवा लिक

आत्मनिर्भर भारत अभियान जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विदेशों पर निर्भरता कम कर रहा है, वहीं यह देश के युवाओ ं के लिए बड़ी मात्रा में रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है।

इस वर्ष सरकार ने इस अभियान के अंतर्गत 16 लाख नौकरियां उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है।

2022-23

का बजट सिर्फ एक वर्ष का बजट नहीं है, बल्कि इसमें आगामी 25 वर्षों तक देश को तरक्की के रास्ते पर दौड़ाने वाली दृष्टि भी है। यह बजट उन मूलभूत उपायों को आगे बढ़ाएगा, जिन्हें 2014 के बाद से प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार ने शुरू किया था। देश की अर्थव्यवस्था ने कोरोना संकट के बावजूद जो गति दिखाई है, उससे स्पष्ट है कि देश प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने अधोसंरचना के विकास और विस्तार के लिए 35 हजार करोड़ का प्रावधान किया है और आने वाले साल में देश की अर्थव्यवस्था 9.2 प्रतिशत की दर से विकास करेगी, जो दुनिया के विकसित देशों से भी ज्यादा है। वहीं, केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 44 हजार करोड़ का बजट

आवंटित कर केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र में खेती को संजीवनी देने तथा पेयजल संकट के स्थायी समाधान का प्रयास किया है। यह बजट जहां एक तरफ युवाओं को रोजगार, किसानों को खुशहाली देगा तो वहीं, दूसरी तरफ भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर और आगे बढ़ाएगा।

युवाओं को रोजगार, छात्रों को मिलेंगे शिक्षा के अवसर

आत्मनिर्भर भारत अभियान जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विदेशों पर निर्भरता कम कर रहा है, वहीं यह देश के युवाओं के लिए बड़ी मात्रा में रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है। इस वर्ष सरकार ने इस अभियान के अंर्तगत 16 लाख नौकरियां उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है। युवाओं में उद्योगों की मांग के अनुरूप

क्षमताओं के विकास के लिए सरकार कौशल विकास कार्यक्रमों को नए सिरे से शुरू करने जा रही है। इसके साथ ही राज्यों में संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों को भी जरूरत के अनुसार अपग्रेड किये जाने का प्रावधान किया गया है। कोरोना महामारी के कारण कक्षा 9 से 12 तक के करीब 13 करोड़ से अधिक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने ई-विद्या के अंर्तगत एक चैनल-एक क्लास योजना शुरू की है। ऐसे करीब 200 ई-विद्या चैनल शुरू किए जाने का प्रावधान है। वहीं, देश में एक डिजिटल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी, जिसमें अनेक भाषाओं में पढ़ाई होगी। शिशुओं के स्वस्थ विकास के लिए सरकार ने 2 लाख से अधिक आंगनबाड़ियों को अपग्रेड करने का निर्णय लिया है।

विकसित होगी कृषि, किसान होंगे खुशहाल

सरकार ने विभिन्न फसलों की एमएसपी अब सीधे किसानों के खाते में भेजने का ऐलान किया है, जिससे बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। किसानों को फसलों का लाभप्रद मूल्य दिलाने के उद्देश्य से सरकार ने इस सत्र में 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदने का प्रावधान किया है। देश के किसानों की समृद्धि के लिए संकल्पित प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार ने किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाएं प्रदान करने के लिए पीपीपी मॉडल में योजना की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सरकार ने जीरो बजट और ऑर्गेनिक खेती, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन और प्रबंधन पर जोर देने के प्रावधान बजट में किए हैं। कृषि में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देते हुए सरकार ने फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड, कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग का निर्णय लिया है। नाबार्ड के माध्यम से किसानों के लिए फंड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। स्टार्टअप एफपीओ को सपोर्ट करके किसानों को हाईटेक बनाया जाएगा और डिजिटल सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। कृषि उत्पादों के परिवहन को आसान बनाने के लिए 100 गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल बनाए जाएंगे। किसानों को मोटे अनाज

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मार्च 2022 |19

बजट 2022-23 वाली फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस वर्ष को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश की केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए बजटीय प्रावधान किया है, इससे बुंदेलखंड के 9 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा देश की पांच और नदी लिंक परियोजनाओं पर काम आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

आमजन को होगी आसानी, उठे गा जीवनस्तर

आम आदमी को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स की दरें यथावत रखी हैं, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स को 18 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने का ऐलान किया है। दिव्यागों के लिए करों में राहत का प्रावधान किया है। सरकार ने वर्ष 2022-23 में पीएम आवास योजना के तहत 80 लाख मकान बनाए जाने का प्रावधान किया है, जिसके लिए 48 हजार करोड़ का फंड रखा गया है। केंद्र सरकार ने इसी वर्ष से अपनी डिजिटल करेंसी शुरू करने का निर्णय लिया है, जिससे आम लोगों को लेन-देन में आसानी होगी, वहीं देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा बूस्ट मिलने की संभावना है। देश में उद्योगों के विकास और युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगी। इसके लिए कुल खरीदी बजट में से 68 प्रतिशत को घरेलू बाजार से खरीदी पर खर्च किये जाने का प्रावधान किया गया है। Á

मन का संतोष

अटल बिहारी वाजपेयी

पृथिवी पर मनुष्य ही ऐसा एक प्राणी है, जो भीड़ में अकेला, और, अकेले में भीड़ से घिरा अनुभव करता है। मनुष्य को झुण्ड में रहना पसंद है। घर-परिवार से प्रारम्भ कर, वह बस्तियाँ बसाता है। गली-ग्राम-पुर-नगर सजाता है। सभ्यता की निष्ठुर दौड़ में, संस्कृति को पीछे छोड़ता हुआ, प्रकृति पर विजय, मृत्यु को मुट्‌ठी में करना चाहता है। अपनी रक्षा के लिए औरों के विनाश के सामान जुटाता है। आकाश को अभिशप्त, धरती को निर्वसन, वायु को विषाक्त, जल को दूषित करने में संकोच नहीं करता।

किंतु, यह सब कुछ करने के बाद जब वह एकान्त में बैठकर विचार करता है, वह एकान्त, फिर घर का कोना हो, या कोलाहल से भरा बाजार, या प्रकाश की गति से तेज उड़ता जहाज, या कोई वैज्ञानिक प्रयोगशाला, या मंदिर या मरघट। जब वह आत्मालोचन करता है, मन की परतें खोलता है, स्वयं से बोलता है, हानि-लाभ का लेखा-जोखा नहीं, क्या खोया, क्या पाया का हिसाब भी नहीं, जब वह पूरी जिंदगी को ही तौलता है, अपनी कसौटी पर स्वयं को ही कसता है, निर्ममता से निरखता, परखता है, तब वह अपने मन से क्या कहता है! इसी का महत्व है, यही उसका सत्य है। अंतिम यात्रा के अवसर पर, विदा की वेला में, जब सबका साथ छूटने लगता है, शरीर भी साथ नहीं देता, तब आत्मग्लानि से मुक्त यदि कोई हाथ उठाकर यह कह सकता है कि उसने जीवन में जो कुछ किया, सही समझकर किया, किसी को जानबूझकर चोट पहुँचाने के लिए नहीं, सहज कर्म समझकर किया, तो उसका अस्तित्व सार्थक है, उसका जीवन सफल है। उसी के लिए यह कहावत बनी है, मन चंगा तो कठौती में गंगाजल है।

जल जीवन मिशन से 5.5 करोड़ घरों को नल जल आपूर्ति अगस्त,

2019 में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के आरंभ होने के बाद से 5.5 करोड़ से अधिक घरों को नल जल आपूर्ति उपलब्ध कराई गई है। जल जीवन मिशन (जेजेएम) ने 2024 तक ग्रामीण भारत में घरों को व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पर्याप्त सुरक्षित पेय जल उपलब्ध कराने की कल्पना की है और इससे 19 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों या 90 करोड़ से अधिक ग्रामीण आबादी को लाभ पहुंचेगा। 2019 में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 18.93 करोड़ परिवारों में से लगभग 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास उनके घरों में नल जल कनेक्शन थे। दिनांक 02 जनवरी, 2022 तक 5,51,93,885 घरों को मिशन की शुरुआत के बाद से नल जल आपूर्ति प्रदान की गई। छह राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों, अर्थात गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पुद्दुचेरी, दादरा नगर हवेली और दमन दीव तथा हरियाणा ने नल जल आपूर्ति के साथ 100 प्रतिशत घरों की प्रतिष्ठित स्थिति हासिल की है। इसी तरह, 83 जिलों, 1016 ब्लॉकों, 62,749 पंचायतों और 1,28,893 गांवों

ने 100 प्रतिशत घरों में नल जल आपूर्ति की स्थिति हासिल कर ली है। 19.01.2022 तक जल जीवन मिशन के तहत 8,39,443 स्कूलों को जल आपूर्ति उपलब्ध कराई जा चुकी है। जेजेएम के तहत स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों, जीपी भवनों, स्वास्थ्य केन्द्रों, कल्याण केन्द्रों और सामुदायिक भवनों को कार्यात्मक नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, सूखाग्रस्त एवं रेगिस्तानी क्षेत्रों के गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) गांवों के लिए प्राथमिकता है। मिशन के लिए कुल परिव्यय 3.60 लाख करोड़ रुपये है। जेजेएम पारदर्शिता एवं जवाबदेही के लिए प्रौद्योगिकीय युक्तियों का उपयोग करेगा जिनमें (i) प्राकृतिक एवं वित्तीय प्रगति अधिकृत करने के लिए आइएमआईएस, (ii) "डैशबोर्ड, (iii) "मोबाइल ऐप', (iv) वास्तविक समय आधारित गांवों में मात्रा, गुणवत्ता एवं नियमितता के लिए जलापूर्ति की माप तथा निगरानी के लिए सेंसर आधारित आईओटी समाधान, (v) प्रत्येक सृजित परिसंपत्ति की जियो-टैंगिंग, (vi) नल कनेक्शन को "आधार संख्या' से जोड़ना, (vii) सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से लेनदेन शामिल हैं। Á www.charaiveti.org

20 | मार्च 2022

बजट 2022-23

आत्मनिर्भर भारत का बजट

"आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था' का बजट जे.पी. नड्डा

आजादी

के अमृत काल में देश के लिए अगले 25 साल की बुनियाद रखने वाले, आत्मनिर्भर भारत की नींव रखने का प्रधानमंत्री जी का जो संकल्प है, इस बार का बजट उस संकल्प को जमीन पर उतारने वाला है। यह बजट देश के लिए अगले 25 साल की बुनियाद रखेगा। प्रधानमंत्री जी ने देश के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित किया है और कोरोना के बावजूद देश तेज गति से आर्थिक संकल्पों को पूरा करने में लगा है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी द्वारा पेश किया गया आम बजट प्रधानमंत्री जी की सामाजिक न्याय, समानता, सम्मान और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबके प्रयास की नीति को चरितार्थ कर रहा है। इस बार का बजट प्रो-पीपल और प्रोग्रेसिव तो है ही, साथ ही यह आम आदमी के जीवन-स्तर में सकारात्मक बदलाव लाने वाला बजट भी है। इसमें ईज ऑफ लिविंग पर जोर दिया गया है। चाहे प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव की बात हो, गति शक्ति योजना के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बूस्ट देना हो, ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर जोर देना हो या सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की बात हो, इस बजट ने हर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का रोडमैप दिया है। मोर ग्रोथ (More Growth), मोर जॉब्स (More Jobs) और एम्पलॉयमेंट के साथ विकास को कैसे आगे बढ़ाना है, देश की अर्थव्यवस्था को कैसे बूस्ट करना है, उस पर भी बजट में चर्चा की गई है, यह बजट आजादी के अमृतकाल में देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के प्रधानमंत्री जी के संकल्पों को रेखांकित करता है। Á

आम

अमित शाह

बजट 2022-23 भारत की अर्थव्यवस्था का स्केल बदलने वाला बजट है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आत्मनिर्भर भारत के बजट 202223 के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी एवं उनकी पूरी टीम को धन्यवाद। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया ये बजट, एक दूरदर्शी बजट है, जो भारत की अर्थव्यवस्था का स्केल बदलने वाला बजट साबित होगा। ये बजट भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ स्वतंत्रता के 100वें वर्ष के नए भारत की नींव डालेगा। इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी का हार्दिक अभिनंदन। बजट का आकार बढ़ाकर 39.45 लाख करोड़ करना, कोरोनाकाल में भी भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को दर्शाता है। राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.4 प्रतिशत करना बहुत बड़ी उपलब्धि है। विश्वास है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत राजकोषीय घाटे को 4 प्रतिशत से नीचे लाने में सफल होगा। आत्मनिर्भर भारत का यह बजट कोरोना के बाद वैश्विक आर्थिक जगत में उत्पन्न हुए अवसरों का दोहन करके प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत को विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनाने में सहायक होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता क्षेत्र में AMT रेट को 18.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत और सरचार्ज को 12 प्रतिशत से 7 प्रतिशत घटाकर, दशकों तक सहकारिता क्षेत्र के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करके उसे बाकी क्षेत्रों के बराबर लाने का काम किया है। ये यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सहकार से समृद्धि के संकल्प को सिद्ध करने का काम करेगा। जीरो बजट खेती, प्राकृतिक खेती, रिवर लिंकिंग, एक स्टेशन-एक उत्पाद और किसान ड्रोन जैसे विभिन्न प्रयास हमारे किसान भाइयों को लाभ देने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को आधुनिक

व आत्मनिर्भर बनाने के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संकल्प को साकार करने में अहम भूमिका निभायेंगे। पूंजीगत निवेश को 35 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ करने के लिए मोदी जी का अभिनन्दन करता हूँ। साथ ही राज्यों को दी जाने वाली राशि को 15000 करोड़ से बढ़ाकर 1 लाख करोड़ करना मोदी जी के द्वारा संघीय ढाँचे को निरंतर मजबूती देने के प्रयासों को प्रमाणित करता है। वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सभी 1.5 लाख डाकघरों को कोर बैंकिंग से जोड़ने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को बहुत लाभ मिलेगा। साथ ही, डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंक भी स्थापित किए जाएंगे। पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास हमेशा मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। पूर्वोत्तर के लिए ""पीएम डेवलपमेंट इनिशिएटिव'' की घोषणा पीएम मोदी के समृद्ध पूर्वोत्तर के सपने को साकार करने में एक लंबा सफर तय करेगी। गरीबों के जीवनस्तर को बेहतर करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री जी कृत संकल्पित हैं। इसी संकल्प को गति देते हुए मोदीजी ने हर घर जल योजना में ₹60,000 करोड़ से 3.83 करोड़ घरों को शुद्ध पेयजल और पीएम आवास योजना में ₹48000 करोड़ से 80 लाख गरीबों को घर देने का निर्णय लिया है। Á

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मार्च 2022 |21

स्टेचू ऑफ Equality

प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो...

"स्टेचू ऑफ Equality' समानता का संदेश

ओम असमद् गुरुभ्यो नम:! ओम श्रीमते रामानुजाय नम:!

मां

शारदा की विशेष कृपा अवतार श्री रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर स्थापित हुई। मां सरस्वती से प्रार्थना है कि जगद् गुरु रामानुजाचार्य जी का ज्ञान विश्व का पथ प्रदर्शन करे। हमारे यहाँ कहा गया है-

"ध्यान मूलम् गुरु मूर्ति'! अर्थात्, हमारे गुरु की मूर्ति ही हमारे ध्यान का केंद्र है। क्योंकि, गुरु के माध्यम से ही ज्ञान प्रकट होता है। जो अबोध है, उसका बोध होता है। अप्रकट को प्रकट करने की ये प्रेरणा, सूक्ष्म को भी साकार करने का ये संकल्प, यही भारत की परंपरा रही है। हमने हमेशा उन मूल्यों और विचारों को आकार दिया है, जो युगों-युगों तक मानवता को दिशा दिखा सकें । जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है। ये प्रतिमा न केवल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी, बल्कि भारत की प्राचीन पहचान को भी मजबूत करेगी। सभी देशवासियों को, और पूरे विश्व में फैले रामानुजाचार्य जी के सभी अनुयायियों को अनेक-अनेक बधाई। आलवार संतों ने जिन 108 दिव्य देशम् मंदिरों का दर्शन पूरे भारत में भ्रमण करके किया था, वैसा ही सौभाग्य श्री रामानुजाचार्य जी की कृपा से यहीं मिल गया। मानवता के कल्याण का जो यज्ञ उन्होंने 11वीं शताब्दी में शुरू किया था, वही संकल्प यहाँ 12 दिनों तक विभिन्न अनुष्ठानों में दोहराया गया।

"विश्वक् सेन इष्टि यज्ञ" संकल्पों और लक्ष्यों की पूर्ति का यज्ञ है।

दुनिया की अधिकांश सभ्यताओं में, अधिकांश दर्शनों में किसी विचार को या तो स्वीकार किया गया है, या फिर उसका खंडन किया गया है। लेकिन भारत एक ऐसा देश है, जिसके मनीषियों ने ज्ञान को खंडन-मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति इससे ऊपर

रामानुजाचार्य जी भारत की एकता और अखंडता की भी एक प्रदीप्त प्रेरणा हैं। उनका जन्म दक्षिण में हुआ, लेकिन उनका प्रभाव दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत पर है।

अन्नामाचार्य जी ने तेलगु में उनकी प्रशंसा की है, कनकदास जी ने कन्नड़ भाषा में रामानुजाचार्य जी की महिमा गायी है, गुजरात और राजस्थान में भी अनेक संतों के उपदेशों में रामानुजाचार्य जी के विचारों की सुगध ं महसूस होती है।

ही उठाकर के देखा। स्वंय उससे ऊपर उठे। दिव्य दृष्टि से उस विवाद को देखा। हमारे यहाँ अद्वैत भी है, द्वैत भी है। और, इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुये श्री रामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी हमारे लिये प्रेरणा है। रामानुजाचार्य जी के ज्ञान की एक अलग भव्यता है। साधारण दृष्टि से जो विचार परस्पर विरोधाभाषी लगते हैं, रामानुजाचार्य जी उन्हें बड़ी सहजता से एक सूत्र में पिरो देते हैं। उनके ज्ञान से, उनकी व्याख्या से सामान्य से सामान्य मानवी भी जुड़ जाता है। एक ओर रामानुजाचार्य जी के भाष्यों में ज्ञान की पराकाष्ठा है, तो दूसरी ओर वो भक्तिमार्ग के जनक भी हैं। एक ओर वो समृद्ध सन्यास परंपरा के संत भी हैं, और दूसरी ओर गीता

भाष्य में कर्म के महत्व को भी अत्यंत उत्तम रूप में प्रस्तुत करते हैं। वो खुद भी अपना पूरा जीवन कर्म के लिए समर्पित करते रहे हैं। रामानुजाचार्य जी ने संस्कृत ग्रन्थों की भी रचना की, और तमिल भाषा को भी भक्तिमार्ग में उतना ही महत्व दिया। आज भी रामानुज परंपरा के मंदिरों में थिरुप्पावाई के पाठ के बिना शायद ही कोई अनुष्ठान पूरा होता हो। आज जब दुनिया में सामाजिक सुधारों की बात होती है, प्रगतिशीलता की बात होती है, तो माना जाता है कि सुधार जड़ों से दूर जाकर होगा। लेकिन, जब रामानुजाचार्य जी को देखते हैं, तो अहसास होता है कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है। ये जरूरी नहीं है कि सुधार के लिए अपनी जड़ों www.charaiveti.org

22 | मार्च 2022

स्टेचू ऑफ Equality से दूर जाना पड़े। बल्कि जरूरी ये है कि हम अपनी असली जड़ो से जुड़ें, अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित हों! आज से एक हजार साल पहले तो रूढ़ियों का दबाव, अंधविश्वास का दबाव, कल्पना के बाहर कितना ज्यादा रहा होगा! लेकिन रामानुजाचार्य जी ने समाज में सुधार के लिए समाज को भारत के असली विचार से परिचित करवाया। उन्होंने दलितों-पिछड़ों को गले लगाया, उस समय जिन जातियों को लेकर कुछ और भावना थी, उन जातियों को उन्होंने विशेष सम्मान दिया। यादवगिरि पर उन्होंने नारायण मंदिर बनवाया, जिसमें दलितों को दर्शन पूजन का अधिकार दिया। रामानुजाचार्य जी ने बताया कि धर्म कहता है""न जाति: कारणं लोके गुणा: कल्याण हेतव:'' अर्थात्, संसार में जाति से नहीं, गुणों से कल्याण होता है। रामानुजाचार्य जी के गुरु श्री महापूर्ण जी ने एक बार दूसरी जाति के अपने एक मित्र का अंतिम संस्कार किया था। उस समय रामानुजाचार्य जी ने लोगों को भगवान श्रीराम की याद दिलाई थी। उन्होंने कहा कि अगर भगवान राम अपने हाथों से जटायु का अंतिम संस्कार कर सकते हैं, तो भेदभाव वाली सोच का आधार धर्म कैसे हो सकता है? ये अपने आप में बहुत बड़ा संदेश है। हमारी संस्कृति की ये विशेषता रही है कि, सुधार के लिए, हमारे समाज के भीतर से ही लोग निकलते हैं। युगों से देखते आईए, समाज में जब भी कुछ बुराई के तत्व फैलने लगते हैं, कोई न कोई महापुरुष हमारे ही बीच में से पैदा होता है। और ये हजारों वर्षों का अनुभव है कि ऐसे सुधारकों को हमेशा उनके कालखंड में शायद स्वीकृति मिली हो या ना मिली हो, चुनौतियाँ रही हो या ना रही हों, संकट झेलने पड़े हों या ना पड़े हों, विरोध भी सहना पड़ा हो, लेकिन उस विचार में, उस तत्व में इतनी ताकत रहती थी, उनका conviction इतना जबरदस्त होता था कि वो समाज के बुराईयों के खिलाफ लड़ने के लिए अपनी शक्ति लगा देते थे। लेकिन जब समाज इसे समझ पाता है तो जिसका

कभी विरोध होता है, उसको स्वीकृति भी उतनी तेजी से मिलती है। सम्मान और आदर भी उतना ही मिलता है। ये इस बात का सबूत है कि बुराइयों के पक्ष में, कुरीतियों के पक्ष में, अंधविश्वास के पक्ष में in general हमारे समाज में सोशल sanction नहीं होता है। जो बुराई से लड़ते हैं, जो समाज को सुधारते हैं, हमारे यहां उन्हें ही मान और सम्मान मिलता है। सब लोग रामानुजाचार्य जी के जीवन के विभिन्न आयामों से परिचित हैं। वो समाज को सही दिशा देने लिए आध्यात्म के संदेशों का भी प्रयोग करते थे, और व्यवहारिक जीवन का भी! जाति के नाम पर जिनके साथ भेदभाव होता था, रामानुजाचार्य जी ने उन्हें नाम दिया थिरुकुलथार। यानि लक्ष्मी जी के कुल में जन्म लेने वाला, श्रीकुल, या दैवीय जन! वो स्नान करके आते समय अपने शिष्य "धर्नुदास' के कंधे पर हाथ रखकर आते थे। ऐसा करके रामानुजाचार्य जी छुआछूत की बुराई को

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मार्च 2022 |23

स्टेचू ऑफ Equality

"सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास" के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है। विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। सामाजिक न्याय, सबको मिले, बिना भेदभाव मिले। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया, वो पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत, एकजुट प्रयास कर रहा है। मिटाने का संकेत देते थे। यही वजह थी कि बाबा साहब अंबेडकर जैसे समानता के आधुनिक नायक भी रामानुजाचार्य जी की भरपूर प्रशंसा करते थे, और समाज को भी कहते थे कि अगर सीखना है तो रामानुजाचार्य जी की शिक्षा से सीखो। और इसीलिए, रामानुजाचार्य जी विशाल मूर्ति स्टेचू ऑफ equality के रूप में समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर देश "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास' के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है। विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। सामाजिक न्याय, सबको मिले, बिना भेदभाव मिले। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया, वो

पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत, एकजुट प्रयास कर रहा है। आज सरकार जो योजनाएं चला रही है, उनका बहुत बड़ा लाभ हमारे दलित-पिछड़े भाईबहनों को हो रहा है। चाहे पक्के घर देना हो या फिर उज्जवला का मुफ्त गैस कनेक्शन, चाहे 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा हो या फिर बिजली का मुफ्त कनेक्शन, चाहे जनधन बैंक खाते खोलना हो या फिर स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों शौचालयों का निर्माण करना हो, ऐसी योजनाओं ने दलित-पिछड़े, गरीब, शोषित-वंचित, सभी का भला किया है, बिना भेदभाव, सबको सशक्त किया है। रामानुजाचार्य जी कहते थे-

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24 | मार्च 2022

स्टेचू ऑफ Equality ""उईरगलुक्कूल बेडम इल्लै''। अर्थात्, सभी जीव समान हैं। वो ब्रह्म और जीव की एकता की बात ही करके रूकते नहीं थे, वो वेदान्त के इस सूत्र को स्वंय भी जीते थे। उनके लिए स्वयं में और दूसरों में कोई भेद नहीं था। यहाँ तक कि उन्हें अपने कल्याण से ज्यादा जीव के कल्याण की चिंता थी। उनके गुरु ने कितने ही प्रयासों के बाद जब उन्हें ज्ञान दिया, तो उसे गुप्त रखने के लिए कहा। क्योंकि, वो गुरुमंत्र उनके कल्याण का मंत्र था। उन्होंने साधना की थी, तपस्या की थी, जीवन समर्पित किया था और इसलिये ये गुरुमंत्र मिला था। लेकिन रामानुजाचार्य जी की सोच अलग थी। रामानुजाचार्य जी ने कहापतिष्ये एक एवाहं, नरके गुरु पातकात्। सर्वे गच्छन्तु भवतां, कृपया परमं पदम्। यानी, मैं अकेला नर्क जाऊँ तो भी कोई बात नहीं, लेकिन बाकी सबका कल्याण होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने मंदिर के शिखर पर चढ़कर हर नर नारी को वो मंत्र सुनाया जो उनके गुरु ने उन्हें उनके कल्याण के लिए दिया था। समानता का ऐसा अमृत रामानुजाचार्य जी जैसा कोई महापुरुष ही निकाल सकता था, जिसने वेद वेदान्त का वास्तविक दर्शन किया हो। रामानुजाचार्य जी भारत की एकता और अखंडता की भी एक प्रदीप्त प्रेरणा हैं। उनका जन्म दक्षिण में हुआ, लेकिन उनका प्रभाव दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत पर है। अन्नामाचार्य जी ने तेलगु में उनकी प्रशंसा की है, कनकदास जी ने कन्नड़ भाषा में रामानुजाचार्य जी की महिमा गायी है, गुजरात और राजस्थान में भी अनेक संतों के उपदेशों में रामानुजाचार्य जी के विचारों की सुगंध महसूस होती है। और, उत्तर में रामानन्दीय परंपरा के गोस्वामी तुलसीदास जी से लेकर कबीरदास तक, हर महान संत के लिए रामानुजाचार्य परम गुरु हैं। एक संत कैसे अपनी

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मार्च 2022 |25

स्टेचू ऑफ Equality आध्यात्मिक ऊर्जा से पूरे भारत को एकता के सूत्र में पिरो देता है, रामानुजाचार्य जी के जीवन में हम ये देख सकते हैं। इसी आध्यात्मिक चेतना ने गुलामी के सैकड़ों वर्षों के कालखंड में, भारत की चेतना को जागृत रखा था। ये भी एक सुखद संयोग है कि श्री रामानुजाचार्य जी पर ये समारोह उसी समय में हो रहा है, जब देश अपनी आजादी के 75 साल मना रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव में हम स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहे हैं। आज देश अपने स्वाधीनता सेनानियों को कृतज्ञ श्रद्धांजलि दे रहा है। अपने इतिहास से हम अपने भविष्य के लिए प्रेरणा ले रहे हैं, ऊर्जा ले रहे हैं। इसीलिए, अमृत महोत्सव का ये आयोजन आजादी की लड़ाई के साथ साथ हजारों सालों की भारत की विरासत को भी समेटे हुये है। भारत का स्वाधीनता संग्राम केवल अपनी सत्ता और अपने अधिकारों की लड़ाई भर नहीं था। इस लड़ाई में एक तरफ "औपनिवेशिक मानसिकता' थी, तो दूसरी ओर "जियो और जीने दो' का विचार था। इसमें एक ओर, ये नस्लीय श्रेष्ठता और भौतिकवाद का उन्माद था, तो दूसरी ओर मानवता और आध्यात्म में आस्था थी। और इस लड़ाई में भारत विजयी हुआ, भारत की परंपरा विजयी हुई। भारत के स्वाधीनता संग्राम में समानता, मानवता और आध्यात्म की वो ऊर्जा भी लगी थी, जो भारत को रामानुजाचार्य जैसे संतों से मिली थी। क्या हम गांधी जी के बिना अपने स्वाधीनता संग्राम की कल्पना कर सकते हैं? और क्या हम अहिंसा और सत्य जैसे आदर्शों के बिना गांधी जी की कल्पना कर सकते हैं? आज भी गांधी जी का नाम आते ही "वैष्णव जन तो तेने कहिए', ये धुन हमारे अर्न्तमन में बजने लगती है। इसके रचयिता नरसी मेहता जी, रामानुजाचार्य जी की भक्ति परंपरा के ही महान संत थे। इसलिए, हमारी आजादी की लड़ाई को जिस तरह हमारी आध्यात्मिक चेतना ऊर्जा दे रही थी, वही ऊर्जा आजादी के 75 साल में हमारे अमृत संकल्पों को भी मिलनी चाहिए। भाग्यनगर का कौन ऐसा भाग्यशाली होगा? कौन ऐसा हैदराबादी होगा जो सरदार पटेल की दिव्य दृष्टि, सरदार पटेल का सामर्थ्य और हैदराबाद की आन-बान-शान के लिये सरदार साहब की कूटनीति को न जानता हो? आज देश में एक ओर सरदार साहब की "स्टेचू ऑफ यूनिटी' एकता की शपथ दोहरा रही है, तो रामानुजाचार्य जी की "स्टेचू ऑफ equality' समानता का संदेश दे रही है। यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की चिर पुरातन विशेषता है। हमारी एकता सत्ता या शक्ति की बुनियाद पर नहीं खड़ी होती, हमारी एकता समानता और समादर इस सूत्र से सृजित होती है। तेलुगू कल्चर ने भारत की विविधता को सशक्त किया है। तेलगू कल्चर की जड़ों का विस्तार सदियों में फैला हुआ है। अनेक महान राजा, रानियां, इसके

ध्वजावाहक रहे हैं। सातवाहन हों, काकातिया हो या विजयनगर साम्राज्य सभी ने तेलुगू संस्कृति की पताका को बुलंद किया। महान कवियों ने तेलुगू संस्कृति को समृद्ध किया है। पिछले वर्ष ही तेलांगना में स्थित 13वीं शताब्दी के काकातिया रुद्रेश्वर -रामाप्पा मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है । वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाईजेशन ने पोचमपल्ली को भी भारत के सबसे बेहतरीन tourism village का दर्जा दिया है। पोचमपल्ली की महिलाओं का हुनर पोचमपल्ली साड़ीयों के रूप में विश्व विख्यात है। ये वो संस्कृति है जिसने हमें हमेशा सद् भाव, भाई-चारा और नारी शक्ति का सम्मान करना सिखाया है।

तेलुगू संस्कृति की इस गौरवशाली परंपरा को आज तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री भी पूरे आन-बान-शान से आगे बढ़ा रही है। तेलुगू सिनेमा का दायरा सिर्फ उतना ही नहीं है जहां तेलुगू बोली जाती है। इसका विस्तार पूरे विश्व में है। सिल्वर स्क्रीन से लेकर OTT प्लेटफॉर्म्स तक इस creativity की चर्चा छाई हुई है। भारत के बाहर भी खूब प्रशंसा हो रही है। तेलुगू भाषी लोगों का अपनी कला और अपनी संस्कृति के प्रति ये समर्पण, सभी के लिए प्रेरणा समान है। आजादी के 75वें वर्ष में, इस अमृतकाल में, श्री रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा प्रत्येक देशवासी को निरंतर प्रेरित करेगी। Á

वीर सावरकर जी की अनन्य भक्त, भारत रत्न लता जी को श्रद्धांजलि



न्दौर में 28 सितम्बर 1929 को लता मंगेशकर जी का जन्म मराठी परिवार में हुआ था। आप का दुखद निधन मुम्बई में 6 फरवरी 2022 को हुआ। पिता श्री दीनानाथ मंगेशकर मशहूर थियेटर कलाकार व संगीतज्ञ थे, जो मूल रूप से गोवा के मंगेशी गाँव के थे और काम के कारण मुम्बई आ गये थे। अपने पिता के साथ लता जी ने गायन का अभ्यास किया। लता जी को क्वीन ऑफ मेलोडी, स्वर कोकिला, नाइटिंगल ऑफ इण्डिया जैसे नामों से विभूषित किया गया। लता जी को दादा साहब फाल्के, पद्म विभूषण और देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। लता जी ने देश विदेश की कई भाषाओं में गाने गाये। हिन्दी फिल्मों के पार्श्व गायन से कैरियर शुरू करने के बाद उनके नाम सबसे ज्यादा गाने गाने का गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम है। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के सभी महान संगीतकारों, गायकों के साथ लता मंगेशकर जी गायन कर चुकी हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और लता मंगेशकर जी का जन्म दिन

सितम्बर के महिने में ही आता है। वह स्नेह से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को नरेन्द्र भाई कह कर बुलाती थीं। 2013 में जब नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो लता दीदी और उनके परिवार ने पुणे में एक अत्याधुनिक अस्पताल का उद्धाटन करने के लिए उन्हें बुलाया था। जिसे उनके दिवंगत पिता श्री दीनानाथ मंगेशकर जी की याद में बनाया गया था। उसी ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान लता दीदी ने कहा था कि मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि हम नरेन्द्र भाई को पीएम के रूप में देखें। देखिए लता जी की प्रार्थना बिल्कुल सही स्वरूप में भगवान द्वारा स्वीकार कर ली गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने महान गायिका लता मंगेशकर जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पूरे देश की तरफ से मुम्बई जाकर लता जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री जी ने कहा की आने वाली पीढ़ियां लता जी को भारतीय संस्कृति के दिग्गज के रूप में हमेशा याद रखेगी। लता जी की सुरीली आवाज में लोगों को मंत्र मुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी। लता दीदी के गीतों में भावनाओं की विविधता थी। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। लता दीदी भारत के विकास को लेकर सजग थीं, जो हमेशा मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थीं। चरैवेति परिवार की ओर से लता दीदी को सादर श्रद्धांजलि। Á www.charaiveti.org

26 | मार्च 2022

स्टेचू ऑफ Equality

रामानुजाचार्य ने दुनिया को समता का संदेश दिया - अमित शाह

स्टै

च्यू ऑफ इक्वेलिटी, आकर कुछ करने की प्रेरणा मिलती है, चेतना और उत्साह दोनों का अनुभव होता है। किसी भी मत या संप्रदाय के अनुयायी हों, उन्हें एक बार यहां इसीलिए आना चाहिए क्योंकि अंततोगत्वा सनातन धर्म की शरण में ही सबके उद्धार का मूल है। रामानुजाचार्य के जीवन के 1000 साल को इससे बड़ी कोई भावांजलि, स्मरणांजलि और कार्यांजलि नहीं हो सकती। रामानुजाचार्य ने वेदों के मूल वाक्य को समय की गर्त से बाहर निकाल कर बिना कुछ बोले, अनेक परंपराओं को तोड़ते हुए, समाज के बीच रखा और उन्हें प्रस्थापित किया और आज 1000 साल के बाद भी ना केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को ये संदेश दे रहा है। दूर से देखने पर स्टेच्यू ऑफ इक्वेलिटी आत्मा को शांति देती है, चित्त और मन को प्रसन्न करती है और नजदीक जाते ही रामानुजाचार्य का संदेश देश की हर भाषा में देखने को मिलता है। रामानुजाचार्य ने पूरी दुनिया के लिए समता का संदेश दिया और ये स्मारक युगों-युगों तक समग्र विश्व में सनातन धर्म का संदेश फैलाने का काम करेगा। भारत के इतिहास में कई उतार चढ़ाव आए हंै, सनातन धर्म समय के थपेड़ों को सहते-सहते, अपने अस्तित्व को बचाते हुए आगे बढ़ता गया। जब भी सनातन धर्म पर संकट आया है, कोई ना कोई आया है जिसने सनातन धर्म की जोत को प्रज्ज्वलित किया और इस ज्ञान यात्रा को पूरे विश्व में आगे बढ़ाया। रामानुजाचार्य भी एक ऐसे ही व्यक्ति थे, जिन्होंने शंकराचार्य के बाद इस काम को अच्छी तरह से किया। आदि शंकराचार्य ने कई मत-मतांतरों को एक करते हुए सनातन धर्म की छत्रछाया में देश को एक करने का काम किया। रामानुजाचार्य ने कई कुप्रथाएं बिना कटु विरोध किए बदलीं। सनातन धर्म में मैं ही सत्य हूं और जड़ता और अहंकार नहीं है। यहां स्मारक के साथ-साथ वेदाभ्यास की भी व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही रामानुजाचार्य के जीवन के संदेश को हर

जब भी सनातन धर्म पर संकट आया है, कोई ना कोई आया है जिसने सनातन धर्म की जोत को प्रज्ज्वलित किया और इस ज्ञान यात्रा को पूरे विश्व में आगे बढ़ाया। रामानुजाचार्य भी एक ऐसे ही व्यक्ति थे, जिन्होंने शंकराचार्य के बाद इस काम को अच्छी तरह से किया। व्यक्ति समझ सके, इसके लिए देश की हर भाषा में प्रसारित करने का काम किया गया है। कई कुप्रथाओं को सनातन धर्म से बाहर निकालने के लिए रामानुजाचार्य के रूप में ईश्वर ने यहां आकर हम सबके बीच 120 सालों तक काम किया। समाज

में समता-समरसता स्थापित करने के लिए, द्वैत-अद्वैत और फिर विशिष्टाद्वैत, जटिल ज्ञान को लोकभोग्य बनाने का काम कई आचार्यों ने किया और उसमें सबसे बड़ा योगदान रामानुजाचार्य जी का था। रामानुजाचार्य ने मध्य मार्ग को व्याखायित करते हुए

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मार्च 2022 |27

स्टेचू ऑफ Equality विशिष्टाद्वैत की अवधारणा दी और भारतीय समाज में एकत्व लाने का क्रांतिकारी काम किया। रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैत दर्शन के कारण पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भारत एक सूत्र में बंध गया। रामानुजाचार्य के जीवन और योगदान को सरल शब्दों में अगर कहा जाए, तो समतासमरसता और सभी को ज्ञान ग्रहण करने का अधिकार है। जातिगत भेदभाव को भी 1000 साल पहले समाप्त करने के लिए क्रांतिकारी काम किया, क्षमता के अनुसार काम का विभाजन, पूजा के अधिकारों को, मंदिर के संचालन को 20 हिस्सों में बांटा। उन्होंने भाषा की समानता और मोक्ष के अधिकार को भी एक वर्ग-विशेष की जगह सबको दिया। रामानुजाचार्य ने कहा कि यदि शास्त्रों का ज्ञान केवल ईश्वर की भक्ति के बजाय अभिमान लाता है, तो यह ज्ञान मिथ्या है और इससे बेहतर अज्ञानी रहना है। बाबा साहेब अंबेडकर लिखते हैं कि ""हिंदू धर्म में समता की दिशा में यदि किसी ने महत्वपूर्ण कार्य किए और उन्हें लागू करने का प्रयास किया, तो वो संत श्री रामानुजाचार्य ने ही किया।'' मेलकोट में अपने प्रवास के दौरान, रामानुजाचार्य ने देखा कि समाज के कुछ वर्गों के भक्तों को सामाजिक मानदंडों के कारण मंदिर के अंदर पूजा करने की अनुमति नहीं थी। इस प्रथा से वह बहुत दुखी थे। उन्होंने इस पुरानी प्रथा में बदलाव किया और किसी भी भक्त को, पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, भगवान की पूजा करने की अनुमति देने का मार्ग प्रशस्त किया। महिला सशक्तिकरण के लिए भी उस दौर में संत श्री रामानुजाचार्य

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28 | मार्च 2022

स्टेचू ऑफ Equality कैसे काम करते थे, इसके कई उदाहरण हैं। एक बार तिरुवल्ली में एक दलित महिला के साथ एक शास्त्रार्थ के बाद उन्होंने उस महिला से कहा कि आप मुझसे कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं। इसके बाद संत श्री रामानुजाचार्य ने उस महिला को दीक्षा दी और उसकी मूर्ति बनाकर मंदिर में भी स्थापित कराई। रामानुजाचार्य बहुत विनम्र थे परंतु वह विद्रोही भी थे और बहुत सारी कुप्रथाओं को इनके अंदर की विद्रोही आत्मा ने समाप्त करने का काम किया। रामानुजाचार्य ने समता और समरसता का संदेश अपने कार्यों से दिया। जब विदेशी आक्रांताओं ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया तो मंदिर ध्वस्त होने लगे और तब रामानुजाचार्य ने भगवान को घर में रखकर पूजा करने की जो परंपरा दी थी, इसी के कारण हमारा सनातन धर्म चल रहा है। भाषा की समानता के लिए भी उन्होंने बहुत सारा काम किया। संस्कृत भाषा के वेद, भगवत गीता, साहित्य का सम्मान करते रहे परंतु उन्होंने रजवाड़ों के तमिल छंदों को भी मान देने की शुरुआत की। मोक्ष का अधिकार सिर्फ संन्यासियों को होता था ऐसी किवदंती थी। रामानुजाचार्य ने बताया अगर छोड़ना ही सन्यास है तो अपने जीवात्मा की रक्षा जो ईश्वर पर छोड़ देता है, अपने जीवन को, अपने भाग्य को जो ईश्वर पर छोड़ देता है वह भी सन्यासी है और उसको भी मोक्ष का अधिकार है। उनके जीवन से इतना मालूम पड़ता है कि बहुत विनम्रता के साथ बहुत सारी कुप्रथाओं को उन्होंने बदलने का काम किया मगर उनकी आत्मा के अंदर कुप्रथा के विद्रोह का

ही भाव था। विनम्रता और विद्रोह दो मिल जाते हैं तो सुधार जन्म लेता है। उन्होंने ढेर सारे मैनेजमेंट के लिए भी काम किए थे और विशिष्टाद्वैत का दर्शन और भक्ति संप्रदाय यह दोनों जब तक पृथ्वी रहेगी तब तक अक्षुण्ण रहेंगे, कभी कालबाह्य नहीं होंगे और स्वामी जी की बनाई हुई मूर्ति भी युगों युगों तक रामानुजाचार्य के संदेश को आगे बढ़ाती जाएगी। यह विधाता का ही आर्शीवाद है कि जिस कालखंड में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी बना है उसी कालखंड में भव्य राम मंदिर का

भी पुर्ननिर्माण हो रहा है, इसी कालखंड में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भी 650 साल के बाद पूर्णोद्धार हो रहा है, इसी कालखंड में केदारधाम भी बन रहा है, इसी कालखंड के अंदर बद्रीधाम का भी पुर्ननिर्माण का काम हो रहा है। यही कालखंड है जहां से सनातन धर्म को पूर्णतया जागृत करके समग्र विश्व में हमें नैतिकता के ज्ञान को आगे बढ़ाना है। सालों सालों तक रामानुजाचार्य का यह स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी विशिष्टाद्वैत, समानता और सनातन धर्म का संदेश विश्व भर को देगा। Á

रामानुजाचार्य ने वर्ग-विभेद को समाप्त कर समानता के सेतु बनाए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान

रामानुजाचार्य भारतीय संत परम्परा के मुकुटमणि थे

समानता और बंधुत्व की मजबूत नींव पर 216 फीट ऊंची प्रतिमा की सम्पूर्ण दर्शन स्थापना का कार्य वर्ष 2014 में प्रारं भ हु आ था। करीब एक हजार वर्ष पूर्व 11वीं

सदी में हु ए वैष्णव संत भगवत रामानुज की यह मूर्ति चिन्ना जियर ट्र स्ट में स्थित है। तमिलनाडु के श्री पेरम्बदूर में जन्मे रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन को पुर्नजीवित किया। उनकी शिक्षाओं से अन्य भक्ति विचारधाराएं भी पनपीं। अन्ना आचार्य, भक्त रामदास, कबीर, मीराबाई जैसे संतों, कवियों को भी प्रेरणा मिली। एक हजार वर्ष बाद आज भी उनके संदेश प्रासंगिक हैं। उनका सम्पूर्ण दर्शन अपने आप में एक विराट संसार है जो समता, समानता और बंधुत्व की मजबूत नींव पर स्थापित है। उन्होंने समाज में वर्ग विभेद को समाप्त कर समानता के सेतु बनाने का प्रबल आग्रह किया। वे सिर्फ धर्म प्रचारक या संत ही नहीं थे, बल्कि स्वंय शेषावतार थे, जिन्होंने अपनी शिक्षाओं और कार्यों से भारतीय परम्परा के शाश्वत मूल्यों को उद् घाटित किया था। विभिन्न भारतीय संस्कृतियों को जोड़कर वैदिक अद्वैत सिद्धांत को यथावत रखा। उनकी भक्ति भावना का प्रसार दक्षिण ही नहीं उत्तर भारत में भी हु आ। इस तरह वे भारतीय संत परम्परा के मुकु टमणि बने। Á www.charaiveti.org

मार्च 2022 |29

उपलब्धियां

18 हजार करोड़ रूपये बैंकों को वापस मिले न्यायालय को बताया है कि के न्द्रविजयसरकारमाल्या,ने उच्चतम नीरव मोदी और मेहुल चौकसी

मामले में 18 हजार करोड़ रूपये बैंकों को लौटा दिये गए हैं। केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया कि न्यायालय में धनशोधन निवारण अधिनियम के अंर्तगत लम्बित सभी मामलों में कुल 67 हजार करोड़ रूपये की राशि शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय चार हजार सात सौ मामलों की जांच कर रहा है। श्री मेहता ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में प्रतिवर्ष जांच किये गए मामलों की संख्या 2015-16 में 111 थी जो 2020-21 में बढ़कर 981 हो गई। Á

भारत में दनि ु या का सबसे अच्छा कोविड प्रबंधन या में सबसे अच्छा कोविड प्रबंधन भा रतकियाने हैदु।निभारत ने मिल-जुलकर काम करके

अपनी शक्ति और क्षमता का उपयोग किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रोत्साहन से वैज्ञानिकों ने एक वर्ष के भीतर स्वदेशी टीका विकसित कर लिया। भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है और सरकार इस दिशा में काम कर रही है। पहले लगभग 95 प्रतिशत दवाईयां मंगाई जाती थीं और इसके लिए सरकार फार्मा क्षेत्र में पहला प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव पीएलआई लाई है। Á

स्वच्छ भारत मिशन में तेज प्रगति

दि

नांक 2 अक्टूबर 2014 को एसबीएम-जी की स्थापना के बाद से ग्रामीण स्वच्छता ने अत्यधिक प्रगति की है। इसकी स्थापना के बाद से दिनांक 28.12. 2021 तक, ग्रामीण भारत में 10.86 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए। एसबीएम (जी) के दूसरे चरण के तहत, खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ)-प्लस वर्ष 2020-21 से वर्ष 2024-25 तक सभी गांवों को खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लक्ष्य के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 के दौरान (25.10.2021 तक) नए घरों के लिए कुल 7.16 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय तथा 19,061 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया। साथ ही 2,194 गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवें दौर के हाल ही में जारी निष्कर्षों के अनुसार, बेहतर स्वच्छता सुविधा का उपयोग करने वाले घरों में रहने वाली आबादी वर्ष 2015-16 में 48.5 प्रतिशत से बढ़कर अब 70.2 प्रतिशत हो गई। Á

सात महीनों में 48 अरब डॉलर का विदेशी निवेश

चालू

वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में 48 अरब डॉलर का विदेशी निवेश भारत की विकास गाथा में वैश्विक समुदाय के बढ़ते भरोसे का प्रमाण है। भारत के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान, हमारा वस्तु-निर्यात 300 अरब डॉलर (22 लाख करोड़ रुपये से अधिक) रहा, जो 2020 की समान अवधि की तुलना में डेढ़ गुना अधिक है। Á

आर्थिक वृद्धि दर-अनुमान साढ़े नौ प्रतिशत



मरीकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने वर्ष 2022 के लिए भारत का आर्थिक वृद्धि दर-अनुमान सात प्रतिशत से बढ़ाकर साढ़े नौ प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी ने 2020 के लॉकडाउन और महामारी की दूसरी लहर के बाद आशा से अधिक आर्थि‍क मजबूती और सुधारों का हवाला देते हुए भारत के लिए वृद्धि दर आकलन को संशोधित किया है। बिक्री कर संग्रह, खुदरा गतिविधियां और पीएमआई ने आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान की है। 2022- 2023 के बजट में पूंजीगत व्यय में 36 प्रतिशत के वृद्धि के साथ आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता दी गयी है। मौद्रिक नीति भी आर्थिक वृद्धि के अनुकूल है और रिजर्व बैंक ने फरवरी में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। Á www.charaiveti.org

30 | मार्च 2022

मन की बात

मातृभाषा गर्व के साथ बोलना चाहिए

काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है। साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं। लेकिन, पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमल्य ू प्रतिमाओ ं को, भारत, सफलता के साथ वापस ला चुका है।

मन

की बात की शुरुआत, भारत की सफलता के जिक्र के साथ करेंगे। इस महीने की शुरुआत में भारत, इटली से अपनी एक बहुमूल्य धरोहर को लाने में सफल हुआ है। ये धरोहर है, अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की हजार साल से भी ज्यादा पुरानी प्रतिमा। ये मूर्ति कुछ वर्ष पहले बिहार में गया जी के देवी स्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी हो गई थी। लेकिन अनेक प्रयासों के बाद अब भारत को ये प्रतिमा वापस मिल गई है। ऐसे ही कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु के वेल्लूर से भगवान आंजनेय्यर, हनुमान जी की प्रतिमा चोरी हो गई थी। हनुमान जी की ये मूर्ति भी 600700 साल पुरानी थी। इस महीने की शुरुआत में, ऑस्ट्रेलिया में हमें ये प्राप्त हुई, हमारे मिशन को मिल चुकी है। हजारों वर्षों के हमारे इतिहास में, देश के कोनेकोने में एक-से-बढ़कर एक मूर्तियां हमेशा बनती

रहीं, इसमें श्रद्धा भी थी, सामर्थ्य भी था, कौशल्य भी था और विविधताओं से भरा हुआ था और हमारे हर मूर्तियों के इतिहास में तत्कालीन समय का प्रभाव भी नजर आता है। ये भारत की मूर्तिकला का नायाब उदाहरण तो थीं हीं, इनसे हमारी आस्था भी जुड़ी हुई थी। लेकिन, अतीत में बहुत सारी मूर्तियां चोरी होकर भारत से बाहर जाती रहीं। कभी इस देश में, तो कभी उस देश में ये मूर्तियां बेचीं जाती रहीं और उनके लिए वो तो सिर्फ कलाकृति थी। न उनको उसके इतिहास से लेना देना था, श्रद्धा से लेना देना था। इन मूर्तियों को वापस लाना, भारत माँ के प्रति हमारा दायित्व है। इन मूर्तियों में भारत की आत्मा का, आस्था का अंश है। इनका एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है। इस दायित्व को समझते हुए भारत ने अपने प्रयास बढ़ाए। और इसका कारण ये भी हुआ कि चोरी करने की जो प्रवृति थी, उसमें भी एक भय पैदा हुआ। जिन देशों में ये मूर्तियां चोरी करके ले जाई गईं थीं, अब उन्हें भी लगने लगा कि भारत के साथ रिश्तों में soft power का जो diplomatic channel होता है उसमें इसका भी बहुत बड़ा महत्व हो सकता है। क्योंकि इसके साथ भारत की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं, भारत की श्रद्धा जुड़ी हुई है, और, एक प्रकार से people to people relation में भी ये बहुत ताकत पैदा करता है। अभी आपने कुछ दिन पहले देखा होगा, काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा भी वापस लाई गई थी। ये भारत के प्रति बदल रहे वैश्विक नजरिये का ही उदाहरण है।

अमेरिका, ब्रिटेन, हॉलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां वापस लाने में हमारी मदद की है। साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं। लेकिन, पिछले सात साल में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को, भारत, सफलता के साथ वापस ला चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन, हॉलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, ऐसे कितने ही देशों ने भारत की इस भावना को समझा है और मूर्तियां वापस लाने में हमारी मदद की है। मैं पिछले साल सितम्बर में जब अमेरिका गया था, तो वहां मुझे काफी पुरानी-पुरानी कई सारी प्रतिमाएँ और

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मार्च 2022 |31

मन की बात

सांस्कृतिक महत्व की अनेक चीजें प्राप्त हुई। देश की जब कोई बहुमूल्य धरोहर वापस मिलती है, तो स्वाभाविक है इतिहास में श्रद्धा रखने वाले, archaeology में श्रद्धा रखने वाले, आस्था और संस्कृति के साथ जुड़े हुए लोग, और एक हिन्दुस्तानी के नाते, हम सबको, संतोष मिलना बहुत स्वाभाविक है। भारतीय संस्कृति और अपनी धरोहर की बात करते हुए मैं आपको "मन की बात' में दो लोगों से मिलवाना चाहता हूं। इन दिनों फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर तंजानिया के दो भाई-बहन किलिपॉल और उनकी बहन नीमा बहुत चर्चा में हैं, और मुझे पक्का भरोसा है, आपने भी, उनके बारे में जरुर सुना होगा। उनके अंदर भारतीय संगीत को लेकर एक जुनून है, एक दीवानगी है और इसी वजह से वे काफी लोकप्रिय भी हैं। Lip Sync के उनके तरीके से पता चलता है कि इसके लिए वे कितनी ज्यादा मेहनत करते हैं। हाल ही में, गणतन्त्र दिवस के अवसर पर हमारा राष्ट्रगान "जन गण मन' गाते हुए उनका वीडियो खूब वायरल हुआ था। कुछ दिन पहले उन्होंने लता दीदी का एक गाना गाकर उनको भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि भी दी थी। मैं इस अद्भुत Creativity के लिए इन दोनों भाईबहन किलि और नीमा उनकी बहुत सराहना करता हूं। कुछ दिन पहले तंजानिया में भारतीय दूतावास में इन्हें सम्मानित भी किया गया है। भारतीय संगीत का जादू ही कुछ ऐसा है, जो सबको मोह लेता है। कुछ वर्ष पहले दुनिया के डेढ़ सौ से ज्यादा देशों के गायकों-संगीतकारों ने अपने-अपने देश में, अपनी-अपनी वेशभूषा में पूज्य बापू का प्रिय,

महात्मा गाँधी का प्रिय भजन, "वैष्णव जन' गाने का सफल प्रयोग किया था। आज जब भारत अपनी आजादी के 75वाँ वर्ष का महत्वपूर्ण पर्व मना रहा है, तो देशभक्ति के गीतों को लेकर भी ऐसे प्रयोग किए जा सकते हैं। जहाँ विदेशी नागरिकों को, वहाँ के प्रसिद्ध गायकों को, भारतीय देशभक्ति के गीत गाने के लिये आमंत्रित करें। इतना ही नहीं अगर तंजानिया में किलि और नीमा भारत के गीतों को इस प्रकार से Lip Sync कर सकते हैं तो क्या मेरे देश में, हमारे देश की कई भाषाओं में, कई प्रकार के गीत हैं क्या हम कोई गुजराती बच्चे तमिल गीत पर करें, कोई केरल के बच्चे असमिया गीत पर करें, कोई कन्नड़ बच्चे जम्मू-कश्मीर के गीतों पर करें। एक ऐसा माहौल बना सकते हैं हम, जिसमें "एक भारत-श्रेष्ठ भारत' हम अनुभव कर सकेंगे। इतना ही नहीं हम आजादी के अमृत महोत्सव को एक नए तरीके से जरुर मना सकते हैं। मैं देश के नौजवानों से आव्हान करता हूँ, कि भारतीय भाषाओं के जो popular गीत हैं उनको आप अपने तरीके से popular बनाइए, बहुत popular हो जाएंगे आप। और देश की विविधताओं का नयी पीढ़ी को परिचय होगा। कुछ दिन पहले ही, हमने, मातृभाषा दिवस मनाया। जो विद्वान लोग हैं, वो मातृभाषा शब्द कहाँ से आया, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, इसे लेकर बहुत academic input दे सकते हैं। मैं तो मातृभाषा के लिए यही कहूँगा कि जैसे हमारे जीवन को हमारी माँ गढ़ती है, वैसे ही, मातृभाषा भी, हमारे जीवन को गढ़ती है। माँ और मातृभाषा, दोनों मिलकर जीवन की foundation को मजबूत बनाते हैं, चिरंजीव बनाते हैं। जैसे, हम अपनी माँ को नहीं छोड़ सकते, वैसे ही, अपनी मातृभाषा को भी नहीं छोड़ सकते। मुझे बरसों पहले की एक बात याद है, जब, मुझे अमेरिका जाना हुआ, तो, अलग-अलग परिवारों में जाने का मौका मिलता था, कि एक बार मेरा एक तेलुगू परिवार में जाना हुआ और मुझे एक बहुत खुशी का दृश्य वहां देखने को मिला। उन्होंने मुझे बताया कि हम लोगों ने परिवार में नियम बनाया है कि कितना ही काम क्यों न हो, लेकिन अगर हम शहर के बाहर नहीं हैं तो परिवार के सभी सदस्य dinner, table पर बैठकर साथ में लेंगे और दूसरा dinner की table पर compulsory हर कोई तेलुगू भाषा में ही बोलेगा। जो बच्चे वहाँ पैदा हुए थे, उनके लिए भी ये नियम था। अपनी मातृभाषा के प्रति ये प्रेम देखकर इस परिवार से मैं बहुत प्रभावित हुआ था। आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वन्द में जी रहे हैं जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर एक संकोच होता है, जबकि, विश्व में कहीं और ऐसा नहीं है। हमारी मातृभाषा है,

हमारी भाषाओ ं की सबसे बड़ी खूबसूरती ये है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक सैकड़ों भाषाएं , हजारों बोलियाँ एक दस ू रे से अलग लेकिन एक दस ू रे में रचीबसी हुई हैं - भाषा अनेक भाव एक। सदियों से हमारी भाषाएँ एक दस ू रे से सीखते हुए खुद को परिष्कृत करती रही है, एक दस ू रे का विकास कर रही हैं। भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि द ुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है। हमें उसे गर्व के साथ बोलना चाहिए। भारत तो भाषाओं के मामले में इतना समृद्ध है कि उसकी तुलना ही नहीं हो सकती। हमारी भाषाओं की सबसे बड़ी खूबसूरती ये है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक सैकड़ों भाषाएं, हजारों बोलियाँ एक दूसरे से अलग लेकिन एक दूसरे में रची-बसी हुई हैं - भाषा अनेक - भाव एक।

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32 | मार्च 2022

मन की बात

सदियों से हमारी भाषाएँ एक दूसरे से सीखते हुए खुद को परिष्कृत करती रही है, एक दूसरे का विकास कर रही हैं। भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि दुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है। उसी प्रकार से जितने पुराने धर्मशास्त्र हैं, उसकी अभिव्यक्ति भी हमारी संस्कृत भाषा में है। भारत के लोग, करीब, 121, यानी हमें गर्व होगा 121 प्रकार की मातृ भाषाओं से जुड़े हुए हैं और इनमे 14 भाषाएँ तो ऐसी हैं जो एक करोड़ से भी ज्यादा लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बोलते हैं। यानी, जितनी कई यूरोपियन देशों की कुल जनसंख्या नहीं है, उससे ज्यादा लोग हमारे यहाँ अलग-अलग 14 भाषाओं से जुड़े हुए हैं। साल 2019 में, हिन्दी, दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे क्रमांक पर थी। इस बात का भी हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। भाषा, केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं है, बल्कि, भाषा, समाज की संस्कृति और विरासत को भी सहेजने का काम करती है। अपनी भाषा की विरासत को सहेजने का ऐसा ही काम सूरीनाम में सुरजन परोही जी कर रहे हैं। इस महीने की 2 तारीख को वो 84 वर्ष के हुए हैं। उनके पूर्वज भी बरसों पहले, हजारों श्रमिकों के साथ, रोजी-रोटी के लिए सूरीनाम गए थे। सुरजन परोही जी हिन्दी में बहुत अच्छी कविता लिखते हैं, वहां के राष्ट्रीय कवियों में उनका नाम लिया जाता है। यानी, आज भी उनके दिल में हिन्दुस्तान धड़कता है, उनके कार्यों में हिन्दुस्तानी मिट्टी की महक है। सूरीनाम के लोगों ने सुरजन परोही जी के नाम पर एक

संग्रहालय भी बनाया है। मेरे लिए ये बहुत सुखद है कि साल 2015 में मुझे उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला था। 27 फरवरी को मराठी भाषा गौरव दिवस भी है। ""सर्व मराठी बंधु भगिनिना मराठी भाषा दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा।'' ये दिन मराठी कविराज, विष्णु बामन शिरवाडकर जी, श्रीमान कुसुमाग्रज जी को समर्पित है। आज ही कुसुमाग्रज जी की जन्म जयंती भी है। कुसुमाग्रज जी ने मराठी में कविताएँ लिखी, अनेकों नाटक लिखे, मराठी साहित्य को नई ऊँचाई दी। हमारे यहाँ भाषा की अपनी खूबियाँ हैं, मातृभाषा का अपना विज्ञान है। इस विज्ञान को समझते हुए ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, स्थानीय भाषा में, पढ़ाई पर जोर दिया गया है। हमारे Professional courses भी स्थानीय भाषा में पढ़ाए जाएँ, इसका प्रयास हो रहा है। आजादी के अमृत काल में इस प्रयासों को हम सब ने मिलकर के बहुत गति देनी चाहिये, ये स्वाभिमान का काम है। मैं चाहूँगा, आप जो भी मातृभाषा बोलते हैं, उसकी खूबियों के बारे में अवश्य जानें और कुछ-ना-कुछ लिखें। कुछ दिनों पहले मेरी मुलाकात, मेरे मित्र, और Kenya के पूर्व प्रधानमंत्री राइला ओडिंगा जी से हुई थी। ये मुलाकात, दिलचस्प तो थी ही लेकिन बहुत भावुक थी। हम बहुत अच्छे मित्र रहे तो खुलकर के काफी बातें भी कर लेते हैं। जब हम दोनों बातें कर रहे थे, तो ओडिंगा जी ने अपनी बिटिया के बारे में बताया। उनकी बेटी Rosemary को Brain Tumour हो गया था और इस वजह से उन्हें अपनी बिटिया की Surgery करानी पड़ी थी। लेकिन, उसका एक दुष्परिणाम ये हुआ कि Rosemary की आंखों की रोशनी करीब-करीब चली गई, दिखाई देना ही बंद हो गया। अब आप कल्पना कर सकते हैं उस बेटी का क्या हाल हुआ होगा और एक पिता की स्थिति का भी हम अंदाज लगा सकते हैं, उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं। उन्होंने दुनियाभर के अस्पतालों में, कोई भी दुनिया का बड़ा देश ऐसा नहीं होगा, कि जहाँ उन्होंने, बेटी के इलाज के लिए, भरपूर कोशिश न की हो। दुनिया के बड़े-बड़े देश छान मारे, लेकिन, कोई सफलता नहीं मिली और एक प्रकार से सारी आशायें छोड़ दी पूरे घर में एक निराशा का वातावरण बन गया। इतने में, किसी ने उनको, भारत में, आयुर्वेद के इलाज के लिए आने के लिए सुझाव दिया और वो बहुत कुछ कर चुके थे, थक भी चुके थे, फिर भी उनको लगा कि चलो भई एक बार try करें क्या होता है? वे भारत आये, केरला के एक आयुर्वेदिक अस्पताल में अपनी बेटी का इलाज करवाना शुरू किया। काफी समय बेटी यहाँ रही। आयुर्वेद के इस इलाज का असर ये हुआ कि Rosemary की आंखों

की रोशनी काफी हद तक वापस लौट आई। आप कल्पना कर सकते हैं, कि, जैसे एक नया जीवन मिल गया और रोशनी तो Rosemary के जीवन में आई। लेकिन पूरे परिवार में एक नई रोशनी नई जिंदगी आ गई और ओडिंगा जी इतने भावुक हो करके ये बात मुझे बता रहे थे, कि उनकी इच्छा है, कि, भारत के आयुर्वेद का ज्ञान है विज्ञान है वो Kenya में ले जाए। जिस प्रकार के Plants इसमें काम आते हैं उन plant की खेती करेंगे और इसका लाभ अधिक लोगों को मिले इसके लिए वो पूरा प्रयास करेंगे। मेरे लिए ये बहुत खुशी की बात है कि हमारी धरती और परंपरा से किसी के जीवन से इतना बड़ा कष्ट दूर हुआ। ये सुन करके आपको भी खुशी होगी। कौन भारतवासी होगा जिसको इसका गर्व ना हो? हम सभी जानते हैं कि ओडिंगा जी ही नहीं बल्कि दुनिया के लाखों लोग आयुर्वेद से ऐसे ही लाभ उठा रहे हैं। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी आयुर्वेद के बहुत बड़े प्रशंसकों में से एक हैं। जब भी मेरी उनसे मुलाकात होती है, वो आयुर्वेद का जिक्र जरूर करते हैं। उन्हें भारत के कई आयुर्वेदिक संस्थाओं की जानकारी भी है। पिछले सात वर्षों में देश में आयुर्वेद के प्रचारप्रसार पर बहुत ध्यान दिया गया है। आयुष मंत्रालय के गठन से चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े हमारे पारंपरिक तरीकों को लोकप्रिय बनाने के संकल्प को और मजबूती मिली है। मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि पिछले कुछ समय में आयुर्वेद के क्षेत्र में भी कई नए Start-up सामने आए हैं। इसी महीने की शुरुआत में Ayush Start-up

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मार्च 2022 |33

मन की बात

आठ साल पहले देश ने जो "स्वच्छ भारत मिशन" शुरू किया, समय के साथ उसका विस्तार भी बढ़ता गया, नए-नए innovation भी जुड़ते गए। भारत में आप कहीं पर भी जाएं गे तो पाएं गे कि हर तरफ स्वच्छता के लिए कोई न कोई प्रयास जरुर हो रहा है। असम के कोकराझार में ऐसे ही एक प्रयास के बारे में मुझे पता चला है। यहाँ Morning Walkers के एक समूह ने "स्वच्छ और हरित कोकराझार" मिशन के तहत बहुत प्रशंसनीय पहल की है। इन सबने नए Flyover क्षेत्र में तीन किलोमीटर लम्बी सड़क की सफाई कर स्वच्छता का प्रेरक सन्देश दिया।

Challenge शुरू हुआ था। इस Challenge का लक्ष्य, इस क्षेत्र में काम करने वाले Startups को identify करके उन्हें Support करना है। इस क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं से मेरा आग्रह है, कि वे इस Challenge में जरुर हिस्सा लें। एक बार जब लोग मिलकर के कुछ करने की ठान लें, तो वो अद्भुत चीजें कर जाते हैं। समाज में कई ऐसे बड़े बदलाव हुए हैं, जिनमें जन-भागीदारी सामूहिक प्रयास इसकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। ""मिशन जल थल'' नाम का ऐसा ही एक जन-आंदोलन कश्मीर के श्रीनगर में चल रहा है। यह श्रीनगर की झीलों और तालाबों की साफ-सफाई और उनकी पुरानी रौनक लौटाने का एक अनोखा प्रयास है। ""मिशन जल थल'' का Focus ""कुशल सार'' और ""गिल सार''‫‏‬पर है। जनभागीदारी के साथ-साथ इसमें Technology की भी बहुत मदद ली जा रही है। कहां-कहां अतिक्रमण हुआ है, कहां अवैध निर्माण हुआ है, इसका पता लगाने के लिए इस क्षेत्र का बाकायदा Survey कराया गया। इसके साथ ही Plastic Waste को हटाने और कचरे की सफाई का अभियान भी चलाया गया। मिशन के दूसरे चरण में पुराने Water Channels और झील को भरने वाले 19 झरनों को Restore करने का भी भरपूर प्रयास किया गया। इस Restoration Project के महत्व के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैले, इसके लिए स्थानीय लोगों और युवाओं को Water Ambassadors भी बनाया गया। अब यहां के स्थानीय लोग ""गिल सार लेक'' में प्रवासी पक्षियों और मछलियों की संख्या बढ़ती रहे इसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं और उसको देखकर खुश भी होते हैं। मैं इस शानदार प्रयास के लिए श्रीनगर के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आठ साल पहले देश ने जो "स्वच्छ भारत मिशन' शुरू किया, समय के साथ उसका विस्तार भी बढ़ता गया, नए-नए innovation भी जुड़ते गए। भारत में आप कहीं पर भी जाएंगे तो पाएंगे कि हर तरफ स्वच्छता के लिए कोई न कोई प्रयास जरुर हो रहा है। असम के कोकराझार में ऐसे ही एक प्रयास के बारे में मुझे पता चला है। यहाँ Morning Walkers के एक समूह ने "स्वच्छ और हरित कोकराझार' मिशन के तहत बहुत प्रशंसनीय पहल की है। इन सबने नए Flyover क्षेत्र में तीन किलोमीटर लम्बी सड़क की सफाई कर स्वच्छता का प्रेरक सन्देश दिया। इसी प्रकार विशाखापट्नम में "स्वच्छ भारत अभियान' के तहत polythene के बजाए कपड़े के थैलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहाँ के लोग पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए Single Use Plastic उत्पादों के खिलाफ अभियान भी चला रहे हैं। इसके साथ ही साथ ये लोग घर

पर ही कचरे को अलग करने के लिए जागरूकता भी फैला रहे हैं। मुंबई के Somaiya College के Students ने स्वच्छता के अपने अभियान में सुन्दरता को भी शामिल कर लिया है। इन्होंने कल्याण रेलवे स्टेशन की दीवारों को सुन्दर पेंटिंग्स से सजाया है। राजस्थान के सवाई माधोपुर का भी प्रेरक उदाहरण मेरी जानकारी में आया है। यहाँ के युवाओं ने रणथंभौर में 'Mission Beat Plastic' नाम का अभियान चला रखा है। जिसमें रणथंभौर के जंगलों से Plastic और Polythene को हटाया गया है। सबका प्रयास की यही भावना, देश में जनभागीदारी को मजबूत करती है और जब जनभागीदारी हो तो बड़े से बड़े लक्ष्य अवश्य पूरे होते हैं। आज से कुछ दिन बाद ही, 8 मार्च को पूरी दुनिया में International Women’s Day, "अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाएगा। महिलाओं के साहस, कौशल, और प्रतिभा से जुड़े कितने ही उदाहरण हम "मन की बात' में लगातार साझा करते रहे हैं। आज चाहे Skill India हो, Self Help Group हो, या छोटे बड़े उद्योग हों, महिलाओं ने हर जगह मोर्चा संभाला हुआ है। आप किसी भी क्षेत्र में देखिए, महिलायें पुराने मिथकों को तोड़ रही हैं। हमारे देश में parliament से लेकर पंचायत तक अलग-अलग कार्यक्षेत्र में, महिलायें, नई ऊँचाई प्राप्त कर रही हैं। सेना में भी बेटियाँ अब नई और बड़ी भूमिकाओं में जिम्मेदारी निभा रही हैं, और, देश की रक्षा कर रही हैं। पिछले महीने गणतंत्र दिवस पर हमने देखा कि आधुनिक fighter planes को भी बेटियाँ उड़ा रही हैं। देश ने सैनिक स्कूलों में भी बेटियों के admission पर रोक हटाई, और पूरे देश में बेटियाँ सैनिक स्कूलों में दाखिला ले रही हैं। इसी तरह, अपने start-up जगत को देखें, पिछले सालों में, देश में, हजारों नए start-up शुरू हुए। इनमें से करीब आधे start-up में महिलायें निदेशक की भूमिका में हैं। पिछले कुछ समय में महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश बढ़ाने जैसे निर्णय लिए गए हैं। बेटे और बेटियों को समान अधिकार देते हुए विवाह की उम्र समान करने के लिए देश प्रयास कर रहा है। इससे हर www.charaiveti.org

34 | मार्च 2022

मन की बात

मार्च के महीने में अनेक पर्वत्योहार आ रहे हैं - शिवरात्रि है और अब कुछ दिन बाद आप सब होली की तैयारी में जुट जाएं गे। क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। आप देश में एक और बड़ा बदलाव भी होते देख रहे होंगे! ये बदलाव है - हमारे सामाजिक अभियानों की सफलता। "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की सफलता को ही लीजिए, आज देश में लिंग अनुपात सुधरा है। स्कूल जाने वाली बेटियों की संख्या में भी सुधार हुआ है। इसमें हमारी भी जिम्मेदारी है कि हमारी बेटियाँ बीच में स्कूल न छोड़ दें। इसी तरह, "स्वच्छ भारत अभियान' के तहत देश में महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति मिली है। ट्रिपल तलाक जैसे सामाजिक बुराई का अंत भी हो रहा है। जब से ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून आया है देश में तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। ये इतने सारे बदलाव इतने कम समय में कैसे हो रहे हैं? ये परिवर्तन इसलिए आ रहा है क्योंकि हमारे देश में परिवर्तन और प्रगतिशील प्रयासों का नेतृत्व अब खुद महिलायें कर रहीं हैं। 28 फरवरी को 'National Science Day' है। ये दिन Raman Effect की खोज के लिए भी जाना जाता है। मैं सी.वी. रमन जी के साथ उन सभी वैज्ञानिकों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ, जिन्होंने हमारी Scientific Journey को समृद्ध बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हमारे जीवन में सुगमता और सरलता में technology ने काफी जगह बना ली है। कौन-सी technology अच्छी है, किस technology का बेहतर इस्तेमाल क्या है, इन सभी विषयों से हम भली-भांति परिचित होते ही हैं। लेकिन, ये भी सही है कि अपने परिवार के बच्चों को उस technology का आधार क्या है, उसके पीछे की science क्या है, इस तरफ हमारा ध्यान जाता ही नहीं है। इस Science Day पर मेरा सभी परिवारों से आग्रह है कि वो अपने बच्चों में Scientific Temperament विकसित करने के लिए जरुर छोटे-छोटे प्रयासों से शुरू कर सकते हैं अब जैसे दिखता नहीं है चश्मा लगाने के बाद साफ दिखने लगता है तो बच्चों को आसानी से समझाया सकता है कि इसके पीछे विज्ञान क्या है। सिर्फ चश्मे देखें, आनंद करें, इतना नहीं। अभी आराम से आप एक छोटे से

होली हमें एक सूत्र में पिरोने वाला त्योहार है। इसमें अपने-पराए, द्वेषविद्वेष, छोटे-बड़े सारे भेद मिट जाते हैं। इसलिए कहते है, होली के रंगों से भी ज्यादा गाढ़ा रंग, होली के प्रेम और सौहार्द का होता है। कागज पर उसे बता सकते हैं। अब वो Mobile Phone उपयोग करता है, Calculator कैसे काम करता है, Remote Control कैसे काम करता है, Sensor क्या होते हैं? ये Scientific बातें इसके साथ-साथ घर में चर्चा में होती है क्या? हो सकती है बड़े आराम से हम इन चीजों को घर की रोजमर्रा की जिन्दगी के पीछे क्या Science की वो कौन सी बात है जो ये कर रही है, इसको, समझा सकते हैं। उसी प्रकार से क्या कभी हमने बच्चों को लेकर के भी आसमान में एक साथ देखा है क्या? रात में तारों के बारे में भी जरुर बातें हुई हों। विभिन्न तरह के constellations दिखाई देते हैं, उनके बारे में बताएं। ऐसा करके आप बच्चों में physics और astronomy के प्रति नया रुझान पैदा कर सकते हैं। आज कल तो बहुत सारी Apps भी हैं जिससे आप तारों और ग्रहों को locate कर सकते है, या, जो तारा आसमान में दिख रहा है उसको पहचान सकते हैं, उसके बारे में जान भी सकते हैं। मैं, अपने Start-ups को भी कहूँगा कि आप अपने कौशल और Scientific Character का इस्तेमाल राष्ट्र निर्माण से जुड़े कार्यों में भी करें। ये देश के प्रति हमारी Collective Scientific Responsibility भी है। जैसे आजकल मैं देख रहा हूँ कि हमारे Start-ups virtual reality की दुनिया में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। Virtual Classes के इस दौर में ऐसे ही एक Virtual lab बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा सकती है। हम virtual reality के द्वारा बच्चों को घर में बैठे chemistry की lab का अनुभव भी करा सकते हैं। शिक्षकों और अभिभावकों से मेरा आग्रह है कि सभी विद्यार्थियों एवं बच्चों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें और उनके

साथ मिलजुल कर सवालों का सही जवाब तलाशें। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका की भी सराहना करना चाहूँगा। उनके कड़े परिश्रम की वजह से ही Made In India वैक्सीन का निर्माण संभव हो पाया, जिससे पूरी दुनिया को बहुत बड़ी मदद मिली है। Science का मानवता के लिए यही तो उपहार है। मार्च के महीने में अनेक पर्व-त्योहार आ रहे हैं - शिवरात्रि है और अब कुछ दिन बाद आप सब होली की तैयारी में जुट जाएंगे। होली हमें एक सूत्र में पिरोने वाला त्योहार है। इसमें अपनेपराए, द्वेष-विद्वेष, छोटे-बड़े सारे भेद मिट जाते हैं। इसलिए कहते है, होली के रंगों से भी ज्यादा गाढ़ा रंग, होली के प्रेम और सौहार्द का होता है। होली में गुजिया के साथ-साथ रिश्तों की भी अनूठी मिठास होती है। इन रिश्तों को हमें और मजबूत करना है और रिश्ते सिर्फ अपने परिवार के लोगों से ही नहीं बल्कि उन लोगों से भी जो आपके एक वृहद् परिवार का हिस्सा है। इसका सबसे महत्वपूर्ण तरीका भी आपको याद रखना है। ये तरीका है - 'Vocal for Local' के साथ त्योहार मनाने का। आप त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदी करें, जिससे आपके आसपास रहने वाले लोगों के जीवन में भी रंग भरे, रंग रहे, उमंग रहे। हमारा देश जितनी सफलता से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, और, आगे बढ़ रहा है, उससे त्योहारों में जोश भी कई गुना हो गया है। इसी जोश के साथ हमें अपने त्योहार मनाने हैं, और साथ ही, अपनी सावधानी भी बनाए रखनी है। Á

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मार्च 2022 |35

मातृशक्ति

सावित्रीबाई

फुले का जन्म महाराष्ट्र के नयागांव में 1831 को हुआ था। उनके परिवार में सभी खेती करते थे। 9 साल की आयु में ही उनका विवाह 1840 में 12 साल के ज्योतिराव फुले से हुआ। सावित्रीबाई और ज्योतिराव को दो संताने थीं। जिसमें से यशवंतराव को उन्होंने गोद लिया, जो एक विधवा ब्राह्मण का बेटा था। सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारतीय समाजसुधारक और कवियित्री थी। अपने पति, ज्योतिराव फुले के साथ उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण काम किये हैं। उन्होंने 1848 में पुणे में देश की पहली महिला स्कूल की स्थापना की। सावित्रीबाई फुले जातिभेद, रंगभेद और लिंगभेद के विरोध में थी। सावित्रीबाई एक शिक्षण सुधारक और समाज सुधारक दोनों ही तरह का काम करती थी। ये सभी काम वह विशेष रूप से ब्रिटिश कालीन भारत में महिलाओं के विकास के लिये करती थीं। 19वीं शताब्दी में कम उम्र में ही विवाह करना हिन्दूओं की परंपरा थी। इसीलिये उस समय बहुत-सी महिलायें अल्पायु में ही विधवा बन जाती थी, और धार्मिक परंपराओं के अनुसार महिलाओं का पुनर्विवाह नहीं किया जाता था। 1881 में कोल्हापुर की गजट में ऐसा देखा गया की विधवा होने के बाद उस समय महिलाओं को अपने सर के बाल काटने पड़ते थे, और बहुत ही साधारण जीवन जीना पड़ता था। सावित्रीबाई और ज्योतिराव ऐसी महिलाओं को उनका हक दिलवाना चाहते थे। इसे देखते हुए उन्होंने नाईयों के खिलाफ आंदोलन करना शुरू किया और विधवा महिलाओं को सर के बाल कटवाने से बचाया। उस समय महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा न होने की वजह से महिलाओं पर काफी अत्याचार किये जाते थे, जिसमें कही-कही तो घर के सदस्यों द्वारा ही महिलाओं पर शारीरिक शोषण किया जाता था। गर्भवती महिलाओं का कई बार गर्भपात किया जाता था, और बेटी पैदा होने के डर से बहुत सी महिलायें आत्महत्या करने लगती थीं। एक बार ज्योतिराव ने एक महिला को आत्महत्या करने से रोका, और उससे वादा कराया कि बच्चे के जन्म होते ही वह उसे अपना नाम दें। सावित्रीबाई ने भी उस महिला और अपने घर रहने की आज्ञा दे दी और गर्भवती महिला की सेवा भी की। सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने उस बच्चे को अपनाने के बाद उसे यशवंतराव नाम दिया। यशवंतराव बड़ा होकर डॉक्टर बना। महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने महिलाओं की सुरक्षा के लिये एक सेंटर की स्थापना की, और

समाज सुधारक

सावित्रीबाई फुले

सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। उनका पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर महिलाओ ं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता। अपने सेंटर का नाम "बालहत्या प्रतिबंधक गृह' रखा। सावित्रीबाई महिलाओं की जी जान से सेवा करती थी और चाहती थी की सभी बच्चे उन्हीं के घर में जन्म लें। घर में सावित्रीबाई किसी प्रकार का रंगभेद या जातिभेद नही करती थी वह सभी गर्भवती महिलाओ का समान उपचार करती थी। सावित्रीबाई फुले 19वीं शताब्दी की पहली भारतीय समाज-सुधारक थीं और भारत में महिलाओं के अधिकारों को विकसित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। सावित्रीबाई फुले और पुत्र यशवंतराव ने वैश्विक स्तर 1897 में मरीजो का इलाज करने के लिये अस्पताल खोल रखा था। उनका अस्पताल पुणे के हड़पसर में सासने माला में स्थित है। उनका अस्पताल खुली प्राकृतिक जगह पर स्थित है। अपने अस्पताल में

सावित्रीबाई खुद हर एक मरीज का ध्यान रखती, उन्हें विविध सुविधायें प्रदान करती। इस तरह मरीजों का इलाज करते करते वह खुद एक दिन मरीज बन गयी। और इसी के चलते 10 मार्च 1897 को उनकी मृत्यु हो गयी। सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। उनका पूरा जीवन समाज में वंचित तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता। उनकी एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता है जिसमें वह सबको पढ़ने लिखने की प्रेरणा देकर जाति तोड़ने की बात करती हैं: जाओ जाकर पढ़ो-लिखो, बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती,काम करो ज्ञान और धन इकट्‌ठा करो ज्ञान के बिना सब खो जाता है, ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते हैं इसलिए, खाली ना बैठो, जाओ, जाकर शिक्षा लो तुहारे पास सीखने का सुनहरा मौका है, इसलिए सीखो और जाति के बंधन तोड़ दो। Á www.charaiveti.org

36 | मार्च 2022

बलिदान दिवस

पूज्य मा. स. गोलवलकर

विद्यार्थीजी

को पता चला कि कानपुर के रामनारायण बाजार में दंगा भड़क उठा है। वे वहां गए और दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर शांत किया, तब तक फिर उन्हें एक खबर मिली कि बंगाली मोहल्ले में कई लोगों की हत्या कर दी गई है। विद्यार्थी जी वहां भी पहुंचे। हिंदुओं ने जब उनको देखा तब वे सहम गए, लेकिन उन्होंने हिंदुओं को प्यार का पाठ पढ़ाया। वे उन्हें वहां ले गए, जहां मुस्लिम संप्रदाय के लोग भयभीत होकर छुपे थे। उनमें कुछ बच्चे भी थे। विद्यार्थी जी ने हिंदुओं की सहायता से मुसलमानों को उनके ठिकानो तक पहुंचाया। उन लोगों ने विद्यार्थीजी को तहे दिल से दुआ दी और अपनी गुजर-बसर करने लगे। थोड़ी देर में दो मुस्लिम स्वयंसेवक भागते हुए विद्यार्थी जी के पास आए। दोनों ने बताया कि 100 मुस्लिम परिवार मस्जिद में है। वहां उनकी जान का खतरा है। उन पर किसी भी समय हमला हो सकता है। विद्यार्थीजी अपने कुछ साथियों के साथ वहां भी गए। उन्होंने अपने मीठे वचनों से वहां का माहौल शांत किया और मुस्लिम परिवारों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया। भाग-दौड़ में उनके और रामरतन गुप्तजी के कपड़ों पर खून के छीटें पड़ गए थे। हाथ खून से लथपथ था, क्योंकि उन्होंने अपने हाथों से कई लाशों को उठाया था। किसी तरह से वे गुप्तजी के घर पहुंचे। स्नान करने के बाद थोड़ा खाना खाया। उसके बाद फिर वहां से निकलने का फैसला किया। विद्यार्थी जी ने अपने कपड़े बदल लिए थे। उनके आग्रह पर गुप्तजी पहले स्नान करने गए थे। तब तक विद्यार्थी जी ने वहां आराम फरमाया, जब तक वे आ नहीं गए। थोड़ा समय बीता। उसके बाद वे दोनों मुस्लिम कार्यकर्ता फिर आ गए। दोनों ने बताया-"चावल मंडी में कुुछ मुसलमानों की जान को खतरा है, आप जल्दी चलिए।' उनकी बात सुनकर विद्यार्थी जी फटाफट तैयार हो गए। उन्होंने बाहर से गुप्तजी को

जब दंगाई मुस्लिमों के हमले में

शहीद हुए विद्यार्थी

आवाज लगाई-"दोनों स्वयंसेवक यहां फिर पधारे हैं, मैं उनके साथ जा रहा हूँ। अभी दस मिनट में लौटकर आया।' भीतर से गुप्तजी ने आवाज लगाई-"आप रूकिए जरा। मैं अभी आया।' "बस, मैं अभी आ रहा हूँ।' इतना कहकर विद्यार्थी जी दोनों स्वयंसेवकों के साथ दरवाजे से बाहर चले गए। कुछ दूर जाने के बाद उन्हें खबर लगी कि दो सौ से ज्यादा लोग चौबे गोला मोहल्ले में मृत्यु का दरवाजा खटखटा रहे हैं। विद्यार्थीजी बंगाली मोहल्ले से सीधे वहीं चले गए। वहां के आसपास के इलाके मुस्लिम लोगों से भरे थे। ऐसी जगह पर किसी हिंदू के जाने की हिम्मत नहीं पड़ती थी। हिंदुओं को देखते ही मुसलमान अपने चाकू चमचमाने लगते थे और उन्हें मारकर गिरा देते थे। ऐसी खतरनाक जगह पर विद्यार्थीजी निर्भीक होकर गए। रास्ता बजाजे चौक से होकर निकलता था। यह हिंदू इलाका था। वे इस इलाके से होकर मुसलमानों के इलाके में पहुंचना चाहते थे। जब वे चौक बजाजे पहुंचे, तब हिंदुओं ने उन्हें घेर लिया। "आप वहां मत जाइए विद्यार्थीजी, आपकी जान को खतरा है।' हिंदुओं ने उनसे निवेदन करते हुए कहा। "भाइयो!' विद्यार्थी जी ने जवाब दिया-"वहां दो सौ हिंदू भाई-बहन और बच्चों की जान का संकट है। रात होते ही उन पर छुरिया चल जाएंगी, मैं उन्हें बचाने जा रहा हूं।' "लड़ाई के मैदान से भागना बुजदिलों का काम है और बुजदिल लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं। मैंने जीवन में हर मुश्किल का सीना तानकर सामना किया हैं। कभी पीठ नहीं दिखाई। अपनी जान बचाने के लिए मैं यहां से भागूंगा

एक व्यक्ति ने बिना उनकी बात सुने उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया, दस ू रे ने उन पर कांता दे मारा। वे जमीन पर गिर पड़े। फिर भी कुछ अन्य मुस्लिम उन्हें लाठियों से पीटते रहे, बर्छों से प्रहार करते रहे। विद्यार्थीजी ने लहूलुहान होकर जमीन पर इधर-उधर करवट बदली। इस तरह एक वीर सपूत भारत मां की गोद में हमेशा के लिए सो गया। नहीं, अगर मेरी जान लेने से उन लोगों के खून की प्यास बुझती है, तो यह मुझे गर्व से मंजूर है।' विद्यार्थीजी ने शांत स्वर में कहा। तब तक वे मुसलमान उनके करीब आ गए। उनमें से एक ने जोर से चिल्लाते हुए कहा-"यही है गणेश शंकर विद्यार्थी! यही है।' इतने में एक दूसरा भी चिल्लाया-"जान से मार दो इसे, बचने न पाए।' उसके कहने पर दो पठानों ने विद्यार्थीजी के साथी स्वयंसेवक पर हमला किया। उसने पांच मिनट के अंदर उसी जगह पर दम तोड़ दिया। दूसरे स्वयंसेवक को एक मुसलमान ने छुरा घोंप दिया। वह लहूलुहान अवस्था में जमीन पर गिर पड़ा। कुछ देर में वह फिर उठा, तभी एक मुस्लिम गणेशजी पर वार करने के लिए दौड़ा। गणेशजी ने उसके सामने अपना सिर झुकाते हुए कहा-"अगर मेरे खून से आप को शांति मिलती है तो.....।' एक व्यक्ति ने बिना उनकी बात सुने उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया, दूसरे ने उन पर कांता दे मारा। वे जमीन पर गिर पड़े। फिर भी कुछ अन्य मुस्लिम उन्हें लाठियों से पीटते रहे, बर्छों से प्रहार करते रहे। विद्यार्थीजी ने लहूलुहान होकर जमीन पर इधरउधर करवट बदली। इस तरह एक वीर सपूत भारत मां की गोद में हमेशा के लिए सो गया। Á

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मार्च 2022 |37

शहादत दिवस

भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव

तीनों महान क्रांतिकारी भारत माँ को समर्पित

अपने जीवन की अपेक्षा अपनी मातृभमि ू को अधिक स्नेह करने वाले सरदार भगत सि ंह अपनी भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए जनमानस को जाग्रत करने के लिए जानबूझकर मौत के मुह ं में कूद गए और सदा-सदा के लिए अमर हो गए।

उनके इस बलिदान की कीमत नहीं आंकी जा सकती।

भगत

सिंह प्राणनाथ जी द्वारा दी गई लेनिन की जीवनी पढ़नेे में व्यस्त हो गए। अभी वे कुछ ही पृष्ठ पढ़ पाए थे उनकी काल-कोठरी का दरवाजा खुलाजेल के अधिकारी अपनी चमकदार यूनीफार्म पहने खड़े थे।"सरदारजी, तैयार हो जाइए। फांसी लगाने का हुक्म आ गया है।' भगत सिंह के दाहिने हाथ में पुस्तक थी। उन्होंने पुस्तक पर से आंख उठाए बिना जवाब दिया- "ठहरो, एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल रहा है।"

आवाज में इतनी कड़क कि जेल अधिकारी वहीं के वहीं खड़े हो गए। भगत सिंह पढ़ने में खो गए। कुछ पैराग्राफ पढ़ने के बाद उन्होंने अचानक पुस्तक को छत की ओर उछाला और सीधे खड़े हो गए-"चलिए।' भगत सिंह अपनी कोठरी से निकले। बाहर निकलते ही उन्होंने पीछे मुड़कर देखा- जिस कोठरी में वे लम्बे समय तक रहे थे, उसे जी भरकर देखा । उसी समय राजगुरू और सुखदेव भी अपनी-अपनी कोठरियों से बाहर आ गए।

चेहरों पर कण्टोप पहनने और हाथों में हथकड़ियां लगवाने से वे साफ इंकार कर चुके थे। बाएं सुखदेव, बीच में भगत सिंह और दाएं राजगुरू। भगत सिंह ने अपनी दाहिनी बांह राजगुरू की बाई भुजा मेें डाल ली और बाईं भुजा सुखदेव की दाहिनी भुजा में। अचानक भगत सिंह गाने लगेदिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत, मेरी मिट्टी से भी खूशबू-ए-वतन आएगी। अगले ही क्षण राजगुरू और सुखदेव भी उनके साथ स्वर में स्वर मिलाकर गाने लगे। आगे-आगे वॉर्डन चल रहे थे, दाएं-बांए जेल अधिकारी, पीछे भी कुछ वार्डन चल रहे थे और बीच में शान से गाते अपनी मस्ती में डूबे तीनों क्रांतिकारी जेल के गेट के बाहर लोगों का हुजूम था। फोटोग्राफर, रिपोर्टर, आम जनता और भगत सिंह के माता-पिता तथा अन्य परिवार जन। भगत सिंह के माता-पिता के अलावा जब किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई तो उन दोनों ने भी पुत्र से न मिलने का फैसला कर लिया। देखते-देखते भीड़ बेकाबू होने लगी। लोग नारे लगाने लगे। जेल के भीतर से कैदी भी नारे लगा रहे थे। भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह का माथा ठनका। भगत सिंह की फांसी का विरोध करने के लिए यह जो सैलाब उमड़ रहा है, पुलिस उसे और अधिक बर्दाश्त नहीं करेगी। कुछ ही देर में गोली चल जाएगी और एक भगत सिंह को बचाने आए पता नहीं कितने भगत सिंह पुलिस की गोलियों से शहीद हो जाएंगे। उन्होंने भगत सिंह की मां से कहा- "अब यहां से चलो, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा।' भगत सिंह की मां चलने को तैयार नहीं हुई। उनका बेटा फांसी की ओर जा रहा है और वे जेल से दूर चली जाएं, भला यह कैसे हो सकता था। "उठो, जल्दी करो.... एक-एक पल कीमती है।' भगत सिंह के पिता ने फिर कहा। वे उठ खड़ी हुई। भगत सिंह के पिता सब परिवारजनों को लेकर अपने बेटे से दूर, जेल से दूर चल पड़े। उन्होंने दिल पर पत्थर रख लिया था। भीड़ को जेल के फाटक से दूर ले जाने का और कोई उपाय न था। सारी भीड़ इन लोगों के पीछे चल रही। लोग नारे लगा रहे थे। सरदार किशन सिंह दरवाजे पर पहुंचकर रूक गए। जुलूस के रूप में आया जन-समुदाय रूक गया। सरदार किशन सिंह भीड़ को बांधे रखने www.charaiveti.org

38 | मार्च 2022

शहादत दिवस के उद्देश्य से भाषण देने लगे। उधर वार्डनों व जेल अधिकारियों के बीच भगत सिंह अपने दोनों साथियों के साथ क्रांति गीत गाते फांसी स्थल की ओर बढ़ रहे थे। वार्डन ने आगे बढ़कर फांसी घर का काला दरवाजा खोल दिया। अंदर लाहौर का अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर खड़ा था। तीनों अभियुक्तों को खुले देखकर वह घबरा गया। भगत सिंह ने उसकी ओर देखा- उनकी आंखों में प्रसन्नता और होठों पर मित्रतापूर्ण मुस्कान देखकर डिप्टी कमिश्नर की जान में जान आई। तभी गंभीर वाणी में भगत सिंह बोले"वैल, मिस्टर मजिस्ट्रेट, यू आर फार्चूनेट टू बी एबल टुडे टू सी हाऊ इण्डियन रिवोल्यूशनरीज कैन एम्बै्रस डैथ विद प्लेजर फॉर द सेक ऑफ देयर सुप्रिम आइडियल।' (मजिस्ट्रेट महोदय, आप भाग्यशाली हैं कि आज आप अपनी आंखों से यह देखने जा रहे हैं कि भारत के क्रांतिकारी किस प्रकार प्रसन्नता पूर्वक अपने सर्वोच्च आदर्शों के लिए मृत्यु का आलिंगन करते हैं।) डिप्टी कमिश्नर शर्म से पानी-पानी हो गया। भगत सिंह अपने साथियों के साथ फांसी मंच की सीढ़ियां चढ़ने लगे। तीनों मंच पर पहुंच गए और तनकर खड़े हो गए। आंखों के ठीक सामने फांसी के फंदे झूल रहे थे। बीच में भगत सिंह, बांए सुखदेव और दाएं राजगुरू। तीनों ने एक साथ अपने सामने वाले फांसी के फंदे को पकड़ा, चूमा और फिर अपने हाथों से अपने गले में डाल लिया। पास खड़े जल्लाद से भगत सिंह बोले- "कृपा कर इन फंदों को अब आप ठीक कर लें।" भगत सिंह के मुंह से निकले शब्द सुनकर क्रूर हृदय जल्लाद कांप गया। उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था। जल्लाद जब आगे बढ़कर उनके फंदे ठीक करने लगा तो उसके हाथ कांप रहे थे, उसकी आंखों में आंसू थे। फंदे ठीक करने के बाद चरखी के पास पहुंचा और उसने झट चरखी घुमा दी। तख्त गिरा और तीनों महान क्रांतिकारी भारत माँ को समर्पित हो गए। इस समय शाम के 7 बजकर 33 मिनट हुए थे। उधर जोश में होश खो बैठने को उतारू भीड़ को जेल से दूरी बनाए रखने के उद्देश्य से सरदार किशन सिंह पता नहीं किस प्रकार धैर्य धारण कर बोलते जा रहे थे। जेल में दूध पहुंचाने वाला ग्वाला भागता हुआ आया और उसने खबर दी- "फांसी दे दी गई।' सरदार किशन सिंह कड़कती आवाज में बोले-"खबर मिली है कि भगत सिंह को फांसी दे दी गई हैं। मैं अब लाश लेने जा रहा हूँ। आप में से कोई यहां से हिलेगा नहीं। ऐसा न हो कि हम एक भगत सिंह को लेने जाएं और सैकड़ों भगत सिंह देकर आएं।' फिर भी कुछ लोग किशन सिंह के साथ चल

पड़े। जेल के फाटक के पास सन्नाटा था। अंदर से अफसरों के कहकहों की आवाजें आ रही थी। किशन सिंह ने फाटक खटखटाया, बार-बार उसे खूब पीटा, परंतु फाटक नहीं खुला। तभी किसी ने खबर दी है कि भगत सिंह व उनके साथियों की लाशों को जेल से बाहर ले जाया गया हैं। ब्रिटिश हुकूमत अपनी घिनौनी हरकत पर उतर आई थी। फांसी के बाद भगत सिंह व उनके साथियों की लाशों को काटकर टुकड़ेटुकड़े किया गया और उन्हें बोरियों में भरकर जेल के पिछले दरवाजे से ट्रक द्वारा फिरोजपुर के पास सतलुज नदी के किनारे पहुंचाया गया। वहां एक सिख ग्रंथी और एक पंडित की मौजूदगी में अंतिम क्रिया करने की योजना बनाई गई थी। ट्रक से लाशों के बोरे और मिट्टी के तेल के डिब्बे उतारे गए। मिट्टी के तेल को बोरों पर उड़ेला गया और उनमें बड़े वहशी ढंग से आग लगा दी गई। आस-पास के गांव वालों तक उड़ती-उड़ती जब यह खबर पहुंची तो वे मिलकर दाह-स्थल की ओर बढ़े।

जब फौजियों ने हाथों में मशाल लिए गांव वालो को अपनी ओर आते देखा तो उन्होंने जल्दी-जल्दी अधजली लाशों के टुकड़ो को सतलुज के पानी में फेंक दिया और ट्रक में बैठकर भाग गए। गांव वालों की भीड़ ने सतलुज के पानी में से ढूंढ़-ढूंढ़ लाशों के अधजले टुकड़े निकाले और उन्हें विधिवत दाह-संस्कार के लिए एकत्रित कर लिया। अपने जीवन की अपेक्षा अपनी मातृभूमि को अधिक स्नेह करने वाले सरदार भगत सिंह अपनी भारत माता को स्वतंत्र कराने के लिए जनमानस को जाग्रत करने के लिए जानबूझकर मौत के मुंह में कूद गए और सदा-सदा के लिए अमर हो गए। उनके इस बलिदान की कीमत नहीं आंकी जा सकती। "शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा।' Á

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मार्च 2022 |39

विचार प्रवाह

आत्मिक सुख की आवश्यकता पं. दीनदयाल उपाध्याय

व्यक्ति

को केवल शारीरिक सुख ही नहीं, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सुख की भी लालसा रहती है और इस प्रकार सभी सुखों के साथ-साथ समन्वयात्मक ढंग से वह यदि प्राप्त कर सका, तभी वह अपने जीवन में वास्तविक सुख का अनुभव कर सकता है, अन्यथा एक प्रकार का सुख उसे यदि मिला और बाकी के सुखों से वह वंचित रहा तो पहले प्रकार का सुख भी उसको दुखकारक प्रतीत होता है। उस सुख का भी मूल्य समाप्त हो जाता है। अतएव हमारे सुख, हमारे जीवन के विविध पहलुओं को समान रूप से बढ़ाने वाले, समान रूप से आनंद देनेवाले होने चाहिए। कुछ व्यक्तियों की अपनी भिन्न-भिन्न प्रवृत्तियां हैं, उनके भिन्न-भिन्न अंग हैं, वैसे यदि देखें तो वह किसी भी प्रकार का सुख प्राप्त नहीं कर सकता। सुख को प्राप्त करने के लिए दूसरों पर भी निर्भर रहना पड़ता है। हम बिल्कुल भौतिक दृष्टि से ही देखें- भोजन का प्रश्न आता है। अन्य भौतिक आवश्यकताएं हैं। तो पता चलता है कि अकेला व्यक्ति सभी भौतिक आवश्यकताएं पूरी नहीं कर सकता। स्वयं अन्न पैदा कर ले। स्वयं उसका आटा बनाए, स्वयं उसमें से खाना तैयार कर ले, ईंधन भी स्वयं ही इकट्‌ठा कर ले, उसके लिए जो बरतन आदि चाहिए, वह भी जुटा ले, तो यह वास्तविक स्थिति नहीं है। रॉबिन्सन क्रूसो का जो कुछ भी स्थान हम सबने पढ़ा होगा, उसने अपने ही प्रयत्न करके सब चीजें तैयार की। वह एक काल्पनिक जगत की बात है और वास्तव में उस व्यक्ति के प्रयत्न हैं कि जिस व्यक्ति ने समाज में अनेक वर्षों तक जीवन व्यतीत करके बहुत सी चीजें सीख ली थीं। अन्न कैसे उगाया जाता है, यह उसे मालूम था। मैदान कैसे बनाया जाता है, यह भी उसने देखा था। नाव कैसे बनाई जाती है, नाव कैसे तैरती है, यह वह अच्छी तरह से जानता था। सबका सब स्वयं उसने अपनी बुद्धि लगाकर अविष्कार किया। ऐसी तो कोई बात नहीं कि वह समाज से दूर हट गया होगा। उसने सब कुछ विचार स्वयं ही कर लिया होगा, ऐसा नहीं है। वास्तविक जीवन में तो हम यही देखते हैं कि व्यक्ति दूसरों के ऊपर बराबर निर्भर रहता है। हम

द:ु ख बांटने से द:ु ख कम हो जाता है और सुख बांटने से सुख में बढ़ोत्तरी होती है। जो व्यक्ति अकेला रहता है, उसको भय लगता है। अकेलेपन का भय। इस बारे में अपने यहां एक कहावत है कि दो तो मिट्टी के भी भले। वे मिट्टी के होंगे, लेकिन कम-से-कम दो तो होंगे। दूसरों पर निर्भर रहते हैं और जो कुछ दिखाई देता है वह इतना ही है कि एक व्यक्ति दूसरे के ऊपर निर्भर है। किसान जुलाहे के ऊपर निर्भर रहता है। वह उसे खाने के लिए अन्न देता है। डॉक्टर और शिक्षक एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। डॉक्टर के बच्चे को शिक्षक पढ़ाता है। शिक्षक के बच्चे को डॉक्टर बीमार पड़ने पर दवाई देता है। हम चारों ओर देखेंगे तो पता चलेगा कि हम सभी एक-दूसरे के ऊपर निर्भर हैं। एक-दूसरे के द्वारा हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। बिना एक-दूसरे के कोई एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकता। कोई ऐसा सोचे कि मैं समाज से बिल्कुल अलग हटकर अपना ही विचार करके चलूंगा तो संभवत: वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकेगा। उसे संपूर्ण का विचार करना ही पड़ेगा। जब विचार करेगा तो प्रत्येक चीज में ढंग से अच्छी तरह से विचार करना ही पड़ेगा और यह विचार करना आना चाहिए। जब हम आगे देखते हैं, मानसिक सुख का विचार करते हैं तो पता चलता है कि मानसिक सुख भी केवल हमें दूसरों से ही प्राप्त होता है।

दूसरों को सुखी देखकर हमें कुछ सुख का अनुभव होता है। यदि हम दूसरों को दु:खी देखते हैं तो हमें दु:ख का अनुभव होता है। हंसते हुए देखकर हमें भी हंसी आ जाती है। ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो बहुत बेरहम होगा। उसे किसी को रोते देखकर रोना नहीं आता और दूसरे को हंसता हुआ देखकर उसे हंसी नहीं आती। जबकि बहुत बार तो लोग दूसरे को देखकर रोना शुरू कर देते हैं। दूसरे के अंदर भय का भाव देखकर अपने अंदर भी भय भाव पैदा हो जाता है। दूसरों को पराक्रम करते हुए देखा तो लगता है, अपने को भी पराक्रम करना चाहिए। अर्थात् ये भावनाएं सभी के अंदर रहती हैं। कई बार ऐसा होता है कि हम किसी का विचार नहीं कर सकते। यहां तक कि हमारे पास सब प्रकार के सुख रहें। हमारे पास बहुत अच्छा भोजन है। हम भोजन करने के लिए बैठे हैं। बड़ी शांति और आनंद के साथ भोजन कर रहे हैं। कोई मांगने के लिए खड़ा हो जाए तो आपको इस भोजन में फिर आनंद ही नहीं आएगा। गाड़ी में आप भोजन करने के लिए बैठे, कोई भिखारी सामने से आ जाता है। ऐसा चेहरा बनाता है। एक तो गंदे कपड़े, आप उससे दूर हटने को भी कहोगे तो वह नहीं हटता। उस समय आप बिना दिए उससे छुटकारा नहीं पा सकते और जब तक आप दया करके उसे नहीं देंगे तो आपका आनंद ही चला जाएगा। इस प्रकार दूसरे के ऊपर हमारा यह मन का सुख सब प्रकार से अवलंबित रहता है। कोई कहे कि नहीं हम तो मनमौजी हैं, अपने मन के अंदर हम सुखी रहेंगे, लेकिन इतने से काम नहीं चलेगा। किसी-न-किसी प्रकार सुख प्राप्त करने को दूसरे का सहारा हमें लेना ही पड़ेगा। बहुधा लोग www.charaiveti.org

40 | मार्च 2022

विचार प्रवाह उसी प्रकार का व्यवहार अपने आप करने लगते हैं। जैसे कि एक किस्सा है। एक जुलाहा था। उस जुलाहे की एक लड़की थी। एक बार लड़की झाडू लगाते-लगाते कुछ सोचने लगी। जैसे कुछ लोगों को कल्पना-लोक में विचरने की आदत होती है। वह भी कल्पना में खो गई। उसकी शादी पक्की हो चुकी थी, इसलिए वह इसी के बारे में सोचने लगी कि कुछ दिन बाद मेरी शादी हो जाएगी। मैं ससुराल चली जाऊंगी। कुछ दिन बाद मेरा बच्चा होगा। उसे खिलाएंगे, पिलाएंगे, घर में आनंद छा जाएगा। उसे कहीं लेकर जाएंगे तो वहां से रुपया मिलेगा, प्रेम मिलेगा। लेकिन फिर उसके मन में विचार आया कि अचानक कोई बीमारी गांव में फैलेगी। उस बीमारी में उसका बच्चा भी बीमार हो जाएगा। उसका इलाज कराया जाएगा। उसके बाद भी वह बच्चा नहीं बचेगा। बच्चा मर जाएगा। यही सोचकर उसके मन के अंदर से रोना छूटने लगा। वह रोने लगी। जब वह रोने लगी तो उसकी मां जो बाहर पानी भरने के लिए गई थी। उस समय वह लौटकर आई। उसे रोता हुआ देखकर वह भी रोने लगी। उस लड़की का भाई आया। उसे रोता देखकर वह भी रोने लगा। पिता आया सबको रोते देखकर उसे भी रोना आ गया। पड़ोसियों ने जब रोने की आवाज़ सुनी तो वे भी वहां आ पहुंचे। उन सबको रोते देखकर पड़ोसिन औरतें भी रोने लगीं। वहां भीड़ इकट्‌ठी हो गई। एक व्यक्ति ऐसा आया, जिसे जिज्ञासा हुई रोने का कारण जानने की। उसने पूछा कि ये सब क्यों रो रहे हैं? क्या कोई मर गया है? लेकिन किसी को भी कारण पता नहीं था। अंत

में जुलाहे से पूछा कि क्या बात हो गई है? जुलाहे ने कहा कि मेरी पत्नी और बच्चे रो रहे थे तो मैं भी रोने लगा। उसकी पत्नी ने कहा कि यह लड़की रो रही थी। मैंने सोचा कि कहीं से मृत्यु का समाचार आया होगा, इसलिए मैं भी रोने लगी। उसके लड़के ने भी यही बताया। बाद में लड़की से पूछा गया कि तू क्यों रो रही थी? तब उसने कहा कि मेरा लड़का मर गया, मैं इसलिए रो रही थी। सभी ने उससे यही पूछा कि तेरा लड़का कहां है? उसने बताया कि मैं इस तरह सब सोच रही थी। तो यह तो एक किस्सा है। लेकिन वास्तव में भी मनुष्य दूसरे को देखकर स्वयं भी रो पड़ता है। इसीलिए किसी साहित्यकार ने कहा है कि समाज दर्पण के समान है। इस दर्पण के सामने जैसा चेहरा लेकर खड़े हो जाएंगे, वैसा ही उसमें दिखाई देगा। हंसता हुआ चेहरा लेकर खड़े हो जाएंगे तो हंसता हुआ चेहरा दिखेगा। समाज भी उसी प्रकार से उसकी प्रतिक्रिया करता है। आप हंसते हुए खड़े होंगे तो समाज भी आपको हंसता हुआ दिखेगा। रोते हुए खड़े होंगे तो समाज भी आपको रोता हुआ दिखाई देगा। इस प्रकार से मन का सारा सुख समाज के ऊपर निर्भर करता है। अकेला कोई सोचे कि मैं अकेले ही सुख प्राप्त कर लूंगा तो अकेला मनुष्य कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकता। चार लोगों के साथ मिलकर ही सुख प्राप्त करेगा। कल्पना करें कि किसी के घर में विवाह है। उस विवाह में जितने ज्यादा लोग सम्मिलित होंगे, जितने ज्यादा मित्र आएंगे, उतना ही सुख बढ़ता चला जाएगा। लेकिन किसी का ऐसा विवाह हो कि विवाह में अकेले ही ब्याह करने चले

गए, कोई दूसरा आया ही नहीं। न चार स्त्रियां वहां पर गीत गाने के लिए इकट्‌ठी हुईं और इस तरह यदि किसी का विवाह हुआ तो कोई क्या कहेगा कि यह विवाह काहे का रहा। आनंद तो है वहां, जहां चार लोग इकट्‌ठा होते हैं। इसी तरह चार सुखी लोग इकट्‌ठा होंगे तो समाज का सुख बढ़ जाता है। इसी तरह दु:ख के विषय में भी है। किसी के यहां मृत्यु हो जाए। वह अकेला ही बैठकर रोता रहे । कोई उसके यहां दु:ख बांटने न आए। तब दु:ख बढ़ जाता है। यदि कोई उसके पास आकर उसके दु:ख का कारण पूछे या उसके रोने के साथ थोड़ा रो दे तो उसका दु:ख कम हो जाता है। मृत्यु होने पर उसकी शमशान-यात्रा में लोग हजारों की संख्या में सम्मिलित हो जाएं तो उसके घर वालों का दु:ख उतना ही कम हो जाता है और यदि कहीं पर सुख का मौका है तो वहां भी हजारों लोग इकट्‌ठे होते हैं। थोड़ी सी परेशानी उनका इंतजाम करने में हो सकती है, लेकिन सुख तो बढ़ जाता है। इस प्रकार दु:ख बांटने से दु:ख कम हो जाता है और सुख बांटने से सुख में बढ़ोत्तरी होती है। जो व्यक्ति अकेला रहता है, उसको भय लगता है। अकेलेपन का भय। इस बारे में अपने यहां एक कहावत है कि दो तो मिट्टी के भी भले। वे मिट्टी के होंगे, लेकिन कम-से-कम दो तो होंगे। इसी तरह आप किसी जंगल में जाइए तो आप अकेले जाएंगे तो आपको डर लगेगा। लेकिन आपको कोई दूसरा साथी मिल जाए तो आपको बिल्कुल भी डर नहीं लगेगा। एक तरह का धैर्य मन में बैठ जाता है कि मैं अकेला नहीं हूं। Á

क्रांति का उद्घोष किया रानी अवंती बाई ने

रानी

अवंतीबाई भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वीरांगना थीं। 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी। 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी, जिससे इतिहास जगत अनभिज्ञ है। स्वतंत्रता प्रेमी वीरांगना अवंतीबाई लोधी एक पराक्रमी, धैर्यशील और वीर स्त्री थीं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जनपद में राव जुंझारु सिंह के राजमहल में हुआ । बचपन से ही उनको अश्वसंचालन, खड्गसंचालन, धनुर्विद्या एवं सैनिकी शिक्षा में रुचि थी। 17 वर्ष की आयु में उनका विवाह रायगढ़ के महाराजा लक्ष्मणसिंह के सुपुत्र कुंवर विक्रमादित्य से हुआ। विवाहोपरांत उनका नाम अवंती रखा गया। महाराजा लक्ष्मणसिंह के निधन होने पर विक्रमादित्य रायगढ़ के राजा बने। कुछ वर्षोपरांत राजा विक्रमादित्य का शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा। ऐसी स्थिति में शौर्यमूर्ति रानी अवंतीबाई ने राज्य का नेतृत्व संभालकर अपने साहस, धैर्य इन गुणों का परिचय दिया। प्रतिकूल काल में भी अपने गुणों के कारण रानी अवंतीबाई द्वारा परिस्थिति पर सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की।

इसी समय 1851 में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजा विक्रमादित्य सिंह को मनोरुग्ण घोषित कर, वहां अपना एक सेनादल रखकर रायगढ़ का राज्य हथियाने का निश्चय किया । कंपनी का यह षड्यंत्र ध्यान में आते ही, ऐसी स्थिति में भी रानी अवंती बाई ने अपने शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से रोगी पति को और राज्य के उत्तराधिकारी छोटे पुत्र को साथ में लिया। फिर रानी ने बड़ी कुशलता से शासन कर अंग्रेज शासन की राज्य हथियाने की मंशा को कुचल दिया। पति निधन के उपरांत भी प्रजा का मन जीतकर अपने राज्य को अधिकाधिक विस्तृत करनेवाली कर्तव्यनिष्ठ रानी आगे नानासाहेब पेशवा के नेतृत्व में छिड़े स्वतंत्रता संग्राम में धैर्य और चतुरता के साथ अपना विस्तृत राज्य कंपनी सरकार के हाथ में जाने से बचाया, इसका गौरवगान करते हुए अंग्रेज कप्तान वॉडिंगटन ने कहा, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में रायगढ़ का राज्य उसने इतना सुरक्षित रखा कि अनेक माह तक हमारे सैनिकों द्वारा घेरा डालने पर भी हम उसे प्राप्त नहीं कर सके । अपनी तलवार से शौर्य की सीमा को लांघने वाली रानी पर उसी की सेना के एक विश्वासघाती ने पीछे से तलवार से आक्रमण कर दिया । Á

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मार्च 2022 |41

पर्व-विशेष

समरसता का संदेश देता

होली का पावन पर्व

भारत

की संस्कृति में समरसता का संदेश है। होली के पर्व को रंग-गुलाल का पर्व भी माना जाता है। इस दिन होलिका दहन के बाद रंग-गुलाल की होली में सब समरस हो जाते है। इसमंे न कोई छोटा बड़ा है न कोई भेदभाव रहता है। सब रंगगुलाल की मस्ती में शामिल हो जाते है। धर्म संस्कृति के मूल में प्राणीमात्र के प्रति समभाव और सबको अपना मानने का संदेश है। प्रकृति में उल्लास मय वातावरण का प्रारम्भ वसंत के आगमन से शुरू हो जाता है। अब दिन धीर-धीरे बड़े होने लगते है, और पतझड़ भी आने लगता है। जब माघ माह की पूर्णिमा आती है, तभी होली का डंडा लगा देते है। आम पर बौर आने लगते है, वृक्षों में नई पत्तियों का आना शुरू हो जाती है। प्रकृति में नई आभा नजर आने लगती है। होली के आते ही नई रौनक, उत्साह, उमंग, तरंग और ऊर्जा दिखाई देने लगती है। होली सामाजिक, धार्मिक लोगों को जोड़ने का सामाजिक सद्भाव का और रंगों का त्यौहार हैं। इसे बच्चों से बुर्जुग तक बिना भेदभाव के उत्साह से मनाया जाता है। होलिका दहन में कंडे व लकड़ी का ढेर लगाकर होलिका पूजन किया जाता है, फिर उसमें आग लगाई जाती है। पूजा करते समय इसं मंत्र का उच्चारण करते हैं। असृक्पामयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजियिश्यामि भूते भूतिप्रदा भव।। होली यज्ञपर्व है, खेत के उगे अन्न को यज्ञ

होली सामाजिक, धार्मिक लोगों को जोड़ने का सामाजिक सद् भाव का और रंगों का त्यौहार हैं। इसे बच्चों से बुर्जुग तक बिना भेदभाव के उत्साह से मनाया जाता है। में हवन करके लिया जाता है। जिसे "होला' कहा जाता है। इसीलिये इसे होलिकोत्सव कहते है। इस त्यौहार को मनाने के सबंध में कई मत है। कुछ प्रमुख मत निम्न है। 1. मान्यता है कि होलिकोत्सव का संबंध "कामदहन' से है। भगवान शिव ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था। तभी से ये त्यौहार मनाया जाता हैं। 2. यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन की याद में भी मनाते है। मान्यता है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका वरदान के प्रभाव से प्रतिदिन अग्नि स्नान करके भी सुरक्षित बिना जले रहती थी। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन से प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि स्नान हेतु कहा, ताकि प्रहलाद मर जाये। होलिका ने ऐसा ही किया, परन्तु प्रहलाद बच गये जबकि होलिका जल गई। तभी से होली मनाने की परम्परा हैं।

3. फाल्गुन शुक्ल की अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिन होलाष्टक मनाया जाता है। हमारे देश के कई प्रदेशों में होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काटकर उसमें रंगबिरंगे कपड़ो के टुकड़े बाँधते है। इस शाखा को जमीन में गाड़ दिया जाता हैं। सभी लोग इसके आस-पास होलिकोत्सव मनाते हैं। 4. होली के समय आम की बौर और चन्दन को मिलाकर खाने का महात्म्य है। मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन हिंडोले में झूलते हुए श्री गोविन्द पुरूषोत्तम के दर्शन करने से बैकुण्ठ लोक में वास होता है। 5. भविष्यपुराण में है कि नारद जी ने महाराज युधिष्ठिर से कहा कि फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन सबको अभयदान देना चाहिये, जिससे सम्पूर्ण प्रजा उल्लास-पूर्वक हँसे। बालक गाँव के बाहर लकड़ी कंड़े लाकर ढेर लगाये। होलिका का पूर्ण सामग्री सहित विधिवत पूजन करें। होलिका दहन करें। ऐसा करने से अनिष्ट दूर होते है। होली आनन्द मनाने का उत्सव है। इसमें उत्साह-उमंग है, पर कुछ बुराईयाँ भी आ गई है। लोग अबीर-गुलाल के स्थान पर कीचड़गोबर-मिट्टी इत्यादि फेंकते हैं। नशा करते है, जिससे मित्रता की जगह शत्रुता पनपती है। इसका त्याग करना ही होली है। ये एकता, मित्रता, मिलन, भाईचारे का पर्व है। यही इसका उद्देश्य और संदेश हैं। Á - पं. सलिल मालवीय www.charaiveti.org

42 | मार्च 2022

▶ स्वर सम्राज्ञी लता मंगश े कर जी के निधन पर प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा जी तथा वरिष्ठ नेताओ ं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

▶ केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी की खजुराहो में प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा जी ने अगवानी की।

▶ प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा जी ने रंगनाथ मंदिर में संत रविदास जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

▶ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सि ंह चौहान नर्मदापुरम में नर्मदा जयंती कार्यक्रम में शामिल हु ए।

▶ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सि ंह चौहान ने छत्रपति शिवाजी, गुरु गोलवलकर जी की जयंती और गोपाल कृष्ण गोखले जी की पुण्य-तिथि पर नमन् किया।

▶ मुख्यमंत्री श्री शिवराजसि ंह चौहान ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में विशाल जनसभाओ ं को संबोधित किया।

▶ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सि ंह चौहान ने एक लाख 46 हजार से अधिक किसानों के खातों में 202 करोड़ 90 लाख रूपये की फसल-क्षति राहत राशि अंतरित की।

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