अन्तर्राष्ट्रीय शोध सङ्गोष्ठी final (2) (1)-6 Flipbook PDF


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OSEAS. PROGRAMA No Cap. 2:2-16
PROGRAMA No. 1025 OSEAS Script Ready Recorded Edited Checked Corrected Mastered / / / / / / / / / / / / Cap. 2:2 - 16 En nuestra oportunidad a

Story Transcript

प्रस्तावना

ु पौराणिक साणित्य से ज्ञात िोता िै णक मिाराज पृथ ु के पूव व णवणिवत ् परयोजना अणस्तत्व में

ु किीं भी ठिरते रिते थे। पृथ ु न े भूणम को समतल कर नगरणनयोजन की नींव ु निीं थी। लोग सणविान सार ं से लेकर ु ु ु न े पिवकुटी और गफाओ रखी। आिणनक णवचारकों का भी यिी मानना िै णक पिले मनष्य प्रस्तर गृि तक की यात्रा की िोगी, ज ैसे ज ैसे सामाणजकता बढी वैस े वैस े गृि से ग्राम, नगराणि की

ु व्यवस्था बनती गयी। एक ओर वास्तशास्त्रीय ग्रन्थ नगरों के णवन्यास को स्पष्ट करते िैं तो अथ वशास्त्र ु सदृश राजनय के ग्रन्थ परप्रबन्धन को णवशेष रूप से णनिेणशत करते िैं । एक ओर भौगोणलक तथा

प्राकृ णतक पणरणस्थणतयााँ खेट, खववट, कुब्ज, पत्तन सदृश नगरभेि बनाती िैं तो राजकीय व्यवस्थाएाँ ु णशणवर, दुगव आणि की आवश्यकता उपणस्थत कर िेती िैं । सांस्कृणतक तथा राजिानी, सेनामख,

ु ऐणतिाणसक पणरणस्थणतयों न े अन ेकणवि नगरयोजनाओ ं का णवकास णकया। एक ओर णसन्ध-सरस्वती ु सभ्यता के नगर भारतीय वास्तशास्त्र के णनयमों से बन े प्रतीत िोते िैं । यथा समानान्तर मागव, पूव व तथा

उत्तर की ओर से चलन े वाले चौंडे मागों का परस्पर समकोि में काटना, उत्तम प्रिालीप्रबन्धन,

ु की दृणष्ट से भूलभलै ु या सी टे ढी मेढी साँकरी गणलयााँ प्रचलन में जलप्रबन्धन आणि। मध्यकाल में सरक्षा ु ु ु ु भारतीय वास्तशास्त्रोक्त ु आन े लगीं। आिणनक काल में नगरीय योजना पनः सव्यवणस्थत परप्रबन्धन की

प्रासणिकता को बढा रिी िै। नगरणनयोजन के णनयम कॉलोनी आणि वसणतणवन्यासों के स्थापन में

बहूपयोगी िैं । गृिणनमावि में ग्रामवास णवचार एक आवश्यक प्रणिया िै। उत्तम जीवन िेत ु गृि का िोना िी निीं, अणपत ु उसके णनकट के पणरवेश की अनकूु लता भी आवश्यक िै। णवणभन्न काल, क्षेत्र तथा

ु नात्मक अध्ययन करना संस्कृणतयों में णवद्यमान नगरणनयोजन का अध्ययन करके उनका णवश्लेषि, तल और सामणयक नगरणनयोजन को प्रकाणशत करना िी सिोष्ठी का उद्देश्य िै।

संस्कृणत संरक्षक राजा भोज ु भारतीय वास्तशास्त्र और उसमें भी णवशेषकर नगरणनयोजन की चचाव की जाय, तो मिाराज भोजिेव के स्मरि के णबना यि चचाव अिरू ी िी रिेगी। भोज मात्र समराििसूत्रिार आणि ु ु वास्तशास्त्रीय ग्रन्थों के रचणयता िोन े मात्र से स्मरिीय निीं िैं । णनजवास्तग्रन्थों में नगरणनयोजन की णवस्तृत चचाव के साथ िी िारा एवं भोजपाल सदृश नगरों में इसे साकार भी णकया। नगर बसन े पर पेयजल की उपलब्धता एक मित्त्वपूि व णवषय िै। भोजताल की णवशालता पेयजल के साथ िी कृ णष के णलए भी उपयोगी रिी िोगी। नगर में अणशक्षा रिे, यि भोज को अभीष्ट न था और उनकी िेन रिीं सरस्वतीकण्ठाभरि पाठशालाएाँ। णजनमें से एक िै िार की बहुप्रणसद्ध भोजशाला। नगर में िाणमवकता एवं उससे उत्पन्न न ैणतकता व्याप्त रिे, यि भी भोज के णचन्तन में रिा। भोजपरु का णशवालय इसका प्रत्यक्ष प्रमाि िै। इसके अणतणरक्त वे िेवालयणनमावि की परमारकालीन भूणमज शैली के प्रचारक भी िैं । भोज का साणित्य और स्थापत्य नगरणनयोजन के णवषय में शोिकतावओ ं िेत ु अद्ययावत ् प्रासणिक िै। सवावणिक मित्त्वपूि व तथ्य यि िै णक भोज ऐसे सबसे प्राचीन ु वास्तग्रन्थकताव िैं , णजनकी वास्तकृु णतयााँ आज भी णवद्यमान िैं । उनके बसाये नगरों के रूप भले पणरवणतवत हुए िों, णकन्त ु वे आज भी बसे हुए िैं और आकषवि का के न्द्र भी िैं । ऐसे राजा भोजिेव के ु ु सम्मान में सिोष्ठी का आयोजन उन मिान वास्तशास्त्री के प्रणत कृ तज्ञताज्ञापन का एक पण्य अवसर िै।

उपशीष वक1. वैणिक वाङ्मय में नगरणनयोजन

2 .पौराणिक साणित्य में नगरणनयोजन 3 .रामायि में नगरणनयोजन 4 .मिाभारत में नगरणनयोजन 5 .संस्कृत साणित्य में नगरणनयोजन ु 6. सप्तपरीयों में नगरीय तत्व णवचार ् वशास्त्र 7 .नगरणनयोजन एवम अथ

8 .णसन्ध ु सभ्यता में नगरणनयोजन ु र, अरब, णिणटश, फ्रेंच, इटाणलयन, जमवन, चाइनीज आणि नगरणनयोजन 9 . णमस्र, समे 10. नगरस्थापन में भूणमणवचार 11. नगरणनयोजन में मान-प्रमाि 12. दुगवणनवेश

् 13. नगरणनयोजन एवम उद्याणनकी 14. नगरणनयोजन में जलप्रबन्धन 15. नगरयोजना में अन्तरापि (बाजार) 16. नगरणनयोजन एवं िेवालय 17. ग्राम एवं नगरों के णवणवि प्रकार

ु लङ्का, उज्जणयनी आणि) 18.पौराणिक नगरणनवेश (अयोध्या, काशी, इन्द्रप्रस्थ, द्वाणरका, मथरा, ु वैशाली, तक्षणशला, कौशाम्बी,श्रावस्ती, कान्यकुब्ज, जयपर,िारा) ु 19. ऐणतिाणसक नगरणनवेश (पाटणलपत्र, ु भारतीय-कनॉट प्लेस, चण्डीगढ, गरुग्राम, नोएडा, बेिलूरु, अमरावती, भोपाल) (णविेशी- वाणशंगटन, लन्दन, पेणरस, बणलवन, रोम, णशकागो, न्यूयाकव , टोक्यो, शङ्घाई, दुबई, डरबन) 20. आिणु नक नगरयोजनाओ ं का अध्ययन ु ास्त्र में नगरीय शब्दावली 21. वास्तश 22. नगरणनयोजन एवं भूगोल 23. नगरणनयोजन में गृियोजना 24. नगरणनयोजन में मानणचत्रों की भूणमका

ु 25. परप्रबन्धन में स्वच्छता तथा सौन्दयीकरि

ु 26. परप्रबन्धन में पणरविन एवं सञ्चार ु 27. परप्रबन्धन एवं पयाववरि 28. नगरयोजना में आपिा णनवारि ु 29. नगरयोजना एवं सरक्षा 30. नगरणनयोजन में प्रेक्षागृि (नाट्यमण्डप, णथयेटर, ओपेरा िाउस, ओपन णथयेटर) 31. नगर में सभाभवन की योजना ु 32. परप्रबन्धन में िीडािि ु 33. परप्रबन्धन में णशक्षा तथा स्वास्थ्य ु 34. नगरीय प्रशासन एवं वास्तशास्त्र ु 34. नगरीय प्रशासन एवं वास्तशास्त्र 35. परमारकालीन वास्त ु एवं भोज 36. राजा भोज एवं िेवालय वास्त ु 37. भोजवास्त ु एवं नगर णनयोजन 38. भोजवास्त ु एवं णशल्प 39. राजा भोज एवं राजप्रासाि 40. भोजवास्त ु एवं राजमागव व्यवस्था 41. दुगववास्त ु एवं राजा भोज 42. भोजवास्त ु एवं भवन णनवेश 43. राजा भोज एवं द्रव्य वास्त ु

शोिपत्र की पणरसीमा-

े ी भाषा में न्यूनतम शब्दसीमा 1000 शब्द का शोिपत्र सारांश सणित अपेणक्षत िै। णिनाङ्क 15 नबम्वर 2022 तक शोिपत्र संस्कृत/ णिन्दी/ अंग्रज ई-मेल/व्हाट्स एप करने वाले शोिाणथवयों को शोिसारांश वाचन में वरीयता प्रिान की जावेगी। िेवनागरी में यूणनकोड/मंगल (14 फॉण्ट) तथा रोमन में Times new roman (14 फॉण्ट) णलणपयााँ स्वीकायव िैं । ु पञ्जीयन शल्क-

िेत ु 1000 रु •शोिच्छात्रों िेत ु 500 रु •णशक्षकों

ु प्रणतभागी को गूगल फामव भरना अणनवायव िै ऑनलाइन भगतान कर रसीि पञ्जीयन फॉमव पर upload करना अणनवायव रिेगा। णिनाङ्क ु 16/11/2022 तक भगतान रसीि व्हाट्सएप्प ग्रपु अथवा [email protected] पर ई-मेल कर िें। व्हाट्सअप ग्रपु का णलं क गूगल फॉमव में प्राप्त िोगा। आवेदन के लिए ललिक करें •सभी

•आवास

व्यय तथा मागवव्यय प्रणतभागी को स्वयं विन करना िोगा।

सम्पकव िेत ु ई-मेल आई.डी. •[email protected][email protected][email protected]

•आयोजन

व्हाट्स एप िमांक•9425464550, 9805616765, 9506147656, 9452648807

स्थल- णविम कीणतव मणन्दर सभागार, णविम णवश्वणवद्यालय, उज्जैन

णवश्वणवद्यालयीय आयोजन सणमणत संरक्षक आचायव णवजयकुमार सी.जी.

माननीय कुलपणत मिणष व पाणिणन संस्कृत एवं वैणिक णवश्वणवद्यालय, उज्ज ैन (म.प्र.)

माग विशवक

डॉ.णिलीप सोनी

कुलसणचव मिणष व पाणिणन संस्कृत एवं वैणिक णवश्वणवद्यालय, उज्ज ैन (म.प्र.)

परामशव पणरषि ्

ु सीिास परौिा- णवभाग समन्वयक डॉ.तल ु संचालक णवत्त,उज्ज ैन श्री डी.के .चौरणसया- संयक्त डॉ.अणखलेश कुमार णद्ववेिी- णवशेष कतवव्यस्थ अणिकारी, णवद्या णवभाग डॉ.संकल्प णमश्र- णवशेष कतवव्यस्थ अणिकारी, णवत्त णवभाग

संयोजक

समन्वयक

् डॉ. शभु म शमाव 9425464550

7987559065

सि-संयोजक डॉ.णवजय कुमार- 9805616765 डॉ.बबलू णमश्र- 9506147656

डॉ. उपेन्द्र भागवव

सि-समन्वयक डॉ. णवनोि कुमार पाण्डेय- 9889513204 डॉ.योगेश कुमार- 8109792047 डॉ.अणवनाश णमश्र- 9452648807

सिस्य समस्त णवश्वणवद्यालय पणरवार

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