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NP April 2023

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APRIL 2016
Nº 156 · ABRIL/APRIL 2016 Tus manos libres para lo que de verdad importa. Descubre tu perfil solar Soluciones ZEISS Outdoor. Protección solar para

Story Transcript

कमजोर प्रदर्शन वाले विधायकों की टिकट होगी खतरे में

‘न्यायाधीश प्रशासनिक नियुक्तियां करेंगे’ तो फैसले कौन देगा : कानून मंत्री

निरंतर पहल

CHHHIN/2021/81297

{वर्ष-2 {अंक-23 {रायपुर से प्रकाशित {अप्रैल 2023 {मासिक {मूल्य : 125/- रुपए {पृष्ठ- 36+4

एक दिलकश आवाज़ का सुहाना सफर रायपुर तो मेरे रग-रेशों में बसा है -कमल शर्मा

राहुल गांधी को बयान पर मानहानि के लिए दो साल की सजा

नवोदित और प्रतिष्ठित साहित्यकारों के लिए

अच्छी और राहत भरी खबर हमारे दो प्रकाशन संस्थानों की शानदार सकारात्मक पहल...

नए लेखकों के सामने सबसे बड़ी चिंता होती है अपनी किताब के सुंदर और स्तरीय प्रकाशन की। किताब के आकर्षक कवर की। उसके अच्छे प्रसारण और वितरण की जिससे उनकी किताब के लिए अच्छे पाठक मिल सकें ।

इन तमाम चिंताओं से मुक्त करने के लिए हमारे दो संस्थान

अमीषा आरुग प्रकाशन प्रकाशन सभी लेखकों साहित्यकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की किताबों के प्रकाशन और वितरण में सहायता करें गे।

संपर्क अमीषा प्रकाशन और आरुग प्रकाशन रायपुर मो. : 9893260359 ईमेल : [email protected] पता : समीर दीवान, सी -21, सेक्टर - 1 एटीएम चौक के पास, हनुमान मंदिर के पीछे की सड़ क अवंति विहार कॉलोनी, रायपुर छत्तीसगढ़ , पिन- 492001

अंदर के पन्नों पर

निरंतर पहल

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आरक्षण बिल पर राज्यपाल का रुख...

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छत्तीसगढ़ का पहला किसान स्कू ल

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पाक कला की एक महत्वपूर्ण विरासत...

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CHHHIN/2021/81297

{वर्ष : 2 {अंक : 23 {अप्रैल 2023 (हिन्दी मासिक) रायपुर छत्तीसगढ़ मूल्य : 125 रुपए

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संपादक

समीर दीवान प्रबंध संपादक

अमीषा दीवान विशेष सम्पादकीय सहयोग

{रायपुर: डॉ. संजय शुक्ला, दीपक पाचपोर, सागर कुमार (कार्टूनिस्ट) {भिलाई: श्वेता उपाध्याय {बिलासपुर: हर्ष शर्मा {भोपाल: मनोज कुमार {नई दिल्ली: मधु बी. जोशी {मुंबई: आर. सेगू {जगदलपुर: दीप्ति ओगरे {रांची: रवीन्द्र पांडे {चंडीगढ़: आशुतोष मिश्रा {जालंधर: विकास तिवारी {सारंगढ़: डॉ. परिवेश मिश्रा

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विदेश से विशेष मित्र संवाददाता

न्यूजर्सी {अरु दीवान लंदन {डॉ. स्नेह सन्नी, संदीप नैयर न्यूयार्क {डॉ. सोनिया शर्मा, आशीष हरूरे फीनिक्स (अमेरिका) {आनंद शर्मा वियतनाम {अनिल कौशल न्यू ज़ीलैण्ड {प्रीता व्यास क्वान्गतोंग (चीन) {विवेक मणि त्रिपाठी : असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (भारत अध्ययन) क्वान्गतोंग विदेशी भाषा विवि लेआउट {हिति ग्राफिक्स 882 798 8255 संपादक, स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक समीर दीवान द्वारा मयंक ऑफसेट प्रिंटर्स, 16 प्रकाश भवन, कंकाली तालाब के पास, पुरानी बस्ती, जिला रायपुर (छत्तीसगढ़) से मुद्रित कर सी- 21, सेक्टर- 1, अवंति विहार, रायपुर, छत्तीसगढ़, एटीएम चौक के पास, न्यू नेताजी होटल के सामने, अवंति विहार, जिलारायपुर, छत्तीसगढ़ से प्रकाशित, पिन- 492001, संपादक : समीर दीवान मो.- 989 326 0359 email:[email protected] email:[email protected]

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राहुल गांधी को बयान पर मानहानि के लिए...

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क्या गजब की कहानी है इस महिला की

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बनावटी रोशनियां इंसानों की बनाई हुई...

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मेजर चौधरी की वापसी

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निकहत ज़रीन गोल्ड जीतकर बनीं वर्ल्ड...

सर्वाधिकार प्रकाशकाधीन सुरक्षित। प्रकाशित सामग्री के किसी भी प्रकार के उपयोग के पूर्व प्रकाशक-संपादक की अनुमति अनिवार्य है। पत्रिका में प्रकाशित रचना, लेखों, विज्ञापनों एवं अन्य प्रकाशित सामग्रियों के विचारों से प्रकाशक-संपादक की सहमति हो अनिवार्य नहीं है। किसी भी प्रकार के वाद-विवाद एवं वैधानिक प्रक्रिया केवल रायपुर न्यायालयीन क्षेत्र के अंतर्गत ही मान्य होगी।

अप्रैल 2023 03 निरंतर पहल

संपादकीय

लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज दबाने का विरोध न करना प्रतिगामी ताकतों का समर्थन है



ड़े सियासी मंसूबे पालने के बाद अधबीच में ही उसके नाकाम होते दिखने से उपजी बदहवासी सत्ता से क्या -क्या काम करवा सकती है पिछले दिनों पूरे देश ने उसका निराशाजनक नमूना देखा। ऐसे दिनों- दिन अंधेरे होते समय में जब आम आदमी की आवाज ही नहीं सुनी जा रही हो तब विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की बेमिसाल कामयाबी ने सत्ता के कथित धुरंधरों की नींदें उड़ा दी। एक के बाद एक ऐसे फैसले लिए या माहौल रचा कि लगता था जैसे दिमाग की शिराएं सुन्न हो गईं हों। कुछ इस तरह कि सामान्य तर्कबुद्धि से उन बेसिरपैर के फैसलों के सरोकार ही न हों। भारत जोड़ो यात्रा से लौट कर संसद पहुँचे राहुल गांधी अडानी को 20 हजार करोड़ रुपये पर एक सवाल क्या पूछते हैं कि केन्द्र सरकार पर तो मानो बदहवासी तारी हो जाती है। राहुल गांधी को बोलने से रोकने के लिए जमीन पर उपलब्ध सारे जतन करती है सरकार। खुद होकर संसद को छह दिनों तक बंधक बनाए रखा। ट्रेजरी बेंच ने संसद में ही इतना शोर मचाया, इतना हंगामा बरपा कि राहुल गांधी को बोलने ही न दिया और फिर एक पुराने बयान को लेकर कोर्ट से संसद तक जो हुआ या होने दिया गया वो सब लोकतंत्र के इतिहास में सरकार की बदहवासी की अशोभनीय मिसाल हैं। राहुल के संसदीय क्षेत्र वायनाड में 2019 में दिये गए एक पुराने बयान को आधार बनाकर गुजरात के जिला अदालत में मानहानि का केस दर्ज किया जाता है वो भी एक ऐसे विधायक ने ये किया जिनका उस केस से सीधा कोई सम्बन्ध भी नहीं है। फिर किसी नामालूम सी वजह से उसकी सुनवाई स्थगित करने की अर्जी भी खुद मुद्दई ही देते हैं । मामला ठंडे बस्ते में चल देता है। इधर संसद को आम लोगों के खर्च पर आपराधिक रूप से स्थगित करती आ रही सरकार को लगा कि ये तो काफी नहीं है तो अचानक ही उसी मामले की आनन-फानन में फिर से सुनवाई शुरू करने की अर्जी दी जाती है । अति नाटकीयता से भरा सब कुछ। और फिर मानहानि का दोष सिद्ध कर राहुल को 2 साल की अधिकतम सजा दे दी जाती है। उससे कानून के प्रावधान के मुताबिक राहुल की संसद सदस्यता रद्द हो जाती है। फिर बिना देर किए संसद के सचिवालय से एक अधिसूचना जारी की जाती है कि राहुल की संसद की सदस्यता रद्द होती है। इससे कानूनन एक और बात होती है कि इतनी सजा के बाद राहुल 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं रह जाते। बस यही तो राहुल के सवाल से घायल सरकार के लिए वरदान सरीखा है। उसे लगता है कि अब उसकी राह के सारे कांटे -कंकड़ हट गए। लेकिन कानून के जानकार बताते हैं कि ये सारा कुछ इतनी हड़बड़ी में किया गया या होने दिया गया कि इससे न्याय की स्वाभाविक प्रक्रिया की ही अनदेखी हुई है। निचली अदालत से मिली सजा के आधार पर ही अपना पक्ष ऊपरी अदालत में रखने की मोहलत दिये बिना उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया। इसे तो चुनौती दी जा सकती है। इतना ही नही राहुल गांधी को फौरन ही सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी भेज दिया जाता है। अब तो सरकार के मंसूबे देख और समझ रहे कितने ही गैर कांग्रेसी नेता भी खुलकर इस फैसले के विरुद्ध आवाज उठाने लगे हैं। अब चाहे जो हो लेकिन संकीर्णता और असहिष्णुता की तमाम हदें पार हो जाने के बाद हम कैसा लोकतंत्र चला रहे होंगे? जहाँ सरकार खुद ही संसद नहीं चलने देती। सवाल पूछने पर जवाब की जगह जेल भेजने का जतन कर देती है। यानी लोकतांत्रिक सत्ता में रहते हुए उससे हासिल हर एक शक्ति का अधिकतम अलोकतंात्रिक बने रहने के लिए भरपूर दुरुपयोग ही जैसे इसका एकमात्र और अंतिम लक्ष्य है। प्रेस जैसे प्रभावी संस्था को लगभग नकार या एक तरह से उसे नष्टकर नैसर्गिक न्याय की प्रतीक्षा करने और हताशा का समय नही बल्कि अधिकतम और संगठित प्रतिरोध का समय है। प्रतिरोध की ही इच्छा मर जाय तो फिर तो तानाशाही बढ़ना तय है। लोकतंत्र में आम आदमी की आवाज उठा रहे किसी नेता के ईमानदार प्रयासों को नाकाम करने वाली प्रतिगामी ताकतों का सामूहिक प्रतिकार न करना भी एक तरह से उन ताकतों का आपराधिक समर्थन करना ही है।  - समीर दीवान

समीर दीवान

www.nirantarpahal.in

निरंतर पहल

04

अप्रैल 2023

साक्षात्कार

रायपुर तो मेरे रग-रेशों में बसा है- कमल शर्मा

एक दिलकश आवाज़ का सुहाना सफर

दुनिया के कोने-कोने से लोगों जिनकी तो आवाज़ ही पहचान है और फिल्म के सितारे ने जिन्हें सराहा, प्यार दिया भी जिनकी सोहबत में खुश होते रहे हैं



ÁÁ समीर दीवान, रायपुर

क समय आकाशवाणी में अपनी सधी हुई शैली और असरदार आवाज से लोगों में लोकप्रिय हुए शहर के कमल शर्मा पूरे दो दशक से भी ज्यादा समय तक मुंबई में रहे। आकाशवाणी से उनकी आवाज विविधभारती से होते हुए देश-विदेश में तो पहुंचती ही रही जहां उनके असं ख्य चाहने वाले हैं पर वहां तो फिल्मी सितारों को भी अपना मुरीद बना लिया ।खनकती, रेशमी,जादईु आवाज़, विनम्रता और नेकनीयती से कमल जी ने वहां भी ऐसा समा बांधा कि सीनियर सितारे भी उनसे दोस्ताना रखने लगे । देवानं द, दिलीप कु मार, धर्मेंद्र, तनूजा, तो गायकों और सं गीत निदेशकों में लता मं गश े कर, खय्याम, नौशाद, सुलक्षणा पं डित, सुदेश भोसले, सुरेश वाडेकर एक लम्बी लड़ी है सितारों की जिनके बीच फिल्म के आसमान में उनका नाम दमकता रहा और आवाज गूंजती रही। बड़े कलाकार भी सब उनकी आवाज़ के दीवाने और व्यवहार के कायल हो गए। रायपुर के इस सपूत ने बहुत लगन और मेहनत से साधे हुए हुनर और शालीनता के बल पर एक नया मुकाम बनाया जिस पर पूरे प्रदेश को हमेशा से गर्व रहा है। वे मुंबई में ही हैं और सीनियर ब्राडकॉस्टर रहते हुए रिटायरमेंट के पांच साल बाद भी उनकी वायस ओवर आर्टिस्ट के रुप में अच्छी मांग है। पसं द का काम होने की वजह से वे ढेरों देशी-विदेशी यहां तक कि बॉलीवुड फिल्मों की डबिगं कर चुके हैं। दर्जनभर ऑडियो बुक बना चुके हैं और इसके अलावा बहुत से कामों में व्यस्त रहते हैं। बावजूद इन तमाम व्यस्तताओं के उन्हें रायपुर की आबो-हवा, दोस्तों-यारों का प्रेम खींच लाता है। अपनी चिरपरिचित हंसी के साथ कहते हैं – समीर भाई मैं बारबार रायपुर आता हूँ । हर दो महीने के बाद एक महीने रायपुर में ही होता हूँ , मेरी जड़ें यहीं जो हैं मुझे खींच लातीं हैं... रायपुर तो मेरे रग–रेशों में बसा है...उनकी आवाज़ से मिली शोहरत के अब तक के शानदार सफर पर उनसे हुई आत्मीय बातचीत... (जैसा कहा वैसा ही लिखा गया) जिस समय आपने रेडियो में आना तय किया उस दौर में तो लोग इंजीनियर-डॉक्टर ही बनना चाहते थे। फिर आपने लीक से हटकर रेडियो में आना कै से चुना?

जी मैं तो साइंस का स्टूडेंट था पर नाटकों में मेरी रुचि थी, मेरे साथी थियेटर करते थे वे सब पढ़ने लिखने वाले थे। फिर उन दिनों आकाशवाणी में हम यहां रायपुर से लाल राम कु मार सिंह साहब, मिर्जा मसूद साहब इनकी आवाज़ सुनते थे । इन दोनों की आवाज़ बहुत फे सिनेट करती थी । इसके अलावा उन दिनों घर में बीबीसी खूब सुना करते थे। उस जमाने में मुझे याद है 1967-68 में माँ के पत्र अक्सर बीबीसी से प्रसारित होते थे। कहते थे पुष्पा बहन का पत्र आया तो हम लोग बड़े रोमांचित होते थे। हम जंगली इलाकों में रहते थे तो नेशनल अखबार हम तक दो तीन दिनों में पहुंचते थे तो इन सब चीजों का सामूहिक रुप से मिलकर एक तरह से संस्कारित करने में बड़ा योगदान था कि मेरा रेडियो की ओऱ रुझान हुआ।रायपुर में मैं जिस बिरादरी में था दोस्तों की, वे सब लिखने-पढ़ने वाले लोग थे। थियेटर करने वाले दोस्त थे उसमें जयंत देशमुख थे उसने एक बार कहा कि एक नाटक है ‘जेबकतरा’ शायद असगर वजाहत का याद नहीं आ रहा ...करना है। इसी समय लीलाधर मंडलोई साहब जो जानेमाने कवि हैं वे महानिदेशक भी हुए बाद में, उन दिनों यहां ट्रांसमिशन एक्सेक्यूटिव थे. .. फिर नाटक की रिहर्सल तो हुई पर रिकॉर्ड-विकॉर्ड नहीं हुआ शायद.. और इस बहाने से आकाशवाणी से एक रिश्ता बना। फिर मुझे याद है एक बार मैं मिलने गया युववाणी कार्यक्रम के लोगों से तो वहां पर लक्ष्मेंद्र चोपड़ा जी, तेजिन्दर गगन थे। इस तरह परिचय हुआ। फिर एक बार हमने सुना कि जरूरत है। इससे पहले मेरी सिस्टर कै जुअल एनांउस रही थीं, तो एक मन में होता था कि करना है एक स्पार्क होता था । फिर उन दिनों हीरेन्द्र कोटिया, तेजिन्दर सिंह गगन, लक्ष्मेन्द्र चोपड़ा और लीलाधर मंडलोई इन चारों का एक ग्रुप हुआ करता था जिनको युववाणी में खूब सुना करते थे, तो कहीं न कही मैं कहूं कि मेरे अवचेतन में इनकी आवाजें थीं इन्होंने बड़ा आकर्षित किया। तो एक दिन मैं गया ऐसे ही, वहां कोटिया साहब थे तो मैंने कहा साहब मैं रेडियो में आना चाहता हूँ। उन्होंने कहा इतना आसान नहीं है, बहुत मुश्किल है। फिऱ थियेटर के कारण लोगों से मिलना होता था फिर मिर्जा मसूद साहब के नाटक ‘अंधायुग’ में मैने काम किया। फिर यहां अशरफ हुसैन थे

अप्रैल 2023 05 निरंतर पहल

दूरदर्शन में काम करते थे फिर मैं दूरदर्शन के लिए कमेंट्री करने लगा। फिर जिसे कहते हैं न दायरा बढ़ने लगा। इसके बाद हमारे एक और परिचित हुआ करते थे सुरेश पाण्डे तो उन्होंने बताया कि कै जुअल एनांउसर की पोस्ट निकली है। आजकल उनको ‘असाइनी’ कहते हैं। तो मैं उसमें आ गया सलेक्शन हो गया तो हम बड़े खुश क्या कहें जिसे कहते हैं न ‘नाइंथ क्लॉउड’ में आ गए हों जैसे। रेडियो का ग्लैमर था। अच्छा उन दिनों में एलआईसी में पार्ट टाइम काम भी किया करता था। जब इसकी रेगुलर पोस्ट निकली तो एलआईसी में जो ब्रांच मैनेजर थे उन्होंने कहा कि एलआईसी में न आओ, तुम्हें तो रेडियो में जाना चाहिए। एक तरह से मुझे उन्होंने एलआईसी की नौकरी में जाने से हतोत्साहित ही किया। मुझे बाद में पता चला वे फिराख गोरखपुरी साहब के भांजे थे। कहा कि खबरदार तुम एलआईसी में आए। वे बहुत प्यार करते थे । कहा बेटा तुम एलआईसी में आओगे तो पैसा, बंगला सब आ आएगा पर वो चीज नहीं आ पाएगी जो आकाशवाणी में रह कर तुम्हें मिलेगी। तुम अपने काम से पहचाने जाओगे। फिर 2 नबंबर 1982 को हमारा रिटन टेस्ट था आकाशवाणी में और छह सौ लोगों में मैं चुन लिया गया था क्योंकि मैं 1979 से वहां अनुबंध में काम करता रहा था। मैं था कै ज़ुअल एनांउसर तो स्थिति कोई वैसी नहीं होती थी पर मेरा पैशन था तो मुझे काम तो महीने में कु छ ही दिनों का मिलता था पर मैं पूरे 28-30 दिन आकाशवाणी में ही रहा करता था। लोग सराहना करते थे मेरी आवाज़ की, मुझे लोग प्यार करने लगे थे। फिर यूं हुआ कि उन्ही दिनों सरकार से एक आदेश आया जिसमें हमारी च्वॉइस पूछी गई थी कि गवर्नमेंट जॉब में आना चाहेंगे या इसी तरह रहना चाहेंगे जैसे अनुबंध में था तो करीबी लोगों ने कहा गवर्नमेंट ही ऑप्ट कर लो कमल, तो कर लिया बस। इसके बाद तो पांच साल वाला अनुबंध का किस्सा ही खत्म हो गया। तो फिर नई नौकरी में कहीं से आपको सीनियर से प्रोत्साहन मिला कि आपने मुम्बई का रुख किया । नहीं ऐसा तो नहीं था पर अलबत्ता एक और आवाज़ थी जिससे मैं बहुत प्रभावित था। सिनेमा हॉल में सुनता था। बाद में पता चला कि वो बृजभूषण महरु की आवाज थी जो मधुबाला की छोटी बहन के हसबेंड थे। वो रेडियो में काम करते थे 1957 में। जब मैं सुनता था तो लगता था कि यार ये किसकी आवाज़ है। मुझे लगता था कि मुझे इनके जैसा बनना है। मुझे लगता था ये ऐसे क्यों बोलते हैं। इन्हें ऐसे बोलना चाहिए। इसी बीच रायपुर में एक यशवंत तुकाराम खरात... (वाय टी खरात) स्टेशन डायरेक्टर होकर आये। उन्होंने मेरी आवाज़ सुनी तो कहा कमल तुम यहां के लायक नहीं हो। तुम्हें बाॅम्बे जाना चाहिए। तुम्हे वहां हाेराइज़न मिलेगा। फिर यहां एक डिप्टी डायरेक्टर जनरल आए थे मिस्टर मेश्राम उनसे मुझे मिलवाया कहा सर मैं चाहता हूं इन्हें वहां बुला लिया जाए बाॅम्बे। फिर एक स्टेशन

निरंतर पहल

06

अप्रैल 2023

डायरेक्टर होकर आये उनका नाम था बंकिम कपाड़िया वे फिल्म्स डिवीजन से आये थे वे बाॅम्बे के ही थे। उनसे भी कह दिया था तो उन्होंने मुझे कहा कमल मुझे आप वहीं मिलना। उन्होंने मेरी कोई खास मदद नहीं की पर एक किसी बनमाली नाम के शख्स से मिलवाया जो आर्टिस्ट्स को प्लेसमेंट और काम दिलाने का काम करते थे । वायस ओवर आर्टिस्ट को काम मिलता था । मैं तो छु ट्टी बिताने बॉम्बे गया था और लौट भी आया पर जब मैं रायपुर में था तो आफिस में फोन आया कहा गया कि मुझे महाभारत में डबिंग के लिए बुलाया है। तो कु छ हो नहीं सकता था बात आई-गई हो गई। लगातार चोपड़ा जी इंसिस्ट कर रहे थे खरात साहब की बात मेरे जेहन में थी। फिर चोपड़ा जी विविध भारती आए और मेरे लिए उन्होंने शायद माहौल भी बना दिया था कि लड़का बहुत ब्रिलियंट है। टेलेंटडे है। मैंने उसके साथ काम किया है। वो मेरा काम देख चुके थे। जो भी आता तो कहते थे मैं तो नाममात्र का इंचार्ज हूँ कमल है उन से मिल लीजिए वो ही करेंगे। तो स्क्रिप्ट बुलाना, आर्टिस्टों की बुकिंग, रिकार्डिंग करना सब किया करता था। मुझे छू ट मिली थी तो मैं नए-नए प्रोग्राम डिजाइन करने लगा। एक मुझे बहुत पसंद है वह है ‘समययात्री’। इससे पहले एक औऱ थे सतीश सक्सेना। वे बहुत प्रोफेशनल थे। वे मुझ से बहुत सी चीजें शेयर करते थे। वे यूपी से थे गुजरात में सेटल हो गए थे। उन्होंने भी मुझे फ्रीडम बहुत दी थी। उनके जमाने में भी युववाणी के लिए बहुत सारे प्रोग्राम डिजाइन किये और चौपड़ा जी के समय भी। चोपड़ा जी बहुत कै पेबल थे उनका बहुत नाम था। जब मैं आया तो ये लोग युववाणी कार्यक्रम को बहुत ऊं चाई तक ले जा चुके थे। हम तो एक तरह से इनके नक्शे कदम पर चल रहे थे। जैसे मुझे याद है मैने जो इंट्रोड्यूज किया वो –अपनी धरती अपना देश, इनकी राहें , इनकी मंजिल, हौसले बुलंद थे। इस तरह मुझे भी अलग से पहचान मिलने लगी। देखिए रेडियो में सभी ब्राडकास्टर्स की अपनी शैली और आवाज़ थी तो क्या रिपोर्ट, डाक्यूमेंट्री आदि के लिए आपको स्क्रिप्ट दी जाती थी या फिर आप को ही लिखनी पड़ती थी। या कि अपनी लिखी स्क्रिप्ट को पढ़ना आपको कम्फर्ट जोन में रखता था ? नहीं वो तो हमें रिसर्च भी खुद करना पड़ता था और लिखना भी खुद होता था। हमें टाॅपिक दे देते थे । ( साथ ही थी कमल जी की बहन इंदु दीदी जो कभी आकाशवाली में कै जुअल अनांउस रह चुकी थीं इन्होंने भी इस सवाल के जवाब में कमल जी के साथ अपने अनुभव साझा किये – उन्होंने कहा हमें उस समय एक टॉपिक दे देते थे कि फलां जगह कु छ हुआ है तो हमें फिर उस पर न्यूज़ बनानी होती थी।) कमल जी ने कहा कि एक बात औऱ है अब तो टेली प्रॉम्पटर आ अमीन सयानी के साथ कमल शर्मा

गए हैं आज भी देखिए प्राइवेट में ड्रामा लिखने वाला कोई और है, फीचर लिखने वाला अलग होगा और स्टोरी लिखने वाला अलग/इवन इतने सीनियर ब्रॉडकास्टर अमीन सयानी साहब उनके प्रोग्राम का स्क्रिप्ट राइटर कोई और होता था। वो सिर्फ वायसिंग करते थे। और उसकी मिक्सिंग उसकी एडिटिंग कोई तीसरा आदमी करता था। लेकिन रेडियो में काम करते हुए ये सारा काम हमलोग खुद करते थे। इसका मतलब है कि आपने स्क्रिप्ट भी लिखी होगी, तो कौन सा पहला मौका मिला । आप तो बता रहे हैं कि पहले वालों को लिखा हुआ मिलता था। तो किस तरह का स्क्रिप्ट आपने लिखी जिसको खूब सराहा गया हो ? जैसे आकाशवाणी में जितने भी लोग आए न उन्हें लिखी हुई स्क्रिप्ट नहीं मिलती थी। जैसे किसी की हमने स्क्रिप्ट मंगवाई तो उसमें कु छ ऐसा है कि वो ठीक से बोल नहीं पा रहा है तो हम अपनी वाइस उसमें दे रहे हैं। कई बार ये होता था कि हमने आकाशवाणी में किसी की बुकिंग की है उसकी आवाज अच्छी है तो उसी से पढ़वा लेते थे या जैसे किसी को प्राॅब्लम है तो स्टाफ का व्यक्ति पढ़ता था। जैसे नाटक तो लिखे हुए आते थे दूसरों के हम तो के वल अपनी आवाज़ ही देते थे लेकिन जब हम युववाणी कार्यक्रम में बैठते थे तो खुद की स्क्रिप्ट लिखनी पड़ती थी। उसी तरह फीच़र की स्क्रिप्ट ही अलग होती थी। टेक्नीक अलग होती थी। रेडियो की अपने आप में जो लैंग्वेज है न उसमें काम करते हुए उसे खूब एंजाय किया। जैसे पहले तो एक ही व्यक्ति सब काम कर रहा होता था, फीच़र, कहानी, रिपोर्ताज सब कु छ ही पर इन दिनो एक्सपर्टाइज करने का जमाना है जैसे कोई एक व्यक्ति एक किसी खास विधा पर ही काम करेगा । तो इसे किस तरह देखते हैं आप ? मैं ब्राॅडकास्टिंग के जिस स्कू ल में आया और पहले मैंने जिन स्टालवर्ट्स के साथ काम किया है उनसे भी आप सीखते हैं न। और फिर अपनी एक स्टाइल भी बनाते हैं। जैसा कि मैने बताया कि मेरे सब कांशिस्यश में बृज जी की आवाज़ हमेशा गूंजती रहती थी। उनका स्टाइल मैं सच में उनसे बहुत ज्यादा मुतासिर था। इसके अलावा मैंने मिर्ज़ा भाई को काम करते देखा स्टूडियो में। चूंकि सीखने की ललक थी। इनमें से एक दो लोग ऐसे थे जो आप को काम के बीच खड़े नहीं होने देते थे। कहते थे नहीं भाई डिस्टर्ब मत करो।

लेकिन कु छ लोग बिल्कु ल मित्रवत थे। वो कहते थे चुप खड़े रहना डिस्टर्ब मत करना। क्या होता है न जब आदमी कु छ चीज बना रहा होता है तो उसका ध्यान बटता है। हम भी डिस्टर्ब नहीं करते थे लेकिन देखते रहते थे। फिर तो अके ले ही हम कई बार प्रैक्टिस कर रहे हैं। तो इस तरह से हम अपने को सुधारते रहे। फिर जब मैं बाॅम्बे गया तो मुझे अमीन सयानी साहब को असिस्ट करने का मौका मिला। मैं अप्रैल 1992 में ट्रांसफर पर वहां गया और विविध भारती में रहा। और तीन महीने बाद मैंने वापस आने की भी सोच ली थी। वहां के माहौल में कोई किसी को पूछता नहीं बड़ा डिप्रेसिंग लगता था। लेकिन फिर मुझे कई लोगों ने कहा कि नहीं ये शहर शुरू में आजमाता है बाद में फिर एडाप्ट कर लेता है। थोड़ी सी स्ट्रगल कर लो। तो मैं डोबीवली में रहता था और दफ्तर पचास किमी दूर था। धक्के खाना ट्रेन में रोज। आजीज आ गया था। कहां यहां मैं तो एकदम किंग की तरह था। फिर तो रिटायरमेंट यानी 2017 तक वहां रहा। अभी भी हूं अब आता-जाता रहता हूँ। अब रिटायरमेंट के बाद आप कै से काम कर रहे हैं। आपका तो काम ऐसा रहा है कि अभी भी बहुत मांग होगी ? जी मैंने तो नौकरी में रहते हुए भी परमिशन से डाॅक्यूमेंट्रीज करता रहा मैं। आजकल मैं ऑडियो बुक्स करता हूँ, या काॅर्पोरेट फिल्म कोई मिल गई । या फिर किसी कार्यक्रम का संचालन हो गया। जैसे बाॅम्बे में मैं था तो रिटायरमेंट के बाद प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का संचालन का काम मिला। यहां अभी हाल ही में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का संचालन का मौका मिला। इसके अलावा प्रधानमंत्री जी ने ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ का जो इनॉगरेशन किया था बैकग्राउंड में उसमें मेरी कामेंट्री है। इसके अलावा फिल्मों के लिए डबिंग की है। इसका मतलब है कि आप अब रिटायरमेंट के बाद भी मुंबई में व्यस्त रहते हैं। काम मिलता ही रहता है ? जी हां व्यस्त तो रहता ही हूँ। वाइस देने के अलावा मैं बहुत सारी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाता भी हूँ। बीच में कोविड के समय तो मैंने ऑन लाइन क्लासेस भी लीं। मैं मदसौर, सूरत गया हूँ। रेडियो जर्नलिज्म पर महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में मैंने वर्क शॉप किया है। आपका एक शानदार कै रियर था, महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी रहीं, अपने मन पसंद का काम करने का सपना भी पूरा हुआ पर फिर भी कहीं कोई सपना अधूरा रह गया हो, मन में कोई कसक रह गई हो कि काश वो भी हो ही गए होते पूरे, क्या हैं वो? कहते हैं न इंसान की लालसाएं, इच्छाएं कभी पूरी नहीं होतीं वो तो अनंत हैं। मेरी एक जो सबसे बड़ी इच्छा थी कि मेरी आवाज़ डाॅक्यूमेंट्रीज में जाए तो मुझे आवाज़ देने का मौका मिला और मैंने कई महत्वपूर्ण डाॅक्यूमेंट्रीज में मुझे आवाज

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मानित किया रायपुर जैसे छोटे से शहर से दो दशक से भी पहले आप मुंबई जैसे महानगर में जाते हैं तो क्या एंजाय करते हैं, और क्या मिस करते हैं बहुत बुरी तरह ? देखिए बड़े शहरों में अपार्चुनिटी तो बहुत है पर महानगर में न आपकी उम्र निकल जाती है। अके लापन होता है भीड़ में भी आप गुम से रहते हैं। वहां हमारे छोटे शहरों की तरह रिश्तों में गुनगुनापन नहीं है जैसे यहां हम सायकल पर निकल गए। चौक चौराहों में ठीहे होते हैं लोगों से मेल मिलाप के मौके होते हैं वहां बड़े शहरों में व्यस्तताएं बहुत हैं। मुंबई जाकर मुझे काम तो बहुत मिले मिल रहे हैं अभी भी पर मैं वहां जाकर अपने यहां के दोस्तों को बहुत मिस करता था, रायपुर शहर को मिस करता था। रायपुर शहर अपने आप में बहुत अनूठा शहर है और शहर ही क्यों बल्कि पूरा राज्य छत्तीसगढ़ ये अपने आप में अनूठा राज्य है। सारा जग घुमया पर तुम्हारे जैसा कोई नहीं मिला बस वैसी ही बात है। यहां की जबान, यहां का मौसम सब लाजवाब है। पहले तो बिज़ी रहता था तो रायपुर फ्रिक्वेंटली नहीं आ पाता था पर जब से रिटायर हुआ हूँ मैं दो महीने यहां रहता हूँ तो एक महीने बाम्बे में। और मैं बार-बार लौट लौट के अपनी जड़ों में आता हूँ। यहां क्या बताऊं यहां बहुत अच्छा लगता है। इस शहर से बहुत मोहब्बत है। देने का मौका मिला, जैसे राज्यसभा टीवी के लिए मैने दो तीन डाॅक्यूमेंट्रीज की जैसे संविधान पर थी, एक पटना कलम पर के न्द्रित थी कु छ नामी विदेश चैनलों के लिए भी आवाज़ दी मैंने अपनी। कु ल मिला कर कम से कम चार से पांच सौ डाॅक्यूमेंट्रीज किए। इसके साथ दो-तीन कमर्शियल ( इश्तेहारों ) में भी मौका मिला। कु छ डिवोशनल एल्बम के लिए भी आवाज़ दी अपनी। कु छ तो इतने पुराने हो गए कि अब नाम ही याद नहीं हैं । इसके अलावा कु छ हाॅलीवुड की फिल्में जिनके के लिए हिन्दी में डबिंग की है। आडियो बुक भी किए बहुत से पर मुझे फिल्मों में फोटोग्राफी करने का बड़ा मन होता था। जय हनुमान एक सीरियल आता था उसमें मेरी वाइस है। डिज्नी की कहानियों में आवाज दी है। साथ ही बहुत से उपन्यास और मोटिवेशनल बुक्स पढ़ी हैं और रिटायरमेंट के तीन चार सालों में 12 -13 किताबें पढ़ीं हैं। अभी स्टोरी टेल नाम से एक ऐप है और एक स्विटजरलैंड और जर्मनी की कम्पनी है उसके लिए आवाज दी अपनी। रिटायरमेंट के बाद खाली तो रहा ही नहीं बिल्कु ल भी नहीं इसमें तो मुझे अवार्ड भी मिला, दर्जनभर से ज्यादा एंट्री थी उसमें मुझे फर्स्ट प्राइज भी मिला – बहुत कठिन किताब थी- वयं रक्षामह आचार्य चतुरसेन की । उसमें संस्कृत भी है... तो इसके लिए तो बाकायदा इसके लिए बनारस के एक पंडित को पकड़ा और इसका पूरा टेक्स्ट दिया मैंने उनसे कहा कि इसको पढ़ करके रिकार्डिंग भेजिये फिर उसको सुन करके मैंने अपनी आवाज में उसे डब करवाया। कु छ कं ट्रोवर्सियल आफर भी आये पर मैने नहीं किया

कहा उनसे कि आप अमुक लाइन हटा दीजिए या बदल दीजिए नहीं तो मै नहीं पढूंगा.. हो सकता है करता तो मुझे लाख पचास हजार बच जाते पर मैने नहीं किया । इसके साथ ही मेरा मन करता था कि मैं फिल्मों के लिए फोटोग्राफी करूं पर वह नहीं हो पाया। इस बात की कसक रह गई मन में। आपको नहीं लगता कि बावजूद इतनी सब बातों के यदि आप यहीं रहते तो प्रोफेशनली जो आपने अचीव किया वो फिर संभव नहीं होता ? इससे तो इंकार नहीं बिल्कु ल, जो विविध भारती ने, आकाशवाणी ने मुझे दिया वो फिर संभव नहीं हो पाता। विविधभारती ने मुझे बहुत दिया , मैं आकाशवाणी का ऋणी हूँ. और जैसा कि मैंने बताया कि बाॅम्बे में तब मेरा कोई गॉड फादर नहीं था। रेडियो ने मुझे बहुत सारे लोगों से परिचित करवा दिया था। करोड़ों लोग मुझे सुनते थे। जब मैं कहता कि मैं रेडियो में काम करता हूँ तो फौरन कहते–आप हैलो फरमाइश में काम करते हैं। मुझे याद है एक दफा टीवी के आर्टिस्ट आए थे.. महाभारत की टीम आई थी हमारे यहां जिसमें युधिष्ठिर जो बने थे उसमें तो उनको हमारे स्टाफ के लोगों ने स्टूडियों दिखाना चाहा तो कहा मुझे नहीं पहले कमल जी से मिलवाइये .. नीरज चौहान...। तो कितना अच्छा लगा। देखिए बीआर चोपड़ा कोई छोटा मोटा नाम नहीं है ये बहुत बड़ा नाम है, धर्मेंद्र,सरदार मलिक, नौशाद साहब और ओ पी नैय्यर साहब.. जैसे लोग एक दफा नैय्यर साहब का फोन आया लैंड लाइन से फोन किया उन्होंने मैने पूछ लिया – कौन बोल रहे हैं... कहने लगे- तेरा प्यो बोल

अप्रैल 2023 07 निरंतर पहल

रहा हूँ। मैने कहा पापा जी पैरी पैना । कहने लगे ओ कल क्या कर रहा है तू ? मैने कहा नहीं पापा जी बस आफिस जाना है ... कहते हैं ओए आफिस की छड्ड कल का लंच तू मेरे नाल ही करना है। तो देखिए ये लोग इतने लीजेंड लोग हैं और इतने सहज रिश्तों में। मैं अपने ही आपको चिकोटी काट कर विश्वास दिलाने की कोशिश करता जैसे ये इतने ग्रेट लोग हैं मुझे छोड़ने आ रहे हैं। मुझे याद है देव साहब...देवानंद जी.. देखिए मैं उनको जब भी फोन करूं .. वो फोन खुद ही उठाते थे... वे अपने ही स्टाइल में जवाब देते ... हल्लो... कमल तुम्हारा फोन आया .... मैं अभी थोड़ा सा बिज़ी हूँ... कम्ममल मैं तुमको बाद में बात करूं गा.. (वो जिस तरह सिनेमा में संवाद बोला करते थे उसी अंदाज में चहकते हुए) कहते थे। उन दिनों हैलो फरमाइश इतना पॉपुलर था.. उन्हीं दिनों उनकी एक फिल्म आई थी। ... टाइम स्क्वेयर... उनका हाथ से लिखा हुआ कार्ड आया था। जब मैं पहुंचा तो मेरे ही बगल में खड़े हैं। और पूछ रहें हैं कै सा लग रहा है मेरा कार्ड... मेरी तो आवाज़ ही गले में फं स गई हो जैसे। मुझे याद है मैंने दिलीप साहब से दो तीन बार बात की। वहीदा जी हैं, नंदा हैं,माला सिन्हा हैं, लक्ष्मीकांत -प्यारेलाल जी जोड़ी के प्यारेलाल जी हैं, कल्याण जी-आनंद जी के आनंद जी, सुलक्षणा पंडित ... उन्होंने तो मेरा हाथ ही पकड़ लिया..कहने लगीं मेरा भाई है कमल... उनका जन्म रायगढ़ का है न। वैसे वे बेसिकली राजस्थान की थीं और पता है पंडित जसराज उनके सगे चाचा हैं जो वी शांताराम के दामाद हुए। और उनकी बहन जो थीं विजेयता प्रसंशक रही हैं मेरी....उन्होंने तो किसी से मेरा नम्बर लिया कहा कि मुझे बात करनी है कमल जी से और मुझे फोन करके कहा कि कमल जी मैं तो आपका छाया गीत सुनती हूँ और आप जिस दिन नहीं आते मैं आपसे नाराज हो जाती हूँ.. । माला सिन्हा, नंदा जी सब कहती हैं –धर्मेंद्र मेरे लिए तो भगवान हैं। इवन तनुजा ये सब लोग धर्मेंद्र साहब का बड़ा आदर करते हैं । इसके साथ ही धर्मेंद्र जी का, माधुरी दीक्षित जी का इंटरव्यूह करने का अवसर मिला। बहुत सहज और सरल लोग हैं ये लोग इतनी कामयाबी के बाद भी.. जमीन पर ही हैं। तो आप करना चाहते थे जो नहीं हो पाया। या कोई काम होना चाहिए था या हुआ हो जरूर पर वैसा नहीं हो पाया जैसा चाहा था आपने । क्या है मैं वैसे तो फिल्म फोटोग्राफर बनना चाहता था जिसके लिए मैंने दो बार –‘ फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ (एफटीआईआई) का एक्जाम भी दिया। दिल्ली जा-जा कर उन दिनों। वो नहीं हो पाया । ये बात 1978 की है मेरे ख्याल से दिल्ली जाकर दिया था एक्जाम दोनों ही बार। और उस समय कोई 16 सीटें होती थीं जिसमें कु छ सीटें रिज़र्व होती थीं। कु छ एनआरआई के लिए होती थीं। तो ऐसे बहुत टफ काम्पीटिशन होता था कोई बताने समझाने वाला नहीं होता था। अब वैसे तो ये काम नहीं कर पाया पर रेडियो के जरिए फिल्म वालों से अंततः

निरंतर पहल

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अप्रैल 2023

जुड़ने का मौका मिल गया। इंटरनेशनल फिल्म फे स्टिवल कवर करने के लिए मैं जा पाया। गोवा गया हूं... बाहर जाने का मौका मिला था जा नहीं पाया। मेरा सलेक्शन हो गया था रेडियो एशिया के लिए – जो रायसलखेमा एक जगह है जो सऊदी में है बड़ी मशहूर जगह है। रेडियो एशिया खुला था उसमें ऊर्दू के प्रोड्यूसर के रुप में । क्यो नहीं गया उसकी एक वजह ये थी कि मुझे अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़नी पड़ती और फिर कु छ मेरे करीबी लोगों ने समझाया कि – कमल अभी तुम्हारा यहीं अच्छा कै रियर चल रहा है। ये 1995-97 की बात होगी। और एक दिलचस्प बात ये थी जो मुझे काफी बाद में पता चला कि अमीन सयानी साहब ने वहां मेरे काम की तारीफ करते हुए कहा था कि कमल बहुत अच्छे प्रोड्यूसर हो सकते हैं मैने उनका काम देखा है। क्योंकि पहले भी मैं अमीन सयानी साहब के साथ काम कर चुका था। जब वे मेरा काम देख रहे थे तो मशीनों पर मेरा हाथ चलते देख कहते थे ये कहां से सीखा तुमने? काम करते हुए उनके साथ एक लम्बा गाना था जिसके बीच के दो स्टेंजा उड़ाने थे तो उन्होंने कहा ये कटना है पर रिदम नहीं कटनी चाहिए थी.. मैने कहा भाई कर लेंगे और मैने उनके सामने ही उनका वो काम कर दिया तो वे हैरान रह गये। मुझे याद है मेरा हाथ चूम लिया उन्होंने। उन दिनों रायपुर के ही आबिद अली प्रधान आए हुए थे मेरे पास मिलने स्टूडियो में। मुझे अमीन साहब ने गले लगाया कहा कि मैं तो अपने रिकार्डिस्ट जॉन को बोलूंगा। बाद में कब्बन मिर्जा साहब जिन्होंने गाना गाया है रजिया सुल्तान फिल्म का उनका बेटा इम्तियाज उसने मुझे बाद में बताया कि कमल भाई आपको मालूम है। रायसखेमा में भी जब आप का सलेक्शन हो गया था तब अमीन सयानी साहब ने कहा था कमल शर्मा बहुत अच्छी च्वाइस है...अब देखिये मुझे मालूम भी नहीं है और मेरे बारे में किसी सीनियर ने मेरे काम से प्रभावित होकर- एक तरह से सिफारिश कर दी थी। ये बात मुझे भीतर तक छू गई। अमीन सयानी साहब क्या है वे न के वल एक बहुत लीजेन्ड्री ब्रॉडकॉस्टर है बल्कि बहुत ही बेहतरीन इंसान भी हैं। उनका परिवार फ्रीडम मूवमेंट से जुड़ा हुआ था। उनकी मां जो थी महात्मा गाँधी उनको बेटी की तरह मानते थे। उनके घर से एक रिसाला ( पत्रिका) निकलता था। ये विदेश में काम करने का वो मौका भले ही छू ट गया भाई समीर – कि उसके बाद फिर हिन्दुस्तान का जो पहला ‘इंटरेक्टिव फोन इन प्रोग्राम’ था वो करने का मौका मिला। पहले इस तरह के प्रोग्राम रिकार्ड किये जाते थे... रिकार्ड तो हमारे समय भी किया गया पर इसमें श्रोताओं से सीधे जुड़ कर

बात होती थी और थोड़े से एडिटिंग के बाद एयर हो जाता था। बाद में तो इतिहास रचा उस प्रोग्राम ने । बिनाका गीत माला के बाद हिन्दुस्तान का सबसे ज्यादा पॉपुलर प्रोग्राम बन गया था ये। इसके बाद एक और पॉपुलर प्रोग्राम हुआ ‘हैलो फरमाइश’। फिर ऐसा ही एक और इंटरेक्टिव प्रोग्राम मैंने तब किया जब हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच युध्द हुआ-कारगिल युध्द। फौजियों के साथ करता था मैं उनके साथ इंटरेक्शन होता था। उस दौरान मुझे कै प्टन बत्रा से बात करने का मौका मिला। कै प्टन कालिया की माँ से बात करने का मौका मिला। हिन्दुस्तान के कोने-कोने से फौजियों से, उनके परिवार से बात होती थी। एक बार हम जैसलमेर गए थे राजस्थान में सीमा पर क्या बताऊं मैं कि ऐसे फौजियों ने मुझे गले गलाया ... मुझे तो बहुत ही इमोशनल कर दिया उन्होंने । जब युध्द समाप्त हुआ और ये प्रोग्राम भी खत्म हो गया और पॉपुलर बहुत था तो हमारे डायरेक्टर थे मिस्टर अशोक शर्मा जी- कहने लगे कमल जी इसकी जगह अब कु छ औऱ कीजिए इसके बदले

स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ में। तो हमने एक प्रोग्राम शुरू किया ‘जयमाला संदेश’जिसे मैं ही करता था, अब युध्द खत्म हो गया था.. हैलो कारगिल भी खत्म हो गया .. अब लोगों को इस टाइम चंक में इसकी आदत हो गई है। तो जयमाला संदेश शुरू किया... इसमें सैनिकों के परिवार वाले हमें चिट्ठियां लिखें और हम ये चिट्ठियां पढ़ेंगे..उस समय तो मोबाइल भी कहां थे.. और फिर जब ये कार्यक्रम शुरू हुआ तो पूछिये मत .. वो इतना भावप्रधान कार्यक्रम हो गया .. कि ऐसा कोई दिन नहीं बीता जब मेरी आंखें न भीगीं हों मेरा गला न रूं धा हो। जैसे एक बेटी ने लिखा था पापा – मैने सायकिल मांगी थी पर मुझे सायकिल नहीं चाहिए, मुझे कपड़े नहीं चाहिए ... मुझे आप चाहिए ..जल्दी आ जाओ न पापा...। इस तरह की बातें होती थीं। रो ही पड़ता था मैं तो । किसी तरह अपने को संयत करके काम करता था। रेडियो में तो सब लोग नौकरी करते थे पर मुझे उस समय लगा कि मेरा काम सार्थक हो गया। सच ...। एक बार जयपुर से फोन आया एक

फौजी का कहा मेरे हाथ में गोली लगी थी.. मेरा एक हाथ काट दिया गया है। मैं निशःब्द कहा उन्होंने... आराम कर कर रहा था, तो मैने पूछा अब क्या तो कहने लगे.... अब रेडियो में आप की आवाज सुन ली न अब ठीक होकर फिर जाएंगे लड़ने .. । यानी कमल शर्मा की आवाज मोटिवेट करती थी उन्हें जानकार अच्छा लगता था। क्या कहूं मैं.. ये जज्बा था ... और ऐसे काम्प्लिमेंट्स मिलते रहते थे। मुझे याद है उन दिनों एक हाँगकाँग से डॉली वाधवानी आई थी..मुझसे मिलने। हैलो फरमाइश सुनते थे शार्ट वेव में। उनकी एक सहेली थी जो बांद्रा में रहती थी। उसकी सहेली हैलो फरमाइश टेप में रिकार्ड कर कु रियर से हाँगकाँग भेजती थी। अब देखिए डॉली हांगकांग मंगवा कर उसे लंदन में अपनी एक दूसरी सहेली को भेजती थी जो कैं सर से जूझ रही थी। और वो कहती थी ये आवाज कमल शर्मा की मुझे बहुत अच्छी लगती है। इसी के सहारे मैं कैं सर की लड़ाई लड़ पा रही हूँ । इसी तरह यूएसए से हंसा बेन आईं एक बड़ा सा गिफ्ट हैंपर लेकर के जिसमें तरह तरह के चाकलेट और एक क्रास का निशान बना हुआ पेन लेकर के कहा ये आपके लिए ले आई हूँ। मैने कहा अरे नहीं हम लोग ये सब नहीं लेते हैं....तो कहा लेना ही पड़ेगा। कभी कोई महिला श्रोता आ जाती थीं स्टूडियो मिलने तो मुझे बताना पड़ता था कि मैं वहां नहीं हूँ... उनको लगता था कि ये प्रोग्राम सिर्फ उनके लिए कर रहा हूँ। एक बड़े बुजुर्ग ने एक दिन मुलुंड मुंबई से मुझे फोन किया... वो बड़ा मार्मिक था मेरे लिए .. कहने लगे बेटा मेरे परिवार ने मुझे घर से निकाल दिया है। अब मैं सीढ़ियों पर सोता हूँ बेटा.. मेरे पास सात लाख रुपये हैं। मैं वो तुमको देना चाहता हूँ मैं तो अवाक रह गया ... कहने लगे आप इसका जो भी करें ...ये हैलो फरमाइश कार्यक्रम सुन कर आए थे। इसी तरह एक मित्र ने मुझे फोन किया – कमल इस वक्त में चाइना सी में हूँ और शार्ट वेव पे तुम्हारा कार्यक्रम सुन रहा हूँ। विविधभारती तो ऋषि कपूर, अक्षय कु मार सब सुना करते थे। कहते थे आपका कार्यक्रम हम सुनते हैं बहुत अच्छा लगता है एक बार ऋषि कपूर ने कहा कि आप लोग एफएम पर क्यों नहीं आते ... आवाज में क्लीयेरिटी नहीं होती ... मजा नहीं आता इतना अच्छा प्रोग्राम है आपका वगैरह ...। अब ये जानना चाहते हैं आपसे कि क्या आज वाइस ओवर आर्टिस्ट बन के भी कै रियर बनाया जा सकता है। वाइस ओवर आर्टिस्ट के रुप में इतना स्कोप है आज की डेट में क्योंकि इतने सारे डिजिटल प्लैटफाॅर्म्स आ गए हैं। आडियो और वीडियो पॉड का जमाना है। जैसे रेडियो में आप एनांउसर होते हैं इसके अलावा आप कं सोलिडेटडे प्रोग्राम होते हैं स्पेशियल आडियेंस के लिए जैसे इंडस्ट्रीयल ब्रॉडकॉस्ट है- वीमंस एंड चिल्ड्रन उसमें काॅपीयर के रूप में जा सकते हैं। आप न्यूज रीडर बन सकते हैं। एक एनांउसर, एक

आप तो रिटायरमेंट के बाद भी सक्रिय हैं काम कर रहे हैं अभी भी ? बिल्कु ल.. क्या है न अब मैं निजी क्षेत्र में काम करने के लिए अपनी योग्यता साबित करनी पड़ती है... एकाध बार किसी को सिफारिश से काम मिल भी जाए पर अपने को साबित किये बिना यहां गुजारा नहीं है..। विविध भारती में काम करने का बहुत लाभ हुआ,.. कि कै से-कै से लोग ये सुनते थे... इसी से मधुबाला की छोटी बहन मधुर से मुलाकात हुई उन्होंने मुझे मधुबाला की छह साल की उम्र की रिकार्डिंग दी... उन पर प्रोग्राम किया तो इतनी खुश हुईं कि मेरा हाथ ही पकड़ लिया कहा ... आज मधुआपा जिंदा होती तो कितना खुश होतीं, कमल भैया आपने बहुत अच्छा प्रोग्राम किया। और एक बार मुझे फोन आया और कहा कि साहिर साहब की बहन बोल रही हूँ.. हमें उनकी अमुक रचना चाहिए थी...ये तो विविध भारती में ही पॉसिबल था.. उनको हमारी लाइब्रेरी से मदद चाहिए थी... साहिर साहब की कोई चीज चाहिए थी..। अभी भी रफी साहब के दामाद जो हैं परवेज साहब...उनको मैं भाई साहब कहता हूँ... ये लोग जब सुनते हैं कहते हैं कि वे मेरा प्रोग्राम सुनते हैं तो अच्छा लगता है...। एंकर बन सकते हैं। आप टीवी में एंकर बन सकते हैं... आप स्टेज में एंकरिंग कर सकते हैं। एक बहुत अच्छे वायस ओवर आर्टिस्ट के रूप में जो कार्पोरेट फिल्म्स बनती हैं उनमें यानी बड़ी कं पनियां अपने प्रमोशनल जो फिल्म बनाती हैं उसमें अपनी आवाज दे सकते हैं। जैसे वायस एक्टर के रूप में आप रेडियो-टेलीविजन के नाटकों में भी काम कर सकते हैं....। इसके अलावा हॉलीवुड की फिल्में हिन्दी और अन्य भाषाओं में ट्रांसलेट होती हैं उसमें आप आवाज़ दे सकते हैं। इसके अलावा वृत्तचित्र बनते हैं। जैसे रेलवे ने अपना वृतचित्र बनवाया अपनी कहानी, अपने इतिहास पर.. कु छ एजेंसीज़ हैं जो ये काम करवाती हैं आजकल तो मोबाइल पर ही सारा कु छ सर्च कर सकते हैं... तो संभावनाएं तो आज पहले से बहुत अधिक हैं। मैने स्टोरी टेल के लिए काम किया है। उनकी डिजिटल लाइब्रेरीज होती हैं... काम तो बहुत हैं। बड़े शहर की तेज रफ्तार जिंदगी के आदी हो जाने के बाद फिर वापस अपने शहर में लौटना कै सा लगता है ... तेज लय से फिर पुरानी लय को पकड़ने में उलझन होती है ? अब तो मैं मुबंई से रायपुर आ जाता हूँ और फिर लौट जाता हूँ.. मुझे लगता है कि हम ठहरे हुए समय के ज्यादा आदी रहे हैं और फिर मेरे बचपन का और जवानी का बहुत बड़ा हिस्सा रायपुर में बीता है, रायपुर और कई वजहों से भी मुझे बहुत पसंद है। मेरे बहुत सारे दोस्त इस शहर में हैं इस शहर की तासीर ऐसी है इस धरती की छत्तीसगढ़ की कि यहां के लोगों में बहुत खुलूस है, बहुत आत्मीयता है.... और ऐसा नहीं है कि जब हम बाहर से आते हैं तो रायपुर ऐसा नही हैं ये भी बहुत बदल गया है। बड़े शहरों की खूबियां तो हैं पर भाई उनकी त्रासदियां बहुत ज्यादा हैं... इसलिए जब मैं यहां आता हूँ तो मुझे बहुत शांति और सुकून मिलता है। तो बीच-बीच में मुंबई जाता हूँ, जाता हूं तो व्यस्त हो जाता हूँ…बढ़िया काम किया और फिर जैसे ही थोड़ा समय मिला फिर मैं यहां भाग के चला आता हूँ....कई बार तो यहां रायपुर में रिकॉर्डिंग कर लेता हूँ और ऑन लाइन फाइल भेज देता हूँ..। जिन दिनों आप इस नौकरी में गए तो एक मध्यमवर्गीय परिवार में ये आम पेशा नहीं

था...तो कई तरह की उलझनें रहीं होंगी... नौकरी के स्थायित्व को लेकर, तो कै से हैंडल किया आपने ? उलझने तो बेशुमार थीं, इससे पहले कोई इस तरह के काम में कोई रास्ता दिखाने वाला तो था नहीं... हां इतने संसाधन थे कि माता-पिता ने हमें बहुत अच्छे से पढ़ा-लिखा दिया ये बहुत बड़ी बात थी.. पिता हमारे बहुत बड़ी नौकरी में नहीं थे.. मैं जिस परिवार से आता था वो वैल्यूज में बिलीव करने वाला परिवार था.. ईमानदारी में विश्वास करने वाला... यूं कह सकते हैं कि कोई सिफारिश कर दे ये नहीं था यानी जो कु छ है वो सब आपको अपनी मेरिट से पाना है...। बाद में एडमिनिस्ट्रेटिव जॉब के लिए डिपार्टमेंट में एक्जाम भी हुए मैं बैठा भी पर चयन नहीं हुआ बावजूद इसके कि यूनिवर्सिटी में मेरिट में पोजिशन थीं...बीएससी किया, फिर बैचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस किया फिर बैचलर ऑफ जर्नलिज्म भी किया फिर हिन्दी लिटरेचर ...चलिए तो ये सब मेरे कै रियर में बड़े काम के साबित हुए ... रेडियो में तो कहते भी हैं कि आप मास्टर नहीं हैं चलता है पर -- यू शुड बी जैक ऑफ आल थिंग्स ....क्योंकि आप को रेडियो में हर फील्ड के लोगों से मिलना होता है..... मुबंई में तो सारे लीजेन्ड्स से मिलना हुआ... लता जी, देव साहब, दिलीपकु मार साहब, नौशाद जी,... धरम जी... सब से, न गया होता उस समय तो ये अवसर भी नहीं मिलता। ये तो पेशा था आपका पर इसके इतर आपकी अभिरुचियां कोई हॉबी... जो दिल के करीब हो? जी देखिए मैंने तो हमेशा से चाहा था कि कोई काम ऐसा हो जो मैं एंजाय करता हूं वही मेरी नौकरी का हिस्सा हो तो वो तो हो गया... मैं थियेटर में रहा, मेरी अभिरुचियां इसी ओर थीं... तो रेडियो के काम को मैंने एंजाय किया। इसके अलावा मैं थिएटर करता था.. रायपुर में उन दिनों मैं पहले इप्टा से जुड़ा, फिर अवंतिका से फिर रचना से ... करीब दस पन्द्रह बरस मैने थियेटर किया कई सारे नाटक किये। कविताएं लिखता था... पहली कविता दिनमान में छपी... कविता पोस्टर में रुचि थी, देशबंधु में बहुत सारी कविताएं ... फिर मुंबई में सबरंग में छपीं.. बीच बीच में लिखना छू ट जाता था... पर जब भी मैने अपने मित्रों को सुनाई है कविताएं, मेरी बहुत सराहना की है उन्होंने।

अप्रैल 2023 09 निरंतर पहल

मुलाकात

आरक्षण बिल पर राज्यपाल का रुख सकारात्मक : सीएम सीएम ने कहा राज्यपाल से किया आग्रह, राज्य के लोगों का हित प्रभावित न हो



राजभवन में जाकर राज्यपाल से की मुलाकात

ÁÁ रायपुर

ए राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचं दन से मुख्यमं त्री भूपेश बघेल ने 12 मार्च रविवार को राजभवन जाकर सौजन्य मुलाकात की। उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाकात के बाद राजभवन में अटके आरक्षण विधेयक पर कोई सकारात्मक फै सला हो सकता है। मिलने के बाद मुख्यमं त्री श्री बघेल ने कहा है कि राज्यपाल ने इस पर सकारात्मक फै सले का भरोसा दिलाया है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में आने वाली पीढ़ी का भविष्य प्रभावित न हो इसलिए जनहित में त्वरित निर्णय लेने का अनुरोध किया गया है। सीएम ने कहा राजभवन में अटके आरक्षण बिल समेत राज्यपाल को अन्य चार विधेयकों से भी उन्हें अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में प्रवेश के समय छात्र-छात्राओ ं को इसका लाभ मिलना चाहिए। आरक्षण सं शोधन विधेयक के अटकने से दिक्कत हो रही है। हमारी सरकारी भर्तियां रुकी हुईं हैं इसे भी तो शुरू करना है। हमने राज्यपाल से आग्रह किया है कि आरक्षण बिल विधानसभा में पारित हो चुका है। आपने नया पदभार ग्रहण किया है तो इसे आपके सं ज्ञान में लाना आवश्यक है। सीएम ने कहा कि राज्यपाल से आग्रह किया है कि इस पर त्वरित निर्णय हो ताकि देश और प्रदेश के हित में काम हो सके । राजनीति अपनी जगह है पर सब का उद्देश्य जनता का हित ही है। आरक्षण बिल अटकने से हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य प्रभावित हो रहा है। सीएम ने कहा कि इस चर्चा में राज्यपाल का रुख सकारात्मक रहा है। उन्होंने कहा कि वे इसका पहले अध्ययन कर लेते हैं । सीएम ने कहा कि राज्यपाल अनुभवी व्यक्ति हैं। उन्हें राजनीति और प्रशासनिक कामकाज का बेहतर अनुभव है। वे कानून मं त्री भी रह चुके हैं । हमें उम्मीद है वे राज्यहित में सकारात्मक फै सला जरूर करेंगे।

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रूके हुए तीन अन्य विधेयकों पर भी चर्चा सीएम बघेल ने कहा कि अन्य विधेयकों में एक विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक है। जिसमें राज्यमंत्री मंडल की अनुशंसा से संबंधित एक लाइन जोड़ना है। इसके साथ ही पत्रकारिता विश्वविद्यालय और जुआ सट्टा निषेध संबंधी विधेयक शामिल हैं। उन्होंने इन तीनों विधेयकों के बारे में भी राज्यपाल को अवगत करवाया।

ये झूठ बोलने वाले लोग हैं मुख्यमंत्री ने भाजपा और पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के पीएम आवास योजना को लेकर ट्वीट कर कहा है कि ये झूठ बोलने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि जब आर्थिक सर्वेक्षण होगा , जनगणना करवाएंगे तब तो पता चलेगा कि कितने नए हितग्राही किसी योजना के तैयार हो गए। इस लिए सिर्फ आवास ही नहीं कई योजनाओं से लोग वंचित हो गए हैं। इस मामले में भाजपा के लोग मौन हैं। हमने पहले ही कहा हुआ है कि केन्द्र सरकार यदि जनगणना नहीं कराएगी तो राज्य सरकार एक अप्रैल से आवास के लिए सर्वे शुरु करवाएगी। भाजपा के पास अब घड़ियाली आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं बचा है।

आरक्षण आरक्षण बिल विधानसभा से पारित होकर राजभवन में लंबित है नए राज्यपाल की नियुक्ति के बाद सीएम ने उन्हें भी इस विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है

अभिभाषण पर चर्चा के जवाब में सीएम बोले-

राजभवन का भाजपा ने किस तरह दुरुपयोग किया पूरा प्रदेश जानता हैः सीएम

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ख्यमं त्री भूपेश बघेल ने चार मार्च शनिवार को विधानसभा में आरक्षण बिल में हो रही देरी और कें द्र सरकार की आेर से जनगणना में हो रही देरी का जिक्र किया और चितं ा जाहिर की। सीएम बघेल ने कहा कि जनगणना समय पर नहीं होने से अनेक योजनाओं का लाभ नए हितग्राहियों को नहीं मिल पाते और वे इनसे वं चित रह जाते हैं। यदि कें द्र से समय पर ये काम पूरे नहीं होते तो राज्य सरकार ही यह काम करवा लेगी। सीएम ने कहा कि हम भाजपा की तरह घड़ियाली आंसू नहीं बहाते। मुख्यमं त्री विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृ तज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। सीएम ने आरक्षण के मामले में कहा कि इस मामले में राजभवन का किस तरह दरुु पयोग किया गया ये पूरा प्रदेश जानता है। इस विषय पर विपक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यहां राजभवन को चर्चा का विषय न बनाया जाए। इस पर सीएम ने पलटकर कहा कि राजभवन पर चर्चा की शुरुआत तो विपक्ष ने ही की थी। इस पर सदन में फिर हंगामा हुआ और विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। इसी के बाद सीएम बघेल ने कहा कि सन 2011 में जनगणना हुई थी इस दौरान पिछले 12 वर्षों में के न्द्र और राज्यप्रवर्तित योजनाओं को लागू करने से आम आदमी के जीवन पर

राजभवन में बहुत से विधेयक लंबित हैः सीएम बघेल मुख्यमंत्री ने कहा कि राजभवन में बहुत से विधेयक लंबित हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि नए राज्यपाल इसका त्वरित निराकरण करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने संविधान के अनुरुप आरक्षण का फैसला लिया है। राज्यपाल ने इस पर दस बिंदुओं पर जवाब मांगा था हमने वो उन्हें उपलब्ध करवा दिया था। सीएम ने कहा कि उन्हें इस तरह जवाब मांगने का अधिकार नहीं था फिर भी हमने उन्हें उनके सवालों के जवाब दिये। इसी विषय को लेकर हम कोर्ट भी गए और इस मामले में भाजपा के कतिपय नेता राजभवन के प्रवक्ता बने हुए थे।

क्या परिवर्तन हुए उसकी अपडेट जानकारी प्राप्त करना जरूरी है ताकि इन योजनाओं में इस अवधि में जुड़े सभी पात्र हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके । उन्होंने कहा कि के न्द्र सरकार को हमारा यह सुझाव है कि देश में विगत 12 वर्षों में निर्मित पक्के

आवास, शेष कच्चे अथवा एक कमरे वाले आवास, शौचालय निर्माण योजना, उज्ज्वला गैस योजना, किसानों की आय दोगुनी करने, शत प्रतिशत घरों के बिजली लगाने की योजनाओं के बारे में अपडेट लेकर सबसे पहले जरूरत का आकलन किया जाए।

अप्रैल 2023 11 निरंतर पहल

राहुल गांधी को

बयान पर मानहानि के लिए

दो साल की सजा

लोकसभा की सदस्यता भी ले ली गई फौरन ही बाद ÁÁ

रा

नई दिल्ली

हुल गांधी को उनके 2019 में दिए गए एक बयान के आधार एक प्रकरण में 23 मार्च को सूरत (गुजरात) की एक जिला अदालत ने उन पर आपराधिक मानहानि का दोष सिध्द मानते हुए दोषी करार दिया है और उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई है। हालांकि कोर्ट ने उनकी सजा को 30 दिनों के निलं बित रखा है और 15 हजार रुपये की बांड पर उन्हें जमानत मं जूर की है। कोर्ट ने राहुल गांधी को जो के रल के वायनाड से सांसद चुने गए हैं को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दोषी पाया है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एच एच वर्मा ने उन्हें उक्त मामले में

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अधिकतम सजा देते हुए यह बताया है कि उन पर रहम नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि इस मामले में राहुल को इससे कम सजा दी गई तो इससे समाज में गलत सं देश जाएगा। जज ने इस मामले का फै सला देने से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा पहले भी दिये गए –‘चौकीदार चोर है’ जैसे बयान पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई चेतावनी का जिक्र भी किया। ऐसी परिस्थिति में इससे कम सजा देने पर लोगों में गलत सं देश जाएगा और मानहानि के प्रकरण का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। फिर तो कोई भी किसी का अपमान करेगा। इस पर राहुल गांधी के वकील कीर्ति पनवाला ने यह दलील देते हुए कम सजा की गुहार लगाई कि उनका मुवक्किल किसी का अपमान नहीं करना चाहता था। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत कर्ता को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है और आरोपी को पहले किसी अपराध के लिए दोषी भी नहीं पाया गया है और न ही कभी किसी से माफी मांगी है। इधर कोर्ट ने फै सले के समय इस बात को भी रेखांकित किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को उसकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश करने को लेकर चेतावनी भी दी थी। राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह अपने बयान को पीएम मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी और अनिल अंबानी तक सीमित रख सकते थे, लेकिन उन्होंने तो जानबूझकर ऐसा बयान दिया जिससे मोदी उपनाम वाले किसी भी व्यक्ति को आहत करता है। यह अपमान मानहानि के बराबर है। आदेश में कोर्ट ने कहा कि वह एक सांसद हैं और उनकी ओर से दिए गए बयान का लोगों पर असर होता है। कोर्ट ने राहुल गांधी के बचाव में दिए गए इस दलील को भी खारिज किया कि शिकायतकर्ता की ओर से पेश किये गए इलेक्रॉनि ट् क सबूतों पेन ड्राइव और सीडी से छे ड़छाड़ हुई होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को उसकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश करने को लेकर चेतावनी भी दी थी। शीर्ष अदालत ने तो ‘चौकीदार चोर है’ वाले प्रकरण में माफी मांगने के बाद व्यवहार सुधारने की नसीहत भी दी थी। इसके बाद भी उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता है।

राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई राहुल गांधी को चार साल पुराने एक आपराधिक

मानहानि के मामले में सजा मिलने के एक दिन बाद 24 मार्च शुक्रवार को उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई। लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि के रल के वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल को सजा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है। ऐसा भारतीय सं विधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किया गया है। इससे पहले सूरत की एक जिला अदालत ने चार साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने 15 हजार का जुर्नमा ा भी लगाया था साथ ही सजा को 30 दिनों के लिए स्थगित भी किया गया था। यानी राहुल गांधी के पास सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक महीने का समय है। मामला साल 2019 का है जो मोदी सरनेम को लेकर राहुल गांधी द्वारा की गई एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है और जिसमें उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य नाम लेते हुए कहा था कि कै से सभी चोरों का नाम मोदी है। कोर्ट के इस फै सले से राहुल गांधी की सं सद की सदस्यता पर भी खतरा मं डराने लगा था। राहुल गांधी को जिस बयान के लिए दो साल की सजा दी गई है वो उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में दिया था। उन्होंने कथित तौर पर यह कहा था कि –सभी चोरों के नाम मोदी क्यों है। राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ भाजपा के पूर्श णे मोदी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था। पूर्श णे मोदी सूरत पश्चिम से भाजपा के विधायक हैं औऱ पेशे से वकील हैं भूपेंन्द्र पटेल की सरकार में मं त्री भी रह चुके हैं। पूर्श णे मोदी का आरोप था कि राहुल गांधी के उक्त बयान से पूरे मोदी समुदाय की मानहानि हुई है। इस मामले की सुनवाई सूरत की अदालत में हुई । सजा के ऐलान के बाद याचिकाकर्ता पूर्श णे मोदी ने मीडिया से बातचीत में कहा – हम इस फै सले का दिल से स्वागत करते हैं। दो साल की सजा से खुश हैं या नहीं ये बात नहीं है। ये सामाजिक आंदोलन की बात है। किसी जाति समाज के खिलाफ बयान नहीं देना चाहिए। बाकी हम इस पर अपने समाज में बैठकर चर्चा करेंगे। इधर राहुल गांधी के वकीलों की टीम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने कहा था वो किसी समुदाय को अपने बयान से ठे स नहीं पहुंचाना चाहते थे।

क्यों गई राहुल की सदस्यता

अनुच्छेद 102(1) औऱ 191(1) के अनुसार अगर सांसद या विधानसभा का कोई सदस्य , लाभ के किसी पद को लेता है, दिमागी रूप से अस्वस्थ है, दिवालिया है या फिर वैध भारतीय नागरिक नहीं है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। अयोग्यता का दूसरा नियम संविधान की दसवीं अनुसूची में है इसमें दल बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य करार दिये जाने का प्रावधान है इसके अलावा दूसरा नियम संविधान की दसवीं अनुसूची में है इसमें दल बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी संसद सदस्य या विधायक की सदस्यता जो सकती है। इसके तहत आपराधिक मामले में सजा पाने वाले सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द करने का प्रावधान है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में रामपुर में विधायक आज़म खान की अक्टूबर 2022 में सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उन्हें हेट स्पीच के मामले ने कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी। हालांकि जानकारों का कहना है कि इसमें मानहानि का मामला नहीं बनता।

सांसदी जाने के बाद प्रेस वार्ता में राहुल ने कहा

नाम मेरा गांधी है माफी नहीं मांगता

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के अगले दिन शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस की । छतीसगढ़ औऱ राजस्थान के मुख्यमं त्रियों के साथ आए राहुल गांधी ने माफी मांगने के मुद्दे पर कहा – मेरा नाम सावरकर नहीं है, गांधी है। गांधी किसी से माफी नहीं मांगता। राहुल ने कहा कि मैने लोकसभा के अध्यक्ष से कहा कि मुझे बोलने दिया जाए। एक बार तो बोलने दीजिए। मैंने दो बार चिट्ठी लिखी, तीसरी बार मिला भी उनसे लेकिन मुझे नहीं बोलने दिया गया। लोकसभा अध्यक्ष मुस्कराये और कहा- मैं यह नहीं कर सकता। राहुल गांधी ने कहा कि इस देश में लोकतं त्र खत्म हो गया है, वे लोकतं त्र की लड़ाई लड़ रहे हैं और डरने वाले नहीं हैं। ओबीसी के मुद्दे पर कहा भाजपा अदाणी से जुड़े मुद्दों सवालों से ध्यान हटाने के लिए इस समुदाय के अपमान का आरोप लगा रही है। राहुल कहा उन्होंने नरेन्द्र मोदी नहीं बल्कि अदाणी पर सवाल पूछा है। लेकिन लगता है भाजपा अदाणी को बचा रही है। मेरा सवाल है कि आप अदाणी को क्यों बचा रहे हैं। राहुल ने कहा कि वे अदाणी मुद्दे पर सवाल पूछते रहेंगे।

हम डरने वाले नहीं हैं ः सीएम बघेल मुख्यमं त्री भूपेश बघेल ने भी शनिवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के प्रेस कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। वहां से लौटकर रायपुर और बिलासपुर में मीडिया से बातचीत में उन्होंने राहुल गांधी से सं सद से बेदखली पर तीखी टिप्पणियां की। उन्होंने रायपुर में कहा कि विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। लोकसभा, राज्यसभा में आप रोक सकते हैं लेकिन जनता की अदालत तो खुली है। हम लोगों तक जाएं गे और उन्हें बताएं गे कि हम डरने वाले नहीं हैं। अब स्पष्ट है कि आरएसएस अपनी शताब्दी की जश्न मनाने से पहले भाजपा के जरिये भारत को पूरी तरह तानाशाही के गर्त में धके ल देना चाहता है। कांग्रेस पार्टी जब शक्तिशाली गोरों से नहीं डरी तो उनसे डरने का प्रश्न ही नहीं है। सीएम बघेल ने इसी के बाद बिलासपुर में कहा कि के न्द्र की सरकार के वल एक व्यक्ति से परेशान है, वह राहुल गांधी है। राहुल को परवाह नहीं कि वे लोकसभा के सदस्य रहेंगे या नहीं।

नाखून काटकर शहीद बनना चाहते हैं : भाजपा राहुल के प्रेस कांफ्रेंस के जवाब में भाजपा नेता रविशं कर प्रसाद ने पटना में कहा कि मजिस्ट्रेट के अदालत के फै सले पर स्टे लेने की कोई कोशिश नहीं की गई, क्योंकि कांग्रेस कर्नाटक चुनाव में इसका फायदा उठाना चाहती है। क्या वे नाखून काटकर शहीद दिखने की कोशिश कर रहे हैं। प्रसाद ने कहा कि – प्रेस वार्ता में राहुल ने कहा कि जो बोलता हूँ सोच समझकर बोलता हूँ तो क्या उन्होंने 2019 में जो बोला था वह सब सोचसमझ कर बोला था। प्रसाद ने आरोप लगाया कि - झठू बोलना राहुल की फितरत है, राहुल ने ओबीसी का अपमान किया।

सजा पर स्वतः अयोग्यता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

केरल के एक सामजिक कार्यकर्ता ने जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके तहत दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम दो साल की सजा होती है और जनप्रतिनिधि स्वतः ही अयोग्य हो जाते हैं। ताजा मामला राहुल गांधी से जुड़ा है और इसी के तहत उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त की गई। कहा गया है कि यह न्याय की सामान्य भावना के अनुकूल नहीं है कि किसी भी को दोषी ठहराने पर उसे अपनी बचाव का मौका दिए बिना ही उसके विरूध्द कार्रवाई कर दी जाए।

अप्रैल 2023 13 निरंतर पहल

विधानसभा

पीसीसी चीफ ने अपनी ही सरकार को घेरा

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रायपुर

त्ता पक्ष के विधायक औऱ पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने विधानसभा बजट सत्र के दू सरे चरण के पहले दिन अपनी ही सरकार के मं त्री को डीएमएफ फं ड को लेकर घेर लिया। उन्होंने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अफसर पर डीएमएफ फं ड के 7 करोड़ रुपये के बं दरबांट का आरोप लगाते हुए मांग की है कि इसकी जांच विधानसभा की कमेटी से कराई जाए। इधर विपक्ष ने देखा के मरकाम तो अपनी ही सरकार के खिलाफ हमलावर हो रहे हैं तो वह भी उनके साथ ही खड़ा हो गया। बात यहां तक पहुंची कि मं त्री के इस्तीफे की मांग कर डाली। इधर बात बिगड़ती देख जल सं साधन मं त्री रवीन्द्र चौबे ने मामले की जांच प्रदेश स्तर के अफसर से एक माह में कराने और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम ने प्रश्नकाल में कोंडागांव जिले में पं चायत विभाग के दो साल में किये गए काम की जानकारी मांगी। यह भी पूछा कि यहां कौन अफसर पदस्थ हैं और उनके पास अन्य विभाग का प्रभार भी है क्या ? मरकाम ने पूछा आरईएस निर्माण एजेंसी है पर क्या उसे सप्लाई का भी अधिकार है क्या ? इस सवाल पर मं त्री चौबे ने कहा कि कलेक्टर को विशेषाधिकार है वह किसी को भी नोडल बना सकता है। इस पर मरकाम ने सवाल पूछ लिया कि ईई के पद पर किसे पदस्थ किया गया है।

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डीएमएफ में गड़बड़ी का आरोप लगाया

विपक्ष ने दिया मरकाम का साथ

जब देखा कि कांग्रेस विधायक और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम अपनी ही सरकार पर हमलावर हुए जा रहे हैं तो विपक्ष के विधायक उनके साथ खड़े हो गए। शिवरतन शर्मा ने मंत्री से कहा कि आपकी पार्टी के अध्यक्ष इतना बड़ा आरोप लगा रहे हैं आपको तो इस्तीफा दे देना चाहिए। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा ये जो निर्माण एजेंसी है इसे क्रय करने का अधिकार है। वहीं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि पूरे प्रदेश में डीएमएफ फंड की बंदरबांट चल रही है। सदन की कमेटी से इसकी जांच की जानी चाहिए। जोगी कांग्रेस के विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि मरकाम आज भयमुक्त होकर बोल रहे हैं। अधिवेशन में फोटो नहीं लगाई.. वे हटने वाले हैं..... ऐसे बयान दिये तो इस तरह के सवाल भी होंगे..।

मुसीबत में मरकाम...

कांग्रेस के विरोधी गुट को मिला मौका, आलाकमान तक पहुंची सारी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष और कोंडागांव के विधायक मोहन मरकाम के विधानसभा सत्र के दौरान सात करोड़ रुपये के डीएमएफ घोटाले का मुद्दा उठाए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर जबरदस्त खलबली है। मरकाम ने इस मामले में गं भीर आरोप लगाते हुए विधायक दल से जांच की मांग कर डाली थी। इसे भाजपा विधायकों ने लपक लिया और सरकार को घेर लिया। अपनी ही पार्टी के जिम्मेदार विधायक द्वारा सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश से सत्ताधारी दल और सं गठन भी असहज स्थिति में है। बताया जा रहा है कि इसकी दस्तावेजों के साथ पूरी शिकायत कांग्रेस आलाकमान के पास भेज दी है। सूत्रों के अनुसार मुद्दे पर राज्य

सरकार के बड़े नेताओं और सरकार की नाराजगी मरकाम पर भारी भी पड़ सकती है। सं के त यही है कि आलाकमान चुनाव के पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बदलने पर फै सला कर सकता है। वैसे भी बतौर अध्यक्ष मरकाम का कार्यकाल खत्म हो चुका है। निरंतर पहल ने इस सं बं ध मे विधायक मरकाम से बात करने का प्रयास किया पर सं पर्क नहीं हो सका। इधर इस घटना के बाद कहा जा रहा है कि सं गठन में बदलाव को लेकर उठापटक तेज हो गई है। चुनावी साल में प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सं गठन पर भी दबाव बढ़ गया है। हाल में हुए कांग्रेस महाधिवेशन में सीड्ब्ल्यूसी के सदस्यों के चयन का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिये जाने के बाद विभिन्न स्तर पर बदलाव की सुगबुगाहट बढ़ गई है।

राजनीति

कमजोर प्रदर्शन वाले विधायकों की टिकट होगी खतरे में

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से-जैसे नवम्बर करीब आ रहा है पार्टियों में चुनाव को लेकर हलचल बढ़ने लगी है। सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने सं के त दे दिये हैं कि बजट सत्र के बाद पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में नज़र आएगी। मख्यमं त्री भूपेश बघेल अपने भेंट –मुलाकात कार्यक्रम के बाद शेष बची करीब तीन दर्जन सीटों पर दौरा शुरु करने वाले हैं। इसके पूरा होते ही उनका औऱ पार्टी का पूरा फोकस आगामी विधानसभा चुनाव पर ही होगा। घोषणापत्र की बातें तो सरकार ने पूरी कर दीं हैं और जो कु छ बच रहें हैं उन्हें भी पूरा करने पर जोर है पर फिर भी पार्टी अपने विधायकों के काम करने के तरीके और उनकी समुचित सफलता का टिकिट देने के पहले पूरा मूल्यांकन जरूर करेगी। चेहरे तय करने में उनका काम ही कसौटी पर होने वाला है। अलग-अलग मकसद से किए जा रहे सर्वे से लेकर कई अन्य तरीकों से कांग्रेस और खुद मुख्यमं त्री भूपेश बघेल ने सारे विधायकों की जानकारी और डाटा लेना शुरू कर दिया है। अब तक मिले रिपोर्ट्स के नतीजों और सं देशों को विधायकों के प्रदर्शन का आधार माना जा रहा है। उपलब्ध जानकारियों के आधार पर अब तक तो करीब 35 फीसदी माैजूदा विधायकों की टिकिट खतरे में पड़ती दिख रही है।

छत्तीसगढ़ पर पीएम मोदी की भी बारीक नज़र छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिहाज से जीत बहुत अहम है। इसलिए सीएम भूपेश बघेल जरा भी चांस लेने के पक्ष में नहीं हैं। जाहिर है इसी का साफ सं देश उन्होंने अपने नीचे भी दे दिया है। पीएम मोदी ने हाल ही में राजधानी दिल्ली में सीएम बघेल के साथ हुई मुलाकात में होली के कार्यक्रम में मुख्यमं त्री बघेल के फाग गायन का जिक्र किया उसे भी कांग्रेस एक अलग ही नजरिये से देख रही है। यानी यह पार्टी की नजर में यह इस बात का साफ सं के त है कि भाजपा का शीर्ष नेतत्व ृ राज्य में चल रही छोटीबड़ी सभी गतिविधियों पर कितनी पैनी नज़र रखे हुए है। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में लागू की गई कई योजनाओं को उनकी सफलता को देखते हुए भाजपा उनके नाम में थोड़ा बहुत अंतर करके दू सरे भाजपा शासित राज्यों में लागू कर रही है। जैसे छत्तीसगढ़ में रामायण पाठ की योजना बनी तो फौरन उत्तरप्रदेश में दर्गा ु सप्त शती के पाठ और दू सरे धार्मिक काम की योजना भी बन गई। कौशल विकास के लिए छत्तीसगढ़ में टाटा समूह के सहयोगी उपक्रम के साथ भूपेश सरकार ने एमओयू किया तो ठीक इसी तरह का काम उत्तरप्रदेश में योजना लाकर शुरू कर दिया गया। कई और योजनाओं पर भाजपा शासित राज्यों में काम चालू हो गया है।

अब कांग्रेस पूरी तरह चुनावी मोड़ में दिखेगी अंतिम समीक्षा जल्दी ही कोई जोखिम नहीं लेगी पार्टी

ज्यादातर नए चेहरे

पार्टी ने जिन विधायकों को उनके कामकाज के बारे में चेताया था उनमें से ज्यादातर तो पहली ही बार चुन कर आए थे। तो कायदे से उनको शायद इस बारे में ज्यादा बातें मालूम नहीं थीं। इससे पहले दी गई हिदायतों के बाद कुछ नए विधायकों ने इसे गंभीरता से लिया और अपना कामकाज सुधारने में सफल रहे वहीं कुछ क्षेत्रों में विधायक ज्यादा कुछ नहीं कर पाये।

सरकार से नाराजगी नहीं पर विधायक से चिंता अब तक कांग्रेस पार्टी को अपने कामकाज के फीडबैक से लगता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार के चार साल के कामकॉज को लेकर किसी तरह की कोई बड़ी नाराजगी या असंतोष नहीं है जिस तरह का आक्रोश 2018 के पहले तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ दिख रहा था। इसके बावजूद

स्थानीय स्तर पर कुछ विधायकों के मामले में स्थिति एकदम उलट है। इधर विधानसभा खत्म होने के बाद कमजोर परफारमेंस वाले ऐसे विधायकों के सामने बमुश्किल एक माह का ही समय होगा। इसके बाद कांग्रेस संगठन में सियासी गतिविधिया बढ़ेंगी।वहीं एक-एक सीट को लेकर पूर्व में तय रणनीतिकारों को आगे बढ़ाया जाएगा।

75 का लक्ष्य लेकर चल रही कांग्रेस पंद्रह साल तक भाजपा के हाथों में सत्ता की कमान रहने के बाद जब कांग्रेस को नवंबर 2018 में सत्ता मिली तब इनके पास रिकार्ड विधायकों की संख्या थी। इस बार भी कांग्रेस 75 का लक्ष्य लेकर चल रही है। कांग्रेस के रणनीतिकार एक-एक सीट पर मतदाताओं का मानस पटल टटोल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पार्टी बिना विधायकों का काम देखे इस बार कोई चांस नहीं लेना चाहती । सूत्रों का दावा तो यह भी है कि सीएम भूपेश बघेल अपने भेंट –मुलाकात कार्यक्रमों के दौरान कई स्तरों के फीड बैक के साथ उन जगहों में विधायकों की परफारमेंस रिपोर्ट तैयार कर ली है। इतना ही नहीं कमजोर विधायकों को पहले ही इशारा कर दिया गया था कि वे समय रहते अपना काम सुधार लें। कहा जा रहा है कि इस तरह मौके मिलने के बाद भी कई विधानसभा क्षेत्रों में कामकाज को लेकर रणनीतिकार संतुष्ट नहीं हैं। कहा जा रहा है इस तरह करीब 35 फीसदी विधायकों को अंतिम अवसर दिया जा रहा है। यदि इन विधायकों ने समय रहते स्थिति नहीं सुधारी तो उनका टिकिट कटना तय है।

अप्रैल 2023 15 निरंतर पहल

विधानसभा मुख्यमंत्री बघेल की घोषणा

केन्द्र ने जनगणना नहीं कराई तो हम कराएंगे बेघरों का सर्वे

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ÁÁ रायपुर

धानसभा में चार मार्च शनिवार को ही राज्यपाल के अभिभाषण पर पक्ष विपक्ष की चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमं त्री भूपेश बघेल ने एक बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यदि के न्द्र सरकार जनगणना नहीं कराएगी तो 1 अप्रैल से 30 जून तक राज्य सरकार खुद ही आवासहीनों का सर्वे करवाएगी। के न्द्र सरकार ऐसे लोगों को मकान नहीं देगी तो हम उन्हें पक्के मकान देंगे। सीएम बघेल ने कहा कि 2011 के बाद कितने पक्के मकान बने हैं उस बात की जानकारी जुटाएं गे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के लोगों की हितों की रक्षा के लिए हर प्रयास करेगी। सीएम ने कहा कि आवास की बात करें तो जरूरी नहीं कि जनगणना हो। जनगणना के लिए प्रधानमं त्री के पास भाजपा के नेता चलें पर ये नहीं चलेंगे। बस गरीबों और मजदू रों को भड़काने का काम करेंगे। हम चाहते तो हैं कि गरीबों की मदद हो पर डाटा ही नहीं है। 2011 के बाद जनगणना ही नहीं हुई है। मैंने प्रधानमं त्री जी को भी पत्र लिखा है। मैं गरीबों को मकान देना चाहता हूँ । सीएम ने आरोप भी लगाया कि हर योजना प्रधानमं त्री के नाम पर है लेकिन आधी राशि तो राज्य को देनी होती है। मुख्यमं त्री ने कहा कि प्रधानमं त्री ग्रामीण आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ में 8 लाख 44 हजार मकान पूर्ण किये जा चुके हैं। इस योजना में राज्य के 11 लाख 76 हजार 150 आवासों के लक्ष्य के विरूध्द 11 लाख 76 हजार 067 मकान को ही स्वीकृति दी जा चुकी है जो लक्ष्य का 99.99 प्रतिशत है। आवासों में पूर्णता के प्रतिशत में छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, के रल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पं जाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखण्ड, आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक राज्यों से अपेक्षाकृ त बहुत बेहतर स्थिति में है। छत्तीसगढ़ में लक्ष्य से 71. 79 प्रतिशत आवास पूर्ण किये जा चुके हैं। मुख्यमं त्री बघेल ने राज्यपाल विश्वभूषण हिरचं दन के प्रति कृ तज्ञता प्रदर्शित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच प्रगाढ़ सं बं ध रहे हैं। दोनों राज्यों के बीच भोगोलिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक सं बं ध रहे हैं। हमारे राज्यपाल ओडिशा से हैं अतः उनके अनुभवों का लाभ छत्तीसगढ़ को मिलेगा।

निरंतर पहल

16

अप्रैल 2023

छत्तीसगढ़ में बेघरों को खोजेगी प्रदेश सरकार, फिर पक्के मकान देगी

के न्द्र ने राज्य सरकार के लिखे पत्रों का जवाब नहीं दिया- सीएम

{ वर्मी कंपोस्ट को लेकर नीति आयोग को पत्र लिखा, अब तक जवाब नहीं आया। { लाख उत्पादन के लिए भी केन्द्र को पत्र लिखा लेकिन जवाब नहीं आया। { मंडी शुल्क और कृषक कल्याण शुल्क के लिए केन्द्र से कहा पर सुनने को राजी नहीं। { पीएम सड़क में भी ग्रामीण मंत्रालय में समय बढ़ाने कहा जवाब नहीं आया। { अंतरराष्ट्रीय एयर पोर्ट और कार्गो हब के

लिए केन्द्र से कहा सुनवाई नहीं हुई। { पुलिस के आधुनिकीकरण को लेकर हमारे सुझावों पर सुनवाई नहीं हो रही। { खनिज से राज्य को मिलने वाली राॅयल्टी 4 हजार करोड़ केन्द्र नहीं दे रहा। { कोयले के ग्रेड के हिसाब से राॅयल्टी देने के सुझाव पर कोई सुनवाई नहीं हो हुई। { यात्री ट्रेनों को बंद कर कोयला दूसरे राज्यों को भेज रहे, उद्योगों के घाटे पर सुनवाई नहीं

नेता प्रतिपक्ष चंदेल ने सरकार पर उठाए सवाल नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने प्रधानमंत्री आवास, बेरोजगारी, कर्मचारियों के नियमितिकरण समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरा। श्री चंदेल ने कहा सरकार ने हर वर्ग को ठगा है। प्रशासन का राजनीतिकरण और राजनीति का अपराधीकरण हो गया है। सरकार का खजाना खाली है औऱ अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रही महिलाएं तीन महीने से आंदोलन पर हैं।

अप्रैल 2023 16 निरंतर पहल

इनोवेशन

ऑटो को ही घर में तब्दील कर दिया तमिलनाडु के नामक्कल में परमथी वेल्लोर के रहने वाले अरुण को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 5 महीने का समय लगा है।

घू

ÁÁवेल्लोर

मने के लिए आपको घर छोड़कर जाना होता और फिर मं जिल पर जाकर होटल कहां मिलेगा, खाना कै सा मिलेगा, यह सवाल मन में आते हैं। मगर, एक शख्स ने बजाज ऑटो को ही घर में तब्दील कर दिया है। यह अपनी तरह का पहला मामला है क्यों कि कारों या ट्रकों को घरों में ट्रांसफार्म करवाते हुए आपने कई लोगों को देखा होगा। मगर, आपने कभी किसी थ्रीव्हीलर को घर में बदलने के बारे में सुना या देखा नहीं होगा। बजाज ऑटो को घर में तब्दील कर दिखाया है 23 साल के युवक पीआर अरुण प्रभु ने।

उन्होंने सेकेंड हैंड बजाज आई थ्री-व्हीलर पिकअप को एक घर में बदल कर ‘कॉन्सेप्ट होम ऑन व्हील्स प्रोजेक्ट’ को हकीकत बना दिया। तमिलनाडु के नामक्कल में परमथी वेल्लोर के रहने वाले अरुण को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 5 महीने का समय लगा है। बेंगलुरु की डिजाइन और आर्किटेक्ट कं पनी बिलबोर्ड से जुड़कर अरुण ने यह ‘जुगाड़’ बनाया है। उनकी प्रतिभा ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि, यह काम जितना दिख रहा है, उतना आसान नही था। उन्होंने लगभग पांच महीनों में कु छ लाख रुपए खर्च कर इसे मूर्त रूप दिया है। अरुण अपने जीवन में कु छ नया करना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने होम ऑन व्हील्स पर कु छ करने का फै सला किया। अब तक ‘होम ऑन

व्हील्स’ का चलन के वल चार पहिया वाहनों तक ही सीमित था। उन्होंने थ्री-व्हीलर पर होम ऑन व्हील्स के कॉन्सेप्ट को बना दिया है। हालांकि, उनके बनाए गए थ्री-व्हीलर हाउस में स्थिरता और जगह की कमी है, लेकिन फिर भी यह अपने आप में अद्तभु है। इसे बनाने के लिए अरुण ने पुराने थ्री-व्हीलर का इस्तेमाल किया। उनके तिपहिया घर में एक बेडरूम, बाथरूम, रसोई, कार्यक्षेत्र, वॉटर हीटर और यहां तक कि शौचालय भी है। कु ल मिलाकर, उन्होंने तीन-पहिया वाहन पर एक कमरे का घर बनाया। उनके घर में 250 लीटर का पानी का टैंक, 600 वॉट का सोलर पैनल और बाहर की तरफ बैटरी, अलमारी, हैंगर, दरवाजे और सीढ़ियां हैं।

अप्रैल 2023 17 निरंतर पहल

अवार्ड

ऑस्कर में भारत का परचम

नाटु- नाटु बेस्ट ओरिजनल सांग, एलिफें ट व्हिसपर्स बेस्ट शार्ट मूवी



ÁÁ लॉस एंजेलिस

हां के डाल्बी थियेटर में आयोजित 95 वें ऑस्कर्स अवार्ड्स में पहली बारर दो –दो भारतीय फिल्मों को ऑस्कर से नवाजा गया है। यह पूरे देश के लिए गर्व का मौका है। अब तक 15 अंतरराष्ट्रीय अवार्ड जीत चुकी फिल्म आरआरआर के ‘नाटु –नाटु’ गाने को बेस्ट ओरिजिनल कै टेगरी में और एलिफें ट व्हिसपरर्स को बेस्ट डाक्युमेंट्री शार्ट फिल्म कै टेगरी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया। यह पहला मौका नहीं है बल्कि आज से 15 साल पहले 2008 में स्लम डाग मिलिनियर्स के गाने - जय हो के लिए ए. आर. रहमान को बेस्ट ओरिजनल सांग्स के लिए ऑस्कर मिला था। मगर वह एक ब्रिटिश फिल्म थी। इसके अलावा मलेशियाई मूल की मिशेल योह ऑस्कर में बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड जीतने वाली पहली एशियाई महिला बन गई हैं। इधर भारतीय अभिनेत्री दीपिका पादक ु ोण ऑस्कर समारोह में बतौर प्रस्तुतकर्ता शामिल हुईं। यह सभी को पता है कि ‘नाटु नाटु’ गाना तो दो साल पहले दस नवम्बर 2021 को रिलीज हुआ था। खास बात ये रही कि इसके रिलीज के महज 24 घं टों में इस गाने के तमिल वर्जन को यू ट्यूब पर 1.7 करोड़ व्यूज़ मिले। सभी पांच भाषाओं में कु ल व्यूज़ 3.5 करोड़ थे। फिलहाल सिर्फ हिन्दी वर्जन के यू ट्यूब पर इस गाने के 26.5 करोड़ व्यूज़ के साथ 25 लाख लाइक्स भी हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने नाटु-नाटु और एलिफें ट व्हिस्परर्स को ऑस्कर जीतने पर बधाई दी है। पीएम ने कहा कि नाटु-नाटु की लोकप्रियता वैश्विक है। इस गाने को आने वाले कई सालों तक याद किया जाएगा।

निरंतर पहल

18

अप्रैल 2023

कै से बना ‘नाटु-नाटु.’....

4 मिनट 35 सेकंड्स के गाने के लिए 20 दिन शूटिंग्स, 43 रीटेक, 20 गाने लिखे गए • सं गीतकार एमएस किरमानी ने गाने का 90 फीसदी हिस्सा के वल आधे दिन में पूरा कर लिया था। लेकिन 10 प्रतिशत बचा हुआ भाग पूरा करने में 19 महीने लगे। • डायरेक्टर राज मौली ने 4 मिनट 35 सेकंड्स के गाने की शूटिंग्समें20 दिन और 43 रीटेक्स लगाए।

• गीतकार चं द्रबोस ने आरआरआर के लिए 20 गाने लिखे थे पर इन सभी ने नाटु-नाटु ही फाइनल किया गया। • कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित को इसे करने में 2 महीने लगे थे। 50 पार्श्व नर्तक और 400 कनिष्ठ कलाकार थे। इसके साथ ही हुक स्टेप्स के लिए 110 मूव्हस बनाये थे।

• अगस्त 2021 में यूक्रेन और कीव में स्थित प्रेसिडेंट जेलेंस्की के घर मारिस्की पैलेस में ‘नाटु-नाटु’ गाने की शूटिंग हुई थी। इस शूटिंग के लिए जेलेंस्की से विशेष मं जूरी लेनी ं खुद ही एक टीवी कलाकार रह चुके हैं इसलिए उन्होंने इसकी पड़ी थी। चूंकि जेलिस्की अनुमति दे दी।

‘एवरीथिंग एवरीव्हेयर ऑल एट वंस’को रिकॉर्ड सात अवार्ड मिले बेस्ट फिल्म

- 12 में नॉमिनेट 7 में जीते

बेस्ट डायरेक्टर

- डेनियल क्वान, शेइनर्ट

बेस्ट लीड एक्ट्रेस

- मिशेल योह

बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस

- जेमी ली कंर्टिस

बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर

- के हुई क्वान

बेस्ट राइटिंग

- डेनियल क्वान, शेइनर्ट

बेस्ट फिल्म एडिटिंग

- पॉल राजर्स

बेस्ट एक्टर

- ब्रैंडन फ्रासरक ( व्हेल)

बेस्ट विजुअव इफेक्ट्स - कैमरून की अवतार द वे

ऑफ वॉट को मिला।

नए नियम

कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में ऊर्जा बचाना और प्रदूषण घटाना जरूरी



ÁÁ रायपुर

र्जा सं रक्षण की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए अब शहरों के तमाम व्यावसायिक भवनों इसके उपाय करने होंगे। अब इस वर्ग में आने वाले सभी भवनों को एनर्जी कं जर्वेशन बिल्डगिं कोड यानी (ईसीबीसी) का पालन करना अनिवार्य होगा। बताते चलें कि के न्द्रीय ऊर्जा मं त्रालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को ईसीबीसी कोड जारी कर दिया है। यह कोड अब से प्रदेश में बनने वाले सभी कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, मॉल, स्टार होटल्स, अस्पतालस, थियेटर –मल्टीप्क्स ले तथा बड़े व्यावसायिक दफ्तरों ( कॉर्पोर�ेट आफिस ) पर लागू होगा। अब ये इस वर्ग में आने वाले सभी बिल्डगिं इस तरह बनेंगे कि इनमें इस्तेमाल होने वाली बिजली की खपत 30 फीसदी तक कम की जा सके । इस तरह के भवनों के डिज़ाइन के लिए पहले अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) से एनओसी लेनी होगी। इसका मतलब है कि ईसीबीसी कोड वहीं से जारी करवाना होगा। इस प्रक्रिया के पालन के बाद ही इन भवनों के नक्शे पास हो सकें गे। के न्द्र सरकार अपने से सं बं धित इस तरह के भवनों के लिए 2018 से ही ईसीबीसी कोड अनिवार्य कर चुकी है। वहीं से मं जूरी के बाद छत्तीसगढ़ में यह अनिवार्यता अब लागू की गई है। इसके अनुसार अब प्रदेश में कॉम्प्लेक्स, मॉल, अस्पताल और सभी बड़े व्यावसायिक दफ्तर इस तरह से डिजाइन करने होंगे कि इनमें बाहर की गर्मी भीतर प्रवेश न कर सके । साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इनमें सुबह से शाम तक इतनी रोशनी भीतर जाये कि दिन में इनमें कम से कम बिजली का इस्तेमाल करने की जरूरत हो। इन भवनों में सोलर जैसे रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट भी लगाने होंगे। बता दें कि के न्द्र सरकार के बिजली मं त्रालय ने 2017 में ही सं शोधित ऊर्जा सं रक्षण भवन सं हिता बनाई थी।

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हजार वर्गमीटर या ज्यादा क्षेत्रफल के भवन के लिए ये सब जरूरी होंगे

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किलोवॉट बिजली का लोड हो। साथ ही 60 किलोवॉट का कांट्क्ट रै डिमांड।

ईसीबीसी कोड पालन की शर्त पर ही पास होगें सभी कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, मॉल, स्टार होटल्स, हॉस्पिटल्स, थियेटर – मल्टीप्लेक्स तथा बड़े व्यावसायिक दफ्तरों के नक्शे

देशभर में बचेगी बिजली केन्द्रीय बिजली मंत्रालय के मुताबिक ईसीबीसी 2007 लागू होने से 2030 तक लगभग 300 अरब ईकाइयों की ऊर्जा बचत होगी । वहीं दूसरी ओर एक साल में ऊर्जा की मांग में 15 मेगावाट से अधिक की कमी आएगी। यानी इससे लगभग 35000 करोड़ रुपयों की बचत हो सकेगी।

हैदराबाद की फर्म बनाएगी पोर्टल हैदराबाद का एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज इंडिया सीजी- ईसीबीसी के तहत क्रेडा के लिए एक पोर्टल तैयार करेगा। इस पोर्टल को कंपनी ही मेंटेन करेगी। यह पोर्टल भवनों को परमिशन देने वाले अरबन डेवलेपमेंट विभाग की साइट से लिंक होगा।

ईसीबीसी कोड यानी भवनों में ऊर्जा बचाने की अनिवार्यता केन्द्र ने एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोड (ईसीबीसी) लांच किया था। छत्तीसगढ़ में इसे सीजी-ईसीबीसी कोड 2022 नाम दिया गया है। ईसीबीसी यानी ऐसे भवनों का निर्माण जिसमें ऊर्जा की बचत हो सके इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि इसमे दिन में ही पर्याप्त सूर्य की रोशनी और प्राकृतिक हवा पहुंचे। इसका उद्देश्य ऊर्जा की खपत कम करके खर्च कम करना है। इससे प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। अभी यह कोड 19 राज्यों औऱ 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू है। केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को ईसीबीसी कोड दे दिया है। नियम जल्द ही तैयार कर लिए जाएंगे। ईसीबीसी कोड लागू होने से भवनों में ऊर्जा की खपत कम होगी और प्रदूषण भी कम होगा। आलोक कटियार, सीईओ क्रेडा

अप्रैल 2023 19 निरंतर पहल

तनाव

छावनी बना लाहौर पुलिस ने लाठी चार्ज किया, आंसू गैस दागी

इमरान का गिरफ्तारी वारंट, पुलिस से भिड़े समर्थक

ÁÁ इस्लामाबाद / लाहौर

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किस्तान में हालात खराब से खराबतर होते जा रहंे हैं। यहां एक बार फिर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमं त्री इमरान खान की गिरफ्तारी वारंट लेकर पहुंची पुलिस पर इमरान समर्थक और पुलिस मं गलवार 14 मार्च को आमने सामने हो गए। लाहौर के जमान पार्क स्थित इमरान के आवास के बाहर देर रात तक उनके समर्थक पुलिस पर पत्थरबारी करते रहे। पुलिस ने भी जवाब में लाठी चार्ज की और आंसू गैसे के गोले छोड़े। इस्लामाबाद डीआईजी सहित दर्जनों पुलिस कर्मी और अफसर घायल हो गए। बताया गया है कि इस्लामाबाद की तोशाखाना के स में इमरान के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर 18 मार्च को कोर्ट में पेशी के आदेश दिये हैं। गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ इमरान की अपील पर कोर्ट ने दू सरे दिन बुधवार 15 मार्च को सुनवाई की। बताया गया कि पिछले दस दिनों यह दू सरी बार है जब पुलिस पूर्व प्रधानमं त्री इमरान खान को गिरफ्तार करने पहुंची। इस बीच इमरान खान ने अपने घर से समर्थकों से आजादी के लिए सं घर्ष जारी रखने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किए। उन्होंने समर्थकों से जमान पार्क के बाहर जमा होने की अपील की। पुलिस ने एहतियातन बैरिके ड्स लगाए और जमान पार्क के आसपास के इलाके में इं टरनेट सर्विस ब्लाक कर दी गई ।

इमरान समर्थकों का कई शहरों में प्रदर्शन इमरान की गिरफ्तारी की आशं का में पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक ए इं साफ) पार्टी के कार्यकर्ताओं का लाहौर सहित कराची, पेशावर, क्वे टा, फै सलाबाद, मुल्तान, सियालकोट और सरगोधा सहित कई छोटे- बड़े शहरों में प्रदर्शन हुए। इमरान की सियासी पार्टी पीटीआई के कार्यकर्ताओं ने कई जगह जाम भी लगा दिये। प्रधानमं त्री शहबाज शरीफ और पीएमएनएल की नेता मरियम नवाज शरीफ के खिलाफ नारेबाजी की गई। पुलिस ने पीटीआई के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को विभिन्न शहरों में गिरफ्तार किया।

क्या है तोशाखाना विवाद बतौर प्रधानमं त्री इमरान को उनकी विदेश यात्राओ ं के दौरान मिले साढ़े 14 करोड़ रुपये मूल्य के उपहार तोशाखाना में जमा थे। आरोप है कि इमरान खान ने तोशाखाना में जमा किये उपहारों को सस्ते में ( 2. 15 करोड़ ) रुपये में खरीद लिया। फिर ज्यादा कीमत में बाज़ार में उन्हें बेच दिया। पीएम शहबाज शऱीफ ने सत्ता स्म्हालने के बाद इमरान खान के खिलाफ तोशाखाना के स दर्ज करवा दिया।

निरंतर पहल

20

अप्रैल 2023

ब्रिटेन में भारत की आपत्ति के बाद भारतीय मिशन की सुरक्षा बढ़ाई

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ÁÁ लंदन

रतीय उच्चायोग लं दन में तिरंगे का अपमान करने और तोड़फोड़ की घटना के बाद भारत ने इस पर गहरी आपत्ति जताई है। इस तरह कड़ी आपत्ति के बाद ब्रिटिश अफसरों ने घटना को गं भीरता से लिया है। भारतीय मिशन के करीब ब्रिटेन में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अधिकारियों ने यहां अलगाववादी खालिस्तानी झं डा लहराने वालों को और उच्चायोग में हुई घटना को शर्मनाक और अस्वीकार्य बताया है। कहा है कि ब्रिटिश सरकार मिशन की सुरक्षा को गं भीरता से लेगी। भारत की कड़ी आपत्ति के बाद अफसरों ने यह भी कहा है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले 19 मार्च रविवार शाम को लं दन में खालिस्तानी झं डे लहराते हुए और खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने भारतीय उच्चायोग पर लगे तिरंगे को उतारने की कोशिश जिसमें वे नाकाम रहे औऱ तिरंगा वहां लहराता रहा। मेट्रोपोलिटन पुलिस ने बताया कि इस दौरान सुरक्षा स्टाफ के दो सदस्यों को मामूली चोटें आई है लेकिन उन्हें अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ी। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए लं दन के मेयर सादिक खान ने - हिसं क अव्यवस्था और तोड़फोड़ की निदं ा की है। उन्होंने ट्वीट किया कि हमारे शहर में इस तरह के बर्ताव के लिए कोई जगह नहीं है। भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने इस घटना को शर्मनाक और पूर्णतः अस्वीकार्य बताया है। विदेश मं त्रालय ने लार्ड तारिक अहमद से कहा है कि वे स्तब्ध हैं और सरकार भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को गं भीरता से लेगी।

कांग्रेस ने घटना की निंदा की है इधर नई दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ब्रिटेन मं - भारतीय मिशन में हुई घटना की तीखी निदं ा की है और सरकार से तत्काल जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने की अपील की है। शशि थरूर ने भारत सरकार से मेजबान देशों के साथ भारतीय मिशनों की सुरक्षा का मामला उठाने की मांग की है।

खिड़कियां तोड़ी, एक गिरफ्तार

स्कॉटलैंड यार्ड ने कहा है कि उसने 20 मार्च को हिसं ा की खबरें मिलने के बाद एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और जाँच अभी जारी है। मेट्रोपोलिटन पुलिस ने कहा कि उच्चायोग की इमारत की खिड़कियां तोड़ी गईं। हिसं ा होने के थोड़ी देर बाद नजदीकी जगह से एक सं दिग्ध की गिरफ्तारी भी की गई। टू टी हुई खिड़कियां और इं डिया हाउस की इमारत पर चढ़ने वाले लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। एक प्रदर्शनकारी झं डा खींचता हुआ दिख रहा है, जबकि वह खालिस्तानी झं डा लहराता हुआ दिख रहा है।

मामला

‘न्यायाधीश प्रशासनिक नियुक्तियां करेंगे’ तो फैसले कौन देगा : कानून मंत्री

कानून मंत्री ने सुप्रीमकोर्ट को याद दिलाई लक्ष्मण रेखा, चुनाव आयुक्तों से जुड़े आदेश का मामला

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ÁÁ नई दिल्ली

नून मं त्री लगातार न्यायपालिका के काम को लेकर पिछले कु छ महीनों से तल्ख बने हुए हैं। मं त्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट को सं विधान में उल्लेखित लक्ष्मण रेखा की याद दिलाते हुए कहा कि अगर न्यायाधीश प्रशासनिक नियुक्तियों का हिस्सा बनेंगे तो फै सले कौन करेगा। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण रेखा कार्यपालिका और न्यायपालिका सहित विभिन्न सं स्थाओं का मार्गदर्शन करती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सरकार को दिए गए निर्देश को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब में कानून मं त्री ने यह बात कही। एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में मं त्री रिजिजू ने कहा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सं विधान में निर्धारित है। इसे लेकर सं सद को कानून बनाना है। मैं सहमत हूँ कि कानून नहीं बनने से खालीपन आया है। लेकिन यह विषय सुप्रीम कोर्ट में किसी विवाद के बाद नहीं आया बल्कि कु छ लोगों ने जनहित याचिका लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः सं ज्ञान लेकर सं विधान पीठ बना दी। मैं कोर्ट की आलोचना नहीं कर रहा न ही

सरकार इस पर क्या करने जा रही है इस पर कोई बात कर रहा हूँ ।

कु छ पूर्व जज औऱ एक्टिविस्ट चाहते हैं कि अदालतें विपक्ष की भूमिका निभाएं मं त्री रिजिजू ने कहा कु छ पूर्व जज औऱ एक्टिविस्ट की कोशिश है कि न्यायपालिका देश में विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाए। मं त्री ने कहा कि वर्तमान और पूर्व न्यायाधीश के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के साथ मेरे बेहतरीन रिश्ते हैं। कु छ पूर्व जज हैं शायद तीन या चार और भारत विरोधी गिरोह में शामिल कु छ एक्टिविस्ट जो लगातार ऐसे प्रयास में जुटे हैं।

नई व्यवस्था तक कोलेजियम को मानेंगे

मं त्री रिजिजू ने कहा कि कोलेजियम कॉंग्रेस की गलतियों की देन है। सरकार का मानना है कि जब तक नई व्यवस्था नहीं आ जाती तब तक कॉलेजियम व्यवस्था रहेगी और हम इसे मानेंगे। पर जजों की नियुक्ति न्यायिक आदेश से नहीं हो सकती, यह प्रशासनिक कार्य है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने क्या कहा ?

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि वह कानून मंत्री किरेन रिजिजू के साथ मुद्दों पर नहीं उलझना चाहते क्योंकि दोनो की अवधारणाओं में मतभेद होना तय है। कार्यक्रम में जब सीजेआई से कानून मंत्री से मतभेदों को लेकर सवाल किये गए तो उन्होंने कहा कि अवधारणाओं में मतभेद हो तो उसमें गलत क्या है। पर कुछ मतभेदों से सुदृढ़ संवैधानिक नीते से निपटना होता है।

कोई व्यवस्था निर्दोष नहीं पर कॉलेजियम बेहतर है : सीजेआई सीजेआई जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा हमने जो कॉलेजियम प्रणाली विकसित की है वह जजों की नियुक्ति के लिए सबसे बेहतर है। कोई प्रणाली पूरी तरह से निर्दोष नहीं होती लेकिन यह उपलब्ध प्रणालियों में सबसे बेहतर है। न्याय पालिका की आजादी मुख्य लक्ष्य है, जो बुनियादी जरूरत है। न्यायपालिका को सुरक्षित रखना है तो उसे बाहर के प्रभावों से दूर रखना होगा। चुनाव आयोग से संबंधित फैसला बताता है कि न्यायपालिका पर कोई दबाव नहीं है।

अप्रैल 2023 21 निरंतर पहल

पड़ोस

पाकिस्तान में खाने के लाले फिर भी हथियार खरीदने पर आमादा

पाकिस्तान ने 2020 में 26 करोड़ डॉलर और 2021 में 65 करोड़ डॉलर के हथियार खरीदे

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इस्लामाबाद

किस्तान में आम आदमी की हालत महंगाई से जरे हाल हो रही है। मं हगाई के चलते यहां के आम आवाम की पहुंच से आटा दाल जैसी बुनियादी चीजें भी दू र हो गई हैं। हालात खराब से खराबतर हुए जा रहे हैं। एक बड़ी आबादी में लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ रही है। एक तरह से खाने के लाले पड़ने जैसी हालत हो रही है। दू सरी ओर इस विकट स्थिति में भी पाकिस्तान की सेना के लिए हथियार खरीदी पर असर नहीं है। ये जानकारी अफगान डायस्पोरा नेटवर्क (एडीएन) की रिपोर्ट से सामने आई है। इधर पाकिस्तान की सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा और हाउसिगं के खर्च में भारी कटौती कर दी है। इस बार का रक्षा बजट 1.53 लाख करोड़ है जो पिछले साल 2021 -22 के सैन्य खर्च से 12 फीसदी ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक सेना की खरीद का नया डेटा तो गोपनीय है पिछले बजट के आंकड़ों से तस्वीर साफ है। 2021 में सेना ने 26.3 करोड़ डालर के सैन्य वाहन खरीदे। जबकि 2020 में 9.2 करोड़ डालर की खरीदी की गई थी। इसी तरह 2021 में नौसेना के लिए 35.8 करोड़ डॉलर के जहाज –पुर्जे खरीदे गए जबकि इससे पहले 14.5 अरब डालर की खरीदी की थी। वायुसेना के लिए बीते कु छ सालों में खरीदी के बजाय चीन से ड्रोन और सेंसर के लिए बजट बढ़ गया है। 2021 में पाकिस्तान ने चीन से ढाई करोड़ डॉलर के सेंसर आयात किये। यह 2022 की तुलना में डेढ़ करोड़ डॉलर अधिक रहा।

निरंतर पहल

22

अप्रैल 2023

कोविड और बाढ़ के बाद भी सेना के पास पैसों की कमी नहीं एडीएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में फिलवक्त जो कुछ भी हो रहा है इसके लिए शहबाज शरीफ सरकार के साथ सेना भी बराबर की जिम्मेदार है। पाकिस्तानी सेना ने साल 2019 में 66.9 करोड़ डालर जनरेट किए जो साल 2020 में 76 करोड़ डालर और साल 2021 में 88.4 करोड़ डालर तक पहुंच गए। ये वो वक्त था जब पाकिस्तान कोविड महामारी और फिर प्रलयकारी बाढ़ से जूझ रहा था। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आम आवाम का हक छीन कर पाकिस्तानी सेना और नेताओं की चर्बी बढ़ गई है। संकट के समय पाक की सेना ने विभिन्न कारोबारों से बनाए गए अपने दस अरब डॉलर ( करीब 2.62 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये) की रकम सरकार को देने से मना कर दिया।

तगड़ा झटकाः पाक के विदेशी संपत्ति की कीमत 18 हजार करोड़ रुपये घटी इतनाभर नहीं इधर पाकिस्तान की विदेशी संपत्तियों के मामले में भी पाक को बड़ा झटका लगा है। विदेश में स्थित संपत्तियों का मूल्य एक महीने में 18,200 करोड़ पाकिस्तानी रुपये यानी करीब 5700 करोड़ रुपये घट गया। दिसंबर में इन्ही संपत्तियों की मूल्य 1.37 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये था। यही एक महीने के भीतर जनवरी में 1.19 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये ही बच रहा। इधर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडी ने इसकी रेटिंग घटा दी है। वहीं इंटरनेशनल मोनिटरी फंड यानी आईएफएम ने फंड देने से किनारा भी कर लिया है।

इधर अमेरिका की चिंता बढ़ी, रूस से चीन ने खरीदा यूरेनियम रूस से चीन ने परमाणु हथियारों में इस्तेमाल होने वाला उन्नत किस्म का यूरेनियम आयात किया है। इस आशय की रिपोर्ट सामने आने के बाद अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। ब्लूमबर्ग के अनुसार रूसी इंजीनियर दिसंबर में इसी दिन ताइवान के उत्तरी तट से लगभग 220 किलोमीटर ( 124 ) मील दूर एक द्वीप पर बड़ी मात्रा में परमाणु इंजन भेज रहे हैं। जब चीनी और अमेरीकी वार्ताकारों ने सैन्य तनाव को कम करने के लिए चर्चा करने का दावा किया है।

बेघरों के लिए

मार्ग रोधक बेरिके ड तोड़ने के बाद प्रदर्शनकारियों पर वाटर कै नन व आंसू गैस, 87 गिरफ्तार किये गए

पीएम आवास मुद्दा भाजपा का विधानसभा घेराव

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ÁÁ रायपुर

धानमं त्री आवास योजना के लागू करने में गड़बड़ी का आरोप लगा कर भाजपा कई दिनों से आंदोलन रत रही है। यहां तक कि कांग्रेस के महाधिवेशन के समय भी जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किये जाते रहे। अब 15 मार्च बुधवार को भाजपा ने विधानसभा घेरने के लिए हल्ला बोला। आंसू गैस और पानी की बौछार के बावजूद भाजपा कार्यकर्ता विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हो गए। रणनीतिक रूप से भाजपा ने राजधानी के बाहरी हिस्से में विधानसभा के करीब ही अपना सभा स्थल बनाया था। वहां से दो किमी पैदल मार्च करते हुए सभी कार्यकर्ता विधानसभा की ओऱ बढ़े। दू सरी ओर प्रशासन ने इन्हें रोकने के लिए 15 -15 फिट ऊंचे मार्ग अवरोधक बेरिके ड लगाए थे। इन तमाम प्रयासों के बाद भी भाजपा के कार्यकर्ता तीसरे अवरोधक तक पहुंचने में कामयाब हो गए तो बाद में उन्हें वहां से तितर-बितर करने पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े। फिर भी भाजपा कार्यकर्ता चौथे बैरिके ड तक पहुंचने में सफल रहे। इसके बाद पुलिस देर शाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मं त्री बृजमोहन अग्रवाल, राम विचार नेताम, राजेश मूणत, के दार कश्यप और विधायक सौरभ सिहं सहित 87 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस गिरफ्तारी के बाद इन सभी को सेंटल ्र जेल परिसर ले आई जहां से शाम को सभी को रिहा कर दिया गया।

7 लाख आवास बचे 16 लाख का आंकड़ा कहां से लाए- सीएम बघेल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले में किए जा रहे आंदोलन के दौरान भाजपा से तीन के सवाल किये हैं। उन्होंने पूछा कि क्या भाजपा पीएम आवास लिए आर्थिक और सामाजिक सर्वे की घोषणा से सहमत है? पीएम आवास के लिए भरवाए गए फार्म और मिस काल का डाटा हमें देगी ? क्या भाजपा बताएगी कि 16 लाख का आंकड़ा कहां से लेकर आई है ? और यह भी बताए कि नए हितग्राहियों को पीएम आवास मिलना चाहिए या नहीं। सीएम ने कहा कि भाजपा शासनकाल में पीएम आवास के लिए 16 लाख लोगों के आंकड़े बताये गए थे। इनमें से 11 लाख आवास स्वीकृत हुए तो ऐसे में तो सिर्फ 7 लाख ही बचे हैं।

चलता रहेगा आंदोलन : माथुर मंच से माथुर ने एेलान किया कि साढ़े चार साल तक प्रदेश की सरकार ने गरीबों को पीएम आवास योजना के तहत आवास मुहैया नहीं कराए। राज्य में हम सरकार बदलने तक आंदोलन करते रहेंगे। उन्होंने कार्रकर्ताओं से कहा कि हमें बेरिकेड तोड़ कर विधानसभा तक पहुंचना है। प्रदेश अध्यक्ष आगे रहेंगे बाकी सभी कार्रकर्ता उनका अनुसरण करेंगे।

सबसे पहले देंगे आवास : साव आंदोलन से पहले भाजपा ने पिरदा में आम सभा आयोजित की थी। इस सभा में पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने ऐलान किया कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास उपलब्ध कराने के आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे। बाद में वे सीएम हाउस में प्रवेश करेंगे।

अप्रैल 2023 23 निरंतर पहल

खेती-किसानी

छत्तीसगढ़ का पहला किसान स्कू ल पेटटें कराई भाजी और धान की 36 किस्में

पू

ÁÁ बिलासपुर

रे देश में कहीं किसान स्कू ल है तो वो है छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के बहेराडीह गांव में और इसलिए इसकी विशेष पहचान भी बन गई है। विशेष बात यह है कि इस स्कू ल को चलाने वाले किसान दीनदयाल यादव ने छत्तीसगढ़ की 36 किस्मों की भाजियों और धान की वैराइटी की पेटेंट करवाया है। और इससे भी खास यह है कि जितने भी भाजियों का पेटेंट करवाया गया है उन सभी वैरायटी की खेती स्कू ल भवन की छत पर गमलों में की जाती है। इनमें चौलाई, अमारी और चेंच भाजियां शामिल हैं। इतना ही नहीं यह स्कू ल अपनी तरह के नवाचार के लिए भी जाना जाता है। इससे पहले स्कू ल ने अमारी, चेंच और के ले के छिलके के रेशों से जैकेट और राखियां तक बनाई हैं जिन्हें खूब सराहा और पसं द किया गया था। हमारे सं वाददाता ने जब किसान यादव जी से बात की तो पता चला कि अपने आसपास के गांवों के किसानों को आर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण भी देते हैं। उन्होंने बताया कि उनका उद्देश्य लोगों को ज्यादा से ज्यादा आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित करना है ताकि आने वाले समय में विषाक्त रसायनों वाली खाद औऱ दवाइयों के कारण लोग असाध्य बीमारियों का शिकार बनने से बच सकें । उन्होंने बताया कि यहां तैयार की जा रही जैविक खाद न के वल सब्जियों बल्कि मुनगा, नीबू , आम और पपीते की फसलों में भी उतनी ही कारगर है और लाभ पहुंचा रही है। किसान यादव ने कहा कि रासायनिक खाद की तुलना में जैविक खाद दोगुना उत्पाद देने में समर्थ होती है। पेटेंटिंग करवाने वाले किसान यादव यूं तो 2011 से ही सब्जियों पर नई खोज कर रहे हैं और 23 दिसं बर 2021 में उन्होंने गांव में किसान स्कू ल भी खोल लिया । स्कू ल का नाम जांजगीर क्षेत्र के पत्रकार स्व कुं जबिहारी साहू के नाम पर रखा गया है।

किसान स्कू ल की स्थापना किसान दिवस के अवसर पर 23 दिसं बर 2021 को जांजगीर जिले के ग्राम बहेराडीह में किसान स्कू ल की नींव रखी गई थी। कृ षि विभाग के सहयोग से यहां फसलों और सब्जियों की खेती के लिए नए-नए प्रयोग किये जाते हैं और खेती-किसानी सं बं धी नवाचार को बढ़ावा दिया जाता है।

निरंतर पहल

24

अप्रैल 2023

आधा किलो कें चुआ मंगाया, अब बन रहा है क्विंटलों वर्मी कम्पोस्ट

किसान दीनदयाल के अनुसार 2012 में कृ षि विभाग की ओर से वर्मी कं पोस्ट बनाने के लिए नमूने के तौर पर आधा किलो आस्ट्रेलियन कें चुआ आइसेनिया पोंटिटा दिया गया था। इससे कें चुए का व्यावसायिक रुप से उत्पादन शुरू किया गया। अभी तक 12 क्विं टल से ज्यादा कें चुए बेचे जा चुके हैं। इससे दस लाख रुपये से ज्यादा की कमाई हो चुकी है। इन्हीं कें चुओ ं से वर्मी कं पोस्ट बना कर करीब 8 लाख रुपये के खाद भी बेची जा चुकी है। आस्ट्रेलियन कें चुए और उनसे बनी खाद वर्मी कं पोस्ट को प्रदेश के सरकारी गोठानों में सप्लाई भी कर रहे हैं। इसकी सबसे ज्यादा मांग कोरबा में है। बीज निगम के रेट के अनुसार 262 रुपये किलो के हिसाब से कें चुए और 10 रुपये किलों की दर से खाद बेची जा रही है। इससे पैदावार बढ़ी है, इसलिए मांग ज्यादा है।

विदेशों से भी आ रहे किसान किसान स्कूल के संस्थापक सदस्य दीनदयाल यादव का कहना है कि सब्जियों और धान की खेती के संबंध में जानकारी के लिए 18 मार्च को अमेरिका से किसान आ रहे हैं और जैविक खेती पर रिसर्च करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के किसान कृष और उनकी पत्नी मेरीलीना 2013 में ही यहां आ चुके हैं।

किसान स्कू ल देशभर में मॉडल बहेराडीह का किसान स्कूल न केवल प्रदेश बल्कि देश के लिए भी मॉडल है। यहां न केवल 36 प्रकार की सब्जियों का पेटेंट कराया गया है बल्कि आस्ट्रेलियाई नस्ल के केंचुओं का उत्पादन और वर्मीकंपोस्ट खाद का उत्पादन के साथ ही गो –मूत्र से कीटनाशक भी बनाये जाते हैं। इसके साथ ही प्रयोग के तौर पर चार लेयर सिस्टम से सब्जियों और फलों की खेती गमलों में की जा रही है।

8 मार्च महिला दिवस पर विशेष

भारत की 53% महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलीं

जा

ÁÁ नई दिल्ली

गरुकता जगाने के उद्देश्य से ही यूं तो देशभर में बारहों महीने कोई न कोई दिवस मनाने का चलन बन गया है। 8 मार्च को भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है सो इस बार भी मनाया गया। इसी दिन इस बार होली का त्यौहार भी था। इसी सिलसिले में ये जानने की इच्छा भी हुई की हमारे देश में आखिर महिलाओं की स्थित कै सी है यानी घर के बाहर उनकी उपस्थिति पर ही चर्चा की गई तो पाया कि देशभर में भारत की बहुत कम महिलाएं ही घर से बाहर निकल कर काम करती हैं। यानी हमारे देश में शिक्षा की चाहे जितनी बात की जाए पर हमारे यहां लैंगिक गैरबराबरी सबसे ज्यादा है। यहां आबादी में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात भी बहुत कम है। कामकाजी महिलाओं की भागीदारी भी के वल 27 फीसदी देखी गई है। बाहर निकलने पर भी लैंगिक आधार पर भेदभाव सबसे ज्यादा है। मसलन महिलाएं विशेष रुप से औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र से लगभग गायब ही हैं। हालांकि हालात बदल रहे है पर उसकी रफ्तार पर्याप्त से बहुत कम है। यही क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझी जाती है। सर्वे से पता चला है कि सबसे बड़ी बाधा महिलाओं के घर से बाहर आने-जाने में है। इसकी वजह ये है कि महिलाएं घर से बाहर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पातीं हैं। यही बात बच्चों और वृध्दों के मामले में भी लागू होती है। शोध के मुताबिक उन महिलाओं का भी घर से बाहर आनाजाना कम हुआ है जिनका बच्चा अभी नवजात है जबकि पुरुषों के बाहर आने-जाने में बच्चे होने या शादी का कोई खास फर्क नहीं पड़ता। ये इस तरह के सारे हालात यह बताते हैं कि इन हालातों में कै से घर की सारी जिम्मेदार के वल महिलाओं पर ही आ जाती है। कामकाजी उम्र का होने के बाद महिलाओं के मुकाबले ज्यादा पुरुष बाहर जाकर नौकरी करते हैं। शोध पत्र ‘जेंडर गैप इन मोबिलिटी आउटसाइड होम इन अर्बन इं डिया’ में 53 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे कल से ही घर से बाहर नहीं निकलीं जबकि 14 फीसदी पुरुषों ने कहा कि इस दौरान वे घर पर ही रहे। स्टडी के दौरान यह भी पता चला कि 10 स 19 साल की उम्र के बीच लड़कों के मुकाबले लड़कियां घर से कम बाहर निकलीं। इसमें यह भी पता चला कि महिलाओं के अधेड़ होने पर उनका घर से बाहर जाना पहले के मुकाबले बढ़ा है। आईआईटी दिल्ली के ‘ट्रांस्पोर्टेशन रिसर्च एं ड इं जरी प्रिवेंशन सेंटर’ के शोधकर्ता राहुल गोयल के मुताबिक इन आंकडों से जाहिर होता है कि समाज के रूढ़ीवादी मानदंड महिलाओं को नौकरी करने से या घर से बाहर निकलने से रोकते हैं, रोक रहे हैं। इसका असर तो बचपन से ही पड़ना शुरू हो जाता है।

27%

कामकाजी महिलाएं दुनिया में सबसे कम

सिर्फ 47 प्रतिशत महिलाएं एक बार घर से बाहर निकलीं

उम्र बढ़ने का असर भी महिलाओं के रोजगार पर

अध्ययन से पता चलता है कि एक सामान्य दिन में सिर्फ 47 फीसदी महिला उत्तरदाताओं ने दिन में कम से कम एक बार अपने घरों से बाहर निकलने की सूचना दी। ऐसी महिलाएं जो न तो नौकरी करती हैं और न तो अब पढ़ती हैं बमुश्किल 30 प्रतिशत किसी दिन यात्रा रिपोर्ट करती हैं। इसका मतलब है कि ऐसी करीब 70 फीसदी घरों से दिन में एक बार भी बाहर नहीं निकलतीं। दूसरी ओर करीब 35 प्रतिशत काम करने वाले पुरुष ही घरों में रहते हैं।

एक अध्ययन से पता चला है कि पुरूषों और महिलाओं दोनों की उम्र बढ़ने के साथ शिक्षा में उनका नामांकन घटता है और 25 की उम्र के बाद लगभग नगण्य होता है। इस उम्र में पुरुषों के रोजगार में उल्लेखनीय वृध्दि होती है लेकिन यह महिलाओं के लिए तेजी से नहीं बढ़ती। 26 की उम्र में 80.7 फीसदी पुरुष उत्तरदाता कार्यरत थे लेकिन महिलाओं के लिए यही प्रतिशत केवल 19.1 फीसदी ही था। कामकाजी उम्र के दौरान और सेवानिवृत्ति 60 से पहले पुरुषों और महिलाओं में रोजगार के बीच की खाई व्यापक बनी हुई है।

यूरोपीय देशों में हालत उलट है सन 2007 में 15 यूरोपीय देशों में कराए गए टाइम यूज सर्वेक्षण से पता चलता है कि लिथुआनिया को छोड़कर बाकी सभी देशों में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं घरों से ज्यादा निकलती हैं। लंदन में घर से बाहर निकलने के मामले में पुरुष और महिलाएं बराबरी पर हैं तो फ्रांस में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले घरों से ज्यादा बाहर निकलती हैं। आस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका के साथ सहारा रेगिस्तान से लगने वाले अफ्रीका के 18 शहरों को लेकर भी एक अध्ययन किया गया इसके मुताबिक 79 प्रतिशत पुरुष घरों से बाहर निकलते हैं वही महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 76 फीसद है। इससे साफ जाहिर है कि भारत में महिलाओं के घरों से बाहर निकलने में जौ लैंगिक अंतर है वो दुनिया के किसी और मुल्क में नहीं है।

अप्रैल 2023 25 निरंतर पहल

महामारी

फिर कोरोना की आहट महिला की मौत, बेटा पॉजिटिव

छह महीने बाद पहली मौत से स्वास्थ्य विभाग में हडकं प

को

ÁÁ बिलासपुर

रोना के कहर के बाद उसकी काली छाया अभी भी बाकी है जो कोरोना से कमजोर हुए शरीर पर कई और रूपों में हमला करती रहती है। फे फ़ड़ों के कमजोर होने से कितने ही लोग अब जल्दी ही सं क्रमण के कारण दमतोड़ दे रहे हैं। इसी बीच बिलासपुर में कोरोना से एक मौत होने की पुष्टि की गई है। स्थानीय व्यापार विहार स्थित श्रीराम टॉवर निवासी 43 वर्षीय महिला को 19 मार्च को गं भीर हालत में शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लक्षण देखकर कोविड जांच करने पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई और इलाज के दौरान महिला की मौत भी हो गई। इसके बाद घर के और सदस्यों की जांच करने कहा। इस तरह करीब छह महीने बाद कोरोना से किसी की मौत होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया है। यह देखकर डॉक्टर जो इलाज कर रहे थे उनके भी होश उड़ गए। लगातार उपचार के बाद भी उसके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। डाक्टरों ने उसके बेटे को भी कोविड टेस्ट कराने कहा तो उसकी भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद बेटे को होम क्वारंटाइन में रहने के लिए कहा गया है। विभाग ने तत्काल ही इस बारे में एलर्ट कर दिया है।

देशभर में 1000 से अधिक कोरोना के नए मामले

नई दिल्ली। भारत में कोरोना कहर के खत्म होने के 129 दिन बाद एक दिन में कोविड-19 के एक हजार से ज्यादा मामले दर्ज किये गए हैं। जबकि उपचार करवा रहे मरीजों की संख्या 5915 हो गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार 18 मार्च सुबह आठ बजे तक दिए अपडेट के आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटों के भीतर 1071 नए मामले दर्ज किए गए। जबकि तीन और मरीजों की जान जाने से मृतकों की संख्या 5 लाख 30 हजार, 802 हो गई है। देश में कोरोना वायरस से राजस्थान और महाराष्ट्र में एक-एक मरीजों की मौत हुई है। वहीं केरल में कोविड-19 से मौतों के

जांच बंद दर्जनों पॉजिटिव घूम रहे जिले में कोविड की जांच लगभग बं द ही हो गई है। यहां तक कि कोविड सं देही का भी टेस्ट नहीं किया जा रहा है। ऐसे में आशं का है कि हो सकता है कि शहर में दर्जनों सं देही घूम रहे हों जिनमें सं क्रमण हो सकता है। यदि यह आशं का सच हुई तो कभी भी फिर से कोविड विस्फोट हो सकता है।

22 फरवरी को मिला था कोरोना मरीज जिले में छह माह बाद कोरोना वायरस से मौत का मामला सामने आया । इसके पूर्व 24 सितं बर 2022 को एक महिला ने कोविड सं क्रमण से दम तोड़ दिया था। हालांकि कहा गया है कि छह माह के दौरान दर्जनों कोविड पाजिटिव मिले जिनमें से 99 फीसदी लोगों ने घर में इलाज करवा कर होम-क्वाराटाइन में रहकर ठीक हो गए इससे पहले 22 फरवरी को कोरोना का एक मरीज मिला था।

निरंतर पहल

26

अप्रैल 2023

डॉक्टर ने क्या कहाकोरोना से एक महिला की मौत हो गई है उसे पहले से बीपी, शुगर और अन्य बीमारियां भी थीं। - डॉ. अनिल श्रीवास्तव, सीएमएचओ, बिलासपुर

आंकड़े का पुनर्मिलान करते हुए एक मामला जोड़ा गया है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में संक्रमण की कुल संख्या 4 करोड़ 96 लाख 95 हजार 420 हो गई है। जबकि कोरोना से स्वस्थ होने वालो की राष्ट्रीय दर 98.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। मंत्रालय की वेब साइट के अनुसार कोरोना वायरस से ठीक होने वालों की संख्या 4 करोड़, 41 लाख 58 हजार और 703 है जबकि मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत दर्ज की गई है। इसी वेबसाइट के अनुसार देशभर में टीकाकरण अभियान के तहत कोविड- 19 रोधी टीकों की 220.65 करोड खुराक लगाई जा चुकी है।

दस दिनों तक करवाती रही इलाज नहीं करवाया कोविड टेस्ट

बताया गया कि महिला जिसकी कोविड -19 से मौत हुई उसकी तबीयत 2 सप्ताह से खराब थी। शहर के ही एक डाॅक्टर उनका दस दिनों तक इलाज करते रहे पर उनका कोविड टेस्ट नहीं कराया गया। इधर कोविड वायरस के कारण पूरे लं ग्स में इं फेक्शन फै लता गया।

नई तकनीक

चुनाव आयोग और भिलाई आईआईटी ने बनाया सिस्टम

ईवीएम से छे ड़छाड़ फौरन पता चलेगी

चु

ÁÁ भिलाई

नाव अब पास आने को है तो चुनाव आयोग अपने काम में आने वाली सं भावित दश्वा ु रियों से निबटने के इं तजाम भी करता है, वैसे तो आयोग काम बारहों महीने चलता रहता है पर चुनाव के ठीक पहले गतिविधियां बढ़ जाती हैं। पिछले दिनों इलेक्रानि ट् क वोटिंग मशीन (ईवीएम) में छे ड़छाड़ के आरोपों को देखते हुए आयोग और भिलाई आईआईटी के पूर्व निदेशक ने ऐसा सिस्टम तैयार करने का दावा किया है जिससे अब से ईवीएम और वीवीपैट यानी (वोटर वैरिफिके शन पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीनों में यदि किसी तरह की छे ड़छाड़ हुई हो तो उसकी पूरी कुं डली ही एक क्लिक से बाहर आ जाएगी। जाहिर है आयोग की कवायद निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए ही होती है। अब इस सिस्टम के विकसित कर लेने से यह भी पता लग जाएगा कि उक्त ईवीएम किस अधिकारी के जिम्मे है, किस मतदान के न्द्र में रखना है और मशीन उस मतदान के न्द्र में पहुंची भी या नहीं। यानी यह तक सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि चुनाव के दौरान यदि एक भी मशीन अपनी जगह से यहां से वहां हुई तो आयोग को इसकी फौरन सूचना मिल जाएगी। दरअसल चुनाव में अक्सर ही मशीनों से छे ड़छाड़ के आरोप लगते रहते हैं। बताया गया है कि इसी को मद्देनजर रख कर निर्वाचन आयोग औऱ भिलाई की एक स्टार्टअप एजेंसी ‘पैटर्न्स इनोवेशन’ ने मिल कर एक सिस्टम तैयार किया है औऱ इसका नाम ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 रखा गया है। इसकी जांच के बाद आईआईटी ने इसे निर्वाचन आयोग को सौंप दिया है। उम्मीद जताई गई है कि जल्द ही आयोग इस सिस्टम को लांच करेगा। सं भावना है कि लोकसभा चुनाव 2024 में ही पहली बार इस तकनीक का उपयोग किया जाए।

देश के करीब 10 लाख ईवीएम हैं जिनका मैनेजमेंट मुश्किल है क्योंकि कौन सी ईवीएम कहां है, खराब है या कहां उपयोग होगी इसकी जानकारी ऑनलाइन मिलेगी। नए सिस्टम से कई गड़बड़ियां रोकी जा सकेंगी। इसकी लांचिंग मई में संभव है। प्रो. रंजन मूना, पूर्व निदेशक आईआईटी भिलाई..

यदि एक खराब तो फौरन दूसरी मिलेगी कहा गया है कि ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम लांच होने का फायदा मिलेगा। यदि मतदान के दौरान यदि किसी तकनीकी वजह से मशीन खराब होती है तो इसकी सूचना तुरंत ही ऑनलाइन मिल जाएगी। कंट्रोल रूम में बैठे आयोग के अधिकारी देख सकेंगे कि अमुक मशीन कहां उपलब्ध है। इसे तुरंत बूथ तक पहुंचाया जा सके जिससे मतदान प्रभावित होने की आशंका कम हो जाएगी। इससे पहले तक मशीन खराब होने पर पीठासीन अधिकारी अपने अधिकारी को इस बारे में सूचना देता है फिर उससे ऊपर के अधिकारी को जानकारी दी जाती है इस तरह खराब मशीन की जगह नया उपलब्ध कराने में घंटों का समय जाया होता है।

ईवीएम की कुंडली ऑनलाइन ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 एक ऐसा सिस्टम है जिसमें देशभर के जितने भी ईवीएम मशीन है उनकी कुंडली है। यानी अब यह भी संभव है कि पिछले चुनाव में कौन-कौन सी ईवीएम मशीन खराब हुई वह किसके पास किस मतदान में इस्तेमाल हुई थी और वह किस अधिकारी के जिम्मेदारी में रखी गई थी यह सब जाना जा सकेगा। मशीन बनने से उसके डिस्पोस होने तक सब कुछ जानकारी ऑनलाइन होगी और इसे सिर्फ आयोग ही इस्तेमाल कर सकेगा।

पीएम मोदी से सीएम बघेल ने कोल रायल्टी -जीएसटी के रुके पैसे मांगे



ÁÁ नई दिल्ली

त्तीसगढ़ के मुख्यमं त्री भूपेश बघेल ने 10 मार्च शुक्रवार को पीएम नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। इस भेंट में सीएम बघेल ने पीएम मोदी से के न्द्र में रुके राज्य के हिस्से के कोल रायल्टी के 4170 करोड़ रुपयों की मांग की। इतना ही नहीं श्री बघेल ने जीएसटी क्षतिपूर्ति 1375 करोड़ रुपये जारी करने और जनगणना जल्दी करवाने की मांगें भी रखीं। सीएम बघेल ने उनकी मुलाकात के बारे में बताया कि पीए मोदी ने उन्हें छत्तीसगढ़ में होने वाले जी -20 के चौथे वित्त कार्यसमूह की बैठक के आयोजन पर मार्गदर्शन दिया है। श्री बघेल शुक्रवार को दिल्ली दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने पीएम से मिलने का समय मांगा तो उन्होंने सीएम को शाम को ही मिलने के लिए आने का समय दे दिया। सीएम बघेल ने कहा कि रायल्टी के साथ साथ जीएसटी क्षतिपूर्ति का मुद्दा रखते हुए कहा कि जून 2022 से अब तक के न्द्र सरकार के पास 1375 करोड़ की राशि लम्बित है।

जी-20 की तैयारी पर बात, सितंबर में रायपुर आएंगे पीएम मोदी सीएम भूपेश बघेल के अनुसार उन्होंने प्रधानमं त्री को बताया कि 7 सितं बर को जी-20 के चौथे स्थायी वित्त कार्य समूह की बैठक छत्तीसगढ़ में होने वाली है। इस आयोजन को लेकर पीएम मोदी ने उन्हें मार्गदर्शन भी दिया। हमने भी आश्वस्त किया है कि अतिथियों के अनुसार विश्व स्तरीय व्यवस्था रहेगी। सीएम बघेल ने यह भी बताया कि प्रधानमं त्री 7 सितं बर को छत्तीसगढ़ आएं गे।

जल्द करवाई जाए जनगणना सीएम बघेल ने कहा कि जनगणना जल्दी ही करवाई जानी चाहिए क्योंकि 2011 के बाद से जनगणना नहीं होने से छत्तीसगढ़ में विभिन्न योजनाओं के अलग अलग वर्ग के हितग्राहियों के चयन में दिक्कत आ रही है। कई पात्र हितग्राही योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। सीएम बघेल ने बताया कि इस बारे में वे पीएम को पहले ही पत्र लिख चुके हैं।

पीएम ने कहा मैंने आपको फाग गाते देखा हैमुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने श्री बघेल से सीएम हाउस में होली महोत्सव का जिक्र किया और कहा कि मैने आपको सीएम हाउस में फाग गाते हुए देखा है। श्री बघेल ने पीएम मोदी को छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वनभैंसे का प्रतीक चिन्ह भेंट किया और उन्हें जानकारी दी कि प्रधानमं त्री के सुझाव पर रायपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में छत्तीसगढ़ सरकार मिलेट कै फे शुरु कर रही है। इसके साथ ही सीएम ने प्रदेश में लाइट मैट्रो के लिए भी सहयोग की मांग की जिसके बारे में बजट में घोषणा की गई है कि रायपुर से दर्गु के बीच इसे बनाने की योजना है।

अप्रैल 2023 27 निरंतर पहल

खानसामा

पाक कला की एक महत्वपूर्ण विरासत भी विलुप्त हो रही है राजभवन, सर्किट हाउस, पुलिस या फौज के ऑफिसर्स मेस और रेलवे जैसे कु छ पाक कला की एक महत्वपूर्ण विरासत भी विलुप्त हो रही है स्थानों के साथ-साथ राजाओं के महलों और बड़े पारसी तथा एंग्लो-इंडियन परिवारों मे सिमट कर रह गये



ÁÁ डॉ. परिवेश मिश्रा, सारंगढ़

• खानसामा व्यवस्था के जाने के साथ ही पाक कला की एक महत्वपूर्ण विरासत भी विलुप्त हो रही है। इसके संरक्षण के उदाहरण अपवाद हैं। ऐसा एक अपवाद सारं गढ़ का गिरिविलास पैलेस है। 1920 के दशक में राजा जवाहिर सिंह मुम्बई के ताज होटल के शेफ को पैलेस खानसामा के पद पर लाये थे। वे मूलतः गोवा के रहने वाले थे। • 1840 के दशक मे अंग्रेजों ने भारत मे “ डाक-बंगला “ संस्कृति की शुरुआत की। रेलवे के अभ्युदय से पहले तक एक औसत मैदानी ड्यूटी वाले अंग्रेज अफसर की जिंदगी खानाबदोश जैसी ही थी।

निरंतर पहल

28

अप्रैल 2023

हानगरों की भागमभाग ज़िंदगी से दू र जो पीढ़ी ज़िला मुख्यालयों की सर्किट-हाऊससं स्कृति के इर्द-गिर्द पली बढ़ी है उसके लिए खानसामा शब्द अपरिचित नहीं है। भारत मे एक बहुत छोटा किन्तु सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण तबका है जिसके लिए खानसामा शब्द दैनंदिन जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। सांस्कृतिक विरासत का यह महत्वपूर्ण शब्द - खानसामा - जो किसी समय एक विशिष्ट जीवन शैली का प्रतिनिधित्व करता था, हमारे शब्द-कोष से विलुप्त होता जा रहा है।

प्लासी की लड़ाई जीत कर जब अंग्रेज भारत में स्थापित हुए तब इस्लामिक शब्दों और प्रतीकों का मजाक बनाना या उनका सार्वजनिक अवमूल्यन करना उनका शगल बन गया था। सिराज-उद-् दौला को सर राॅजर-डाउलर और शाह-शुजा-उल-मुल्क को चाशुगर-एन्ड-मिल्क बना दिया गया था। सारे मुस्लिम देशों में जहां भी धार्मिक नेताओं ने अंग्रेजों के खिलाफ

विरोध का नेतत्व ृ किया वहां वे ‘द मैड मुल्ला’ की उपाधि से नवाजे गये।” प्रशासनिक ढांचे या मैदानी ड्यूटी के दौरान सबसे छोटे पद के कारिन्दे या बिना काम-धाम के घूमने वाले कहलाने लगे ‘खलीफा’ और साहब के बं गले मे खाने-पीने की व्यवस्था करने वाला बन गया ‘खानसामा’। मुगलिया व्यवस्था मे खानसामा का पद बहुत महत्वपूर्ण होता था। बादशाह की महल व्यवस्था में पूरे सामान, रसोई और भं डार के साथ साथ रसोईयों और घरेलू नौकरों का जिम्मेदार व्यक्ति कहलाता था “खानसामान”। अंग्रेजों और नौकरों की बोलचाल की भाषा ने इन खान साहबों को खानसामा बना दिया। 1840 के दशक मे अंग्रेजों ने भारत मे ‘डाकबं गला’ सं स्कृति की शुरुआत की। रेलवे के अभ्युदय से पहले तक एक औसत मैदानी ड्यूटी वाले अंग्रेज अफसर की जिदं गी खानाबदोश जैसी ही थी। पैदल या घोड़े पर मीलों कई दिनों तक यात्रा करना और तम्बू मे रहना आम था। गाँवों मे सब्ज़ियों की सीमित उपलब्धता और भारतीय मसालों को पचाने की अंग्रेजों की सीमित क्षमता ने मुर्गे की मांग बढ़ा दी और उस मुर्गे को अलग अलग तरीके से पका कर खिलाने वाले खानसामा को उनकी व्यवस्था का अभिन्न अंग बना दिया। नाश्ते मे चिकन सैंडविच, लं च मे चिकन करी और डिनर मे चिकन रोस्ट। ब्रिटिश राज के दिनों मे एक अंग्रेज साहब के घर आमतौर पर नौकरों का जो अमला होता था उनमे चोबदार, हेड-कु क, उसके एक या दो सहायक, गाड़ीवान या बग्घी वाला, जमादार, खिदमतगार, खर्चबरदार, मुख्य बेयरा, उसके एक या दो सहायक, चपरासी, धोबी, सईस, मशालची, रोज दाढ़ी बनाने के लिए एक नाई, बाल काटने और सं वारने के लिए अलग से, माली, घास काटने वाला या वाले अलग से, नर्स आदि आदि शामिल होते थे। खानसामा इस तरह के पूरे स्टाफ का और रसोई और भं डार से सं बं धित स्टाफ का मुखिया और प्रबं धक

होता था। घर में क्या पके गा या कहिए घर के मालिक की सुबह नाश्ते मे या लं च और डिनर मे क्या खाने की इच्छा है इसका ऑर्डर एक दिन पहले लेने की जिम्मेदारी खानसामे की थी। इसके बाद आवश्यक सामग्री प्राप्त करना, मुख्य रसोईये को आवश्यक निर्देश दे कर डिश तैयार करना, विशेष अवसरों पर तथा विशेष तथा ‘सिग्नेचर’ डिश को स्वयं पकाना, बेयरा का काम कर रहे नौकरों को टेबल सजाने का प्रशिक्षण दे कर प्रतिदिन टेबल तैयार करवाना, भोजन का समय होने पर, आमतौर पर भोजन-कक्ष से कु छ दू री पर अलग बने रसोई-घरों से डिश उठाये नौकरों की बारात समय पर निकलवाना, स्वयं को खाने की टेबल के पास, किन्तु एक सम्मानजनक दू री पर, स्थापित कर भोजन के हर कोर्स पर पैनी नज़र रखना खानसामे का काम था। कोर्स की सं ख्या भी अवसर के अनुसार खानसामा ही तय करता था और यह सं ख्या पांच से लेकर बारह तक या अधिक भी हो सकती थी। सेलर जहां शराब का भं डारण किया जाता था, उसकी चाबी भी खानसामे के पास ही होती थी। अंग्रेजों के भारत से जाने के बाद खानसामा राजभवन, सर्किट हाउस, पुलिस या फौज के ऑफिसर्स मेस और रेलवे जैसे कु छ स्थानों के साथ साथ राजाओं के महलों और बड़े पारसी तथा एं ग्लो-इं डियन परिवारों मे सिमट कर रह गये। बिलासपुर सर्किट हाउस के अंतिम खानसामा बैनेट को याद करने वाले अभी भी मिल जाते हैं। सत्तर के दशक मे नीदरलैंड के राजा जो उन दिनों वर्ल्ड-वाईल्ड लाईफ के अध्यक्ष थे, भारत की यात्रा पर आए थे और उन्होंने कु छ दिन कान्हा में बिताये थे। उस यात्रा के दौरान उनकी खान-पान व्यवस्था के सम्पादन के लिए बैनेट को विशेष रूप से बिलासपुर से बुलाया गया था। उनके बनाए काॅन्टिनेन्टल पुडिगं का, बताते हैं, दू र दू र तक कोई मुकाबला नही था। बिलासपुर मे रेलवे के चलते अंग्रेज और एं ग्लोइं डियन पाक कला मे पारंगत होने के बैनेट को अवसर भी मिले और उन्होंने इसका पूरा लाभ भी उठाया। पं डित नेहरू जब भी रायपुर आये उन्होंने बैनेट के हाथों बना भोजन ही किया। आज़ादी के बाद के दिनों मे अनेक खानसामा अपने अपने सर्किट हाउस के ब्रैन्ड बन गये थे। बिलासपुर के बैनेट और उनकी फिश-करी, बैगन के अचार आदि की धूम थी तो दू सरे भी पीछे नही थे। अधिकतर खानसामे मुस्लिम थे। नब्बे के दशक तक जीवित रहे रायगढ़ सर्किट हाउस के अंतिम खानसामा मोहन के नाम से विख्यात थे। सरकारी रिकॉर्ड मे वे मोइनुद्दीन थे। मोहन नाम उन्हे अपनी हिन्दू मां से मिला था। साठ से अस्सी के दशक तक सागर के सर्किट हाउस के ब्रैन्ड रहे गुलाम रसूल वहां के खानसामा परिवार की पांचवी पीढ़ी के थे। उनके बेटे मोहम्मद सईद ने परिवार की मशहूर सिग्नेचर डिश ‘फिश-कटलेट’ को अपने दादा से मार खा - खा कर सीखा है। तरुण कु मार भादडु ़ी (जया बच्चन के पिता) ने अपनी पुस्तक “चम्बल : द वैली ऑफ टेरर” मे जगदलपुर सर्किट हाउस के खानसामा के हाथों

बनी चिकन करी का वर्णन किया है। खानसामा व्यवस्था के जाने के साथ ही पाक कला की एक महत्वपूर्ण विरासत भी विलुप्त हो रही है। इसके सं रक्षण के उदाहरण अपवाद हैं। ऐसा एक अपवाद सारंगढ़ का गिरिविलास पैलेस है। 1920 के दशक मे राजा जवाहिर सिहं मुम्बई के ताज होटल के शेफ को पैलेस खानसामा के पद पर लाये थे। वे मूलतः गोवा के रहने वाले थे। सूट पहन कर और हैट लगा कर नियमित रूप से चर्च जाने वाले ये सज्जन सारंगढ़ आये थे मिस्टर सिक्वे रा के नाम से। वे यहीं बस गये और स्थानीय

ज़ुबान मे मिस्टर सकीरा के नाम से विख्यात हुए। सिर्फ उनके नाम का छत्तीसगढ़ी-करण हुआ हो ऐसा नही है। वे अपने साथ काॅन्टिनेन्टल और पारसी डिश का खज़ाना साथ लाए और यहीं छोड़ गए। यहां रहते हुए उन्होंने छत्तीसगढ की पारम्परिक पाक कला का कॉन्टिनेन्टल के साथ मेल कर अनेक नयी डिश पैदा कीं जो कालान्तर मे सारंगढ़ राज घराने की विशिष्टता बन कर स्थायित्व पा गयीं। खानसामा परम्परा के सं रक्षण के और उदाहरणों की जानकारी नहीं है।

अप्रैल 2023 29 निरंतर पहल

क्या गजब की कहानी है इस महिला की बीस वर्ष की उम्र में उसने अंग्रेजी सीखना शुरू किया ÁÁ वाशिंगटन

मै

क्सिको की उस साधारण सी लड़की को लोग बदसूरत बत्तख का चूजा कहते। चर्म रोग और डिस्लेक्सिया से ग्रसित वह लड़की ठीक से बोल नही पाती, अक्षरों और चित्रों के विन्यास को समझ नहीं पाती। एक बार अपना मानसिक सं तलु न खो बैठी थी। लेकिन उसे अमेरिका जाकर, हाॅलीवुड की टाॅप एक्ट्रेस बनना था। बीस वर्ष की उम्र मे उसने अंग्रेजी सीखना शुरू किया। बोलने पर मेक्सिकन जुबान साफ झलकती। मेक्सिको से आकर अमेरिका के चकाचौंध मे दाखिल हुई तो स्वाभाविक है सहमी-सहमी सी थी। हालीवुड के एक प्रोड्यूसर ने उससे कहा, “तुम्हारा जन्म ही गलत देश मे हुआ है। वहां की लड़कियां हमारे यहां आया का काम करती हैं। मै अपनी फिल्मों मे तुमको नहीं ले सकता। तुम्हे मेक्सिकी अंदाज मे अंग्रेजी बोलता देख कर हमारे दर्शक कहेंगे, वे एक आया को पर्दे पर क्यों देख रहे हैं”। उम्र मे कई साल बड़े डोनाल्ड ट्रम्प ने उसे अपनी गर्लफ्रेंड बनने का आफर दिया। यौन शोषण के लिये बदनाम हालीवुड के शहंशाह, हार्वे वान्सटाईन ने कई बार उससे साथ आपत्तिजनक व्यवहार किया। एक बार तो वे उसके कमरे मे घुस आये, और अपने साथ उसे नग्न होकर स्नान करने को कहा। उसने इन्कार कर दिया तो उसके कै रियर को तबाह करने मे अपनी सारी ताकत झोंक डाली। काफी हद तक सफल भी हुये। मगर वह शुरूआती दौर था। वह सांपों से बहुत डरती थी। क्वे न्टिन टाराटिनो, उसके इस डर के बारे मे जानते थे। उन्होंने पहले ही शाॅट मे उसे अपने नग्न शरीर पर एक जीवित अजगर को लपेट कर नृत्य करने को कहा। उसने किया।व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि क्विन्टिनो उसकी जिन्दगी मे ईश्वरीय दू त बन कर आये थे। उन्होंने उसे डर अमेरिका ही क्यूं, यह पृध्वी के हर हिस्से का सच है। मगर एक सच यह भी है स्त्री होना, से रूबरू होना सिखाया। 55 साल की वह ‘लड़की’, आज 200 या न होना, उसके बस में नहीं था। मेक्सिकन होना या न होना भी उसके बस में नही था। मिलियन डालर की मालकिन है। कभी 56 बिलियन डालर का वह मेक्सिकन होना, या स्त्री होना, नहीं बदल सकती थी। महत्वपूर्ण यह है कि जो वह बिजनेस करती थी यानि 45 लाख करोड़ रूपये! हालीवुड के बदल सकती थी और उसने जिसे बदल दिया, वह है -- ‘गलत’ देश में जन्मी एक लड़की टॉप प्रोड्यूसरों मे उसका शुमार होता था! एक साथी कलाकार जो लोगों को घर में काम करने वाली आया लगती थी, जो डिस्लेक्सिया और एक्ने जैसे ने कहा था, “अगर वह पुरुष होती तो उसकी हैसियत दस गुना रोगों से पीड़ित थी,भयभीत थी। जिसका यौन शोषण हुआ, जिसे तोड़ने के लिये शक्तिमानों ज्यादा होती”। ने अपनी पूरी ताकत लगा दी फिर भी वह, वह बनी जो आज वो है -- सलमा हायेक।

सच है। शत् प्रतिशत सच है।

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अप्रैल 2023

21 मार्च 1916 जन्मदिन पर विशेष

बिस्मिल्लाह खान

शहनाई जिनके होठों से लगते ही आसपास की हवा को प्रेम से सराबोर कर देती थी

बि

ÁÁ अशोक पांडेय, बनारस

स्मिल्लाह खान जीवन भर तीन चीज़ों को अपने सीने से चिपटाए रहे - गं गा, बनारस और उनके जन्म का स्थान बिहार का डुमरांव क़स्बा। कोई कहता खां साब चलिए आपके लिए अमेरिका में म्यूजिक स्कू ल खोल देते हैं, कोई कहता दिल्ली-बं बई में चल कर रहा जाय, कु छ माल बनाया जाय। वे बालसुलभ भोलेपन में अगले की आख ँ ों में आँखें डाल कर कहते, “अमाँ यार! गं गा से अलग रहने को तो न कहो!” शहनाई उनके होंठो से लगते ही आसपास की हवा को प्रेम और करुणा से सराबोर कर देती थी।वह उनकी आत्मा की पाक ज़बु ान थी जिसका होना आसपास के कं कड़-पत्थरों तक की स्मृतियों में दर्ज हो जाता होगा। उस दैवीय स्वर को गं गा किनारे की उस मस्जिद के किसी कं गूरे की नन्ही ढलान में अब भी ढूँ ढा जा सकता है जहाँ वे हर रोज गं गास्नान के बाद नमाज पढ़ते थे। उसकी लरज़ को बालाजी मं दिर के फर्श के उन पत्थरों की खुरदरी छु अन में महसूस किया जा सकता है जिन पर बैठकर उन्होंने पचास से भी ज्यादा सालों तक रियाज़ किया। दोनों इस कदर आपस में घुल गए थे

कि ठीक-ठीक कह सकना मुश्किल होगा कि शहनाई बिस्मिलाह थी या बिस्मिलाह शहनाई. और राग-सुर की तपस्या ऐसी कि जो उस जुगलबं दी की गिरफ्त में आया फिर जीवनभर मुक्त न हो सका।पत्रकार जावेद नकवी के हवाले से एक वाकया पता लगता है। सन 1978 में दिल्ली में एक ओपन एयर थियेटर में प्रोग्राम चल रहा था। अचानक लाइट चली गई। बेखबर खान साहब तन्मय होकर बजाते रहे। आयोजकों में से किसी एक ने कहीं से लालटेन लाकर उनके सामने धर दी। अगले एक घं टे तक वे उसी की झपझपाती रोशनी में शहनाई बजाते रहे। ऑडिएं स खामोशी से सुनती रही । बजाना ख़त्म हुआ, उस्ताद ने आख ँ ें खोलीं। बोले – “लाइट तो जला लिए होते भाई!” बिस्मिलाह खान का चेहरा भारतीय क्लासिकल सं गीत का सबसे मुलायम, सबसे निश्छल चेहरा था। चौड़ी मोहरी वाला सफ़े द पाजामा, गोल गले वाला सफ़े द कु रता जिसकी जगह गर्मियों में जेब वाली बं डी ले लिया करती, सफ़े द नेहरू टोपी और मुंह में बीड़ी। बनारस की गलियों में रिक्शे पर यूं सफ़र करते थे गोया रोल्स रॉयस में घूम रहे हों। उनकी सादगी और साफगोई के बेशमु ार किस्से सुनने-पढ़ने को मिलते हैं।

पद्मश्री प्रमाण पत्र को दीमक खा गई... जीते जी वैश्विक धरोहर बन गए इस उस्ताद संगीतकार की मौत के कुछ साल बाद यूं हुआ कि उन्हें भारत सरकार द्वारा दिए गए पद्मश्री प्रमाणपत्र को दीमक खा गयी। इसके कुछ साल बाद उनके घर में चोरी हुई। एक कमरे की दराज़ से पांच शहनाइयां चोरी हुईं जिनमें से तीन चांदी की थीं एक साल बाद पुलिस ने चांदी वाली शहनाइयों को बनारस के एक सुनार के पास से गली-अधगली हालत में हासिल किया। उस्ताद के एक पोते नज़रे हसन ने कुल सत्रह हज़ार रुपये में उन्हें बेच डाला था। स्पेशल टास्क फ़ोर्स द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद अपना जुर्म कबूल करते हुए उसने कहा, “मुझे बाजार में उधार चुकाना था.” देश-समाज-परम्परा वगैरह बड़ी बातें हैं। आदमी बनने का शऊर सीखना है? कभी उनकी बजाई शहनाई सुनने की फुरसत निकालिए।

पोते-पोतियों के साथ उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

अप्रैल 2023 31 निरंतर पहल

कहानी जन्मदिन 7 मार्च पर विशेष अज्ञेय की कहानी

मेजर चौधरी की वापसी

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सी की टांग टू ट जाती है, तो साधारणतया उसे बधाई का पात्र नहीं माना जाता। लेकिन मेजर चौधरी जब छह सप्ताह अस्पताल में काटकर बैसाखियों के सहारे लं गड़ाते हुए बाहर निकले तो बाहर निकलकर उन्होंने मिजाजपुर्सी के लिए आए हुए अफसरों को बताया कि उनकी चार सप्ताह की ‘वारलीव’ के साथ उन्हें छह सप्ताह की ‘कम्पेशनेट लीव’ भी मिली है, और इसके बाद ही शायद कु छ और छु ट्टियों के तुरु ंत बाद उन्हें सैनिक नौकरी से छु टकारा मिल जाएगा, तब सुनने वालों के मन में अवश्य ही ईर्ष्या की लहर दौड़ गई थी। क्योंकि मोकोकचड़ यों सब डिविजन का के न्द्र क्यों न हो, वह नगा पार्वत्य जं गलों का ही एक हिस्सा था, और जोंक, दलदल, मच्छर, चूती छतें, कीचड़ फर्श, पीने को उबाला जाने पर भी गं दला पानी और खाने को पानी में भिगोकर ताजा किए गए सूखे आलू-प्याज ये सब चीजें ऐसी नहीं हैं कि दू सरों के सुख-दःु ख के प्रति सहज औदार्य की भावना को जागृत करें। मैं स्वयं मोकोकचड़ में नहीं, वहां से तीस मील नीचे मरियानी में रहता था। जो कि रेल में पक्की सड़क द्वारा सोवित छावनी थी। मोकोकचड़ अपनी सामग्री और उपकरणों के लिए मरियानी पर निर्भर था इसलिए मैं जब-तब एक दिन के लिए मोकोकचड़ जाकर वहां की व्यवस्था देख आया करता था। नाकाचारी चार –आली से आगे रास्ता बहुत खराब है और गाड़ी कीच-कांदों में फं स-फं स जाती है, किन्तु उस प्रदेश की अवनगा जाति के हँ समुख चेहरों और सहाय्य –तत्पर व्यवहार के कारण वह जोखिम बुरी नहीं लगती। मुझे मरियानी लौटना था ही, मेजर चौधरी भी मेरे साथ ही चले- मरियानी से रेल द्वारा वह गौहाटी होते हुए कलकत्ते जाएँ गे और वहां से अपने घर पश्चिम को....स्टेशन वैगन चलाते-चलाते मैंने पूछा –‘मेजर साहब घर लौटते हुए कै सा लगता है?’ अस्पताल के छह हफ्ते मनुष्य के मन में गहरा परिवर्तन कर देते हैं। यह भी अचानक तब जाना जब अचानक मेजर चौधरी ने कु छ सोचते हुए सा उत्तर दिया.. हां घर तो घर ही है। पर जो एक बार घर से बाहर जाता है वह लौटकर भी घर लौटता ही है, इसका क्या ठिकाना? मैंने तीखी नज़र से उसकी ओर देखा। कौन सा गोपन दःु ख उन्हें खाए जा रहा है ‘घर’ की स्मृति को लेकर कौन सी वेदना का ठू ं ठ इनकी विचारधारा में अवरोध पैदा कर रहा है? पर मैंने कु छ कहा नहीं बस प्रतीक्षा में रहा कि कु छ और

निरंतर पहल

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अप्रैल 2023

कहेंगे। देर तक मौन रहा, गाड़ी नाकाचारी की लीक में उचकती –धचकती चलती रही। थोड़ी देर बाद मेजर चौधरी फिर धीरे-धीरे कहने लगे –‘देखो, प्रधान फौज में जो भरती होते हैं न जाने क्या क्या सोचकर , किस-किस आशा से। कोई कोई अभागा आशा से नहीं, निराशा से भी भरती होता है, और लौटने की कल्पना भी नहीं करता। लेकिन जो लौटने की बात सोचते हैं और ये प्रायः सभी सोचते हैं। वे मेरी तरह लौटने की बात नहीं सोचते..... उनका स्वर मुझे चुभ गया। मैंने सांत्वना के स्वर में कहा- ‘नहीं मेजर चौधरी, इतने हतधैर्य आपको नहीं..... - मुझे कह लेने दो प्रधान.. - मैं रुक गया... - मेरी जांघ और कु ल्हे में चोट लगी थी। अब मैं सेना के काम का न रहा पर आजीवन लँ गड़ा रहकर भी वैसे चलने- फिरने लगूँगा... यह तुमने अस्पताल में सुना है। सिविल जीवन में कई पेशे हैं जो मैं कर सकता हूँ । इसलिए घबराने की कोई बात नहीं। ठीक है न? पर मेजर चौधरी फिर रुक गए और मैंने लक्ष्य किया और आगे की बात कहने में उन्हें कष्ट हो रहा है पर चोंटे ऐसी भी होती हैं जिनका इलाज नहीं होता...’’ मैं चुपचाप सुनता रहा। भरती होने के सालभर पहले मेरी शादी हुई थी। तीन साल हो गए। हम लोग साथ लगभग नहीं

रहे- वैसी सुविधाएं नहीं हुईं। हमारी कोई सं तान नहीं है’’। - फिर मौन। क्या मेरी ओर से कु छ अपेक्षित है? किंतु किसी आंतरिक व्यथा की बात अगर वह कहना चाहते हैं तो मौन ही सहायक हो सकता है, वही प्रोत्साहन है। - सोचता हूँ दाम्पत्य जीवन में शुरू में – इतनी कोमलता न बरती होती। कहते हैं स्त्री–पुरुष में पहले सख्य आना चाहिए – मानसिक सं तुलन... - मैंने कनखियों से उनकी तरफ देखा। सीधा देखने से स्वीकारी अंतरात्मा की खुलती सीढ़ी खट् से बं द हो जाया करती है। उन्हें कहने दूँ । पर उन्होंने जो कहा उसके लिए मैं बिलकु ल तैयार नहीं था। और उनके कहने के ढंग में ही इतनी गहरी वेदना न होती तो जो शब्द कहे गए थे उनसे पूरा व्यंजनार्थ भी मैं न पा सकता... - हमारी कोई सं तान नहीं है। और जब – जिससे आगे कु छ नहीं है वह सख्त भी कै से हो सकता है? उसे एक सं तान का ही सहारा होता ... कु छ नहीं? प्रधान, यह कम्पैशनेट लीव अच्छा मजाक है। कम्पैशन भगवान के छोड़कर और कौन हो सकता है और मृत्यु के अलावा होता कहाँ है ? अब अति से आरंभ है, घर .. कु छ रुककर। वापसी घर..... - मै सन्न रह गया। कु छ बोल न सका। थोड़ी देर बाद रुक कर देखा कि गाड़ी की चाल अपने आप बहुत धीमी हो गई। इतनी कि – तीसरी गियर पर वह झटके दे रही है। मैंने कु छ सम्हल

कर गियर बदला और फिर गाड़ी तेज करके एकाग्र होकर चलाने लगा-नहीं एकाग्र होकर नहीं, एकाग्र दिखता हुआ। - तब मेजर चौधरी अपना सिर झटके से हिला कर मानो उस विचार श्रृंखला को तोड़ते हुए सीधे होकर बैठ गए। थौड़ी देर बाद उन्होंने कहा , क्षमा करना प्रधान मैं शायद अनकही कह गया। तुम्हारे प्रश्नों के लिए मैं तैयार नहीं था....। - मैंने रुकते रुकते कहा- मेजर , मेरे पास शब्द नहीं हैं कि कु छ कहूँ । - कहोगे क्या प्रधान ? कु छ बातें शब्दों से परे होती हैं। शायद कल्पना से भी परे होती हैं। क्या मैं भी जानता हूँ कि – कि घर लौटकर मैं क्या अनुभव करुं गा। छोड़ो इसे। तुम्हें याद है कि पिछले साल में कु छ महीने मिलिटरी पुलिस में चला गया था ? मैने जाना कि मेजर विषय बदलना चाह रहे हैं। - पूरी दिलचस्पी से कहा हाँ –हाँ वह अनुभव ही अजीब रहा होगा। - ‘हाँ तभी कि एक बात याद आई है.. मैं शिल्ड के प्रोवोस्ट मार्शल के दफ्तर में था। तब वे डिवीजन की कु छ गोरी पलटनें वहां विश्राम के लिए और नए सामान के लिए बर्मा से लौटकर आई थीं’। - हाँ मुझे याद है। उन लोगों ने कु छ उपद्रव भी वहाँ खड़ा किया था...। - काफी। एक रात मैं जीप लिए गश्त पर जा रहा था। हैप्पी वैली की छावनी से जो सड़क शिल्ड बस्ती को जाती है वह टेढ़ी-मेढ़ी और उतार चढ़ाव की है और चीड़ के झरु मटों से छाई हुई यह तो तुम जानते हो। मैं एक मोड़ से निकला ही था कि मुझे लगा, कु छ चीज़ रास्ते से उछलकर एक ओर को दबु क गई। गीदड़- लोमड़ी उधर बहुत हैं पर उनकी फलाँग अनाड़ी नहीं होती, इसलिए मैं रुक गया। झरु मुटों के किनारे खोजते हुए मैंने देखा- एक गोरा फौजी छु पना चाह रहा है। छु पना चाहता है तो अवश्य ही अपराधी है यह सोचकर मैंने उसे ज़रा धमकाया और नाम, नम्बर पल्टन आदि का पता लिख लिया। वह बिना किसी पास के रात को बाहर तो था ही, पूछने पर उसने बताया वह एक मील और नीचे नाडथिम-माई की बस्ती को जा रहा था। उससे आगे का प्रश्न मैंने उससे नहीं पूछा। - उन प्रश्नों का उत्तर तुम जानते ही हो और पूछ कर भी क्या दंड देना पड़ता है जो

कि अधिकारी नहीं चाहते- जब तक कि खुल्लम खुल्ला कोई स्कैंडल न हो। -हां मैंने तो सुना है कि यथासं भव अनदेखी, की जाती है ऐसी बातों की, बल्कि कोई वेश्यालय में पकड़ा जाए और उसकी पेशी हो तो असली अपराध के लिए नहीं होती, वरदी ठीक न पहनने या अफसर की अवज्ञा या ऐसे ही किसी जुर्म के लिए होती है। -ठीक ही सुना है तुमने। असली अपराध के लिए ही हुआ करे तो अव्वल तो चालान इतने हों कि सेना बदनाम हो जाए। इससे असर फौजियों पर तो उल्टा पड़े- उनका दिमाग हर वक्त इधर ही जाया करे। खैर,, उस दिन तो मैंने उसे डांटडपट कर छोड़ दिया। फिर दो दिन बाद फिर एक अजीब परिस्थिति में उसका सामना हुआ। वह कै से ? -उस दिन मैं अधिक देर करके जा रहा था। आधी रात होगी, गश्त पर जाते हुए उसी जगह के आसपास मैंने एक चीख सुनी। गाड़ी रोककर मैंने बत्ती बुझा दी और टॉर्च लेकर एक पुलिया की ओर गया, जिधर से आवाज आई थी। मेरा अनुमान ठीक ही था। पुलिया के नीचे एक पहाड़ी औऱत गुस्से से भरी खड़ी थी। और कु छ ही दू र पर अस्त-व्यस्त एक गोरा फौजी जिसकी टोपी और पेटी जमीन पर थी और बुश्शर्ट हाथ में। मैंने नीचे उतर कर डांटकर पूछा- यह क्या है ? पर तभी मैंने उस फौजी की आँखों में देखकर पहचाना कि एक तो वह परसों वाला व्यक्ति है, दू सरे वह काफी नशे में है। मैंने और भी कड़े स्वर में पूछा- तुम्हें शरम नहीं आती क्या कर रहे थे तुम? - वह बोला यह मेरी है। - मैने कहा बको मत। और उस औरत से कहा कि वह चली जाए। पर वह ठिठकी रही। मैंने उससे पूछा कि जाती क्यों नहीं ? तब वह कु छ सहमी सी बोली – मेरे रुपये दे दो। - काफी बेशर्म ही रही होगी वह भी?

- हाँ, मामला अजीब ही था। दोनो को डांटने पर दोनो ने जो टू टे-फे ट वाक्य कहे उससे यह समझ में आया कि दो-तीन घं टे पहले यह गोरा एक बार उस औरत के पास हो आया था। और फिर आगे गाँव की ओर चला गया। लौटकर फिर उसे वह रास्ते में मिली तो गोरे ने उसे पकड़ लिया था। वह रात के पैसे दे चुका है। और औरत का दावा था कि पिछला हिसाब चुकता नहीं था। और अब फौजी उसका देनदार है। मैंने उसे धमकाकर चलता किया। पहले तो वह गालियां देने लगी, पर जब देखा कि गोरा गिरफ्तार हो गया है तो बड़बड़ाती हुई चली गई। - फिर गोरे का क्या हुआ? उसे तो कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी। - मेजर चौधरी थोड़ी देर तक चुप रहे। फिर बोले , वह मेरी भूल थी या नहीं पर जीप में ले जाने के घं टा भर बाद मैंने उसे छोड़ दिया। - मैने अचानक कहा, वाह क्यों? फिर सोचकर कि यह प्रश्न कु छ अशिष्ट सा हो गया, मैंने फिर कहा – कु छ विशेष कारण रहा होगा ? - कारण ? हाँ कारण था... शायद। यह तो इस पर है कि कारण कहते किसे हैं, मैंने जैसे छोड़ा वो बताता हूँ । - मैं प्रतीक्षा करता रहा। मेजर कहने लगे, उसे मैं जीप से ले आया। थोड़ी देर तक टॉर्च का प्रकाश उसके चेहरे पर डालकर घुमाता रहा कि वह ज़रा और सहम जाए। तब मैंने पकड़ कर पूछा, तुम्हे शरम नहीं आई अपनी फौज का और ब्रिटेन का नाम कलं कित करते ? अभी परसों मैंने तुम्हें पकड़ा था और माफ कर दिया था। मेरे स्वर का उसके नशे पर कु छ असर हुआ। ज़रा सँ भलकर बोलासर मैं कु छ बुरा करना नहीं चाहता था... - मैंने फिर डांटा- सड़क पर एक औरत को पकड़ते हो और कहते हो कि बुरा करना नहीं चाहता थे ? वह बगलें झांकने लगा ..फिर भी सफाई देता हुआ कहता है सर वह अच्छी औरत नहीं है। वह रुपया लेती है- मैं तीन दिन से रोज उसके पास आता हूँ । मैंने सोचा बेहयाई इतनी है तो कोई क्या करे.. - मैंने कहा- और तुम अपने को बड़ा अच्छा आदमी समझते होगे न , एकदम स्वर्ग से झरा हुआ ‘फरिश्ता’ … वह बोला नहीं सर... लेकिन...

अप्रैल 2023 33 निरंतर पहल

कविता

विश्व कविता दिवस 21 मार्च पर विशेष

नन्हे कवि फ्रांटा बास की कविता

निरापद कोई नहीं है

आइए, विश्व कविता दिवस पर उस नन्हे-मुन्ने कवि को याद करें, जिसकी हत्या हिटलर ने कर दी थी। हां, फ्रांटा बास (Franta Bass) नाम था उसका। वह बेहद कल्पनाशील और मानवीय दृष्टिकोण वाला भावुक बच्चा था। वह दनि ु या को बेहतर बनाने की बातें सोचता और कविताएं लिखता था। तो आखिर हिटलर ने उसकी हत्या क्यों की? दरअसल, हिटलर ने महज इसलिए उसकी हत्या कर दी कि वह हिटलर की धर्म का नहीं था। हिटलर की साम्प्रदायिक राजनीति का वह शिकार बन गया। 4 सितं बर 1930 को इस यहूदी (Czech Jewish) बच्चे फ्रांटा को घेटो (ghetto) में भेज दिया गया। (शहरों की गरीबों की बस्ती जहां अल्पसं ख्यक आबादी रहती है) वहां कई बं दियों के साथ रहते हुए फ्रांटा ने 2 दिसं बर, 1941 को ‘बगीचा’( The Garden) नामक कविता लिखी थी। बाद में 30 अक्टू बर 1944 को आउस्चवित्ज़ डेथ कैं प में फ्रांटा की हत्या कर दी गई। आज यदि हम चाहते हैं कि दनि ु या का हर ‘फ्रांटा’ खूब कविताएं लिखे... खूब जिये ...खूब सफल होए, तो हमें यह निश्चय करना होगा कि दनि ु या में कहीं कोई हिटलर जैसा साम्प्रदायिक पॉलिटिशियन अब पैर न जमा सके । आइये, आज फ्रांटा की कविता पढ़ते हुए उसे याद करें।

बगीचा

एक उपवन एक छोटा सा बगीचा गुलाब और खुशबू से भरा हुआ रास्ता सकरा है जिस पर एक नन्हा चलता है एक छोटा बच्चा , बहुत प्यारा सा ठीक उस उपवन के खिलते कलियों की तरह जब उन कलियों के फू ल बनने के दिन आएंगे वो नन्हा बच्चा वहां नहीं होगा ... जब फू ल खिलेंगे वो बच्चा वहां नहीं होगा.. कहीं भी नहीं ।

निरंतर पहल

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कवि भवानी प्रसाद मिश्र की जयंती 29 मार्च 1914 उनकी एक कविता

अप्रैल 2023

ना निरापद कोई नहीं है न तुम, न मैं, न वे न वे, न मैं, न तुम सबके पीछे बंधी है दुम आसक्ति की! आसक्ति के आनन्द का छं द ऐसा ही है इसकी दुम पर पैसा है! ना निरापद कोई नहीं है ठीक आदमकद कोई नहीं है न मैं, न तुम, न वे न तुम, न मैं, न वे कोई है कोई है कोई है जिसकी ज़िंदगी दूध की धोई है ना, दूध किसी का धोबी नहीं है हो तो भी नहीं है!

प्रदूषण

बनावटी रोशनियां इंसानों की बनाई हुई नैसर्गिक रोशनी फीकी कर दे रही हैं

सितारों की चमक भी छीन रहे हैं हम ... आसमान की चमक हर साल 10 फीसदी बढ़ रही है



ÁÁ बर्लिन (जर्मनी)

नुष्य के वल पृथ्वी पर की नहीं बल्कि आसमान के उपलब्ध सं साधनों का इतना जम के दोहन करने में लगा है कि जमीन पर तो उसके फै लाए प्रदू षण से निबटना दू भर हो ही रहा है अब तो रोशनियां तक इसकी जद से बाहर नहीं हैं। हालत ये है कि हमारी फै लाई एलईडी की बनावटी रोशनियां इतनी बढ़ गई हैं कि आसमान की चमक पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गई है नतीजा ये हो रहा है कि कु छ साल पहले तक साफ आसमान में साफ दिखाई देने वाले सितारों की सं ख्या में कमी आ गई है यानी वो अपनी जगह पर तो हैं ही पर पहले की तरह दिखाई नहीं दे रहे हैं। दिन में तारे दिखाई देना हिन्दी का प्रचलित मुहावरा है लेकिन अब तो रात में भी तारे नहीं दिखाई दे रहे यानी रात में तारे आसमान में हमारी आंखों से ओझल हो रहे हैं। एक अध्ययन में पता चला है कि रात का आसमान हर साल दस प्रतिशत तक चमकीला हो रहा है। कहा ये भी गया है कि यह अब तक की सबसे आश्चर्य जनक रफ्तार है। इस कारण जो तारे कभी दिखाई देते थे उन्हें अब आम लोग या खगोलविद भी नहीं देख पा रहे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि

किसी बच्चे के जन्म के समय 250 तारे दिखाई देते थे तो उसके 18 साल के होने तक उसे के वल 100 तारे ही दिखने की स्थिति में होंगे। यह जानकारी उस अध्ययन की है जिसमें 2011 से 2022 के बीच दनि ु याभर के वैज्ञानिकों के 50000 (पचास हजार) से अधिक अवलोकनों का विश्लेषण किया गया। इसका उद्देश्य स्काई ग्लो यानी रात में आसमान की तेज रोशनी की समस्या को समझना था। साइं स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से जुड़े जर्मन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने चेताया है कि सितारों की घटती दृश्यता के लिए वातावरण में फै लता कृ त्रिम प्रकाश का प्रदू षण ही जिम्मेदार है जो हमारे अनुमान से भी तेजी से बढ़ रहा है। इसे रोकने के सारे उपाय विफल हुए हैं। यह न के वल इं सान वरन पशुओ ं की पारिस्थितिकीय तं त्र को भी प्रभावित कर रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि इससे पहले किए गए अध्ययन में आसमान के चमकीले होते जाने की दर महज 2 प्रतिशत ही बताई गई थी। इसलिए वैज्ञानिकों ने इस बार एक ऐसे ऐप की जानकारी का उपयोग किया जो दनि ु याभर के स्थानों से दृश्यों को एकत्र करता है। शोध के निष्कर्ष में कहा गया है कि आसमान 8 साल में ही पहले की अपेक्षा दोगुना चमकीला हो गया है।

अंतरिक्षयात्री ने चेताया था सबसे पहले सन 1973 में अंतरिक्षयात्री कर्ट रीगल ने चेताया था कि कृत्रिम रोशनी रात के आसमान को प्रभावित कर रही है। इसी के साथ यह समझ बढ़ी की शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहा प्रकाश-प्रदूषण हमारे पारिस्थितिकीय तंत्र को प्रभावित कर रहा है। यदि इस स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो सभी तारे आंखों से ओझल हो जाएंगे और आने वाले समय में हमें पूरा आसमान सिताराविहीन दिखाई देगा।

शहरों को रोशनी से चकाचौंध करने के चलन से बढ़ रही परेशानी वैज्ञानिकों के अनुसार आसमान की चमक बढ़ने की समस्या एलईडी लाइट के बढ़ते चलन के कारण हो रही है। आजकल शहरों में एलईडी लाइट्स के इस्तेमाल का चलन बढ़ गया है। पूरी रात ये लाइट्स चमकती रहती हैं इसलिए आसमान रात में भी कृत्रिम रोशनी से भरा रहता है इसलिए पूरा अंधेरा नहीं हो पाता और हमें नैसर्गिक सितारों की चमक भी पहले की तरह नहीं दिखाई देती। कई तारे जो पहले दिखा करते थे वे अब दशकभर के बाद नहीं भी दिखाई देते।

अप्रैल 2023 35 निरंतर पहल

सार समाचार

चुनावी साल में नहीं बढ़ेगी बिजली दर, सभी वर्ग को मिलेगी राहत

रायुपर। चुनाव का साल हो तो सरकारें भी एहतियात से काम लेती हैं। इस बार नवं बर में चुनाव हो सकते हैं तो आचार सं हिता के पहले तक घोषणाओं का दौर चलेगा या फिर राहत के परोक्ष इं तजामात किये जाएं गे । इसी क्रम में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा नए वित्तीय वर्ष 202324 के लिए नए विद्युत टैरिफ की घोषणा की जाएगी। जाहिर है चुनाव का वर्ष होने के नाते बिजली की मौजूदा टैरिफ में छे ड़ छाड़ की सं भावना बहुत ही कम है। यदि ऐसा ही हुआ तो उपभाेक्ताओं को राहत में छू ट मिल सकती है। पॉवर वितरण, उत्पादन और पारेषण कं पनी द्वारा किये गए ट्रैफिक प्रस्ताव के आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा उपभोक्ताओं से सुझाव और आपत्तियां मं गाई गईं थीं। वितरण कं पनी ने टैरिफ याचिका में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अंतिम टू –अप, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वार्षिक राजस्व जरूरतों का पुनर्निधारण और वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रचलित विद्युत दरों एवं प्रभारों के अधीन राजस्व का आंकलन एवं विद्युत की फु टकर दरों के निर्धारण का प्रस्ताव दिया है। कं पनी प्रबं धन के आय- व्यय के ब्यौरे के साथ बिजली दर निर्धारण का फै सला नियामक आयोग पर छोड़ दिया है। मिली जानकारी के अनुसार विद्युत नियामक आय़ोग द्वारा बिजली की नई दर की घोषणा कु छ ही दिनों में कर दी जाएगी।

प्रस्तावों के आधार पर टैरिफ निर्धारणः चैयरमैन छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन हेमंत वर्मा ने कहा कि पॉवर कं पनियों द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर सुझाव और आपत्तियां मं गाने के बाद परीक्षण किया गया। प्रस्ताओ ं के आधार पर टैरिफ का निर्धारण किया जाएगा। नए टैरिफ की घोषणा सं भवतः कु छ हफ्तों में की जाएगी। बिजली दरों को बढ़ोत्तरी, कमी अथवा यथावत रहने के बारे में टैरिफ निर्धारण से ही पता चलेगा।

दिल्ली से 75 सीअारपीएफ की महिला बाइकर्स जगदलपर पहुंचीं

नई दिल्ली। सीआरपीएफ के न्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के 84 वें स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाली परेड इस बार जगदलपुर में आयोजित हुई। खास बात यह है कि जानकारी के मुताबिक आजादी के 75 वें महोत्सव में सीआरपीएफ की 75 महिला बाइकरों ने दिल्ली के इं डिया गेट से लेकर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर तक 1848 किमी की यात्रा 9 मार्च से 16 दिन में तय की। बताया गया है कि इं डिया गेट पर 9 मार्च को सीआरपीएफ की वुमन डेयरडेविल दस्ते को हरी झं डी दिखाकर रवाना किया गया। महिला बाइकर दस्ता आगरा, नागपुर, भांद्रा, रायपुर और कोंडागांव होते हुए जगदलपुर पहुंचा। बीच में भी कई जगह महिला दस्ते का पड़ाव रखा गया था।

कई संदेश देते हुए आगे बढ़ेंगी महिला बाइकर्स यह दस्ता लोगों को खास तौर पर महिलाओं को आजादी के अमृत महोत्सव

निरंतर पहल

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अप्रैल 2023

को लेकर कई तरह के सं देश दिये। इसमें महिलाओं का सशक्तिकरण और सुरक्षाबलों की जिम्मेदारी आदि शामिल रही। देश की आजादी में अनगिनत लोगों ने अपना योगदान दिया है इसके बाद आजादी को बनाए रखने के लिए भी हजारों जवानों ने अपना जीवन समर्पित किया है।

बहादुरी के लिए चर्चित बाइकर्स बहादरु ी के अनेक कारनामों के लिए चर्चित रही हैं। बल की महिलाएं सुरक्षा के हर मोर्चे पर तैनात हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए गठित कोबरा बटालियन में भी महिलाओं ने अपना दमखम दिखाया है। वीआईपी सुरक्षा से लेकर कानून व्यवस्था तक की ड्यूटी में सीआरपीएफ की महिलाओं ने हमेशा ही बेहतरीन काम किया है।

कोर्ट की ताकत घटाने के खिलाफ आक्रोश इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन, पांच लाख लोग सड़क पर

तेल अवीव। इजराइल में सरकार की न्यायिक योजना के खिलाफ यहां अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन किया गया है। इसमें पांच लाख लोगों ने बहुत उत्साह से हिस्सा लिया। अके ले तेल अवीव शहर में 2 लाख लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे थे। दरअसल बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ने न्याय पालिका से जुड़े बिल की पहली रीडिगं को सं सद ने पारित कर दिया है। सरकार इन नए सुधारों के जरिए सुप्रीम कोर्ट की ताकत घटाना चाहती है। यानी कहा जा रहा है कि इस प्रस्तावित कानून से जजों की चयन कमेटी में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। इस प्रस्ताव में सबसे बड़ा विवाद का कारण है कि कानून बनते ही कोर्ट का किसी कानून को खारिज करने का अधिकार खत्म हो जाएगा। इजराइल के न्याय मं त्री यारिव लेविन ने कहा है कि सरकार 2 अप्रैल को सं सद में अवकाश से पहले सुधारों के अहम प्रस्ताव पारित करा लेगी।

फ्रांस में बच्चों के फोटो वीडियो पोस्ट करना गैरकानूनी

पेरिस। सोशल मीडिया पर बच्चों की फोटो या वीडियो रिकार्ड कर पोस्ट करना फ्रांस में गैरकानूनी किया जा रहा है। फ्रांस की सरकार नेशनल असेंबली (सं सद) में इसके लिए नए कानून का प्रस्ताव लेकर आ रही है। यदि यह विधेयक पास हो जाता है तो माता-पिता अपने ही बच्चों की हर तस्वीर और वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर नहीं कर सकें गे। ऐसा करना इस विधेयक के मुताबिक कानूनन अपराध होगा। इस कानून के पीछे सरकार का तर्क है कि अधिकांश माता-पिता को यह नहीं पता कि सोशल मीडिया पर किस तरह की तस्वीरें या वीडियो डालने चाहिए। मां-बाप लाड़ प्यार में अपने बच्चों की हर तरह की तस्वीर या वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं। इससे बच्चों की निजता खतरे में पड़ जाती है। यहां तक कि बड़े होकर उन्हें अपने बचपन की पोस्ट की गई फोटो या वीडियो की वजह से शर्मसार होना पड़ जाता है। जैसे 14 साल की एक किशोरी अपने स्कू ल में सिर्फ इसलिए शर्मसार होती है क्योंकि जब वह सात 7 साल की थी तब लाल रंग के हाफ पेंट में उसकी फोटो लेकर उसे सोशल

मीडिया में डाला गया था। अब इस कानून के बन जाने से छोटे बच्चों की निजता की सुरक्षा करना माता-पिता का कर्तव्य होगा। माता पिता के असहमत होने पर इसके लिए अलग जजों की नियुक्ति की जाएगी।

फेसबुक ने 3 महीने में बच्चों की 87 लाख तस्वीरें हटाईं फे सबुक- इं स्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स बच्चों की न्यूड फोटो या आपत्तिजनक फोटो अपने साइट्स से हटाते रहते हैं। शिकायत भी की जा सकती है। किसी फोटो वीडियो या कं टेट की शिकायत पर कं पनी के मॉडरेटर्स की टीम इसकी समीक्षा कर इसे हटाती है। पिछले साल की आखिरी तिमाही में फे सबुक से बच्चों की 87 लाख न्यूड फोटो हटाई गईं।

स्मार्ट फोन से प्री-इंस्टाल्ड एप हटाने कह सकती है केन्द्र सरकार

जासूसी और डेटा दुरुपयोग रोकने सख्ती होगी नई दिल्ली। स्मार्ट फोन के व्यापक इस्तेमाल के बाद उसके दरुु पयोग की आशं का को देखते हुए मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की जासूसी और डेटा के दरुु पयोग के मद्देनज़र के न्द्र सरकार इसके लिए नए सुरक्षा जांच के नियम बना रही है। इसके तहत स्मार्टफोन बनाने वाली कं पनियों को पहले से ही इं स्टाल्ड किए गए एप को हटाने और प्रमुख आपरेटिंग सिस्टम अपडेट की अनिवार्य स्क्रीनिगं की अनुमति दी जा सके गी। आजकल अधिकांश स्मार्ट फोन प्री इं स्टाल्ड एप के साथ आते हैं। इन्हें हटाया नहीं जा सकता। नए नियमों के बारे में पहले जानकारी पहले सार्वजनिक नहीं की जा सकती थी। इसलिए दनि ु या के नं बर 2 स्मार्टफोन बाज़ार में सैमसं ग, श्याओमी,वीवो और एपल समेत अन्य कं पनियां कारोबार खोने से बचने के लिए लांच की समय सीमा बढ़ा सकती हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि आईटी मं त्रालय स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वालों की चितं ाओं को गं भीरता से लेते हुए नए नियमों पर विचार कर रहा है।

अनइंस्टॉल का विकल्प जरूरी नए नियमों के अनुसार स्मार्टफोन बनाने वाली कं पनियों को फोन इस्तेमाल करने वालों को एप के अनइं स्टॉल करने यानी उसे अपने फोन से बाहर करने का विकल्प देना ही होगा। भारतीय मानक एजेंसी ब्यूरो द्वारा अधिकृ त नए मॉडल का परीक्षण करेगी। योजना से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट को इस्तेमाल करने वालों के लिए कं पनी से जारी करने से पहले स्क्रीनिगं करने पर विचार कर रही है।

करने में सफलता पायी है। कु ल मिलाकर विराट के नाम 63 मैन ऑफ द मैच अवार्ड दर्ज हैं जो विश्व में पूर्व भारतीय कप्तान सचिन तेंदल ु कर के बाद सबसे ज्यादा है।

हिन्द प्रशांत में चीन की मनमानी से निपटेंगे भारत-जापान

नई दिल्ली। पिछले कु छ समय से अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन ने अपनी प्रभुता स्थापित करने की अनेक कोशिशें की हैं। इस क्षेत्र में लगातारा उसकी आक्रामकता को देखते हुए भारत और जापान ने यह फै सला किया है कि इससे मिलकर निबटा जाएगा। भारत दौरे पर आए जापान के प्रधानमं त्री फु मियो किशिदा पीएम नरेन्द्र मोदी की द्विपक्षीय बातचीत में क्षेत्रीय खास कर हिन्द –प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृध्दि और स्थिरता की चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर विस्तृत बातचीत हुई। दोनो नेताओं के बीच वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत हुई। इनकी वार्ता वैश्विक सहयोग बढ़ाने के साथ साथ इन बातों पर भी हुई कि भारत, जापान और समान विचार वाले अन्य देश क्षेत्रीय चुनौतियों का खुलकर सामना कै से कर सकते हैं। हिन्द–प्रशांत देशों की एकता, लचीली व भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला में उनकी भागीदारी कर्ज से दबे देशों की मदद पर भी बातचीत हुई। साझेदारी का सं कल्पः- पीएम मोदी और जापान के नेता किशिदा ने आपसी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और विस्तार और मजबूती देने का भी सं कल्प लिया। पीएम मोदी ने कहा कि इस साझेदारी को ं –प्रशांत क्षेत्र में मजबूत करना न सिर्फ दोनों देशों के लिए अहम है बल्कि हिन्द शांति, समृध्दि व स्थिरता को भी मजबूती देना है।

विराट कोहली के नाम एक और विश्व कीर्तिमान

मुं बई। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच अहमदाबाद में खेले गए चौथे टेस्ट मैच में विराट कोहली ने 186 रनों की जोरदार पारी खेली। इस शानदार पारी के चलते पूर्व भारतीय टीम के कप्तान को प्लेयर ऑफ द मैच अवार्ड भी मिला। इसी के साथ ही विराट कोहली ने बड़ा रिकार्ड अपने नाम कर लिया। कीर्तिमान भी ऐसा कि इससे पहले विश्व में कोई भी खिलाड़ी ऐसा नहीं कर पाया है। विराट कोहली क्रिके ट के तीनों फार्मेट में 10 या 10 से ज्यादा बार प्लेयर ऑफ द मैच हासिल करने वाले विश्व के पहले क्रिके टर बन गए हैं। टेस्ट क्रिके ट में यह उनका दसवां मैन आफ मैच अवार्ड रहा। वहीं वन डे में उन्होंने 38 और टी-20 में 15 बार इस अवार्ड को अपने नाम

रायपुर। अडाणी के विरोध में कांग्रेस ने 13 मार्च सोमवार को राजभवन मार्च किया। इससे पहले एक सभा का आयोजन भी स्थानीय अंबेडकर चौक पर किया गया था। इसमें प्रदेश प्रभारी कु मारी शैलजा,मुख्यमं त्री भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम सहित कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे। इस मौके पर मुख्यमं त्री श्री बघेल ने सवाल उठाया कि अडाणी अमीरों की सूची में दनि ु या के 609 नम्बर पर थे को कु छ ही महीनों में दू सरे नम्बर पर कै से आ गए। के न्द्र इसकी जांच क्यों नहीं करती है।

अप्रैल 2023 37 निरंतर पहल

खेल

निकहत ज़रीन गोल्ड जीतकर बनीं वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन निकहत जरीन 5वीं भारतीय महिला बॉक्सर हैं, जिन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया

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ÁÁ नई दिल्ली

रतीय महिला बॉक्सर निकहत जरीन ने 23 मार्चको इतिहास रच दिया. उन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. 52 किग्रा. कै टेगरी में निकहत ने थाईलैंड की जिटपॉन्ग जुटामस को 5-0 से करारी शिकस्त दी। 25 साल की निकहत जरीन 5वीं भारतीय महिला बॉक्सर हैं, जिन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। बॉक्सिंग लीजेंड मैरीकॉम ने इस चैम्पियनशिप में 6 बार गोल्ड जीतकर रिकॉर्ड बनाया है। इस चैम्पियनशिप में मैरीकॉम, निकहत के अलावा सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा सी.भी गोल्ड जीत चुकी हैं। निकहत का जन्म 14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था. उनके पिता मुहम्मद जमील अहमद और माता परवीन सुल्ताना हैं. निकहत ने 13 साल की उम्र में ही बाक्सिंग ग्लव्स थाम लिए थे। निकहत की लीजेंड एमसी मैरीकाम से कई बार भिड़ंत भी हुई है। भारतीय बॉक्सिंग फे डरेशन ने मैरीकॉम को टोक्यो ओलं पिक में बगैर ट्रायल के 51 किग्रा कै टेगरी के लिए सेलेक्ट किया था। तब के चेयरमैन राजेश भं डारी ने कहा था कि निकहत को भविष्य के लिए सेव कर रहे हैं। ऐसे में निकहत ने इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए खेल मं त्री किरण रिजिजू को पत्र लिखा था।

निरंतर पहल

38

अप्रैल 2023

इस पूरे विवाद के बाद मैरीकॉम का ट्रायल हुआ था। उनका मुकाबला निकहत से कराया गया, जिसमें मैरीकॉम ने जीत दर्ज की थी। इन दोनों बॉक्सर के बीच टशन इतना था कि जीत के बाद मैरीकॉम ने निकहत से हाथ भी नहीं मिलाया था। जब निकहत ने टोक्यो ओलं पिक के लिए ट्रायल की मांग की थी, तब मैरीकॉम ने प्रेस के सामने पूछा था, ‘निकहत जरीन कौन है?’ अब वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतने के बाद जरीन ने उन्हें जवाब दिया है। बताया है

कि निकहत वर्ल्ड चैम्पियन है। मेडल जीतने के बाद निकहत ने प्रेस से पूछाक्या मेरा नाम ट्विटर पर टें्रड कर रहा है? निकहत ने करियर का पहला मेडल 2010 में नेशनल सब जूनियर मीट में जीता था। इसके अगले साल ही 15 साल की उम्र में निकहत ने दे श को इं टरनेशनल गोल्ड मेडल दिलाया था। उन्होंने तुर्की में 2011 महिला जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फ्लाइवेट में गोल्ड जीता।

छत्तीसगढ़ संवाद RO No.: 12409/ 27

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