मूल्यानुगत मीडिया Flipbook PDF

अंक : जनवरी-फरवरी (संयुक्तांक) 2023

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1 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 वषर्: 14 | अंक: 1 | पृ�: 16 | जनवरी-फरवरी (संयु�ांक) 2023 मू�ानुगत मी�डया अ�भ�म स�म�त (Society of Media Initiative for Values) का मुखप� RNI - MPHIN/2007/28261 ISSN NO. 2278-2303 सकारा�क प�रवतर्न के �लए मी�डयाक�म�य� क� स��य पहल An Initiative of Media Persons for Positive Change मू�ानुगत मी�डया MULYANUGAT MEDIA कोट्टयम, 2 जनवरी। केें द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन ने भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के कोट्टयम कैैं पस मेें विद्यार््थथियोों और शिक्षकोों को संबोधित करते हुए कहा कि दरदू र््शन के क्षेत्रीय भाषाओंके चैनल नए कं टेेंट और टेक्नोलॉजी के साथ रिलाांच होने के लिए तैयार हैैं। इस अवसर पर राज्यसभा साांसद श्री जोस के मणि, श्री थॉमस चाझिकदान एवं कोट्टयम कैैं पस के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अनिलकु मार वडावथूर भी उपस्थित रहे। डॉ. मुरुगन ने कहा कि वर््तमान समय मेें हम सभी को ओटीटी प्लेटफॉर््म पर भरोसा है और हम इसे विश्वसनीय मानते हैैं, लेकिन मीडिया के लिए आज एक सेल्फ रेगुलेटेड सिस्टम की आवश्यकता है। उन्हहोंने कहा कि सरकार मीडिया पर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीीं थोपना चाहती है। भारत एक लोकताांत्रिक देश है और यहाां सभी नागरिकोों को बोलने का मौलिक अधिकार प्राप्त है, लेकिन इसका मतलब यह नहीीं है कि मीडिया पेशेवर नैतिकता से हट जाए। पत्रकारिता के विद्यार््थथियोों को सलाह देते हुए सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री ने कहा कि उत्तरदायित्व किसी भी प्रोफेशनल व्यक्ति के लिए बेहद आवश्यक है। वर््तमान समय का सबसे घातक वायरस फेक न्यूज है और पत्रकारोों को न सिर््फ इस वायरस से दर रहना ू चाहिए, बल्कि इससे निपटने के लिए भी प्रयास करना चाहिए। प्रख्यात सामाजिक कार््यकर्ता मन्नथु पद्मनाभन की 143वीीं जयंती के अवसर पर आयोजित इस कार््यक्रम मेें डॉ. मुरुगन ने कोट्टयम कैैं पस के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अनिलकु मार वडावथूर द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘मन्नथु पद्मनाभन’ का भी विमोचन किया। सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री ने अमेरिकी दतावास और आईआईएमस ू ी कोट्टयम द्वारा संयुक्त रूप से संचालित ‘प्रोफेशनल एक्सीलेेंस कोर््स’ मेें भाग लेने वाले छात्ररों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए। अपनी यात्रा के दौरान डॉ. मुरुगन ने परिसर का दौरा किया और विद्यार््थथियोों द्वारा प्रस्तुत साांस्कृतिक कार््यक्रमोों की तारीफ भी की। वर््तमान समय की माांग है ‘सेल्फ रेगुलेटेड मीडिया’ : डॉ. मुरुगन केें द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री का पत्रकारिता के विद्यार््थथियोों के साथ संवाद


2 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति (Society of Media Initiative for Values) महापरिषद संचालन परिषद प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी - अध्यक्ष रंजीता ठाकुर (भोपाल) - सचिव राजेश राजोरे (बुलढाना) - उपाध्यक्ष प्रभाकर कोहेकर (इंदौर) - कोषाध्यक्ष सदस्य प्रो. (डॉ.) संजीव भानावत (जयपुर) संदीप कु लश्रेष्ठ (उज्जैन) सुशाांत बोहरा (दिल्ली) कोर कमेटी डॉ. सोमनाथ वडनेरे (जलगाांव) - अध्यक्ष एन. के . सिंह (दिल्ली) - सदस्य मधुकर द्विवेदी (रायपुर) - सदस्य बी के शाांतनु (दिल्ली) - सदस्य नारायण जोशी (इंदौर) - सदस्य गौरव चतुर्वेदी (भोपाल) - सदस्य प्रियंका कौशल यादव (रायपुर) - सदस्य संतोष गुप्ता (मुरादाबाद) - सदस्य सोमनाथ मह्स्के (पूना) - सदस्य दिलीप बोरसे (नासिक) पूना राज्य समन्वक डॉ. सोमनाथ वडनेरे (जलगाांव) - महाराष्टट्र रावेेंद्र सिंह (भोपाल) - मध्यप्रदेश स्वामी मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति के लिए प्रकाशक एवं मुद्रक मनीष श्रीवास्तव द्वारा स्पूतनिक प््रििंटिंग प्रेस, 166-रवीींद्रनाथ टैगोर मार््ग, इंदौर से मुद्रित एवं बी-9, फिरोज गाांधी प्रेस परिसर, इंदौर-452001 से प्रकाशित। संस्थापक संपादक : कीर््ततिशेष प्रो. कमल दीक्षित, इस अंक की संपादक : डा. बीके रीना, उपसंपादक : सोहन दीक्षित वार््षषिक मूल्य : 200 रूपए, एक प्रति : 20 रूपए, समस्त संपर््क हेतु मेल : [email protected], फोन : 9644708905 संस्थापक कीर््ततिशेष प्रो. कमल दीक्षित विश्व शाांति के लिए जरूरी है हिन्त्व दु सुनील आंबेकर विचारोों की घर वापसी है भारत की नई राष् ट् रीय शिक्षा नीति : प्रो. द्विवेदी नई दिल्ली, 26 दिसंबर। प्रख्यात कवि, आलोचक एवं संपादक डॉ. इन्दु‍शेखर तत्पुरुष की पुस्तक ‘हिन्त्व: ए दु क विमर््श’ का विमोचन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर ने कहा कि विश्व शाांति के लिए हिन्त्व बेहद जरूरी है। आ दु धुनिक समय मेें हिन्त्व दु के नियमोों को भूलने का परिणाम हम जीवन के हर क्षेत्र मेें महसूस करते हैैं। इस अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी एवं पाांचजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर विशिष्ट अतिथि के रूप मेें मौजूद रहे। कार््यक्रम की अध्यक्षता एकात्म मानवदर््शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं पूर््वसाांसद डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने की। कासगंज, 28 दिसंबर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, ब्रज प्ररांत के 63वेें प्ररांत अधिवेशन को संबोधित करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विचारोों की घर वापसी है। बीते 24 महीनोों मेें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिसाब से कई परिवर््तनोों की आधारशिला रखी गई है। उन्हहोंने कहा कि राष्टट्र निर्माण के महायज्ञ मेें शिक्षा नीति सबसे महत्वपूर््ण तत्व है। समाचार


3 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 विश्व शाांति के लिए जरूरी है हिन्त्व दु सुनील आंबेकर अनुराधा प्रसाद न्यूज इंडस्ट्री मेें मोबाइल बेस््ड जर््नलिज्म का विस्तार होगा 2 022 का कैलेेंडर पलट चुका है, हम 2023 मेें दाखिल हो चुके हैैं। खबरोों के लिहाज से नया साल बहुत अहम है। दस राज्ययों मेें विधानसभा चुनाव हैैं। इनमेें कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना जैसे बड़़े राज्य शामिल हैैं। जम्मू-कश्मीर मेें भी चुनाव की घंटी बजनी तय है। भारत जी-20 का अध्यक्ष है। विदेशी मेहमानोों का आना-जाना लगा रहेगा। मतलब, पूरे साल खबरोों के लिहाज से हलचल रहेगी। टीवी न्यूज चैनल्स के कै मरोों को कै द करने के लिए एक्शन वाली तस्वीरेें और प्राइम टाइम बहस के लिए मुद्दे आसानी से मिलते रहेेंगे। नए साल मेें पत्रकारोों के सामने खबरोों के सूखा वाली स्थिति तो नहीीं रहने वाली है। लेकिन, दनिु या मेें चल रही आर््थथिक मंदी के साये से भारत की टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट् री का बचना भी मुश्किल है। ऐसे मेें टीवी न्यूज चैनल्स और पत्रकारोों के सामने आर््थथिक मंदी की हवा मेें खुद को पत्रकारिता के मूल्ययों के साथ बनाए और बचाए रखने की चुनौती है। टीवी न्यूज चैनल्स के सामने सबसे बड़़ी चुनौती सोशल मीडिया की है। कई मौकोों पर सोशल मीडिया पर खबरेें न्यूज चैनल्स से पहले आ जाती हैैं। न्यूज चैनल्स की खबरोों का बड़़ा स्रोत सोशल मीडिया बनता जा रहा है। पिछले कु छ वर्षषों मेें स्टूडियो पत्रकारिता का पलड़़ा भारी हुआ है। ऐसे मेें धीरे-धीरे ग्राउंड स्टोरी न्यूज चैनल्स पर कम होती जा रही है। दर््शकोों को तमाम न्यूज चैनल्स पर कु छ भी एक्सक्लूसिव और अलग देखने को नहीीं मिल रहा है। जिस तरह का कं टेेंट तमाम न्यूज चैनल्स परोस रहे हैैं, वैसा कं टेेंट दर््शकोों के स्मार््ट फोन मेें उपलब्ध है, जिसे वो चलते-फिरते, खाते-पीते आसानी से देख लेते हैैं। ऐसे मेें टीवी न्यूज चैनल्स ने खुद को इस तरह से नहीीं बदला है, जिससे दर््शकोों मेें न्यूज चैनल्स पर दिखाई जाने वाली खबरोों को लेकर आकर््षण और बढ़़े। नए साल मेें न्यूज इंडस्ट् री मेें मोबाइल बेस््ड जर््नलिज्म का विस्तार तय है। यू-ट्यूब, फे सबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर््मके जरिये लोगोों को खबरोों से जोड़ने का काम सुपरसोनिक रफ्तार से जारी रहेगा। एक इंडस्ट् री के तौर पर टीवी न्यूज चैनल्स को तगड़़ी चुनौती सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मम्स से मिलने वाली है। ऐसे मेें 2023 मेें टीवी न्यूज चैनल्स को ईमानदारी से सोचना होगा कि अगर दर््शकोों के बीच अपनी साख बनाए रखनी है, तो ग्राउंड स्टोरी की ओर आना ही होगा। लुटियन जोन के 30 किलोमीटर रेडियस को न्यूज एपिसेेंटर समझने वाली सोच से निकलना होगा। आउट ऑफ बॉक्स सोचना होगा। पूरी दनिु या मेें आर््थथिक मंदी दस्तक दे रही है। बड़़ी-बड़़ी कं पनियोों मेें भी छंटनी हो रही है। भारत मेें भी दनिु या के दसरे दे ू शोों की तरह मीडिया संस्थान ‘गिग वर्कक्स’ के फॉर््ममूले को आजमा सकते हैैं यानी रेगुलर कर््मचारियोों की संख्या कम करना और काम को आउटसोर््स करना। कहा जाता है कि जो संस्थान या इंसान समय के साथ खुद को नहीीं बदलते, वो इतिहास बन जाते हैैं। ऐसे मेें खुद को इतिहास बनने से बचने के लिए न्यूज चैनल्स और पत्रकार जरूर ऐसी राह चुनने की कोशिश करेेंगे, जिससे दर््शकोों मेें अपनी विश्वसनीयता और प्रासंगिकता बनाए रख सकेें । (लेखिका ‘बीएजी फिल्मम्स एं ड मीडिया लिमिटेड’ की चेयरपर््सन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैैं।) विचार


4 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 प्रो. संजय द्विवेदी मीडिया साहस भरा 2022 उम्मीदोों भरा 2023 साल 2022 मेें हम सभी के मन मेें एक सवाल था। कोरोना के बाद की पत्रकारिता कै सी होगी? असल मेें इस सवाल का जवाब कोरोना काल मेें हुई पत्रकारिता मेें ही छिपा हुआ था। कोरोना काल मेें प्रसारण के तरीके बदल गए। काम करने का अंदाज बदल गया। यहाां तक कि खबरोों को लेकर पत्रकारोों और जनता का नजरिया भी बदल गया। वैसे तो वर््ष 2020 की शुरुआत मेें ही ये लगने लगा था कि हमारा जीवन कम से कम अगले कु छ वर्षषों तक सामान्य नहीीं रहने वाला और हमेें जिंदगी जीने का नया ढंग सीखना होगा। Life के इस New Normal के लिए जरूरी था कि इस वायरस के बारे मेें, उसके चरित्र के बारे मेें, उसके संभावित इलाज के बारे मेें, जितनी संभव हो जानकारी प्राप्त की जाए। ऐसे मेें ये अत्यंत आवश्यक था कि लोगोों को जरूरी सूचना दी जाए, उन्हहें सजग किया जाए, जिससे वे इस वायरस के विरुद्ध बचाव की एक रणनीति अपना सकेें । 21वीीं सदी के इस सबसे विषम समय मेें जन जागरण का यह दायित्व मीडिया के कं धोों पर था और मेरे विचार मेें मीडिया ने इस दायित्व का निष्ठापूर््वक निर्वाह भी किया है। कोविड काल मेें मैैं मीडिया को Means of Empowerment for Development through Informed Action यानी ‘विकास के लिए सुविचारित रणनीति का माध्यम’ के रूप मेें परिभाषित करना चाहता हूं। वर््तमान संदर््भमेें मैैं अंग्रेजी के Media शब्द मेें D वर््णके मायने Disaster Management या आपदा प्रबंधन अथवा Dealing with Pendemic यानी महामारी से जूझना, मानता हूं। मीडिया जन सामान्य के सशक्तिकरण का माध्यम है और वर््तमान आपदा की स्थिति मेें उसने ये बात साबित भी की है। कोरोना वायरस और महामारी से संबंधित खबरोों को अखबार मेें जितना स्थान दिया जाता है, उतना तो युद्ध के काल मेें युद्ध की रिपोर््टििंग को भी नहीीं दिया जाता। लोगोों की जिज्ञासाओं को पूरा करने के लिए अखबारोों और वेबसाइटोों ने नए-नए उपाय किए हैैं। इस महामारी के विषय मेें खबरेें और विश्लेषण आज भी एक अभियान के रूप मेें चलाये जा रहे हैैं। प््रििंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मेें आज भी मास्क पहनने, हाथ धोने, भीड़ से बचने, सामाजिक दरी बनाए रखने ू को लेकर जागरुकता अभियान चल रहे हैैं, क्ययोंकि इस संक्रमण से बचने के यही कु छ जरूरी उपाय हैैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और बीसीजी की एक संयुक्त रिपोर््टके अनुसार, मीडिया और मनोरंजन उद्योग को कोविड19 महामारी के दौरान कई चुनौतियोों का सामना करना पड़ा था। हालाांकि, यह अब महामारी के पूर््व स्तर पर आ गया है। इस रिपोर््ट के अनुसार भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का कारोबार वर््ष 2022 मेें 27 से 29 अरब डॉलर के बीच होने का अनुमान है। साथ ही उम्मीद जताई गई है कि वर््ष 2030 तक यह उद्योग बढ़कर 55 से 65 अरब डॉलर का हो जाएगा। ‘भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का भविष्य’ नाम से जारी रिपोर््टमेें कहा गया है कि उद्योग के मजबूत विकास के साथ यह वर््ष 2030 तक 55 से 65 अरब डॉलर तक बढ़ने की ओर अग्रसर है। ओटीटी (ओवर द टॉप) और गेमिंग मंचोों के बढ़ते चलन के साथ इसके 65 से 70 अरब डॉलर तक पहुंचने की भी संभावना है। वहीीं ग्लोबल कं सल्टटेंसी फर््म पीडब्ल्यूसी (PwC) ने अपनी रिपोर््ट मेें यह अनुमान जताया है कि भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेेंट इंडस्ट् री वर््ष 2026 तक 4.30 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी। विचार


5 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 इसके 8.8 फीसदी की चक्रवृद्धि वार््षषिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की संभावना है। रिपोर््टके मुताबिक, घरेलू बाजार मेें इंटरनेट और मोबाइल उपकरणोों की गहरी पैठ के चलते डिजिटल मीडिया और विज्ञापन क्षेत्र मेें वृद्धि से इंडस्ट् री के कारोबार मेें तेजी आएगी। इसी के साथ पारंपरिक मीडिया मेें भी स्थिर वृद्धि जारी रहेगी। रिपोर््टमेें कहा गया कि घरेलू टीवी एडवरटाइजमेेंट इंडस्ट् री वर््ष 2026 तक 43,000 करोड़ रुपये की हो जाएगी। यह अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत को विश्व का पाांचवाां सबसे बड़़ा टीवी एडवरटाइजमेेंट बाजार बना देगी। पीडब्ल्यूसी की रिपोर््ट ‘ग्लोबल एंटरटेनमेेंट एं ड मीडिया आउटलुक 2022-2026’ के अनुसार भारत के ओटीटी वीडियो सर््वविस सेक्टर मेें अगले चार वर्षषों के दौरान 21,031 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। इसमेें से 19,973 करोड़ रुपये का कारोबार सब्सक्रिप्शन आधारित सेवाओ और 1,058 ं करोड़ रुपये का लेनदेन किराये या माांग आधारित वीडियो वाले सेक्टर मेें होगा। रिपोर््टमेें कहा गया कि टीवी एडवरटाइजमेेंट सेक्टर वर््ष 2022 मेें 35,270 करोड़ रुपये से बढ़कर 2026 मेें 43,568 करोड़ रुपये हो जाएगा, जो 23.52 फीसदी की वृद्धि दर््जकरेगा। इसके अलावा भारत का इंटरनेट एडवरटाइजमेेंट मार्केट भी 12.1 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर वर््ष 2026 तक 28,234 करोड़ रुपये तक पहुंचने के लिए तैयार है। वहीीं, म्यूजिक, रेडियो और पॉडकास्ट सेक्टर, वर््ष 2021 मेें 18 फीसदी बढ़कर 7,216 करोड़ रुपये का हो गया, जो वर््ष 2026 तक 9.8 फीसदी की सीएजीआर से बढ़कर 11,536 करोड़ रुपये का हो सकता है। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, जो शासन एवं प्रशासन तथा जनता के बीच द्विपक्षीय संवाद को सुगम बनाता है और दोनोों के बीच पुल का काम करता है। महामारी के इस दौर मेें मीडिया की यह भूमिका और अधिक महत्वपूर््ण हो गई है। संक्रमण के विरुद्ध इस अभियान मेें, केेंद्र और राज्य सरकारोों, दोनोों ने अपने अपने क्षेत्र मेें महत्वपूर््ण भूमिका अदा की है। रोगियोों की बढ़ती संख्या, संक्रमण के रुझान, उसे रोकने की नई रणनीति, उपचार पद्धति और प्रोटोकॉल, दवाओ, अस्पता ं लोों, बिस्तरोों, PPE किट्स की उपलब्धता, वैक्सीन की दिशा मेें हुई प्रगति, दर््ब ुल वर्गगों की सहायता के लिए शुरू किए गए कार््यक्रम और अर््थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की दिशा मेें सरकार द्वारा उठाए गए कदमोों की जानकारी मीडिया के माध्यम से ही जनता तक पहुंच रही है, जिससे वे इस संक्रमण से उबरने मेें सक्षम बन सके हैैं। यदि मीडिया पुल की यह भूमिका नहीीं निभाता, तो सरकार और जनता के बीच संवाद और सूचनाओंका आदान-प्रदान संभव ही नही हो पाता। इस अवधि मेें मीडिया का एक और महत्वपूर््णकार््य यह रहा है कि उसने महामारी के सामाजिक और आर््थथिक प्रभावोों को रिकॉर््ड किया है। मेरा मानना है कि मानव इतिहास मेें महामारी के इस दौर का प्रामाणिक इतिहास, भावी पीढ़़ियोों के लिए मार््गदर््शन का काम करेगा। महामारी के विभिन्न पहलुओ पर प्र ं काश डालते हुए उसके प्रबंधन पर तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक दस्तावेज़ मीडिया मेें उपलब्ध हैैं, जो सरकार के लिए नीतियाां बनाते वक्त महत्वपूर््ण भूमिका निभाएं गे। भविष्य मेें इस महामारी से संबद्ध प्रासंगिक मुद्ददों को उठाने के लिए, विश्लेषणात्मक लेखोों सहित Media Reports ही प्रमुख संदर््भ स्रोत होोंगे। आज जब कोरोना संक्रमण दनिु या के कई देशोों मेें एक बार फिर अपना कहर बरपा रहा है और डॉक्टर््स व पैरामेडिकल स्टाफ योद्धाओं की भाांति मैदान मेें डटे हुए हैैं, तो पत्रकार अपनी कलम और अपनी आवाज के जरिए लोगोों को जागरुक करने का, उन तक जानकारी पहुंचाने का काम करके ये साबित कर रहे हैैं कि मीडिया को यूं ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीीं कहा जाता।मैैं एक बार फिर, इस महामारी से निपटने के लिए लोगोों को सूचित करने, शिक्षित करने और उन्हहें सशक्त बनाने के अपने दायित्व का प्रभावी ढंग से निर््वहन करने के लिए और इस संकट के दौरान एक भरोसेमंद साथी के रूप मेें हमारे जीवन का एक महत्वपूर््ण हिस्सा बनने के लिए, मीडिया और मीडियाकर््ममियोों का अभिनंदन करता हूं। आइए, हम सभी उनके योगदान का सम्मान करेें, और उनकी हौसला अफजाई करेें। (लेखक मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति के अध्यक्ष हैैं।) मीडिया साहस भरा 2022 उम्मीदोों भरा 2023


6 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 डॉ. वर््ततिका नंदा वैकल्पिक मीडिया से निकलेगी उम्मीद की किरण मेरी नजर मेें मीडिया के लिए साल 2022 डर, अपराध, जेल, भ्रष्टाचार व शोर और उससे मिल सकने वाले मुनाफे का साल रहा। मीडिया ने साल की शुरुआत से लेकर अंत तक इन्हहें भरपूर प्राथमिकता दी। अपराधोों की नई किस्ममों को परोसा। अपराध करने के नुस्खे-तरीके बताए और साथ मेें चलते-चलते अपराध की खबर भी बताई। पूरे साल कई बड़े नामोों को जेल मेें जाते और जेल से बाहर आते हुए देखा गया। जेल मेें मालिश से लेकर जेल से रिहा हुए चार्लल्सशोभराज तक, टुकड़ों मेें गर््लफ्ररेंड को काट देने वाले से लेकर काली कमाई के मामले मेें गिरफ्त मेें आए नामचीन लोगोों तक, मीडिया ऐसी तमाम खबरेें ढूंढता रहा, जो उसे टीआरपी बटोरने मेें मदद करतीीं। लेकिन, इनमेें सामाजिक सरोकार नहीीं था। विशुद्ध मुनाफा था। मीडिया कारोबार और मुनाफे से चिपका रहा। पूंजी मेें जान अटकी रही। 2022 गलतफहमियोों मेें गुजर गया। ढेर सारे चैनलोों के बीच मेें किसी एक पत्रकार की मजबूत छवि बनने का दौर कभी का चला गया। अब न ही जनता को बहुत सारे पत्रकारोों के चैनल याद रहते हैैं और न ही खुद उनके नाम। जो पत्रकार कु छ दिन तक टीवी पर नहीीं दिखता, जनता उसका नाम भूलने लगती है। मतलब यह कि अब नाम गुमने लगे हैैं। इसके बावजूद आत्ममुग्धता और गुमान के नकली संसार मेें जी रहे मीडिया को अपना अक्स देखने की फुर््सत अब तक नहीीं मिली है। फिर पत्रकारोों का वर्गीकरण भी हुआ है। स्टार एंकर-रिपोर््टरोों को छोड़ देें तो बाकी की स्थिति मेें कोई बड़़ा फे रबदल नहीीं हुआ है। वे आज भी उतने ही लाचार हैैं, जितने पहले थे। चैनलोों को किसी के होने या न होने से लेशमात्र भी फर््क नहीीं पड़ता। यह तबका संवेदना के लायक है, लेकिन उससे हमदर्दी करने वाले भी नदारद हैैं। वैसे नामोों का गुम जाना इस बात को साबित करता है कि भीड़ मेें जगह बनाना मुश्किल काम है। दसरा सं ू कट मीडिया की उस गिरती विश्वसनीयता का है, जिसे वो मानने को राजी नहीीं है। इसलिए मैैं मिसाल जेल की ही देना चाहूंगी। भारत भर की जितनी जेलोों मेें मैैं गई, उसमेें बंदियोों ने इस बात को बड़ा जोर देकर कहा कि उनका विश्वास न तो कानून पर है और न ही मीडिया पर। कानून पर विश्वास न होने की वजह समझ मेें आ सकती है, लेकिन जेल की कोठरी मेें बैठा कोई बंदी मीडिया पर भरोसा न रखता हो, यह बात सोचने की जरूर है। कड़वी बात शायद बंदी ही कह सकता है। लेकिन, उसकी भी सुनता कोई नहीीं। ठीक 10 साल पहले तक नया साल आने पर ज्यादा चर्चा इस बात पर होती थी कि क्या प््रििंट मीडिया अपने अस्तित्व को बचा पाएगा और क्या निजी चैनलोों के बीच मेें उसको खुद को संभाल पाना मुश्किल होगा? आज 2022 मेें चिंता इस बात की नहीीं है कि प््रििंट का क्या होगा, चिंता इस बात की जरूर है कि टीवी न्यूज के शोर के बीच अब खबर का क्या होगा? खबरोों के खालिसपन पर अब खुद खबरनवीसोों का यकीन नहीीं रहा। दर््शक भी खबर परोसने वाले को देखकर हौले-से मुस्कुरा देता है। देखते ही देखते न्यूज मनोरंजन मेें बदल गई और मनोरंजन न्यूज मेें। भाषा और व्याकरण दयनीय बना दिए गए हैैं। सही भाषा लिखने वाले ढूंढने की कोशिशेें भी अब नहीीं होतीीं। बाजार मेें सब स्वीकार््य है बशर्ते पैसा आता हो। तिजोरी ने भाषा को शर््म से भर दिया है। इस सारे गड़बड़झाले के बीच खबर विचार


7 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 (लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज मेें पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैैं।) की स्थिति सर््कस के जोकर की तरह होने लगी है। हाां, एक फर््क यह जरूर है कि सर््कस मेें एक ही जोकर होता है और वही सर््कस का नायक भी बना रहता है। एक और चिंता मीडिया की पढ़ाई को लेकर है। अब क्या पढ़ाया जाए, क्या बताया जाए और क्या सिखाया जाए। छात्र जो सीखता है वो न्यूजरूम मेें मिलता नहीीं और जो न्यूजरूम मेें है, उसे पढ़ाया नहीीं जा सकता। मीडिया शिक्षण एक ऐसे चौराहे पर आ खड़ा हो गया है, जहाां बैलेेंस और वैरिफिकेशन की बात को छात्र हजम नहीीं कर पाता। क्लासरूम की पढ़ाई जिस शालीन खबर की बात करती है, वो टीवी के पर्दे पर दिखती नहीीं। दंगल मेें बदल चुके टीवी न्यूज चैनलोों की भीड़ मेें यह लेखा-जोखा करना मुश्किल लगता है कि मीडिया आने वाले सालोों मेें अपनी छवि को कै से सुधारेगा। दर््शक को वैसा ही मीडिया मिल रहा है, जिसके वह योग्य है। मीडिया का स्तर दर््शक के स्तर को भी रेखाांकित कर रहा है। इसलिए अब मीडिया से शिकायत न कीजिए। गौर कीजिए कि आप दिनभर क्या सुनना, देखना, बोलना और पढ़ना पसंद करते हैैं। पढ़ने की घटती परंपरा ने तेजी से परोसे जा रहे समाचारोों की जमीन तैयार की है। आपके जायके का स्वाद ही मौजूदा मीडिया है और जायके मेें सुधार है-वैकल्पिक मीडिया। इसलिए जिस मीडिया की बात सबसे कम होती है, मुझे उसी मेें उम्मीद दिखाई दे रही है। पब्लिक सर््वविस ब्रॉडकास्टर की अपनी सीमाएं और प्राथमिकताएं हैैं। प्राइवेट मीडिया अपनी साख के संकट से जूझ रहा है। तीनोों तरह के मीडिया मेें यह बात साफ तरह से उभरने लगी कि आने वाला साल वैकल्पिक मीडिया के लिए एक नई जगह खड़ी कर सकता है। दिल्ली पुलिस ने 2022 की जनवरी को अपने पॉडकास्ट ‘किस्सा खाकी का’ की शुरुआत की। हर रविवार को प्रसारित होने वाली इस कड़़ी मेें हर बार एक नया किस्सा होता है। पुलिस जैसा बड़़ा और दमदार महकमा भी अब अपने लिए वैकल्पिक प्लेफार््म तैयार कर चुका है। यह एक शुरुआत है। नागरिक पत्रकारिता बड़़ा आकार ले रही है। सोशल मीडिया ने जैसे पत्रकारोों की फौज ही खड़़ी कर दी है। हर किसी के पास कहने-पोस्ट करने के लिए कु छ है। वे अब किसी पर आश्रित नहीीं। ऐसे मेें एक तिनका उम्मीद बाकी है, क्ययोंकि उम्मीद और हौसले के लिए तिनका भी बहुत होता है। वैकल्पिक मीडिया से निकलेगी उम्मीद की किरण


8 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 मेें जिस तरह उनके विरोधी विचारोों का आधिपत्य था, उसके बीच उन्हहोंने राह बनाई। दैनिक भास्कर, हरियाणा के राज्य संपादक के रूप मेें उनकी सेवाएं और एक नए संस्थान को जमाने मेें उनकी मेहनत हमारे सामने है। इसी तरह वाराणसी मेें ‘अमर उजाला’ के संस्थापक संपादक के रूप मेें संस्थान को आकार देकर उन्हहोंने साबित किया कि वे किसी भी तरह के कामोों को अंजाम देने मेें दक्ष हैैं। दिल्ली के नेशनल दनिु या के संपादक, नेशनल बुक ट््रस्ट के अध्यक्ष रहते हुए उनके द्वारा किए गए काम सराहे गए। उनके कार््यकाल मेें राष्ट्रीय पुस्तक मेले को एक नया और व्यापक स्वरूप मिला। किताबोों की बिक्री कई गुना बढ़ गयी। उनके स्वभाव और सौजन्य से लोग जुड़ते चले गए। स्वदेश, ग्वालियर और स्वदेश रायपुर के संपादक के रूप मेें मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ की जमीन पर उन्हहोंने अपने रिश्ततों का संसार खड़़ा किया, जो आज भी उन्हहें अपना मानता है। रिश्ततों को बनाना और उन्हहें जीना उनसे सीखा जा सकता है। बल्देव भाई की कहानी ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने अपनी किशोरावस्था मेें एक स्वप्न देखा और उसे पूरा करने के लिए पूरी जिंदगी लगा दी। उनकी आरंभिक पत्रकारिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वैचारिक छाया मेें चलने वाले प्रकाशनोों ‘स्वदेश’ और ‘पाांचजन्य’ के साथ चली। इस यात्रा ने उन्हहें वैचारिक तौर पर प्रखरता और तेजस्विता दी। अपने लेखन और विचारोों मेें वे दृढ़ बने। किं तु इसी संगठनात्मकवैचारिक दीक्षा ने उन्हहें समावेशी और लोकसंग्रही बनाया। अपनी इसी धार को लेकर वे मुख्यधारा के अखबारोों मेें भी सफलता के झंडे गाड़ते रहे। मथुरा जिले के पटलौनी (बल्देव) गाांव मेें 6 अक्टूबर, 1955 को जन्ममें बल्देव भाई अपने लेखन कौशल के लिए जाने जाते हैैं। उनकी कई पुस्तकेें प्रकाशित होकर अब लोक विमर््शका हिस्सा हैैं। जिनमेें ‘मेरे समय हि ं दी पत्रकारिता के विनम्र सेवकोों की सूची जब भी बनेगी उसमेें प्रो. बल्देव भाई शर्मा का नाम अनिवार््य रूप से शामिल होगा। ऐसा इसलिए नहीीं कि वे रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कु लपति हैैं। बल्कि इसलिए कि उन्हहोंने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और दिल्ली की पत्रकारिता मेें अपने उजले पदचिन्ह छोड़़े हैैं। उनकी पत्रकारिता की पूरी पारी ध्येयनिष्ठा और भारतबोध से भरी है। वे अपने आसपास इतना सृजनात्मक और सकारात्मक वातावरण बना देते हैैं कि नकारात्मकता वहाां से बहुत दर चल ू ी जाती है। बड़ अखबा ़े रोों के संपादक, प्रोफे सर, नेशनल बुक ट््रस्ट के अध्यक्ष रहते हुए उनकी सेवाओंको सारे देश ने देखा और उसके स्पंदन को महसूस किया है। इस पूरी यात्रा मेें बल्देव भाई के निजी जीवन के द्वंद्व, निजी दख, पार ु िवारिक कष्ट कहीीं से उन्हहें विचलित नहीीं करते। अपने युवा पुत्र और पुत्री के निधन के समाचार उन्हहें आघात तो देते हैैं पर इन पारिवारिक दखोु ों के बीच भी वे अविचल और अडिग खड़ रहते ़े हैैं। अपने जीवन की ध्येयनिष्ठा उन्हहें शक्ति देती है। लोगोों का साहचर््य उन्हहें सामान्य बनाए रखता है। उनका साथ और सान्निध्य मुझ जैसे अनेक युवाओं को मिला है, जो उनसे प्रेरणा लेकर पत्रकारिता के क्षेत्र मेें आए। उनसे सीखा और उनकी बनाई राह पर चलने की कोशिश की। मुख्यधारा की पत्रकारिता शख््ससियत


9 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 (लेखक मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति के अध्यक्ष हैैं।) का भारत’, ‘आध्यात्मिक चेतना और सुगंधित जीवन’, ‘संपादकीय विमर््श’, ‘अखबार और विचार’ ‘हमारे सुदर््शन जी’ और ‘सहजता की भव्यता’ शामिल हैैं। उन्हहें म.प्र. शासन के ‘पं. माणिकचंद वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान’, स्वामी अखंडानंद मेमोरियल ट््रस्ट, मुंबई का रचनात्मक पत्रकारिता राष्ट्रीय सम्मान व केें द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा ‘पंडित माधवराव सप्रे साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान’ दिया जा चुका है। मेरी जिंदगी मेें उनकी खास जगह है। उनका अभिभावकत्व मेरी पूंजी है। वे मेरे लिए अभिभावक ही हैैं और खास चिंता करते हैैं। उनकी दिखाई राह हम जैसे अनेक पत्रकारोों की प्रेरणा है। वे पत्रकारिता के मूल्यबोध को जीने वाले और रास्ता दिखाने वाले पत्रकार हैैं। उनसे संवाद करते हुए ही उनकी गहराई को जाना जा सकता है। जिस विचार का स्वप्न उन्हहें उनके पिता ने बाल्यावस्था मेें दिखाया, वे उसी राह पर चल पड़।ए़े क सुंदर स्वाभिमानी और आत्मनिर््भर समाज बनाने के लिए। यह राह कठिन थी किं तु उनका मनोबल साथ था। जीवन के झंझावातोों और संघर्षषों ने उनको बिखरने नहीीं दिया। वे चल पड़़े और चलते गए। काम करते गए। मेरा भाग्य है कि उन्हहोंने सदैव मुझे पुत्रवत स्नेह दिया और हर संकट मेें उचित मार््गदर््शन दिया। उनकी उपस्थिति मैैं खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करता हूं। उनके साथ काम करने का मुझे अवसर नहीीं मिला किं तु साथ रहने, संवाद करने के अनेक अवसर मुझे मिले। मेरे घर पर उनका होना उत्सव सरीखा ही है। वे हैैं कि मेरी पत्नी से लेकर मेरी 8 साल की बेटी से भी सहज संवाद करते हैैं।बिल्कुल घर मेें आए पिता की तरह। भोपाल से लेकर दिल्ली तक उनकी अनेक यादेें हैैं, जो आंखोों को सजल कर देती हैैं। मुझे ध्यान है उनपर लिखी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर दिल्ली महाराष्टट्र सदन के मंच पर दो राज्यपाल उपस्थित रहे। आदरणीय भगतसिंह कोश्यारीजी ( महाराष्टट्र) और आदरणीया अनसुइया उइके जी। यह उनका बड़प्पन है कि उन्हहोंने इस मंच पर मेरी भी जगह बनाई। मैैं भी उस महान मंच पर अतिथि के रूप मेें शामिल हुआ। आयोजन की व्यस्तता और थकान के बाद भी वे देर रात मेरी बेटी को उसके जन्मदिन प्रसंग पर भाभी साहिबा के साथ उपस्थित हुए। ऐसी सदाशयता ही किसी को मनुष्य बनाती है। गालिब लिखते हैैं- यूं तो मुश्किल है हर काम का आसाां होना आदमी को मयस्सर नहीीं इंसाां होना। किं तु बल्देवभाई इस परिभाषा के इंसान हैैं और इंसानियत उनमेें भरी हुई है। हमारे ग्रंथ भी कहते हैैं- मर््ननु भवः (मनुष्य बनो)। बल्देवभाई ने अपनी लंबी यात्रा मेें हमेें जो दिया है, वह विरल है। उनके सुंदर मन, सुंदर विचारोों से सीखना और करना मुझे भाता है। वे लंबी उमर पाएं । उनके लिए यही कहना है- मेरी जिंदगी मेें रहना। बल्देव भाई की कहानी ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसने अपनी किशोरावस्था मेें एक स्वप्न देखा और उसे पूरा करने के लिए पूरी जिंदगी लगा दी। उनकी आरंभिक पत्रकारिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वैचारिक छाया मेें चलने वाले प्रकाशनोों ‘स्वदेश’ और ‘पाांचजन्य’ के साथ चली। इस यात्रा ने उन्हहें वैचारिक तौर पर प्रखरता और तेजस्विता दी। अपने लेखन और विचारोों मेें वे दृढ़ बने। किं तु इसी संगठनात्मक-वैचारिक दीक्षा ने उन्हहें समावेशी और लोकसंग्रही बनाया। अपनी इसी धार को लेकर वे मुख्यधारा के अखबारोों मेें भी सफलता के झंडे गाड़ते रहे। “ “


10 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 Towards making India an uplinking hub Opinion There have been two major developments in the television industry in India in the last two years. In 2021, the Cable Television Network Rules, 1994, were amended to include a statutory mechanism for redressal of grievances and complaints of viewers relating to content broadcast by television channels in accordance with the provisions of the Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995. In 2022, the Union Cabinet approved the policy guidelines for the uplinking and downlinking of television channels from India. While an uplink refers to the link from a ground station up to a satellite, a downlink is the link from a satellite down to one or more ground stations or receivers.The amended Cable Television Network Rules bring in a strong institutional system for redressing grievances and make broadcasters and their self-regulating bodies accountable and responsible. The policy guidelines for uplinking and downlinking are aimed at making India the hub of uplinking as they allow Indian teleports to uplink foreign channels. An expensive and cumbersome affair For almost three decades after television started in India in September 1959, broadcasting was solely under the control of the state. In the early 1990s, cable television arrived in India unannounced. The government was unprepared to check transmission and broadcast through foreign satellites. Cable television networks mushroomed haphazardly, and foreign television networks invaded our culture through their programmes. In order to regulate this burgeoning cable network industry and to make registration of cable operators mandatory, the Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995 was brought in. But it was only in 2000 that the first license to set up a teleport — an earth station facility from where TV signals can be uplinked to a geostationary satellite — was granted. The satellite invasion began in the country in the early 1990s and the cable industry acted as a harbinger of the new media revolution. Some people in India joined hands with some Non-Resident Indians in Hong Kong to launch the country’s first private television channel, Zee TV, in October 1992. The NRIs took an idle AsiaSat satellite transponder on lease for five years to uplink programmes. In the next few years, Business India Television; Asia Television Network (ATN), which was mainly a Hindi feature film channel; and Jain TV also began operating. All these channels flew out tapes every day to Hong Kong, Singapore or Moscow for uplinking. Using the Russian satellite was cheaper than using the satellite in Hong Kong or Singapore. Broadcasting was obviously an expensive and cumbersome affair – imagine airlifting video cassettes to foreign shores for uplinking before the programmes beamed into Indian households through the cable network. Setting up earth stations When Indian broadcasters were allowed to uplink from Indian soil, the facility was made available through the Videsh Sanchar Nigam Limited (VSNL). Prof. Rakesh Kumar Goswami


11 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 (Writer is Professor and Regional Director of Indian Institute of Mass Communication, Jammu) Instead of being flown to Hong Kong, Singapore or Moscow, the tapes were now being carried to the VSNL office in New Delhi’s Connaught Place. The Ministry of Information and Broadcasting (MIB), Government of India, notified the ‘Guidelines for Uplinking from India’ in July 2000 and private broadcasters got permission to set up their own earth stations and to uplink. The first license was given to TV Today Network Limited in November 2000 and the broadcaster started a 24X7 Hindi news channel, Aaj Tak, from December 31, 2000. Aaj Tak became the first Indian private television channel to uplink signals from its own earth station. In 2001, five broadcasters – Sun TV Network Limited, Entertainment Television Network Private Limited, Ushodaya Enterprises Private Limited, Essel Shyam Communications Limited and Asianet Infrastructure Private Limited – set up their earth stations with the facility to uplink. The MIB issued uplinking and downlinking policy guidelines in 2011 for private satellite TV channels and teleports. In view of the challenges from the evolving broadcasting technology, changes in market scenarios and other operational developments in the broadcasting sector, the government decided to review and amend the policy guidelines for uplinking and downlinking of television channels. The Ministry published the draft policy guidelines on April 30, 2020, and invited comments and suggestions from stakeholders within 15 days. In view of the lockdown due to COVID-19, the time limit was extended twice. After considering the comments and suggestions, the policy guidelines for uplinking and downlinking of television channels from India were notified on November 9, 2022. The guidelines aim to create a conducive environment in line with the principle of ease of doing business on a sound regulatory framework. But more importantly, these are aimed at making India a teleport hub for other countries. From the days when Indian broadcasters were flying tapes to foreign countries for uplinking to the times when foreign broadcasters would send their programmes to Indian teleports for uplink, there has been monumental progress in the television industry. Instead of debating the section that makes it obligatory for broadcasters to undertake public service broadcasting for a minimum of 30 minutes in a day on themes of national importance and social relevance, it is this aspect of the new policy guidelines that needs to be celebrated in India’s ‘Azadi Ka Amrit Kaal’.


12 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 मुजफ्फरनगर, 11 दिसंबर। मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति के अध्यक्ष प्रो. संजय द्विवेदी ने ब्रह्माकु मारीज दिव्य अनुभूति धाम, बामनहेरी, मुजफ्फरनगर द्वारा ‘समाधानमूलक पत्रकारिता से स्वर््णणिम भारत की ओर’ विषय पर आयोजित कार््यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पत्रकार एवं मीडियाकर्मी तनावग्रस्त रहते हैैं, जिसका प्रभाव उनके तन और मन पर पड़ता है। सुंदर, समृद्ध और आत्मविश्वास से भरे भारत के लिए सामाजिक मूल्य तथा सकारात्मक संवाद आवश्यक है। भारत ‌की मूल संस्कृति से भारत का परिचय कराने की आवश्यकता है। भारत से भारत का परिचय कराना जरूरी नाेएडा, 23 दिसंबर। कोरोना काल के दौरान इस महामारी की चपेट मेें आकर अपनी जान गंवाने वाले देश भर के लगभग 500 पत्रकारोों की याद मेें ‘नोएडा मीडिया क्लब’ एक स्मारक बनाने जा रहा है। नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष पंकज पाराशर ने बताया कि यह पूरे भारत मेें इस तरह का इकलौता स्मारक होगा। शुक्रवार को स्मारक का निर्माण शुरू किया गया है। करीब दो महीनोों मेें यह बनकर तैयार हो जाएगा। इस पर राज्यवार दिवंगत पत्रकारोों के नाम अंकित करवाए जाएं गे। नोएडा अथॉरिटी ने शहर के सेक्टर-72 ‘स्मृति वन’ मेें इस स्मारक को बनाने के लिए भूमि आवंटन किया है। नई दिल्ली, 3 जनवरी। केेंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग की आड़ मेें तमाम जगहोों पर चल रही सट्टेबाजी को पूरी तरह रोकने का फै सला लिया है। इस बारे मेें सरकार की ओर से प्रस्तावित नियमोों का मसौदा जारी किया गया है। अपने इस मसौदे मेें सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग कं पनियोों के लिए स्व-विनियमन और अनिवार््यखिलाड़़ी सत्यापन का प्रस्ताव दिया है। मीडिया रिपोर््टट््स के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अब मौद्रिक जोखिम वाले ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित मामलोों के लिए नोडल एजेेंसी होगा। नई दिल्ली, 28 दिसंबर। देश मेें समाचार पत्ररों का रजिस्ट्रेशन अब जल्द ही डिजिटल तरीके से होगा। समाचार पत्ररों के पंजीयक कार्यालय (आरएनआई) अब डिजिटलाइज होने की दिशा मेें तेजी से आगे बढ़ रहा है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अनुसार समाचार पत्ररों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के पूरा होने मेें पहले जहाां कई महीने लग जाते थे, उसे घटाकर अब सिर््फ एक सप्ताह कर दिया जाएगा। वैसे समाचार पत्ररों के पंजीयक कार्यालय मेें समाचार पत्ररों के रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है और यह अगले साल 31 मार््च से पहले तक पूरा होने की उम्मीद है। ऑनलाइन गेमिंग की आड़ मेें सट्टेबाजी पर सरकार लगाएगी रोक समाचार पत्ररों का रजिस्ट्शन जल्द होगा ऑनलाइन रे समाचार कोरोना से जान गंवाने वाले पत्रकारोों की याद मेें नोएडा मीडिया क्लब की सराहनीय पहल


13 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 समाचार पत्ररों का रजिस्ट्शन जल्द होगा ऑनलाइन रे नई दिल्ली, 3 जनवरी।डिजिटल मीडिया चलाने वाले प्रकाशकोों को भी अब एक स्वनियंत्रित समूह विकसित करना होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय की तरफ से इस संदर््भमेें एक मसौदा जारी किया गया है। इस मसौदे के मुताबिक यह स्वनियंत्रित समूह एक या इससे अधिक हो सकता है, जो डिजिटल मीडिया पर चलने वाले कं टेेंट पर नजर रखेगा और कं टेेंट को लेकर आपत्ति दर््जकरने पर शिकायत का निवारण करेगा। रिपोर््टट््स मेें बताया गया है कि सुप्रीम कोर््ट व हाई कोर््टके रिटायर जज या मीडिया की प्रमुख हस्ती स्वनियंत्रित समूह के अध्यक्ष होोंगे। रायपुर, 2 जनवरी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि कोरोना महामारी के कठिन समय मेें भी मीडिया ने अपनी भूमिका सक्रियता से निभाई है। इस दौरान कई पत्रकारोों को जान भी गंवानी पड़़ी। रायपुर प्रेस क्लब मेें नववर््षमिलन समारोह को संबोधित करते हुए उन्हहोंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार पत्रकारोों की सहायता के लिए हमेशा तैयार है। यहाां प्रस्तावित पत्रकार सुरक्षा कानून पूरे देश के लिए नजीर बनेगा। उन्हहोंने प्रेस क्लब की माांग पर पत्रकारोों के होम लोन के ब्याज मेें छूट देने पर विचार करने की बात भी कही। डिजिटल मीडिया पब्लिशर््स को विकसित करना होगा स्वनियंत्रित पत्रकारोों की सहायता के लिए हमेशा तैयार हू : भूपेश बघेल ूं समाचार नागपुर, 3 जनवरी। सामाजिक व पत्रकारिता के क्षेत्र मेें निष्पक्ष व पारदर्शी बने रहने का आह्वान करते हुए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कहा है कि वर््तमान समय अब तक का सबसे अधिक सुंदर समय है। अच्छे समय को और अधिक अच्छा बनाना आप पर निर््भर है। दैनिक भास्कर, नागपुर कार्यालय मेें आयोजित कार््यक्रम को संबोधित करते हुए उन्हहोंने कहा कि पहले कहा जाता था कि जहाां न पहुंचे रवि, वहाां पहुंचे कवि। अब कहने की स्थिति है कि जहाां न पहुंचे सरकार, वहाां पहुंचे पत्रकार। नई दिल्ली, 3 जनवरी। पिछले कु छ वर्षषों के ट््रेेंड और मोदी सरकार के प्रयासोों ने वह जमीन तैयार कर दी है कि 2025 तक एनिमेशन और वीएफएक्स इंडस्ट् री के वैश्विक बाजार की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की मुट्ठी मेें आ सकती है। हाल ही मेें जारी मीडिया एं ड एंटरटेनमेेंट इंडस्ट् री की रिपोर््टमेें संभावना जताई गई है कि 2025 तक भारत की एनिमेशन एं ड विजुअल इफेक्ट इंडस्ट् री विश्व के बाजार मेें 20-25 प्रतिशत की हिस्सेदार बन सकती है। वहीीं, 2030 तक यह कारोबार 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई गई है। भारत की मुट्ठी मेें होगा VFX का 25 प्रतिशत वैश्विक कारोबार जहां न पहुचे सरकार, वहां पहु ुं चे पत्रकार : कोश् ुं यारी


14 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 फोटो जर््नलिस्ट के वी श्रीनिवासन का हार््ट अटैक सेनिधन दूरदर््शन-आकाशवाणी के कायाकल्प की योजना को मंजूरी वरिष्ठ पत्रकार विशाल ठाकु र का निधन चेन्नई, 2 जनवरी। अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्’ दूके वरिष्ठ छाया पत्रकार (सीनियर फोटो जर््नलिस्ट) के .वी. श्रीनिवासन का चेन्नई मेें दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 56 साल के थे। वह श्री पार््थसारथी पेरुमल मंदिर मेें ‘वैकुं ठ एकादशी’ उत्सव को कवर कर रहे थे कि तभी उनके सीने मेें तेज दर््द उठा और वह बेहोश होकर गिर पड़। हा ़े लाांकि मंदिर मेें उन्हहें तत्काल चिकित्सा दी गई और इसके बाद सरकारी रोयापेट्टाह अस्पताल ले जाया गया, जहाां डॉक्टरोों ने उन्हहें मृत घोषित कर दिया। नई दिल्ली, 4 जनवरी। आर््थथिक मामलोों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘द ब्रॉडकास््टििंग इंफ्रास्टट्रक्चर एं ड नेटवर््क डेवलपमेेंट’ (बीआईएनडी) योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है। दरअसल, सूचना-प्रसारण मंत्रालय के प्रस्ताव के तहत प्रसार भारती के ऑल इंडिया रेडियो और दरदू र््शन के बुनियादी ढाांचे को बेहतर बनाया जाना है। इस योजना पर 2025- 26 तक 2,539.61 करोड़ रुपए खर््च किए जाएं गे। सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकु र ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी की अध्यक्षता मेें हुई आर््थथिक मामलोों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक मेें इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। नई दिल्ली, 3 जनवरी। वरिष्ठ पत्रकार विशाल ठाकु र का निधन हो गया है। 50 वर्षीय विशाल ठाकु र पिछले कु छ वर्षषों से साांस की तकलीफ से जूझ रहे थे। उन्हहोंने दिल्ली मेें रोहिणी स्थित आवास पर अंतिम साांस ली। विशाल ठाकु र के परिवार मेें पत्नी व दो बेटियाां हैैं। उनकी पत्नी भी पत्रकार हैैं और तमाम अखबारोों मेें लिखती रहती हैैं। विशाल ठाकु र लंबे समय तक दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ के संपादकीय विभाग मेें कार््यरत रहे थे। फिलहाल वह बतौर फ्रीलॉन्स अपना काम कर रहे थे। विशाल ठाकु र के निधन पर तमाम पत्रकारोों ने शोक जताते हुए उन्हहें श्रद्धधांजलि दी है और ईश्वर से उनके परिवार को यह भारी दख सहन ु करने की शक्ति देने की प्रार््थना की है। समाचार


15 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 कम्युनिके शन का काम है लोगोों को जोड़ना : प्रो.संजय द्विवेदी गौतम बुद्ध वि.वि. और सार््क जर्लिस्ट्न फोरम के संयुक्त तत्वावधान मेें अंतर्राष्ट्री य संगोष्ठी का आयोजन ग्रेटर नोएडा, 10 जनवरी। सार््क जर््नलिस्ट फोरम (एसआरएफ) ने अफगानिस्तान मेें महिला पत्रकारोों की दखद स् ु थिति के प्रति चिंता व्यक्त की है। फोरम के प्रतिनिधियोों ने कहा कि भारत को पूरे दक्षिण एशिया और विश्व भर के शाांति स्थापना प्रयासोों का नेतृत्व करना चाहिए। ये विचार गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा और सार््क जर््नलिस्ट फोरम के संयुक्त तत्वावधान मेें आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी मेें व्यक्त किए गए। इस संगोष्ठी मेें भारत, नेपाल, बाांग्लादेश और श्रीलंका के 100 से अधिक पत्रकार, विषय विशेषज्ञ और शोध अध्येता शामिल हो रहे हैैं। कार््यक्रम की संकल्पना और आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के प्ररांगण मेें मानविकी संकाय के जनसंचार और मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा किया गया। कार््यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा-“कम्युनिकेशन का काम ही है जोड़ना। अब ग्लोबल सिटीजन की बात हो रही है। वसुधैव कुटुंबकम का उदघोष भारत ् के मनीषियोों ने प्राचीन काल से किया है। हमेें ईश्वर ने मानवीय गुण दिए, ईश्वर का रास्ता एकता की ओर ले जाता है। हमारे ऋषियोों ने कहा : ‘मनुर््भव’ अर्थात् इंसान बनो। इसे सीखना पड़ता है। भारत मेें माना गया है कि पूरी मनुष्यता के लिए काम करना है। कम्युनिकेशन का मतलब ही है संवाद करना, निकट आना। इंसान बनाना। भारतीय संविधान की आठवीीं अनुसूची मेें 22 भारतीय भाषाओं मेें बाांग्ला और नेपाली भी हैैं। जो बाांग्लादेश और नेपाल की आधिकारिक भाषाएं भी हैैं। इस तरह हम भाषा की डोर से जुड़े हुए हैैं। सभी भाषाएं राष्टट्रभाषाएं है, हिंदी राजभाषा है। एसआरएफ के अध्यक्ष श्री राजू लामा ने कहा-“सभ्यता का आरंभ भारत से हुआ और सनातन धर््म से हुआ। सनातन धर््मका विचार सभी विचारोों मेें सर्वाधिक प्राचीन है। आज भारत विश्व के पाांच प्रमुख समर््थ देशोों मेें है। भारत, नेपाल, बाांग्लादेश की उत्पत्ति समान है और एक है। 21वीीं सदी एशिया की सदी होगी । भारत को दक्षिण एशिया और पूरे विश्व मेें शाांति और सद्भाव की स्थापना मेें नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए। हम भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेेंद्र मोदी के निर््णयोों और विचारोों को बहुत उम्मीद भरी निगाहोों से देख रहे हैैं।” श्री लामा ने अफगानिस्तान मेें महिला पत्रकारोों की कठिनाइयोों का जिक्र करते हुए कहा-“ अफगानिस्तान मेें महिला न्यूज़ एंकर को बुर्का पहनकर समाचार पढ़ना पड़ता है। यह गंभीर विषय है। हमेें इसका विरोध करना चाहिए।” संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कु लपति प्रोफे सर रवीींद्र कु मार सिन्हा ने कहा कि - “राष्टट्रनिर्मा ण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। राष्टट्रनिर्मा ण राष्टट्र के बारे मेें अवधारणा को अभिव्यक्त और स्पष्ट करने से शुरू होता है। पत्रकार राष्टट्र निर्माण मेें सहयोगी दर््शन, विचारोों और भावनाओं को लोगोों तक पहुंचाने मेें मदद करते हैैं। जनमत बनाने मेें समर््थ मीडिया राष्टट्रनिर्मा ण के लिए बहुत उपयोगी है।” आगे उन्हहोंने कहा कि “संचार तकनीक ने पत्रकारिता को बहुत अधिक बदल दिया है। पत्रकारोों को तकनीक मेें परिवर््तन के साथ निरंतर नए प्रयोगोों को सीखना है और अपने तौरतरीके बदलने हैैं। आने वाले भविष्य का संचार क्ववांटम कम्युनिकेशन पर आधारित होगा। भारत की कई प्रयोगशालाओंमेें इस विषय पर शोध किया जा रहा है।’’ मानविकी और समाज विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की संरक्षक प्रोफे सर (डॉक्टर) बंदना पाांडे ने अपने स्वागत भाषण मेें कहा-“ भारत एक भूखंड नहीीं, जीता जागता राष्टट्रपुरुष है। पत्रकारोों को सत्यम शिवम सुंदरम की भावना के अनुरूप कार््यकरना चाहिए जिससे सभी का हित हो। मुझे विश्वास है कि संगोष्ठी मेें इन विषयोों पर गंभीर विचार-विमर््श होगा।” उन्हहोंने सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी। समाचार


16 | मू ल््ययानु गत मीडिया जनवरी-फरवरी 2023 बुजुर््ग परिवार की शान होते हैैं और इनसे परिवार एक सूत्र मेें जुड़़ा रहता है। बुजुर्गगों के कारण ही आज भी समाज मे संयुक्त परिवार बचे हु ए हैैं। परिवार के सुख दख मे हमारे बुजु ु र््ग एक अहम भूमिका निभाते हैैं और परिवार की हिम्मत और हौसला बढ़़ाते हैैं। मीडिया दिव्ययांगोों से जुड़़ी नीतियोों के निर्धारण मेें अहम भूमिका निभा सकता है। मीडिया एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जो दिव्ययांगता के बारे मेें नकारात्मनक विचारोों को फै लाने पर अंकु श लगा सकता है और सकारात्मक सूचनाओ के प्रसार का ं माध्यम बन सकता है। भारत विरोधी ताकतोों से निपटने मेें मीडिया की अहम भूमिका है। इसलिए हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि ऐसी ताकतेें हमारे देश के खिलाफ मीडिया का दरुपयोग न कर पाएं । सूचना और ु तकनीक के आधुनिक युग मेें सेना को सोशल मीडिया का सर््वश्रेष्ठ इस्तेमाल करने की जरुरत है। हमेें आलोचना के भारतीय मानदंड स्थापित करने होोंगे। हम पश्चिम के अनुगामी नहीीं हो सकते। भारत की समस्याएं अलग हैैं और इसकी समस्याओ के समा ं धान के लिए हमेें भारतीय मानदंडोों को स्थापित करना होगा और उसी के आधार पर समाज एवं साहित्य की व्याख्या करनी होगी। रितु खंडूरी भूषण विधानसभा अध्यक्ष, उत्तराखंड डॉ. इंदमती ु राव क्षेत्रीय सलाहकार, सीबीआर नेटवर््क ध्व करु टोच मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) प्रो. कृ पाशंकर चौबे जनसंचार विभाग, म.गा.अं. हि. वि, वर्धा सनो भई स ु ाधो... रा ष्ट्रीय भावना से अनुप्राणित होकर पत्रकारिता मेें आए श्री भगवतीधर वाजपेयी ने मध्यप्रदेश और विदर््भकी पत्रकारिता मेें महत्वपूर््ण स्थान बनाया। उच्चशिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हहोंने लखनऊ मेें ‘ स्वदेश’ से पत्रकारिता का पहला पाठ सीखा, जिसमेें उन्हहें पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख जैसी महान विभूतियोों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला। आर््थथिक संकटोों से अखबार बंद होने के बाद वे अटल जी के साथ दिल्ली आकर ‘दैनिक वीर अर््जजुन’ मेें काम करने लगे। बाद के दिनोों मेें अटल जी तो पूर््णकालिक राजनीतिज्ञ हो गए और भगवतीधर जी ने राष्टट्रवादी पत्रकारिता को अपने जीवन का मिशन बनाते हुए नागपुर से प्रकाशित ‘दैनिक युगधर््म’ के संपादकीय दायित्व को संभाला। युगधर््म (नागपुर-जबलपुर-रायपुर) के संपादक के रूप मेें उनकी पत्रकारिता ने राष्ट्रीय चेतना का विस्तार किया। 1957 मेें नागपुर मेें युगधर््मके संपादक के रूप मेें कार््यभार ग्रहण करने के बाद उन्हहोंने 1990 तक सक्रिय पत्रकारिता करते हुए युवा पत्रकारोों की एक पूरी पौध तैयार की। उनकी समूची पत्रकारिता मेें मूल्यनिष्ठा, भारतीयता, संस्कृति के प्रति अनुराग और देशवासियोों को सामाजिक न्याय दिलाने की भावना दिखती है। 2006 मेें उन्हहें मध्यप्रदेश शासन द्वारा माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हहोंने अपनी पूरी जिंदगी संघर््षपूर््ण जीवन जीते हुए भी घुटने नहीीं टकेे । आपातकाल मेें न सिर््फ उनके अखबार पर ताला डाल दिया गया, वरन उन्हहें जेल भी भेजा गया। संघ पर लगे तीनोों प्रतिबंधोों (वर््ष 1948, 1975 और 1992) मेें कारागृह की यात्रा करने वाले वे बिरले लोगोों मेें से थे। श्री वाजपेयी का 7 मई, 2021 को जबलपुर मेें निधन हो गया। म ू ल््ययान ु गत पत्रकारिता के प्रकाश स््ततं भ-11 श्री भगवतीधर वाजपेयी


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