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E-patrika

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EMPRESAS HEADHUNTERS CHILE PDF
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Story Transcript

माननीय उपायक् ु त का संदेश

माननीय सहायक आयक् ं ाग ु त ,के न्द्रीय विद्यालय सगं ठन जम्मू सभ

अध्यक्ष विद्यालय प्रबंधन सममतत संदेश

मेरे मलए यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कक इस केंद्रीय विद्यालय कारगिल(ट्रे सपोन) द्िारा अपनी राजभाषा ई- पत्रिका सि 2021-22 का प्रकाशन ककया जा रहा है । ककसी भी विद्यालय की ई पत्रिका उस विद्यालय का दपपण होती है उसी से विद्यालय की सांस्कृततक और शैक्षक्षक िततविगधयों के साथ - साथ साहहत्त्यक में रुगि का भी पता िलता है विद्यालय पत्रिका इस बात का प्रमाण है कक मशक्षागथपयों के समुगित , सकारात्मक , सिाांिीण एिं सज ृ नात्मक विकास हे तु विद्यालय पररिार प्रततबद्ध है । शुभ कामनाओं सहहत विद्यागथपयों , मशक्षकों ि प्रािायप के अथक प्रयास हे तु बधाई दे ते हुए

उनके सफल और उज्जिल भविष्य की कामना करता हूँ । एक बार पुनः समस्त विद्यालय पररिार को राजभाषा ई पत्रिका के प्रकाशन 2021-22 पर बधाई एिं शभ ु कामनाएं ।

प्राचायय का संदेश

यह अवि प्रसन्द्निा का विषय हैं वक इस िषय भी के न्द्रीय विद्यालय कारवगल “िावषयक राजभाषा विद्यालय पविका” का प्रकाशन ऑनलाईन माध्यम से कर रहा हैं | वनिःसंदेह ,इस विद्यालय का वशक्षा के क्षेि के साथ- साथ ,सृजन के अन्द्य क्षेिों में भी अनुकरणीय योगदान रहा है| छािों की अपनी सज ृ नात्मक योग्यिा को अवभव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम “पविका” का है | मेरी शुभकामना है वक विद्यालय रूपी पुष्प अपनी अवमट सुरवभ से जन-मानस को सदैि प्रफुवललि एिं सुिावसि करिा रहें | मेरे प्यारे बच्चों ,आप सदैि गविमान रहो , विश्वासपण ू य अनश ु ावसि जीिन के साथ अपनी आिं ररक शवक्त को मजबूि करिे हुए ऐसी उपलवधियां प्राप्त करें वक आप जहां भी जाओ , आपकी उपवथथवि से सभी गौरिावन्द्िि हो जाए | मैं पविका के सफल एिं साथयक प्रकाशन के वलए आप सभी को अपनी शुभकामनाएं प्रेवषि करिा हूँ | प्रेम सवहि |

कमयचाररयों की नाम सूची प्राचायय : के .एस. पठावनया

वनयवमि कमयचारी क्रम संख्या

नाम

पद

1

श्री गुलज़ार हुसैन

पीजीटी रसायन विज्ञान

2

श्री डी आर ईणविया

पराथनािक वशक्षक( वहन्द्दी)

3

श्री करन वकन्द्रा

पीजीटी भौविक विज्ञान

4

श्री विजय कुमार

पीजीटी गवणि

5

श्री राजेश कुमार

पीजीटी अंग्रेजी

6

श्री राहुल कुमार

पीजीटी (सगं णक विज्ञान )

7

श्रीमिी सीमा रानी

थनािक वशक्षक सामावजक विज्ञान

8

श्री मुकेश कुमार थिामी

कायायनुभि वशक्षक

10

श्री भिानी शंकर माली

कला वशक्षक

11

श्री प्रदीप कुमार

थनािक वशक्षक (संथकृि )

12

श्री बलजीि वसहं

थनािक वशक्षक (गवणि )

13

श्री मोहम्मद फ़रजान शेरिानी

थनािक वशक्षक (अंग्रेजी)

14

श्री नीरज कुमार वििेदी

15

श्रीमिी पूनम कुमारी

पुथिकालयाध्यक्ष प्राथवमक वशक्षक

16

श्री वशिलाल यादि

प्राथवमक वशक्षक

17

श्री मोवहि गोंड

प्राथवमक वशक्षक

18

श्री मोवहि शमाय

प्राथवमक वशक्षक

19

श्री योगेंर कुमार साह

प्राथवमक वशक्षक

20

श्री लोके श कुमार

प्राथवमक वशक्षक

संविदा कमयचारी क्रम संख्या

नाम

पद

1

सुश्री वबलवकस फाविमा

पीजीटी जीि विज्ञान

िािा अनुभाग क्रम संख्या

नाम

1

श्री रजनीश

पद कवनष्ठ वलवपक

विषय सूची क्र. सं.

विषय



भारत की आरती



यह है भारत दे श हमारा



नाम हम्मद मोहमद

कक्षा/विक्षक छठी

खैरुन तनशा

छठी

परीक्षा िाली व ंदगी

रुबाब

आठिी ं



बेटी

सकीना खातन

निमी ं



शरारती िहा

जबीन फाततमा

निमी ं

कोरोना िायरस

रीमी वसन्हा

निमी ं

विक्षक ं क समवपित कविता

डी आर

स्नातकोतर हहन्दी

जीिन में कला की महत्ता

भिानी शंकर

टी. जी. टी. कला

यही त्जंदिानी है

अरिों खैरुन

बारहिी ं

अततका बान

दसिीं

६ ७ ८ ११ १२

बुद्गधमान मंिी

ईणखखया

१३

महहला सशत्क्तकरण

योिें द्र कुमार

१४

सैर

आदशप कुमार

िौथी

१५

मशक्षा

मोहहत िोंड

प्राथममक मशक्षक

१६

प्रकृतत

मुनीर अली

िौथी

१७

आज कफर से

शाहहदा बातल

िौथी

१८

गिंता ने गिता से मुस्कुराते हुये कहा

करण ककन्द्रा

प्राथममक मशक्षक

पीजीटी भौततक विज्ञान

भारत की आरती दे ि-दे ि की स्वतंत्रता दे िी आ

अवमत प्रे म से उतारती ।

वनकटपूिि, पूिि, पूिि-दवक्षण में न-गण-मन इस अपूिि िुभ क्षण में गाते ह ं घर में ह ं या रण में भारत की ल कतंत्र भारती। गिि आ

करता है एविया

अरब, चीन, वमस्र, वहंद-एविया उत्तर की ल क संघ िक्तियां युग-युग की आिाएं िारती ं। साम्राज्य पूं ी का क्षत ह िे ऊंच-नीच का विधान नत ह िे सावधकार

नता उन्नत ह िे

समा िाद

य पुकारती।

न का विश्वास ही वहमालय है भारत का

न-मन ही गंगा है

वहन्द महासागर ल कािय है यही िक्ति सत्य क उभारती। यह वकसान कमकर की भूवम है पािन बवलदान ं की भूवम है भि के अरमान ं की भूवम है मानि इवतहास क संिारती। नाम: हम्मद मोहम्मद कक्षा: छठी

उपायक् ु त महोदय द्िारा विद्यालय तनररक्षण सम्बत्न्धत छायागिि

यह है भारत दे श हमारा चमक रहा उत्तुंग हहमालय, यह नगराज हमारा ही है । जोड़ नहीुं धरती पर हजसका, वह नगराज हमारा ही है । नदी हमारी ही है गुंगा, प्लाहवत करती मधतरस धारा, बहती है क्या कहीुं और भी, ऎसी पावन कल-कल धारा? सम्माहनत जो सकल हवश्व में , महहमा हजनकी बहुत रही है अमर ग्रन्थ वे सभी हमारे , उपहनषदोुं का दे श यही है । गाएँ गे यश ह्म सब इसका, यह है स्वहणि म दे श हमारा, आगे कौन जगत में हमसे , यह है भारत दे श हमारा। यह है भारत दे श हमारा, महारथी कई हुए जहाँ पर, यह है दे श मही का स्वहणि म, ऋहषयोुं ने तप हकए जहाँ पर, यह है दे श जहाँ नारद के, गँजे मधतमय गान कभी थे , यह है दे श जहाँ पर बनते , सवोत्म सामान सभी थे। यह है दे श हमारा भारत, पणि ज्ञान का शतभ्र हनकेतन, यह है दे श जहाँ पर बरसी, बतद्धदे व की करुणा चेतन, है महान, अहत भव्य पतरातन, गँजेगा यह गान हमारा, है क्या हम-सा कोई जग में, यह है भारत दे श हमारा। हवघ्ोुं का दल चढ़ आए तो, उन्हें दे ख भयभीत न होुंगे, अब न रहें गे दहलत-दीन हम, कहीुं हकसी से हीन न होुंगे, क्षतद्र स्वाथि की खाहतर हम तो, कभी न ओछे कमि करें गे, पतण्यभहम यह भारत माता, जग की हम तो भीख न लेंगे।

नाम: खैरुन वनिा कक्षा: छठी

कोरोना संबंगधत गिि

परीक्षा िाली व ं दगी जब से परीक्षा वाली हजुंदगी परी हुई है , तब से हजुंदगी की परीक्षा शत रू हो गई है । आज मतझे एक नया अनतभव हुआ अपने मोबाइल से , अपने ही नुंबर लगाकर दे खा आवाज आयी। हिर ध्यान आया, हकसी ने क्या खब कहा है ……… और उनसे हमलने में दत हनया मस्त है पर, खतद से हमलने की सारी लाइने व्यस्त हैं । कोई नहीुं दे गा साथ तेरी यहाुं , हर कोई यहाुं खतद ही में मशगल है । हजुंदगी का बस एक ही उसल है यहाुं , ततझे हगरना भी खतद है और सुंभलना भी खतद है ।

नाम: रुबाबा कक्षा आठिीं

विद्यालय प्रबन्धक सममतत की बैठक सम्बन्धी छायागिि

बेटी जब जब जन्म लेती है बेटी, खतहशयाुं साथ लाती है बेटी।

ईश्वर की सौगात है बेटी, सतबह की पहली हकरण है बेटी।

तारोुं की शीतल छाया है बेटी, आुं गन की हचहड़या है बेटी।

त्याग और समपिण हसखाती है बेटी, नए नए ररश्ते बनाती है बेटी।

हजस घर जाए उजाला लाती है बेटी, बार-बार याद आती है बेटी। बेटी की कीमत उनसे पछो, हजनके पास नहीुं है बेटी।

नाम: िो िो सकीना खातन कक्षा:निमी

योि

शरारती िहा गोलू के घर में एक शरारती चह ू ा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा

चलता था। उसने गोलू की ककताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपडे भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बबना ढके रख िे ती , वह चह ू ा उसे भी चट कर जाता था। चह ू ा खा – पीकर बडा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चह ू े की नज़र बोतल पर पड गयी। चह ू ा कई तरकीब लगाकर थक गया था , उसने शरबत पीना था। चह ू ा बोतल पर चढा ककसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है । अब उसमें चह ू ा मुंह ु घस ु ाने की कोशशश करता है । बोतल का मुंह ु छोटा था मुंह ु नहीुं घस ु ता। कफर चह ू े को आइडडया आया उसने अपनी पूुंछ बोतल में डाली। पूुंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट – चाट कर चह ू े का पेट भर गया। अब वह गोलू के तककए के नीचे बने अपने बबस्तर पर जा कर आराम से करने लगा। नैततक शशक्षा – मेहनत करने से कोई कायय असम्भव नहीुं होता।

नाम: जबीन फाततमा कक्षा:निमी ं

एन.सी.सी. से सम्बत्न्धत छायागिि

कोरोना िायरस कोरोना िायरस क्या है ? कोरोना वायरस

(सीओवी) का सुंबुंध वायरस के ऐसे पररवार से है जजसके सुंक्रमण से जक ु ाम

से लेकर साुंस लेने में तकलीफ जैसीसमस्या हो सकती है । इस वायरस को पहले कभी नहीुं िे खा गया है । इस वायरस का सुंक्रमण दिसुंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबबक बुखार, खाुंसी, साुंस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीुं बना है । इसके सुंक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, साुंस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएुं उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यजक्त से िस ू रे व्यजक्त में फैलता है । इसशलए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है । यह वायरस दिसुंबर में सबसे पहले चीन में पकड में आया था। इसके िस ू रे िे शों में पहुुंच जाने की आशुंका जताई जा रही है ।

कोरोना से शमलते जल ु ते वायरस खाुंसी और छ ुंक से गगरने वाली बुंि ू ों के ज़ररए फैलते हैं।कोरोना वायरस अब चीन में उतनी तीव्र गतत से नहीुं फ़ैल रहा है जजतना ितु नया के अन्य िे शों में फैल रहा है । कोववड 19 नाम का यह वायरस अब तक 70 से ज़्यािा िे शों में फैल चक ु ा है । कोरोना के सुंक्रमण के बढते ख़तरे को िे खते हुए सावधानी बरतने की ज़रूरत है ताकक इसे फैलने से रोका जा सके।

* क्या हैं इस बीमारी के लक्षण? कोवाइड-19 / कोरोना वायरस में पहले बुख़ार होता है । इसके बाि सूखी खाुंसी होती है और कफर एक हफ़्ते बाि साुंस लेने में परे शानी होने लगती है । इन लक्षणों का हमेशा मतलब यह नहीुं है कक आपको कोरोना वायरस का सुंक्रमण है । कोरोना वायरस के गुंभीर मामलों में तनमोतनया, साुंस लेने में बहुत ज़्यािा परे शानी, ककडनी फ़ेल होना

और यहाुं तक कक मौत भी हो सकती है । बुजुगय या जजन लोगों को पहले से अस्थमा, मधम ु ेह या हाटय की बीमारी है उनके मामले में ख़तरा गुंभीर हो सकता है । ज़ुकाम और फ्लू में के वायरसों में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं। * कोरोना िायरस का संक्रमण हो जाए तब?

इस समय कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीुं है लेककन इसमें बीमारी के लक्षण कम होने वाली िवाइयाुं िी जा सकती हैं। जब तक आप ठ क न हो जाएुं, तब तक आप िस ू रों से अलग रहें । कोरोना वायरस के इलाज़ के शलए वैक्सीन ववकशसत करने पर काम चल रहा है । इस साल के अुंत तक इुंसानों पर इसका परीक्षण कर शलया जाएगा। कुछ अस्पताल एुंटीवायरल िवा का भी परीक्षण कर रहे हैं।

* क्या हैं इससे बिाि के उपाय? स्वास््य मुंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के शलए दिशातनिे श जारी ककए हैं।इनके मुताबबक हाथों को साबुन से धोना चादहए। अल्कोहल आधाररत हैंड रब का इस्तेमाल भी ककया जा सकता है । खाुंसते और छ कते समय नाक और मुुंह रूमाल या दटश्यू पेपर से ढुं ककर रखें। जजन व्यजक्तयों में कोल्ड और फ्लू के लक्षण हों, उनसे िरू ी बनाकर रखें । अुंडे और माुंस के सेवन से बचें । जुंगली जानवरों के सुंपकय में आने से बचें ।

नाम: रीमी मसन्हा कक्षा: निमी

आज़ादी का अमृत मह त्सि

विक्षक ं क समवपित कविता हशक्षक की गोद में उत्थान पलता है । जहाुं सारा हशक्षक के पीछे चलता है । हशक्षक का बोया पेड़ बनता है । हजारोुं बीज वहीुं पेड़ जानता है । काल की गहत को हशक्षक मोड़ सकता है । हशक्षक धरा से अुंबर को जोड़ सकता है । हशक्षक की महहमा महान होती है । हशक्षक हबन अधरी वसतुंधरा रहती है । याद रखो चाणक्य ने इहतहास बना डाला था। क्रर मगध राजा को हमट्टी में हमला डाला था। बालक चुंद्र गतप्त को चक्रवती सम्राट बनाया था। एक हशक्षक ने अपना लोहा मनवाया था। सुंदीपनी से गतरु सहदयोुं से होते आए हैं । कृष्ण जैसे नन्हें -नन्हें बीज बोते आए हैं । हशक्षक से ही अजतिन और यतहधहिर जैसे नाम है । हशक्षक की हनुंदा करने से दत योधन बदनाम है । आओ हम सुं कल्प करें हक अपना िजि हनभाएुं गे । अपने प्यारे भारत को हम जगद् गतरु बनाएुं गे ।

डी.आर.ईणक्तखया

( परास्नातक विक्षक वहन्दी )

खिोलीय प्रयोिशाला का उद्घाटन छायागिि

जीिन में कला की महत्ता सुंसार के सभी जीवों में मनष्ु य श्रेष्ठ है । उसके पास बद् ु गध और वववेक के रूप में िो ऐसी नैसगगयक शजक्तयााँ हैं, जजनके कारण वह अन्य जीवों से ऊाँचा उठ पाया है । आत्मरक्षा की प्रववृ ि और प्रजनन क्षमता लगभग सभी जीवों में पाई जाती है और वे इनसे सन्तष्ु ट हो जाते हैं, परन्तु मनुष्य केवल इससे ही सन्तुष्ट होकर नहीुं रह जाता । सम्भवत: यही ववचार कला के जन्म का मूल है । वास्तव में , ‘कला’ क्या है इसका सटीक उिर िे पाना सरल नहीुं है । राष्रकवव मैगथलीशरण गुप्त ने कला के सन्िभय में अपना मत व्यक्त करते हुए कहा है - ”अशभव्यजक्त की कुशल

शजक्त ही कला है ।” इटली के महान ् ववद्वान ने भी कला को अशभव्यजक्त का साधन मानते हुए कहा है - “कला का सम्बन्ध केवल स्वानुभूतत से प्रेररत प्रकक्रया से है । जब कोई कलाकार स्वानभ ु तू त को सहज, स्वाभाववक रूप से अशभव्यक्त कर िे ता है , तो वही कला का रूप धारण

कर लेती है । अत: अशभव्यजक्त की पूणत य ा ही कला है … अशभव्यजक्त ही उसका सौन्ियय है ।” एक अन्य ववद्वान ने कला को पररभावित करते हुए शलखा है - ”कला, कलाकार के आनन्ि के श्रेय और प्रेम तथा आिशय और यथाथय को समजन्वत करने वाली प्रभावोत्पािक अशभव्यजक्त है ।” वास्तव में , कला सुन्िरता की अशभव्यजक्त है और समद् ृ गध की पररचायक है । कहा जाता है कक जजस जातत की कला जजतनी समद् ृ ध और सुन्िर होगी, वह जातत उतनी ही गौरवशाली और प्राचीन होगी । इसीशलए कला को ककसी भी राष्र की सुंस्कृतत का मापिण्ड भी कहा जाता है । जब व्यजक्त भौततक रूप से सरु क्षक्षत होता है और उसे ककसी बात का भय नहीुं होता, तब वह मानशसक और आजत्मक सन्तुजष्ट को प्राप्त करने की दिशा में प्रयासरत होता है ।

नाम: भिानी शंकर माली, टी.जी.टी. (कला)

कफट इंडडया फ्रीडम

विद्यालय भिन ि तनमापणाधीन आिासीय पररसर के छायागिि

सौर ऊजाप संयंि के उद्घाटन सम्बन्धी छायागिि

यही त्जंदिानी है – हहंदी कविता यहााँ हर दिल मे एक अधूरी सी कहानी है । तन्हाइयों में हर ककसी की जजुंिगी रूहानी है । बाहर से हर चेहरा हुं सता हुआ नजर आएगा भीतर से टटोलोगे तो हर आुंख में पानी है ।

कुछ यािें शलए बैठे है कुछ ककस्से शलए बैठे है । यहाुं लोग एक दिल के कई दहस्से शलए बैठे है । बैदठए ककसी के पास कुछ पल हमराह बनकर तभी जान पाओगे, ििय में ककतनी सुनामी है । कोई “ििय ” कह िे ता है तो ककसी को कहना नही आता कोई पत्थर बन जाता है ककसी को चप ु रहना नही आता सबकी आित औरों को जानना है , और अपनी छुपानी है । चप ु रहकर जजम्मेिाररयाुं तनभानी है बस यही जजुंिगानी है ।

नाम अरिों खैरुन तनशा कक्षा – बारहिीं

विद्यालय प्रबंधन सममतत की बैठक सम्बन्धी छायागिि

बद् ु गधमान मंिी एक बार की बात है । एक ररयासत के मुंत्री ने राजा को अपनी बेटी के वववाह समारोह में तनमुंबत्रत ककया। जब राजा अपने पररवार के साथ वववाह समारोह में पहुाँचा, तो मुंत्री उन्हें

सम्मानपव य ववशशष्ट आसन पर बैठाने ले गयो, तो मुंत्री यह िे खकर बहुत लजजजत हुआ कक ू क एक सफाईकमी वहााँ बैठा हुआ था।

उसने सफाईकमी को सभी के सामने वहााँ से उठा फेंका और उसे बहुत डााँटा । सफाईकमी ने बहुत अपमातनत महसूस ककया और बिला लेने की योजना बनाने लगा।

अगले दिन सुबह वह जब वह राजा का कक्ष साफ कर रहा था, तभी वह जानबूझकर बडबडाया, “राजा ककतने नािान हैं। उन्हें यह पता ही नहीुं कक रानी और मुंत्री के बीच क्या चल रहा है । ” राजा आधी नीुंि में था। “यह क्या बकवास कर रहे हो?” उसने पछ ू ा। “महाराज, मैं परू ी रात सो नहीुं पाया । मैं तो नीुंि में बडबडा रहा था,” सफाईकमी जवाब में बोला। हालााँकक, उसकी बात सन ु कर राजा के मन में सुंिेह के बीज पड गए थे। राजा अब मुंत्री से गचढने लगा और समय-समय पर अपमातनत करने लगा । एक दिन तो उसने द्वारपालों से यह तक कह दिया कक वे मुंत्री को महल में घुसने ही न िें । मुंत्री राजा के व्यवहार से बहुत चककत था, लेककन कुछ ववचार करने के बाि उसे समझ में आ गया कक सफाईकमी ही इसके शलए जजम्मेिार हो सकता है । “मैंने उसका अपमान ककया था और उसी का उसने बिला शलया है । अब मुझे उसे िब ु ारा प्रसन्न करना होगा, तभी वह राजा की तनगाह में मेरा सम्मान िब ु ारा दिला सकता है ,” मुंत्री ने सोचा। एक दिन उसने सफाईकमी को अपने घर भोजन पर आने का तनमुंत्रण दिया और कहा, “मेरे िोस्त, मुझे क्षमा कर िो। मैंने तम् ु हारा अपमान ककया था। मझ ु े गलती का अहसास हो गया है । इन सुंि ु र कपडों को उपहार के रूप में ग्रहण करो। चलो, मेरे साथ भोजन करो । ” सफाईकमी प्रसन्न हो गया । वह सोचने लगा, “मुंत्री तो अच्छा आिमी है । मैंने ही उस दिन गलती कर िी थी । ” अब सफाईकमी प्रसन्न था और प्रयास करने लगा कक मुंत्री के बारे में राजा की धारणा बिल जाए।

एक बार जब वह राजा के कक्ष में गया तो राजा सो रहा था। वह बडबडाने लगा, “अरे , राजा का तो िासी के साथ प्रेम सुंबुंध है । बडी लजजा की बात है ! ” राजा ने उसका बडबडाना सुना तो उठकर बैठ गया। राजा ने सफाईकमी को बहुत डााँटा। सफाईकमी बोला, “ क्षमा कर िें महाराज, मैं पूरी रात सो नहीुं पाया । इसशलए दिन में ही नीुंि में बडबडा रहा था । “

राजा को अपनी गलती समझ में आ गई । इस तरह की अफवाह के चक्कर में आकर उसने अपने बहुत अच्छे सलाहकार की अनिे खी शुरू कर िी थी । राजा ने मुंत्री को बुलाया और िोनों कफर से शमत्र बन गए ।

नाम - अततका बान कक्षा दसिीं

विज्ञान हदिस संबंधी छायागिि

राज्यपाल महोदय द्िारा खिोलीय प्रयोिशाला तनरीक्षण सम्बत्न्धत छायागिि

अपने तनजी स्ितंिता और ियन का फैसला लेने के मलए महहलाओं को अगधकार दे ने तथा समाज में उनके िास्तविक अगधकारों को प्राप्त करने के मलए उन्हें सक्षम बनाना ही महहला सशत्क्तकरण कहलाता है ।

महहला जाित ृ होंिी तभी हमारा समाज, हमारे राष्ट्र और हमारे दे श का विकास होिा। महहलाओं के मलए जाित ु ष के साथ कंधे से कंधा ममलाकर िल सके तथा ृ होना बहुत ही जरूरी है ताकक िह परु समाज में सर उठा कर िल सके।

महहला सशत्क्तकरण का मख् ु य अथप है महहलाओं को उनका सही अगधकार हदलाना है ।

भारतीय संस्कृतत में महहलाओं को हमेशा उच्ि स्थान ममला है ऐसा कहा जाता है कक जहां नारी का सम्मान होता है िहां दे िता का िास होता है । दे श समाज और पररिार के उज्ज्िल भविष्य के मलए

महहला सशत्क्तकरण बहुत ही जरूरी है इसमलए 8 मािप को प्रततिषप परे विश्ि में अंतरराष्ट्रीय महहला हदिस (International Women’s Day) मनाया जाता है ।

भारत में महहलाओं का सशक्त बनना बहुत ही आिश्यक है क्योंकक हमारा भारत परु ु ष प्रभत्ु ि िाला

दे श है जहां परु ु षों को महहलाओं की तल ु ना में ज्यादा माना जाता है जो कक सही बात नहीं हैं। आज भी भारत में महहलाओं को परु ु ष की तरह काम करने नहीं हदया जाता है उन्हें घर की दे खभाल करने को तथा घर से बाहर तनकलने से मना ककया जाता है।

भारत में महहलाओं को सशक्त बनाने के मलए सबसे पहले समाज में उनके अगधकारों और मल्यों को मारने िाली उन बरु ी सोि को खत्म करना होिा जो महहला सशत्क्तकरण के मलए रुकािट हैं। जैसे दहे ज प्रथा, महहलाओं के प्रतत घरे ल हहंसा, यौन हहंसा, अमशक्षा, कन्या भ्रण हत्या, असमानता, बाल मजदरी, यौन शोषण, िेश्यािवृ त्त इत्याहद। दे श की आजादी के बाद भारत को बहुत से िन ु ौततयों का सामना करना पडा है त्जससे मशक्षा के क्षेि में परु ु ष और महहलाओं के बीि एक बडा अंतर पैदा हुआ है । महहला को उनके सामात्जक और मौमलक अगधकार जन्म से ही ममलना िाहहए।

योिें द्र कुमार साह प्राथममक मशक्षक

आिशय कुमार कक्षा – चौथी

ककसी भी व्यत्क्त की प्रथम पाठशाला उसका पररिार होता है , और मां को पहली िुरु कहा िया है । मशक्षा िो अस्ि है , त्जसकी सहायता से बडी से बडी कहठनाइयों का सामना कर सकते है । िह मशक्षा ही होती है त्जससे हमें सही-िलत का भेद पता िलता है । इसकी अहममयत का अंदाजा इसी बात से लिाया जा सकता है , एक िक़्त की रोटी ना ममले, िलेिा। ककंतु मशक्षा जरुर ममलनी िाहहए। मशक्षा पाना प्रत्येक प्राणी का अगधकार है । “हमारी मशक्षा स्िाथप पर आधाररत, परीक्षा पास करने के संकीणप मक़सद से प्रेररत, यथाशीघ्र नौकरी पाने का जररया बनकर रह िई है जो एक कहठन और विदे शी भाषा में साझा की जा रही है । इसके कारण हमें तनयमों, पररभाषाओं, तथ्यों और वििारों को बिपन से रटना की हदशा में धकेल हदया है । यह न तो हमें िक़्त दे ती है और न ही प्रेररत करती है ताकक हम ठहरकर सोि सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें।” “सच्िी मशक्षा िह है जो बच्िों के आध्यात्त्मक, बौद्गधक और शारीररक पहलुओं को उभारती है और प्रेररत करती है । इस तरीके से हम सार के रूप में कह सकते हैं कक उनके मुतात्रबक़ मशक्षा का अथप सिाांिीण विकास था।” “मशक्षा मनष्ु य की शत्क्तयों का विकास करती है , विशेष रूप से मानमसक शत्क्तयों का विकास करती है ताकक िह परम सत्य, मशि एिम सुंदर का गिंतन करने योग्य बन सके।” मशक्षा समाज में एक महत्िपणप भममका तनभाती है । मशक्षा ही हमारे ज्ञान का सज ृ न करती है , इसे छािों को हस्तांतररत करती है और निीन ज्ञान को बढािा दे ती है । आधतु नकीकरण सामात्जक-सांस्कृततक पररितपन की एक प्रकक्रया है । यह मल्यों, मानदं डों, संस्थानों और संरिनाओं को शाममल करने िाली पररितपन की श्ख ं ृ ला है । समाजशास्िीय दृत्ष्टकोण के अनुसार, मशक्षा व्यत्क्त की व्यत्क्तित जरूरतों के हहसाब से नहीं होती है , बत्ल्क यह उस समाज की जरूरतों से उत्पन्न होती है , त्जसमें व्यत्क्त सदस्य होता है । एक त्स्थर समाज में , शैक्षक्षक प्रणाली का मुख्य कायप सांस्कृततक विरासत को नई पीहढयों तक पहुंिाना है । लेककन एक बदलते समाज में , इसका स्िरुप पीढी-दर-पीढी बदलते रहता हैं और ऐसे समाज में शैक्षखणक व्यिस्था को न केिल सांस्कृततक विरासत के रुप में लेना िाहहए,

बत्ल्क यि ु ा को उनमें बदलाि के समायोजन के मलए तैयार करने में भी मदद करनी िाहहए। और यही भविष्य में होने िाली संभािनाओं की आधारमशला रखता है ।

आधतु नक शैक्षखणक संस्थानों में कुशल लोि तैयार होते हैं, त्जनके िैज्ञातनक और तकनीकी ज्ञान से दे श का औद्योगिक विकास होता है । व्यत्क्तिाद और सािपभौममकतािादी नैततकता आहद जैसे अन्य मल्यों को भी मशक्षा के माध्यम से विकमसत ककया जा सकता है । इस प्रकार मशक्षा आधतु नकीकरण का एक महत्िपणप अस्ि हो सकता है । मशक्षा के महत्ि को इस तथ्य से महसस ककया जा सकता है कक सभी आधतु नक समाज मशक्षा के सािपभौममकरण पर जोर दे ते हैं और प्रािीन हदनों में , मशक्षा एक विशेष समह के मलए केंहद्रत थी। लेककन मशक्षा के आधतु नकीकरण के साथ, अब हर ककसी के पास अपनी जातत, धमप, संस्कृतत और आगथपक पष्ृ ठभमम के बािजद मशक्षा प्राप्त करने की सवु िधा है ।

मोहहत िोंड प्राथममक मशक्षक

प्रकृतत हरी –हरी खेतो में बरस रहे हैं बूँद ु े

ख़श ु ी ख़श ु ी से आया सािन भर िया मेरा आंिन |

ऐसा लि रहा जैसे मान की कमलयाूँ खखल ियी िैसे ऐसा कक आया बसंत

लेके फलो का जश्न ||

धप ु से प्यासी मेरे तन को बंदों ने दी ऐसी अंिडाई कद पडा मेरा तन मान लिता है मै हु एक दामन |||

यह संसार है ककतना सुन्दर लेककन लोि नहीं उतने अकलमंद यह है एक तनिेदन ना करो प्रकृतत का शोषण |||| मुनीर अली

कक्षा – िौथी

स्काउट एण्ड िाइड के छाया गिि

िलो कुछ ददप हम भल जाते हैं , आज कफर से हम स्कल जाते हैं |

रोक न सकें हमें कोई जंजीरे , िक्त का पैिाम आज साथ मलए िलते है |

ऐ त्जन्दिी मेरे स्कल िाले ख्िाब लौटा दे ना , मेरे त्रबछडे दोस्तों को मझ ु से ममला दे ना | बंहदशें एहसास से बढकर नहीं होती , मेरे िरु ु के मझ ु े बस दशपन करा दे ना |

िलो कुछ ददप हम भल जाते हैं , आज कफर से हम स्कल जाते है |

शाहहदा बतल कक्षा – िौथी

गिंता ने गिता से मुस्कुराते हुये कहा त मरु दों को जलाती है मैं त्जंदों को जलाती हूँ ।

त एक ही बार जलाती है मैं हर रोज जलाती हूँ ।

त विदा कर दे ती है

मैं जकड लेती हूँ ।

त मत्ृ यु से जड ु ी है मैं त्जंदिी से जुडी हूँ । त अंततम सत्य है मैं प्रथम सत्य हूँ ।

करन ककन्द्रा स्नातकोत्तर मशक्षक (भौततक विज्ञान )

राष्ट्रीय एकता हदिस

विश्ि शांतत हदिस छायागिि

धन्यिाद

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