1/3 September 3, 2022 Anant Chaturdashi katha in hindi pdf: दुख दु दरि द्रद् ता को दूर दू करने के लि ए करें अनंत चतुर्द तुशी के व्रत कथा का पा ठ tentaran.com/anant-chaturdashi-katha-in-hindi-pdf-vrat Anant Chaturdashi katha in hindi pdf – Anant Chaturdashi Vrat Katha in hindi – anant chaturdashi vrat vidhi in hindi – अनंत चतुर्द तुशी का व्रत हि न्दू मा स की भा द्रद् पद शुक्शुल पक्ष की चतुर्द तुशी को मना या जा ता है। अनंत चतुर्द तुशी का व्रत भगवा न वि ष्णु के लि ए रखा जा ता है। मा ना जा ता है कि अनंत चतुर्द तुशी के दि न भगवा न वि ष्णु ने अनंत अवता र धा रण कि ए थे। अनंत चतुर्द तुशी के दि न भगवा न वि ष्णु के अनंत अवता रों की वि धि वि धा न सहि त पूजा की जा ती है। पौ रा णि क कथा ओं के अनुसानु सार, अंनत चतुर्द तुशी के व्रत का महत्व द्वा पर युगयु का है। पुरापुराणों के अनुसानु सार, जब पां डवों ने अपना सा रा रा जपा ट जुएजु में हरा दि या था । तब श्रीश् री कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्द तुशी का व्रत करने का सला ह दी। श्रीश् री कृष्ण ने कहा था यदि अनंत चतुर्द तुशी का व्रत वि धि वि धा न सहि त कि या जा एगा तो तुम्तुहा रा सा रा रा जपा ट वा पस आ जा एगा । आज हम आपके लि ए वहीं अनंत चतुर्द तुशी की कथा लेकर प्रस्तुततु हुए हैं। Anant Chaturdashi katha in hindi pdf – अनंतनं चतुर्द तुशी व्रत कथा – Anant Chaturdashi Vrat Katha in hindi – anant chaturdashi vrat katha in hindi pdf – anant chaturdashi vrat katha in hindi download प्रा ची न समय में सुमंसुतमं ना मक एक ब्राब् राह्मण रहता था । उसकी धर्म पत्नी का ना म दीक्षा था । इन दोनों ब्राब् राह्मण दंपति यों के पा स एक अद्भुतद्भुसुंदसुंरी धर्मपरा यण तथा ज्यो ति र्मयी कन्या थी , जि सका शुभशु ना म सुशीसुशीला था । जब उनकी पुत्पुरीत् री सुशीसुशीला थो ड़ी बड़ी हुई तब उनकी मा ता दीक्षा की मृत्मृयु हो गई। अपनी पत्नी की मृत्मृयु के उपरां त सुमंसुतमं ने दूसदू रा वि वा ह कर लि या जि सका ना म कर्कशा था । अपने ना म के सा थ इनका स्वभा व भी बेहद कर्कश था । इसके सा थ ही ब्राब् राह्मण सुमंसुतमं ने अपनी कन्या सुशीसुशीला का वि वा ह कौं डिकौंडिन्य ऋषि के सा थ कर दि या । Must read – यहां देखें अनंत चतुर्द तुशी पूजा सा मग्रीग् री लि स्ट
2/3 anant chaturdashi ki katha hindi mein – Anant Chaturdashi 2022 कन्या की वि दाई के समय कर्कशा ने अपने दामा द को ईंटेंईं टेंऔर पत्थरों के टुकड़े बां ध कर उपहा र के रूप में देदि ए। कौं डिकौंडिन्य ऋषि अपनी पत्नी सुशीसुशीला के सा थ अपने आश्रश् म की ओर नि कल पड़े। आधे रा स्ते में ही शा म ढलने लगी और ऋषि नदी के कि ना रे संध्या वंदन करने लगे। इसी बी च सुशीसुशीला देखती हैं कि कुछ बहुत सा री महि ला एं कि सी देवता की पूजा कर रही थीं ।थीं सुशीसुशीला ने महि ला ओं के पा स जा कर पूछा कि वे कि स देव की प्रा र्थना कर रही हैं, उनका उत्तर देते हुए लो गों ने उन्हें भगवा न अनंत की पूजा करने और इस व्रत रखने के महत्व के बा रे में बता या । व्रत के महत्व के वि षय में सुनसुने के बा द सुशीसुशीला ने उसी क्षण उस व्रत का पा लन कि या और हा थ में 14 गां ठों का एक डो रा बां धकर अपने पति ऋषि कौं डिकौंडिन्य के पा स चली गई। Anant Chaturdashi katha in hindi pdf – anant chaturdashi 2022 ki katha – anant chaturdashi date 2022 ऋषि ने सुशीसुशीला के बा ह में बंधे डो रे के वि षय में पूछा तो उन्हों ने सब बा त बता दी लेकि न ऋषि ने यह सब कुछ मा नने से मना कर दि या और उस पूजा के पवि त्रत् धा गे को उनके पा स से नि का लकर अग्नि में फेंक दि या । इसके तत्पश्चा त् ही उनकी सा री संपत्ति जो थी वो नष्ट हो गई और वह दंपति गरी बी से परेशा न रहने लगे। जि स पर उन्हों ने अपनी पत्नी से इसका का रण पूछा तो सुशीसुशीला ने अपने पति को अनंत भगवा न का डो रा जला ने वा ली बा त या द दि ला ई। जि सके पश्चा ता प के लि ए ऋषि कौं डिकौंडिन्य अनंत डो रे को ढूंढने वन में चले गए। जहां वह कई दि नों तक भटकते रहे और एक दि न हतो त्सा हि त हो कर वन में ही भूमिभूमि पर गि र पड़े। Must read –जा नि ए अनंत चतुर्द तुशी की पूजा वि धि और शुभशु मुहूमुहूर्त anant chaturdashi vrat katha – anant chaturdashi ki katha – anant chaudas vrat katha vidhi – anant chaudas ki katha ऋषि दंपति यों के पश्चा ता प के दि नों में एक दि न अनंत भगवा न प्रकट हो कर बो ले, “हे कौं डिकौंडिन्य! तुम्तुहें स्मरण है कि तुमतुने मेरा अपमा न कि या था , जि स का रण तुम्तुहें अब कष्टों का सा मना करना पड़ रहा है लेकि न अब तुमतुने पश्चा ता प कर लि या है अब मैं तुमतुसे प्रसन्न हूं, जा ओ, जा कर वि धि पूर्वक अनंत व्रत करो । अपने जी वन में 14 वर्षों तक व्रत करने से तुम्तुहा रा समस्त दुखदु दूरदू हो जा एगा । तुमतु धन-धा न्य, संपत्ति से पहले की तरह संपन्न हो जा ओगे।” ईश्वर के अनुसानु सार ही कौं डिकौंडिन्य ने व्रत कि या तथा अपने जी वन के समस्त कलेशों से मुक्तिमुक्ति पा ई। Must Read:गणपति वि सर्जन से पहले करें ये खा स उपा य, पूर्ण हों गी मनो का मना एं और दूरदू हों गी वि पत्ति यां Anant Chaturdashi katha in hindi pdf – anant chaturdashi vrat katha in hindi pdf – अनंत चतुर्द तुशी व्रत कथा यही अंनत चतुर्द तुशी की कथा पौ रा णि क का ल से प्रचलि त है। हर भक्त अनंत चतुर्द तुशी के दि न व्रत रखकर वि धि पूर्वक कथा को गा ते अथवा सुनसुते हैं। anant chaturdashi vrat katha in hindi pdf download Click Here to Download Anant Chaturdashi Katha pdf Must read – Download Anant chaturdashi status videos
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